डबवाली(सुखपाल)- स्थानीय राजकीय महाविद्यालय में आज सात दिवसीय एनएसएस शिविर का शुभारम्भ महाविद्यालय के प्राध्यापक राकेश वधवा ने अपने करकमलों द्वारा किया। राकेश वधवा ने शिविर में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एनएसएस शिविर में ही नहीं अपितु अपने जीवन में भी अनुशासन में रहना सीखें तथा झूठ को त्याग कर सच्चाई के रास्ते पर चलें। उन्होंने कहा कि सच्चाई कड़वी अवश्य होती है परन्तु अन्त में जीत सच्चाई की ही होती है। इस अवसर पर प्राध्यापक प्रदीप बिश्रोई ने भी अपने विचार प्रकट किए। तदोपरान्त स्वयंसेवकों द्वारा महाविद्यालय प्रांगण की सफाई की गई।
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गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
वृद्ध महिला के हाथों से दिन-दिहाड़े सोने की चूडिय़ां उतार कर फरार
डबवाली (सुखपाल)- स्थानीय वार्ड नम्बर 13 मीना बाजार से अज्ञात व्यक्ति द्वारा वृद्ध महिला के हाथों से दिन-दिहाड़े सोने की चूडिय़ां उतार कर फरार होने का मामला प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी अनुसार मीना बाजार की वैद्य आसा नन्द वाली गली निवासी अमर ङ्क्षसह पटवारी पत्नी वृद्ध महिला महिन्द्र कौर के हाथों से उस समय जबरदस्ती सोने की चूडिय़ां उतारकर फरार हो गया। जब वह घर पर अकेली थी। वृद्ध महिला महिन्द्र कौर ने जानकारी देते हुए बताया कि उसका बेटा तथा बहू डॉ. गुलाटी के नॄसग होम में दवाई लेने गए हुए थे तथा उस समय वह साग काट रही थी कि तभी एक अज्ञात व्यक्ति उनके घर में दाखिल हुआ तथा कहना लगा की आपकी बहू सुनार की दुकान पर बैठी है तथा उसने सोने की चूडिय़ां बनवानी हैं। डिजाईन के लिए आपकी चूडिय़ां मंगवाई हैं। मेरे इन्कार करने पर उसने जबरदस्ती मेरे हाथों से चूडिय़ां उतार ली तथा फरार हो गया। उन्होंने शोर भी मचाया। जब तक मौहल्लावासी एकत्रित होते तब तक अज्ञात व्यक्ति फरार हो चुका था। इस मामले की सूचना थाना शहर डबवाली को दे दी गई है तथा पुलिस अज्ञात व्यक्ति की तालाश कर रही है।
वाटर वक्र्स के सामने ढक्कन रहित सीवर में कार गिरने से कार क्षतिग्रस्त
डबवाली(सुखपाल) - स्थानीय वैष्णों माता मन्दिर रोड पर पंजाब क्षेत्र वाटर वक्र्स के सामने ढक्कन रहित सीवर में कार गिरने से कार क्षतिग्रस्त हो गई। जबकि कार में सवार लोग बाल-बाल बच गए। प्राप्त जानकारी अनुसार संजीव कुमार पुत्र रामशरण अपनी कार नम्बर डीएल-3-सी-7981 में देर सायं अपने परिवार के साथ जा रहा था कि गली में निमत ढक्कन रहित सीवर में अचानक कार फंस गई। जिसके फलस्वरूप कार का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। मौहल्लावासी मनोहर लाल, रमेश कुमार, रिन्कू शर्मा, इन्द्रजीत ङ्क्षसह सोनी, विक्की शर्मा, परमानन्द, भारत भूषण, दूनी चन्द ने बताया कि कई बार इस समस्या को लेकर मण्डी किलियांवाली के सरपंच से मिल चुके हैं। परन्तु परिणाम शून्य ही रहा। उन्होंने कहा कि वह शायद किसी बड़े हादसे के इन्तजार में हैं। मौहल्लावासियों ने सरपंच व प्रशासन से मांग की है कि उपरोक्त ढक्कन रहित सीवर पर जल्द से जल्द ढक्कन लगवाया जाऐ ताकि किसी अनहोनी घटना से बचा जा सके।
विराट पर प्रतिभा
मुंबई, हाल ही में युद्धक सुखोई विमान की रफ्तार नापने वाली राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने बुधवार को विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विराट पर सवार होकर भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े की क्षमता का मुआयना किया। वह नौसेना के हेलीकाप्टर सी-किंग से आईएनएस विराट के डेक पर उतरीं। चेतक व सी-किंग हेलीकाप्टर और सी-हैरियर विमानों का प्रदर्शन देखने के बाद नौसैनिकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें उनके उत्तम प्रदर्शन के लिए बधाई दी। राष्ट्रपति को भारतीय सेना की तीनों