नई दिल्ली, एजेंसी केंद्र सरकार से स्पष्ट कर दिया है कि आखिरकार सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों को जाना होगा। लेकिन जिन डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त करने से संबंधित कार्यबल की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है, उन संस्थाओं के किसी भी छात्र को इससे प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा और उन्हें विश्वविद्यालय की डिग्री मिलेगी।मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के अधीन है। डीम्ड विश्वविद्याल के संबंध में कई तरह की शिकायतों के मद्देनजर जून 2009 में प्रो. पीके टंडन के नेतृत्व में एक कार्यबल का गठन किया गया था। समिति ने अपनी सिफारिशें पेश की हैं। हमने कार्यबल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और इसे उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब यह विषय न्यायालय को तय करना है।
सामाजिक मुद्दों पर संपादकों के 10वें सम्मेलन से इतर एक प्रश्न के उत्तर में सिब्बल ने कहा कि सरकार का इरादा यह बिल्कुल नहीं है कि इसके कारण कोई भी छात्र प्रभावित हो। इसके दायरे में आने वाले सभी छात्रों को डिग्री मिलेगी। उनके हितों की रक्षा की जाएगी।केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पेश हलफनामे में कहा कि उसने देश के उन 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त करने से संबंधित एक कार्यबल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिन पर आरोप है कि वह शैक्षिक संस्थाओं की बजाय पारिवारिक जागीर के रूप में काम कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही कुछ समय पहले रिपोर्ट प्राप्त हो जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक नहीं किया था। उन्होंने कहा कि कार्यबल की रिपोर्ट के आधार पर हमने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि इन छात्रों के हितों की रक्षा के लिए क्या कार्ययोजना है।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डीम्ड विश्वविद्यालय मूल रूप से कॉलेज रहे हैं, जिन्हें डीम्ड का दर्जा प्रदान किया गया था, अब इनका डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा वापस लेने के बाद भी ये कॉलेज तो बने ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में ये किसी अन्य विश्वविद्यालय से समबद्धता प्राप्त कर डिग्री प्रदान कर सकते हैं।बहरहाल, सिब्बल ने मामला न्यायालय के अधीन होने के कारण इस पर विशेष कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि आने वाले समय में डीम्ड विश्वविद्याल की अवधारणा समाप्त हो जाएगी।इससे पहले सोमवार को केंद्र ने अपने एक शपथ पत्र में कहा था कि 13 राज्यों में स्थित इन विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब दो लाख विद्यार्थियों के भविष्य को अंधकारमय होने से बचाने के लिए उन्हें मूल विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त कॉलेजों में फिर से पढ़ने जाने की अनुमति होगी।न्यायालय में यह शपथपत्र मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पेश किया था। मंत्रालय ने कहा था कि सरकार ने उच्च अधिकार प्राप्त पीएन टंडन समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है तथा इस समस्या से निपटने के लिए सुझाव देने के लिए विशेष कार्य बल गठित करने का निर्णय किया है।शपथपत्र में कहा गया कि समीक्षा समिति को डीम्ड विश्वविद्यालय की मान्यता प्राप्त कुछ संस्थानों की कार्यप्रणाली में कई गड़बड़ियों की जानकारी प्राप्त हुई। इन शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन बोर्ड की संरचना भी बढ़ेगी, क्योंकि इनके कामकाज पर नियंत्रण पेशेवर शिक्षाविदों की बजाय परिवार के लोगों का था।केंद्र के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वाले 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों में से अधिकतर पोस्ट ग्रेजुएट और अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहे थे। पाठ्यक्रम ढीले-ढाले और इनके नाम भी भ्रमित करने वाले थे और उनमें दाखिला क्षमता से कहीं अधिक और असंगत तरीके से विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया था।
सामाजिक मुद्दों पर संपादकों के 10वें सम्मेलन से इतर एक प्रश्न के उत्तर में सिब्बल ने कहा कि सरकार का इरादा यह बिल्कुल नहीं है कि इसके कारण कोई भी छात्र प्रभावित हो। इसके दायरे में आने वाले सभी छात्रों को डिग्री मिलेगी। उनके हितों की रक्षा की जाएगी।केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पेश हलफनामे में कहा कि उसने देश के उन 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता समाप्त करने से संबंधित एक कार्यबल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिन पर आरोप है कि वह शैक्षिक संस्थाओं की बजाय पारिवारिक जागीर के रूप में काम कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही कुछ समय पहले रिपोर्ट प्राप्त हो जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक नहीं किया था। उन्होंने कहा कि कार्यबल की रिपोर्ट के आधार पर हमने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि इन छात्रों के हितों की रक्षा के लिए क्या कार्ययोजना है।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डीम्ड विश्वविद्यालय मूल रूप से कॉलेज रहे हैं, जिन्हें डीम्ड का दर्जा प्रदान किया गया था, अब इनका डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा वापस लेने के बाद भी ये कॉलेज तो बने ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में ये किसी अन्य विश्वविद्यालय से समबद्धता प्राप्त कर डिग्री प्रदान कर सकते हैं।बहरहाल, सिब्बल ने मामला न्यायालय के अधीन होने के कारण इस पर विशेष कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि आने वाले समय में डीम्ड विश्वविद्याल की अवधारणा समाप्त हो जाएगी।इससे पहले सोमवार को केंद्र ने अपने एक शपथ पत्र में कहा था कि 13 राज्यों में स्थित इन विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब दो लाख विद्यार्थियों के भविष्य को अंधकारमय होने से बचाने के लिए उन्हें मूल विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त कॉलेजों में फिर से पढ़ने जाने की अनुमति होगी।न्यायालय में यह शपथपत्र मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पेश किया था। मंत्रालय ने कहा था कि सरकार ने उच्च अधिकार प्राप्त पीएन टंडन समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है तथा इस समस्या से निपटने के लिए सुझाव देने के लिए विशेष कार्य बल गठित करने का निर्णय किया है।शपथपत्र में कहा गया कि समीक्षा समिति को डीम्ड विश्वविद्यालय की मान्यता प्राप्त कुछ संस्थानों की कार्यप्रणाली में कई गड़बड़ियों की जानकारी प्राप्त हुई। इन शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन बोर्ड की संरचना भी बढ़ेगी, क्योंकि इनके कामकाज पर नियंत्रण पेशेवर शिक्षाविदों की बजाय परिवार के लोगों का था।केंद्र के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वाले 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों में से अधिकतर पोस्ट ग्रेजुएट और अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहे थे। पाठ्यक्रम ढीले-ढाले और इनके नाम भी भ्रमित करने वाले थे और उनमें दाखिला क्षमता से कहीं अधिक और असंगत तरीके से विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया था।