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सोमवार, 16 नवंबर 2009

सेक्स में रखें सेफ्टी का ध्यान

( डॉ सुखपाल)-



एक गोली ने औरतों की दुनिया बदल दी। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल के आने के बाद महिलाएं महज बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं रह गईं , बल्कि वे खुद से फैसला करने लगीं कि उन्हें मां कब बनना है। इस रिवोल्यूशन का अगला स्टेप था इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल , जिसे एहतियात बरते बिना सेक्स करने के फौरन बाद खा लेने से गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती। मगर इस गोली की वजह से महिलाओं का भला ही नहीं , बुरा भी हो रहा है। इन गोलियों के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से होने वाली दिक्कतों और प्रेग्नेंसी रोकने और फैमिली प्लानिंग के दूसरों तरीकों पर तमाम एक्सर्पट्स से बात के बाद जो जानकारी हमने इकट्ठा की , उसके अनुसार ...

क्या होती है इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल

अनसेफ सेक्स के बाद प्रेग्नेंसी रोकने के लिए खाई जाने वाली गोली। इस गोली में दो - तीन तरह के हॉर्मोंस की हेवी डोज होती है। ये हॉर्मोन हैं - इस्ट्रजन और प्रजेस्टिन। कुछ गोलियों में इन दोनों का कॉम्बिनेशन होता है तो कुछ में इनके साथ एंटीप्रजेस्टिन भी होता है। मार्केट में मिल रही कुछ पॉपुलर इमरजेंसी पिल आईपिल और पिल -72 हैं। दावा किया जाता है कि अगर इन दवाओं को अनसेफ सेक्स के 72 घंटे के अंदर खा लिया जाए तो प्रेग्नेंट होने की संभावना नहीं रहती।

कैसे करती है काम

इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल यूटरस ( गर्भाशय ) की अंदरूनी सतह पर असर करती है। इस सतह या इनर लाइनिंग को एंडोमीट्रियम कहते हैं। पिल में मौजूद हॉर्मोंस की वजह से इसमें कुछ फिजिकल और बायोकेमिकल चेंज होते हैं। जब एक एग फर्टिलाइज होता है , तो उसे खुद को इंप्लांट करना होता है , जो पिल से आए बदलावों की वजह से मुमकिन नहीं हो पाता।

इसके अलावा हॉर्मोन वेजाइना के अंदरूनी हिस्से सर्विक्स ( यही हिस्सा वेजाइना को यूटरस से जोड़ता है ) में रिसने वाले फ्लुइड ( सर्वाइकल म्यूकस ) को गाढ़ा कर देते हैं। इस म्यूकस के गाढ़ा होने की वजह से वेजाइना के अंदर स्पर्म आसानी से ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाते हैं और गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।

ताऊ के रास्ते दिल तक जाएंगे हुड्डा


हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल भले ही धुर राजनीतिक विरोधी रहे हों लेकिन लगता है कि हुड्डा भी कभी न कभी ताऊ के जनसंपर्क स्टाइल के कायल रहे हैं। तभी तो आज हुड्डा का कारवां मदीना जाते हुए रोहतक के गांव बहुअकबरपुर में सड़क किनारे टेंट लगा देख अचानक ठहर गया। हुड्डा न केवल अपने वाहन से उतरे बल्कि टेंट लगे घर में भी गए। वहां जाकर हुड्डा को पता चला कि इस घर की महिला हुकमो देवी का देहावसान हो गया है। हुड्डा ने शोकाकुल परिवार के दुख में शरीक होते हुए हुकमो देवी को श्रद्धांजलि दी तथा पूरे परिवार को ढांढस बंधाया। पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल भी अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा ही करते थे। उनका काफिला अचानक कहीं भी रुक जाता था और ताऊ लोगों के बीच बैठकर उनके सुख-दुख में शरीक होते। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी आज कुछ ऐसा ही किया। मुख्यमंत्री को अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गांव मदीना में आनंद सिंह दांगी के निवास पर जाना था। वहां आनंद सिंह दांगी की भाभी रुकमणी देवी का निधन हो गया है। जब हुड्डा का काफिला रोहतक से मदीना के लिए रवाना हुआ तो गांव बहुअकबरपुर में बाई ओर सड़क के किनारे लगे टेंट को देखकर हुड्डा ने अपनी गाड़ी रुकवाई और वे तुरंत उस घर में पहुंच गए। जहां शोक सभा हो रही थी। मुख्यमंत्री की अचानक उपस्थिति को देखकर ग्रामीण आश्चर्यचकित रह गए। आज भूपी ने लोगों के बीच अचानक पहुंचकर न केवल ताऊ की यादें ताजा कर दी हैं बल्कि अपने सामाजिक होने का अहसास भी कराया है। मुख्यमंत्री ने मदीना पहुंचकर महम के विधायक आनंद सिंह दांगी की भाभी के निधन पर भी दुख व्यक्त किया।