शाखाओं का प्रमुख माना जाता है। इस नाते राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कम से कम एक बार अपने नौसेना बेड़े का निरीक्षण करते हैं। इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए आज प्रतिभा पाटिल ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ नौसेना की पश्चिमी कमान के जहाजी बेड़े की क्षमताओं का जायजा लिया। आईएनएस विराट के डेक पर नौसैनिकों की सलामी लेने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्ष समुद्र के रास्ते मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए भारतीय नौसेना और सामुद्रिक क्षेत्र में उसके अन्य भागीदार पारस्परिक सहयोग बढ़ाने व सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
चंडीगढ़ : बख्शीश सिंह, भगत सिंह, मदन सिंह, अमर सिंह, सोम प्रकाश, मेहर सिंह, उजागर सिंह, तेजा सिंह, मुकंद सिंह, मस्ता सिंह, दिलीप सिंह, दीप सिंह, अमर सिंह, हरनाम सिंह और मोहन सिंह। ये 15 नाम भी उन लाखों में शुमार हैं, जो कभी सबकुछ दांव पर लगाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। वतन को फिरंगियों से निजात दिलाने वाले ये सूरमा अब उस सूची में शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में पंजाब विधानसभा ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। हर विधानसभा सत्र में यह सूची लंबी हो जाती है और स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या धीरे-धीरे लाखों से सैकड़ों में सिमटती जा रही है। सरकार के ताजा रिकार्ड के अनुसार अब केवल 861 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। अपने पतियों के स्वतंत्रता संग्राम में कूदने की कीमत चुकाने वाली जिंदा गवाहों में शुमार पत्नियों की संख्या भी तेजी से कम हो रही है। स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याण की जिम्मेदारी उठाने वाले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब 1788 स्वतंत्रता सेनानी विधवाएं जीवित बची हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि फिलवक्त स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर 2662 पेंशनें वितरित हो रही हैं। इनमें से 13 तो स्वतंत्रता सेनानियों की लड़कियों को विशेष श्रेणी के तहत मिल रही हैं। ये लड़कियां अविवाहित एवं बेरोजगार हैं। यह आंकड़ा जारी वित्तीय वर्ष (2009-10) का है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष (2008-09) में यह संख्या 2900 थी। एक वर्ष में ही 250 पेंशनें कम होने का अर्थ स्पष्ट है कि देश धीरे-धीरे अपने अमूल्य गहनों से वंचित हो रहा है। नि:संदेह वक्त का यह कड़वा सच देश के लिए जरा सा भी अहसास पालने वाले देश-प्रेमियों की आंखों को नम कर उनमें देशप्रेम का जज्बा भर देता है। ऐसे लोगों को यह जानकर भी गहरा धक्का लगेगा कि प्रदेश सरकार के स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि पंजाब की सरजमीं ने कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी पैदा किए थे। विभाग के सचिव जगजीत पुरी ने इस सवाल पर दैनिक जागरण को दो टूक कहा, कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी थे, कितने जिंदा हैं..यह आंकड़ा एकत्र करने में तीन दिन का समय लगेगा। वहीं, विभागीय सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा तो है कि स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब से कुल कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने हिस्सा लिया था। यह आंकड़ा मोहाली स्थित पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय में होगा। स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के अस्तित्व में आने से पहले यह काम वही विभाग देख रहा था। पता चला है कि स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग ने पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय को यह आंकड़ा देने के लिए लिखा हुआ है। ज्ञात रहे, प्रदेश में स्वतंत्र रूप में स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग बने कई दशक गुजर चुके हैं।
