डबवाली- कला, साहित्य, खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य व समाज सेवा में अग्रणी संस्था वरच्युस कल्ब (इण्डिया) डबवाली की मासिक बैठक संस्थापक केशव शर्मा की अध्यक्षता में गत दिवस सम्पन्न हुई। विगत दिनों के सुप्रसिद्ध लेखक एवं कहानीकार रामसरूप आणखी जी के आकस्मिक निधन पर वरच्युस परिवार की ओर से गहरा शोक व्यक्त किया गया। कल्ब के प्रधान बीरचन्द गुप्ता ने मरहूम लेखक आणखी जी के साहित्य रूपी जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माँ बोली पंजाबी के श्रृंगार का अनमोल हीरा रामसरूप आणखी अपने 78 वर्ष के जीवन काल में पंजाबी साहित्य में लगभग 15 नावल, 12 कहानी संग्रह, 2 वार्तक पुस्तकें, 2 जीवनी संग्रह साहित्यक प्रेमियों को दिए और 1987 में उनके द्वारा रचित नावल ''कोठे खड़क सिंह को साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। नैशनल बुक ट्रस्ट द्वारा उनके नावलों का 10 भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित किया गया। उनके द्वारा लिखित नावलों ''कोठे खड़कसिंह एवं ''प्रतापी का हिन्दी, गुजराती व अंग्रेजी आदि भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुआ। स्वर्गीय आणखी ने अपने साहित्य का सफर कविता के माध्यम से शुरू किया तथा वे त्रैमासिक पत्रिका कहानी पंजाब के सम्पादक भी रहे। उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से प्रवासी मजदूरों पर ''भीमाÓÓ नावल लिखकर उनके दर्द व संघर्ष की दास्तां को प्रकट किया तथा जीवन के अन्तिम क्षण तक साहित्य के लिए समॢपत रहे। कल्ब के सांस्कृतिक निदेशक एवं रंगकर्मी सन्जीव शाद ने रामसरूप आणखी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि लेखक, साहित्यकार, कलाकार समाज का दर्पण होते हैं। वक्त दरवह अपनी तस्वीर को अपनी कलम के माध्यम से शब्दों को जन्म देकर समाज के रूबरू करवाते रहते हैं। निश्चित तौर पर रामसरूप आणखी जी का साहित्य जीवन और उनकी कलम समाज का पथ-प्रदर्शक बन कर युवा साहित्यकारों, लेखकों एवं रंगकॢमयों के लिए प्रेरणादायक बनकर मार्गदर्शन करता रहेगा और रामसरूप आणखी का नाम साहित्य के क्षेत्र में सदैव अमर रहेगा। यह जानकारी देते हुए कल्ब के प्रसार सचिव राजेश हाकू ने बताया कि इस अवसर पर कल्ब के स्वास्थ्य निदेशक मथरा दास चलाना, समाजसेवा निदेशक अधिवक्ता भूपेन्द्र सूर्या, विजय बांसल, विजय मुन्जाल, राकेश शर्मा, अमित मैहता, चरणजीत, लवलीन नागपाल, नरेश शर्मा सहित कल्ब की कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित थे।
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
गुरू महामंत्र का जप सदैव रक्षा कवच का काम करता है और व्यक्ति का आत्म-विश्वासी तथा स्वाबलम्बी बनाता है।
डबवाली-गुरू महामंत्र जिसे नवकार महामंत्र भी कहते हैं का जप सदैव रक्षा कवच का काम करता है और व्यक्ति का आत्म-विश्वासी तथा स्वाबलम्बी बनाता है। ये शब्द तेरापंथी जैन साध्वी डॉ. लवण्या यशा ने सांयकाल पिछले सात दिनों से चल रही जैन प्रवचन सभा में कहे। उन्होंने बताया कि किसी भी मंत्र को भय के द्वारा नहीं जपना चाहिए। महामंत्र का एक-एक अक्षर भी यदि जपा जाए तो वह सदैव अच्छा फल देता है और वह फल अलौकिक होता है। उन्होंने कहा कि मंत्र और महामंत्र में अंतर स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि महामंत्र के उच्चारण में कोई भी त्रुटि होने पर कभी अनिष्ट नहीं होता हां केवल मात्र उतने का फल नहीं मिलता। जबकि मंत्र के उच्चारण में त्रुटि होने पर अनिष्ट होने की स्थिति बन जाती है जोकि गल्ती पर निर्भर करती है। जीवन संस्कार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भूखे को खाना खिलाना अथवा प्यासे को पानी पिलाना दान नहीं अपितु यह तो कत्र्तव्य है। जिसे करते हुए दान का भाव भी नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी के द्वारा भी किसी को बताया गया सार्थक संदेश अथवा कही गई बात ज्ञान दान कहा जा सकता है परन्तु वास्तव में दान दो ही माने जाते हैं लौकिक एवं अवलौकिक दान। इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ जैन साध्वी उज्ज्वल कुमारी ने भी अपने मुखारविंद से बोलते हुए कहा कि व्यक्ति को सतत् साधना करते रहना चाहिए और जीवन में जो ज्वालामुखी काल आता है तो व्यक्ति को उस वक्त अपनी वाणी तथा कर्म को बड़ी सावधानी पूर्वक व्यतीत करना चाहिए। क्योंकि ऐसे काल में सदैव अन्होनी हो जाती है परन्तु जो भी व्यक्ति अपने ईष्ट में आस्था रखता है और गुरू महामंत्र का जाप करता है उसके जीवन में कदापि ऐसी घटनाऐं भी कुछ दुष्प्रभाव नहीं डालती। जैन साध्वी सूरज प्रभा जो बच्चों को संस्कारित करने तथा उन्हेें आकर्षित करने में पारसमणी के रूप में विख्यात हैं ने भी अपने भजनों से उपस्थित सैंकड़ों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में सामान्य ज्ञान पर आधारित क्विज़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें विजेताओं को गिरधारी लाल गुप्ता द्वारा पुरस्कार बांटे गए। सत्संग का प्रारम्भ नवकार मंत्र से हुआ और इसके उपरांत सोनू कुमार ने ममता पर आधारित भावपूर्ण गीत से सभी को भावविभोर कर दिया। आगामी 21 फरवरी को एक दिवसीय शिविर का भी आयोजन किया जाऐगा जिसमें जैन मतानुसार जीवन जीने की कला का पाठ पढ़ाया जाऐगा।
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