आंध्र प्रदेश में विस्फोट में 15 लोगों की मौत






गुंटूर।। गुंटूर जिले के एक गांव में सिलिंडर विस्फोट से फैली आग से एक मकान में रखी जिलेटिन की छड़ों में
विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। मकान बी. कोटेश्वर राव नाम के शख्स का था और वह खदान का काम करते हैं। इसलिए उनके घर में जिलेटिन की छड़ें रखी थीं।

यह विस्फोट नारायणपुरम गांव के दाचेपल्ली ब्लॉक में हुआ। रसोई गैस सिलिंडर में विस्फोट हुआ के तुरंत बाद एक मकान में रखी जिलेटिन की छड़ों में आग लग गई। पुलिस ने बताया कि विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आस-पास के करीब 15 मकान गिर गए। अब तक आठ शव बरामद किए गए हैं। मलबे में और लोगों के फंसे होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान जारी है और घायलों को यहां अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।

विद्या ने अमिताभ को कंधे पर उठाया!



अब तक फिल्मों में हीरो द्वारा हीरोइन को गोद में उठाते हुए दिखाया गया है लेकिन पहली बार विद्या बालन ने अमिताभ को अपने कंधे पर उठाया है। दरअसल फिल्म "पा" में अमिताभ बच्चन एक 13 साल के बच्चे की भूमिका निभा रहे हैं और विद्या उनकी माँ की भूमिका निभा रही हैं।

फिल्म के एक सीन में विद्या को बिग बी को अपने कंधे पर उठाना था जो विद्या के लिए बेहद मुश्किल काम था। बिग बी का वजन उनसे ज्यादा है। लिहाजा जब विद्या ने बिग बी को उठाने की कोशिश की तो उनका बैलेंस गड़बड़ा गया और वे वहीं गिर पड़ीं।

गिरने से विद्या को चोट भी लग गई। निर्देशक बाल्की ने विद्या की हालत देखते हुए तुरंत पैकअप की सलाह दी लेकिन विद्या बालन ने कहा कि वे सीन जरूर करेंगी और दूसरे ही शॉट में सीन ओके हो गया।

विद्या ने बेहद खूबसूरती से फिल्म में अपने बेटे बने अमिताभ बच्चन को अपनी पीठ पर उठाया। विद्या बालन द्वारा इस सीन के ओके होते ही पूरी टीम ने उनकी वाहवाही करनी शुरू कर दी।

मोबाइल तरंगों में खो रही चहचहाहट!


