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शनिवार, 7 नवंबर 2020

राशन डिपूओं पर सप्लाई वितरण का मामला,सूचना आयोग ने डीएफएसओ को जारी किया नोटिस,अगले वर्ष 28 जनवरी को आयुक्त भूपेंद्र धर्माणी करेंगे सुनवाई

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
राशन डिपूओं पर राशन की सप्लाई वितरण के मामले को लेकर मांगी गई सूचना प्रदान न करने पर राज्य सूचना आयोग ने जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सिरसा को नोटिस जारी किया है। मामले में 28 जनवरी 2021 की तिथि तय की गई है। राज्य सूचना आयुक्त भूपेंद्र धर्माणी मामले की सुनवाई करेंगे। आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट की ओर से सूचना आयोग में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की शिकायत की गई थी। आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए विभागीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। पवन पारिक ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सिरसा से आरटीआई में एक सितंबर 2017 से 22 अगस्त 2020 की अवधि डिपू धारकों की सप्लाई सस्पेंड करने बारे जानकारी मांगी थी। यह भी पूछा गया था कि सप्लाई संस्पेंड किन कारणों से की गई। यह भी पूछा गया कि संस्पेंड किए गए डिपूओं की सप्लाई किन डिपूओं से अटैच की गई। आरटीआई में डिपूओं की सप्लाई सस्पेंड करने और उनकी बहाली के आदेशों की प्रतियां मांगी गई थी। यह भी पूछा गया कि सस्पेंड डिपूओं के राशन का राशन किन अधिकारियों की देखरेख में ट्रांसफर किया गया। उन अधिकारियों के नाम, पद, शासकीय आईडी, तैनाती तिथि के बारे में जानकारी मांगी गई थी। सूचना यह भी मांगी गई कि सस्पेंड किए डिपूओं से यदि राशन ट्रांसफर नहीं किया गया तो किस अधिकारी की कस्टडी में रहा। आरटीआई में यह भी पूछा गया कि गांव मीरपुर में इंद्राज डिपो धारक की सप्लाई तीन वर्ष पहले किस आधार पर सस्पेंड की गई और किस आधार पर उसे बहाल किया गया। डिपू सस्पेंड करने और उसकी बहाली बारे जारी किए गए आदेशों की प्रति की मांग की गई थी। 
जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से आरटीआई के जवाब में कहा गया कि आवेदक किसी भी कार्यदिवस को कार्यालय में आकर रिकार्ड का अवलोकन कर सकता है। संबंधित सूचना मौके पर उपलब्ध करवा दी जाएगी। आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक ने सूचना देने की अवधि पूरी होने के बाद भेजे गए जवाब को लेकर शिकायत आयोग में की। बताया कि किस प्रकार विभाग ने सूचना देने की बजाए उन्हें रिकार्ड का अवलोकन करने का फरमान सुनाया गया है। आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लिया और मामले में 28 जनवरी का दिन तय किया गया है।


फर्जी फर्मों का मक्कडज़ाल,पग-पग पर सरगनाओं को मिलीं शह!

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
फर्जी फर्मों का जाल यूं ही देशभर में नहीं फैला। यूं ही हरियाणा टैक्स चोरी के मामले में देशभर में चौथे स्थान पर पहुंचा। इसके पीछे आबकारी एवं कराधान विभाग के कुछेक भ्रष्ट अधिकारियों का पूरा योगदान रहा। इन भ्रष्ट अधिकारियों ने वेतन भले ही सरकारी खजाने से हासिल किया, लेकिन फर्जी फर्मों के सरगनाओं के लिए कार्य किया। पग-पग पर इन्हें बचाने की कोशिश की। फर्जी फर्मों के मक्कडज़ाल को जितना तोडऩे की कोशिश की जाती है, उतने ही इसमें विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ रही है। जांच करने पर पता चलता है कि पग-पग पर विभागीय के कुछेक भ्रष्ट अधिकारियों ने फर्जी फर्मों के सरगनाओं का बचाव किया। सिरसा जिला में भले ही फर्जी फर्मों के मामले में कई दर्जन एफआईआर दर्ज हो चुकी है। लेकिन यह संख्या तो हकीकत में बेहद मामूली है। चूंकि जितने मामले प्रकाश में आए है, उससे कहीं अधिक मामले अभी भी फाइलों में दफन है। यदि अकेले सिरसा कार्यालय की ही विस्तृत जांच हों तो करोड़ों के खेल का पटाक्षेप हो सकता है। हकीकत तो यह है कि विभाग के ही अधिकारियों द्वारा जिन फर्मों का भंडाफोड़ किया जा चुका है, उनके खिलाफ भी मामले दर्ज नहीं करवाए गए। उन मामलों को भी आजतक दबाया-छिपाया गया है। जानकार बताते है कि कराधान विभाग में आज भी ऐसे अधिकारियों का बोलबाला है, जोकि मामले को दबाने में ही विश्वास करते है। चूंकि विभाग में फर्जी फर्मों के सरगनाओं की जड़े गहरे से जुड़ी हुई है। एक के फंसने पर दूसरेके फंसने का रास्ता साफ हो जाता है। वर्तमान में जिनके पास जांच का जिम्मा है, वे भी किसी न किसी मामले में आरोपी है। ऐसे में जांच करें कौन? कौन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को चिह्नित करें? जो ईमानदार अधिकारी प्रयास कर भी रहें है तो उन्हें उभरने नहीं दिया जाता? 

