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मंगलवार, 8 सितंबर 2009

India in biggest biometric count



By Dr Sukhpal sawantkhera
dabwali



Indians do not have a national identity number
A planned Unique Identification (UID) number for Indian citizens will be backed by biometric authentication, the head of the project has told BBC.

Fingerprints and photographs of more than a billion people will be taken when they are registered for the identity number, Nandan Nilekani said.

The biometric evidence will be stored online in what will be the biggest such national database in the world.

The first UID numbers will be issued in about 12-18 months, he said.

Mr Nilekani said that the "technology challenge" in putting together a biometric record of one billion citizens was "immense".

"Biometrics on this scale has not been carried out before. They will be stored online and help in instant online authentication of the identity of every Indian," he said.

But Mr Nilekani said the government does not have an "exact fix" on the how many Indians had some sort of identity proof.

'Pro-poor'



Biometrics on this scale has never been done before

Nandan Nilekani, chairman, Unique Identification Authority of India
His office is looking at 80 million income tax payers who possess a Permanent Account Number (PAN), some 200 million account holders in public and private banks, some 500 million mobile phone consumers and over 600 million Indians who have election cards.

There is, obviously, a considerable overlap as many of them have all or many of these forms of identification.

His office will also look at the database of Indian passport holders, public distribution system cards for food for the poor, and the list of cooking gas consumers in the country.

However, these checks will have to be done carefully because, as Mr Nilekani admits, there is the "phenomenon of duplicates" or fraudulent numbers.

It is clear that a large number of poor people have no identification at all, making it doubly difficult for them to gain access to social welfare schemes, Mr Nilekani added.

"This project is pro-poor and inclusive targeted mainly towards the poor. The middle class and the rich have some form of identity. People on the margins are getting lost because of lack of identity," Mr Nilekani said.

It is also hoped that the number should help tackle identity theft and fraud.

Mr Nilekani's office will be working with state governments and 20 - 25 agencies - the income tax department, the country's Election Commission and the state-run life insurance company, for example - to roll out the identity numbers.

No identity

The unique number will not be an identity card - instead, the number will be included in documents like election identity cards, PAN cards and bank account numbers.

India's efforts at giving every citizen an identity number is possibly one of the greatest challenges facing the government.



Every Indian is expected to have a national identity number by 2014
"There is the technological challenge, there is a challenge of the scale of work, and there is a complex governance challenge, working with so many departments and states," Mr Nilekani said.

The state of Karnataka in the south, India's capital, Delhi, and Meghalaya state in the north-east are among the states which may take part in early pilots.

The project's main technology centre will be based in Bangalore, with eight regional centres working with the various states.

Unlike in the US and UK, Indians do not have a common federal identity number.

The government expects to give a unique identification number to every Indian citizen within five years.

मनुष्यों से न डरने वाला विशालकाय चूहा

डबवाली(डॉ सुखपाल सावंतखेडा)

एक कार्यक्रम के लिए फ़िल्म बना रहे एक दल को इस चूहे का पता चला है

पपुआ न्यू गिनी के घने जंगलों में एक नई प्रजाति का विशालकाय चूहा पाया गया है जो इंसान से नहीं डरता और दुनिया भर में अभी तक चूहों की ज्ञात प्रजातियों में सबसे बड़ा है.

इस चूहे की लंबाई मुँह से पूँछ तक 82 सेंटीमीटर है और इसका वज़न लगभग डेढ़ किलोग्राम है. एक कार्यक्रम 'लॉस्ट लैंड ऑफ़ द वोल्कैनो' के लिए फ़िल्म बना रहे एक दल को यह चूहा मिला है.

इस जाँच दल को अपने इस खोज अभियान के दौरान और भी अदभुत चीज़ें मिली हैं लेकिन यह चूहा उन सबमें बिल्कुल चौंकाने वाला है.


समझा जाता है कि चूहे की यह प्रजाति सिर्फ़ बोसावी पहाड़ी इलाक़ों में ही बसती है और यह दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती है.

खोजी दल के साथ मौजूद रहे पशु विशेषज्ञ डॉक्टर क्रिस्टोफ़र हैलजैन का कहना था, "यह दुनिया भर के सबसे बड़े चूहों में से एक है. यह सही अर्थों में चूहा है, बिल्कुल वैसा ही जैसा आप किसी शहर की नालियों में देखते हैं."

शुरू में इस चूहे को एक इन्फ्रारैड कैमरे के ज़रिए देखा गया जिसे कैमरामैन गॉर्डन बुचानन ने ज्वालामुखी के ढलान पर मौजूद जंगलों में लगाया था.

प्रकृति इतिहास इकाई की टीम ने कैमरे के ज़रिए देखा कि यह चूहा विशाल आकार का है जो जंगल में खुला घूम रहा है. टीम के सदस्य इस चूहे के आकार को देखकर आश्चर्यचकित रह गए.

उन्हें तुरंत विचार आया कि हो सकता है कि ये चूहा ऐसी प्रजाति का हो जिसे विज्ञान की दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा लेकिन वे यह सुनिश्चित करने के लिए उस चूहे को जीवित देखना चाहते थे.

बस उसके बाद खोजी दल ने जंगल से वाकिफ़ पेशेवर लोगों के साथ तलाश शुरू की और इस चूहे का पता लगा लिया.

बिल्ली जैसा

डॉक्टर बुचानन का कहना था कि उनके पास एक बिल्ली है और वो लगभग इसी चूहे के बराबर है. इस शरीर पर घने बाल हैं जो उसे सर्दियों में भी जीवित रखने में मदद करते हैं.


खोजी दल इस चूहे को देखकर चकित और प्रसन्न था
आरंभिक तौर पर इस चूहे को 'बोसावी वूली रैट' नाम दिया गया है लेकिन इसे एक वैज्ञानिक नाम देने के लिए सहमति बनाने की कोशिशें की जा रही हैं. फ़िलीपीन्स में भी ऐसी प्रजाति के चूहे पाए जाते हैं जिनका वज़न दो किलोग्राम तक हो सकता है.

माउंट बोसावी में किसी ज़माने में ज्वालामुखी सक्रिय थे और यह पपुआ न्यू गिनी के दक्षिण ऊँची पहाड़ियों में पड़ता है. यह काफ़ी दूरदराज़ का इलाक़ा है और यहाँ बहुत कम मनुष्य जा पाए हैं.

यह इलाक़ा तरह-तरह के चूहों की प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है. अक्सर शिकारी इन चूहों का शिकार करते हैं और उसे खाते हैं.

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