मोबाइल की तरंगों व लगातार बढ़ते प्रदूषण में जहां छोटी चिडि़यों की चहचहाहट खोती जा रही है। वहीं वन्य जीव संरक्षण विभाग के लाख दावों के बाद राष्ट्रीय पक्षी मोर, तीतर व बटेर की संख्या लगातार घटती जा रही है। इसके लिए केवल कीटनाशकों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। शिकारियों की कुदृष्टि के कारण भी अब ये पक्षी बाहरी क्षेत्रों के बजाए सिर्फ वनों में ही दिखाई दे रहे हैं। लेकिन वहां भी सुरक्षित नहीं हैं। वहां भी इनकी संख्या लगातार घट रही है। जिले का कलेसर नेशनल पार्क पहले जहां तीतर, बटेर व मोर की आवाज से गूंजा करता था, अब विरले ही इनकी आवाज सुनाई देती है। वन्य जीव संरक्षण विभाग के दावों के बाद भी शिकारी इन पक्षियों का लगातार शिकार कर रहे हैं। कल तक ये पक्षी खेतों व गांवों में भी दिखाई देते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसके लिए कीटनाशकों को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। पशु-पक्षी प्रेमी तमाम संगठनों की चिंता भी धरातल पर कम व जुबानी जमा खर्च अधिक नजर आती है। पशु पक्षियों पर लगातार जानकारी एकत्रित करने व शोध में जुटे अलाहर स्कूल के विज्ञान शिक्षक दर्शन लाल का कहना है कि पक्षियों की घटती संख्या बेहद चिंता का विषय है उनका मानना है कि बदलते परिदृश्य का असर पक्षियों पर सबसे अधिक पड़ा है। समस्या प्रदूषण की हो या कीटनाशकों की इससे पक्षियों की संख्या लगातार कम हो रही है। सबसे अधिक प्रभाव छोटी (गौरैया) चिडि़या पर पड़ा है, जो गांव के साथ शहरों में भी घरों में देखने को मिलती थीं। घरों के रोशनदान, खिड़कियों में छोटे-छोटे घोंसले बनाने वाली यह चिडि़या लुप्त होने के कगार पर है। थोड़े समय के बाद शायद इसका नाम सुनने तक को न मिले। गुरतल यानी गरसल्ली कहा जाने वाला पक्षी भी अब कम होने लगा है। गिद्ध जैसे बड़े पक्षी की प्रजाति भी खत्म होती जा रही है। जहां तक मोरों का सवाल है तो यह भी अब दूर दराज के वनीय क्षेत्र में ही देखने को मिलते हंै। दर्शनलाल ने बताया कि मोबाइल टावरों व डिश इत्यादि में आने जाने वाली माइक्रोवेव यानी सूक्ष्म तरंगें भी पक्षियों पर बुरा असर डाल रही हैं। हालांकि इस बारे में भी पूरी तरह से सही जानकारी नहीं मिल पाई है,जहां तक जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक हवा में उड़ रहे पक्षी इन तरंगों की वजह से दिमागी रूप से अनियंत्रित हो रहे हैं। इसका असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा है। इसके अलावा डिक्लोफेनिक सोडियम साल्ट भी एक कारण है, जो पशुओं को दर्द निवारक के रूप में दिया जाता है। पक्षी जब किसी मृत पशु को खाते हैं या फिर किसी भी तरह से यह साल्ट उनके शरीर में पहुंचता है तो यह भी पक्षियों की वंश वृद्धि के लिए घातक होता है। दूसरी ओर वाईल्ड लाइफ के निरीक्षक सतपाल ने बताया कि इस जिले में तो पक्षियों खासतौर पर मोर, तीतर व बटेर की संख्या कम होने या लुप्त होने का कोई सवाल नहीं है। वनीय क्षेत्र व खेतों में आम तौर में इन्हें देखा जा सकता है। प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में इस जिले में इनकी संख्या अधिक है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी डीबी बतरा का कहना है कि प्रदूषण की मात्रा यदि हवा में 500 से 600 माइक्रोग्राम हो जाए तो निश्चित रूप से इसका असर परिंदों पर पड़ता है। हालांकि शहर में यह मात्रा आमतौर पर 250 माइक्रोग्राम तक ही पाई जाती है।

गोल्डन जुबली--बादल दंपति का साथ 50 साल का हुआ


मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और बीबी सुरिंदर कौर के दांपत्य जीवन के रविवार को पचास साल पूरे हो गए।
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मैंने कभी भी शादी की वर्षगांठ नहीं मनाई। न ही कभी जन्मदिवस। शादी को पचास वर्ष पूरे हो गए हैं इसकी जानकारी भी बेटे सुखबीर ने अभी मुझे दी है। यह टिप्पणी मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने रविवार को शादी की 50वीं वर्षगांठ पर की। उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के साले विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया की शादी की पार्टी में भाग लेने यहां आए बादल जब पारिवारिक सदस्यों के साथ स्टेज पर पहुंचे तो सुखबीर ने माइक पकड़ लिया और कहा कि मजीठिया की शादी की पार्टी के साथ आज मुख्यमंत्री की शादी की भी 50वीं सालगिरह है। जैसे ही वहां उपस्थित लोगों को बादल की शादी की 50वीं वर्षगांठ की जानकारी मिली, बोले सो निहाल सतश्री अकाल के जयकारों से मंडप गूंज उठा। बादल ने अपने संबोधन में चुटकी लेते हुए कहा, चलो अच्छा हुआ कि मजीठिया की पार्टी के बहाने उनकी भी शादी की पचासवीं वर्षगांठ की पार्टी का चांस लग गया। उन्होंने लोगों से बादल परिवार के लिए आशीर्वाद मांगा। बादल पार्टी में लगभग चार घंटे तक रहे। बादल ने समधी सत्यजीत मजीठिया व समधन जसमनजीत कौर मजीठिया के साथ घर परिवार की बातें कीं। बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल को बधाई देने के लिए मजीठिया की मां उनके पास पहुंचीं। मजीठिया ने भी बादल दंपति से आशीर्वाद लिया। एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन ंिसह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार बलवंत सिंह नंदगढ़ सहित अनेक धार्मिक हस्तियां भी पार्टी में पहुंची। मजीठिया ने सभी के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर गुरदास मान ने अपने गीतों से सभी को झूमने पर विवश कर दिया।