दिल्ली के वैट अधिकारियों के झूठे हस्ताक्षरों का किया इस्तेमाल

फर्जी फर्मों के सरगनाओं ने सरकारी खजाने को चपत लगाने के लिए किस शातिराना अंदाज से धोखाधड़ी की। इसका खुलासा कराधान विभाग सिरसा के अधिकारियों द्वारा दिल्ली के अधिकारियों से किए गए पत्राचार में हुआ। सिरसा में रिफंड लेने वाली फर्मों ने दिल्ली के वैट अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र दिए हुए थे। कराधान विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली की फर्मों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज और अधिकारियों के हस्ताक्षरों की पुष्टि का आग्रह किया गया था। तब दिल्ली के अधिकारियों ने इस आश्य का खुलासा किया कि दस्तावेज बोगस है और उनके झूठे हस्ताक्षर किए गए है। सिरसा में इन फर्जी दस्तावेजों और दिल्ली के वैट अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षरों से लाखों रुपये का रिफंड हासिल कर लिया गया।

6 वर्ष पहले जांच में हुआ था खुलासा

वर्ष 2014 में जांच के दौरान इस आशय का खुलासा हुआ था कि सरकार से रिफंड लेने के लिए बोगस दस्तावेज और फर्जी हस्ताक्षरों का प्रयोग किया गया है। दिल्ली के वैट अधिकारियों ने विभागीय पत्राचार में बताया कि उनकी ओर से जो दस्तावेज दिए गए है वे नकली है। इसके साथ ही दिल्ली की जिन फर्मों से लेनदेन दर्शाया गया है, उन फर्मों का लाइसेंस पहले ही रद्द किया जा चुका है। तत्कालीन ईटीओ नीरज गर्ग द्वारा पूरे मामले की छानबीन की गई थी। दिल्ली के अधिकारियों से पत्राचार के साथ-साथ उन ट्रांसपोर्टरों से भी जवाब तलबी की गई थी, जिनकी ट्रांसपोर्ट पर माल की ढुलाई दर्शायी गई थी। ट्रांसपोर्टरों द्वारा अपने बयान में बताया कि वे ट्रांसपोर्ट का काम कई वर्ष पहले बंद कर चुके है। उनके नाम से फर्जी दस्तावेज दर्शाकर धोखाधड़ी की गई है।

कार्यवाही आज तक लंबित

कराधान विभाग के अधिकारी द्वारा की गई जांच में इस आशय का खुलासा होने के बाद की सुनियोजित ढंग से रिफंड हासिल किया गया है। सरकार के खजाने को चपत लगाई गई है। लेकिन वर्ष 2014 में हुए भंडाफोड़ के बावजूद आजतक उन फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने फर्जी दस्तावेज और दिल्ली के वैट अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर करके रिफंड हासिल किया था। आज तक इन फर्मों के खिलाफ पुलिस में शिकायत तक नहीं दी गई। फर्जी फर्मों के सरगनाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही रिफंड देने वाले अधिकारियों पर ही कोई एक्शन लिया गया। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों की जड़े कितनी गहरी है?




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