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
चंडीगढ़ : बख्शीश सिंह, भगत सिंह, मदन सिंह, अमर सिंह, सोम प्रकाश, मेहर सिंह, उजागर सिंह, तेजा सिंह, मुकंद सिंह, मस्ता सिंह, दिलीप सिंह, दीप सिंह, अमर सिंह, हरनाम सिंह और मोहन सिंह। ये 15 नाम भी उन लाखों में शुमार हैं, जो कभी सबकुछ दांव पर लगाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। वतन को फिरंगियों से निजात दिलाने वाले ये सूरमा अब उस सूची में शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में पंजाब विधानसभा ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। हर विधानसभा सत्र में यह सूची लंबी हो जाती है और स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या धीरे-धीरे लाखों से सैकड़ों में सिमटती जा रही है। सरकार के ताजा रिकार्ड के अनुसार अब केवल 861 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। अपने पतियों के स्वतंत्रता संग्राम में कूदने की कीमत चुकाने वाली जिंदा गवाहों में शुमार पत्नियों की संख्या भी तेजी से कम हो रही है। स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याण की जिम्मेदारी उठाने वाले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब 1788 स्वतंत्रता सेनानी विधवाएं जीवित बची हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि फिलवक्त स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर 2662 पेंशनें वितरित हो रही हैं। इनमें से 13 तो स्वतंत्रता सेनानियों की लड़कियों को विशेष श्रेणी के तहत मिल रही हैं। ये लड़कियां अविवाहित एवं बेरोजगार हैं। यह आंकड़ा जारी वित्तीय वर्ष (2009-10) का है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष (2008-09) में यह संख्या 2900 थी। एक वर्ष में ही 250 पेंशनें कम होने का अर्थ स्पष्ट है कि देश धीरे-धीरे अपने अमूल्य गहनों से वंचित हो रहा है। नि:संदेह वक्त का यह कड़वा सच देश के लिए जरा सा भी अहसास पालने वाले देश-प्रेमियों की आंखों को नम कर उनमें देशप्रेम का जज्बा भर देता है। ऐसे लोगों को यह जानकर भी गहरा धक्का लगेगा कि प्रदेश सरकार के स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि पंजाब की सरजमीं ने कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी पैदा किए थे। विभाग के सचिव जगजीत पुरी ने इस सवाल पर दैनिक जागरण को दो टूक कहा, कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी थे, कितने जिंदा हैं..यह आंकड़ा एकत्र करने में तीन दिन का समय लगेगा। वहीं, विभागीय सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा तो है कि स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब से कुल कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने हिस्सा लिया था। यह आंकड़ा मोहाली स्थित पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय में होगा। स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के अस्तित्व में आने से पहले यह काम वही विभाग देख रहा था। पता चला है कि स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग ने पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय को यह आंकड़ा देने के लिए लिखा हुआ है। ज्ञात रहे, प्रदेश में स्वतंत्र रूप में स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग बने कई दशक गुजर चुके हैं।
बांटा जाए गृह मंत्रालय
नई दिल्ली, गृहमंत्री पी चिदंबरम चाहते हैं कि केंद्र सरकार में एक मंत्रालय सिर्फ आंतरिक सुरक्षा से जुड़े काम देखने के लिए होना चाहिए। मौजूदा गृह मंत्रालय के पास विभिन्न तरह की जिम्मेदारियों की व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा है कि अन्य कामों के लिए अलग से मंत्रालय बने या फिर इस विभाग का स्वतंत्र काम किसी और को दे दिया जाए। उन्होंने आंतकवाद से लड़ने के लिए साल 2010 के अंत तक राष्ट्रीय आतंकरोधी केंद्र (एनसीटीसी) को गठित कर लेने का भरोसा भी दिलाया। गृहमंत्री चाहते हैं कि बदलती चुनौतियों के साथ ही गृह मंत्रालय की संरचना में भी बदलाव कर दिया जाए। आतंकवाद और नक्सलवाद के बढ़ते दबाव की वजह से अब इस मंत्रालय को जनगणना और केंद्र-राज्य संबंधों जैसी तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त कर देना चाहिए। खुफिया ब्यूरो के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, गृह मंत्रालय अपना पूरा समय और ऊर्जा सिर्फ सुरक्षा से जुड़े मसलों पर लगाए। जो मुद्दे सीधे आंतरिक सुरक्षा से जुड़े नहीं हैं, उनके लिए अलग से एक मंत्रालय होना चाहिए। या फिर इनके लिए गृह मंत्रालय के तहत ही अलग से एक विभाग गठित किया जाए, और इसका काम एक मंत्री कमोबेश अपनी तरह से देखे। हर मुद्दे को गृहमंत्री तक लाने की जरूरत न पड़े। चिदंबरम ने यह भरोसा भी दिलाया कि देश भर में आतंकवादी गतिविधियों को काबू करने के लिए अगले साल के अंत तक राष्ट्रीय आतंकरोधी केंद्र (एनसीटीसी) काम करने लगेगा। इस केंद्र की जिम्मेदारी होगी कि वह देश भर में आतंकी वारदातें रोके, साथ ही अगर कहीं ऐसा हमला होता है, तो उसे काबू करे। चिदंबरम ने कहा कि अमेरिका पर जब आतंकी हमले हुए थे, तो उसे ऐसा संगठन खड़ा करने में 36 महीने लगे थे, लेकिन हम इतने समय तक इंतजार नहीं कर सकते।
विमान के दो टुकडे़, 40 घायल
वाशिंगटन। अमरीकन एयरलाइंस का एक विमान जमैका के किंग्सटन में रनवे से उतर कर दो टुकडों में टूट गया जिससे कम से कम 40 लोग घायल हो गए।
विमान मियामी से चला था और स्थानीय समयानुसार रात 10 बज कर 22 मिनट पर किंग्सटन के नारमन मैनली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। विमान रनवे से उतर गया। दुर्घटना के समय बोइंग 737 विमान में 145 यात्री और चालक दल के सात सदस्य सवार थे। विमान की यात्रा का आगाज वाशिंगटन से हुआ था और तेज बारिश में वह मियामी से पहुंचा ही था जब यह दुर्घटना हुई।
विमान मियामी से चला था और स्थानीय समयानुसार रात 10 बज कर 22 मिनट पर किंग्सटन के नारमन मैनली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। विमान रनवे से उतर गया। दुर्घटना के समय बोइंग 737 विमान में 145 यात्री और चालक दल के सात सदस्य सवार थे। विमान की यात्रा का आगाज वाशिंगटन से हुआ था और तेज बारिश में वह मियामी से पहुंचा ही था जब यह दुर्घटना हुई।
सरकार ने माना गंगा डुबकी लायक नहीं
नई दिल्ली, भगीरथी के दामन से प्रदूषण के दाग धोने पर अरबों रुपया बहाने के बावजूद सरकार के तथ्य बताते हैं कि गंगोत्री से लेकर डायमंड हार्बर के बीच अधिकतर स्थानों पर गंगा जल से दूर रहने में भलाई है। वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश 30 दिसंबर को वाराणसी में गंगा नदी के प्रदूषण की समीक्षा करेंगे। वह गंगा के उन घाटों का भी मुआयना करेंगे जहां नाले शहर की गंदगी को नदी में उड़ेलते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बनारस के अस्सीघाट पर बीते दो सालों में प्रदूषण का पैमाना कहलाने वाले बीओडी का स्तर कभी भी 3 मिग्रा प्रति लीटर की नियत सीमा तक कम नहीं रहा। बनारस हो या संगम स्थली इलाहाबाद, बीते बारह बरस में पानी का स्तर साफ डी श्रेणी से ऊपर नहीं उठ पाया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पानी के वर्गीकरण के तहत डी श्रेणी का पानी केवल जानवरों के लिए ही मुफीद है। गंगा एक्शन प्लान के नाम पर 800 करोड़ रुपये बहाने के बावजूद गंगा को प्रदूषण मुक्ति में नाकाम रही सरकार खुद संसद में स्वीकार कर चुकी है कि अधिकांश स्थानों पर पानी में मौजूद कोलीफार्म का स्तर निर्धारित सीमा से काफी ज्यादा है। कोलीफार्म की निर्धारित सीमा प्रति 100 मिली पानी में 2500 एमपीएन (सर्वाधिक संभावित संख्या) है। पर्यावरण मंत्रालय मानता है कि ऋषिकेश से लेकर बंगाल के उलबेरिया के बीच सोलह में सात स्थानों पर गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं है। इस बारे में बीते दिनों संसद में एक सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्रालय का कहना था कि पानी में कोलीफार्म का स्तर नदी स्नान के कारण बढ़ रहा है और केवल हरिद्वार ही ऐसा स्थान है जहां इसकी मात्रा निर्धारित सीमा में है। इस संबंध में आईआईटी, कानपुर, बीएचईएल और पटना विश्वविद्यालय का अध्ययन बताते हैं कि घुलित आक्सीजन और बीओडी के स्तर में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन कन्नौज से लेकर वाराणसी के बीच स्थिति खराब बनी हुई है।
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खेल पर और खर्च फिर भी नाक कटेगी
नई दिल्ली सरकार के खजाने पर नये बोझ की तैयारी और उसके बाद भी नाक कटने की नौबत! कॉमनवेल्थ खेल का यह ताजा सूरते हाल है। अंतरराष्ट्रीय कॉमनवेल्थ समन्वय आयोग इस दो टूक नतीजे पर पहुंचा है कि तैयारियों के लिए संसाधन जुटाने के दावे बिखर रहे हैं और खेलों से जुड़ी तकनीकी तैयारियां गंभीर जोखिम में है। यानी खेलों की तैयारियों को लेकर केंद्र के खजाने पर बोझ बढ़ने वाला है। जबकि इसके सबके बावजूद तकनीकी तैयारियों में देरी स्पर्धाओं के दौरान मुल्क को शर्मिदा कर सकती है। मेजबान राज्य की मुख्यमंत्री होने के नाते शीला दीक्षित का बेचैन होना लाजिमी है मगर अफसोस! यह रिपोर्ट उन्हें और नर्वस करेगी। इस रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार में भी चिंताओं का पारा ऊंचा होना चाहिए। सुरेश कलमाड़ी के नेतृत्व वाली आयोजन समिति के दावों की हकीकत परखते हुए कॉमनवेल्थ खेल संघ इस नतीजे पर पहुंचा है कि तैयारियों में बहुआयामी समस्यायें और जबर्दस्त जोखिम हैं। कई अहम पहलुओं पर रिपोर्ट में जो सूरते-हाल सामने आई उसे देखकर प्रतिभागी देश बिदक सकते हैं। कॉमनवेल्थ समन्वय आयोग की ताजी समीक्षा रिपोर्ट तैयारियों के बुरी तरह बदहाल होने की अंतरराष्ट्रीय पुष्टि है। स्टेडियमों के निर्माण से लेकर वित्तीय इंतजाम और टाइम स्कोरिंग जैसी उच्च तकनीकी प्रणालियों तक हर मोर्चे पर आयोजन के इंतजामकर्ता बुरी तरह असफल हैं। वित्तीय चुनौती : वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को इन खेलों में देश की नाक बचाने के लिए और पैसा देने की तैयारी शुरु देनी चाहिए। समन्वय आयोग से चर्चा में आयोजन समिति ने साफ कहा है कि उसका हिसाब किताब बदहाल हो रहा है। रिपोर्ट नोट करती है कि समिति खेलों के लिए संसाधनों को लेकर केंद्र पर निर्भर है। प्रायोजकों को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। आयोजन समिति के पास खेलों पर खर्च का स्पष्ट आकलन तक नहीं है न ही कैश पूलो का हिसाब-किताब है। रिपोर्ट कई अहम पहलुओं पर खर्च बढ़ने की आशंकाओं को भी रेखांकित करती है। और तकनीक भी : तकनीक खेलों में हर स्तर पर सेवाओं से जुड़ी है। यह गहरे जोखिम का क्षेत्र है और आयोजन समिति के पास तकनीकी क्षमता नहीं है। किसी मेजबान देश के लिए यह बहुत तीखी टिप्पणी है। यानी स्पर्धाओं के दौरान तकनीकी खामियों के कारण आयोजन समिति धावक या तैराक से कहना पड़ सकता है .. कृपया एक बार फिर। समन्वय आयोग की रिपोर्ट इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर और दो टूक है। इन तैयारियों पर आयोजन समिति का इतिहास भयानक चूक से भरा है और समन्वय आयोग मान रहा है कि इसमें अब खर्च भी ऊपर जा सकता है।
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