राहुल मुंबई नहीं छो़डे: एनआईए



मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने फिल्म निर्माता महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से कहा है कि वे मुंबई नहीं छो़डे। संदिग्ध आतंकवादियों डेविड हैडली के संपर्क में राहुल भट्ट तब आया था जब वह अपने मुंबई प्रवास में था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एनआईए का दल शनिवार से ही मुंबई में है और तहव्वुर राणा और हैडली की गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर रहा है।
एनआईए ने उन लोगों के बयान दर्ज किए हैं जो उस दौरान उसके संपर्क में थे जब वह यहां प्रवास पर था। सूत्रों ने बताया कि हैडली के संपर्क में रहने वाले तीन अन्य लोगों को रूकने को कहा गया है और उन्हें कुछ समय के लिए राजधानी में रखा गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सूत्रों ने हालांकि उनके बारे में खुलासा करने से इनकार कर दिया।
सूत्रों के अनुसार और ये तीन लोग पुलिस और एनआईए के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं। उन सबको कुछ समय के लिए मुंबई नहीं छो़डने के लिए कहा गया है। एनआईए ने लश्कर ए तैयबा के आतंकवादी हैडली और राणा की अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने कथित रूप से भार में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया था।

हमसे पहले मछलियों को मिली ई पहचान


भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के जरिये की जा रही सरकारी कोशिशें रंग लाई तो जल्दी ही हर हिंदुस्तानी की एक खास पहचान तय हो जाएगी। लेकिन इस मामले में हमसे आगे समुद्रों में रहने वाले जीव-जंतु निकले। भारतीय वैज्ञानिकों ने 15 हजार तरह के समुद्री जीवों की डीएनए फिंगरप्रिंटिंग पूरी कर ली है। लगातार बढ़ते प्रदूषण की वजह से भारी खतरे का सामना कर रहे समुद्र-जीवन में जैव विविधता को बरकरार रखने में इससे काफी मदद मिलेगी। समुद्र में रहने वाले मछली, घोंघे, केकड़े, सीप और झींगे जैसे 15 हजार तरह के जीवों की यह जन्मकुंडली बनाई है गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओशनोग्राफी के वैज्ञानिकों ने। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के नेतृत्व में चलने वाले इस संस्थान की इस जीव-गणना के आंकड़े न सिर्फ समुद्री जीवन को समझने में हमारी मदद करेंगे, बल्कि जैव विविधता को भी कायम रख सकेंगे। इन समुद्री जीवों की पहचान को एक खास बारकोड दिया गया है और अब इस पूरी जानकारी को इंटरनेट के जरिये आम लोगों के लिए भी उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इसका मकसद यह है कि इन जीवों में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़े और बिगड़ते पर्यावरण के असर से इन्हें हर मुमकिन सुरक्षा मिल सके। हिंद महासागर समुद्र जीव गणना कार्यक्रम के प्रमुख मोहिदीन वाफर बताते हैं कि इस पूरी कवायद की मदद से पहली बार समुद्री जीवों का व्यापक जैव-भौगोलिक सूचना तंत्र विकसित करने में कामयाबी मिली है। अब पलक झपकते ही जाना जा सकता है कि कौन सा जीव किन-किन इलाकों में और समुद्र में किस गहराई पर मौजूद है। यह भी जाना जा सकता है कि समय के साथ इनके अस्तित्व पर क्या असर पड़ा है। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने हर प्राणी के बारे में यह भी जानने की कोशिश की है कि इंसानी और कुदरती कारणों से आने वाले समय में इनको क्या खतरे हो सकते हैं। बहुत सी ऐसी प्रजातियों का पता चला है, जो अब पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। साढ़े पांच हजार ऐसे नए जीवों का भी पता चला है, जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी।

मैं भगवान नहीं : तेंदुलकर


मैंने ईश्वर को देखा है। वह भारत की तरफ से चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है। क्रिकेट के शहंशाह सचिन तेंदुलकर पर यह टिप्पणी किसी आम आदमी ने नहीं बल्कि आस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडेन ने की थी। तब से मास्टर बल्लेबाज को क्रिकेट का भगवान की उपाधि दे दी गई। इसके बाद भी कई पूर्व व वर्तमान खिलाडि़यों ने सचिन को भगवान के समकक्ष बताया। मगर खुद सचिन इस बात से विनम्रता से इनकार करते हुए कहते हैं कि मैं भगवान नहीं हूं। मुझे बस लोगों का अपार प्यार मिलता है और मुझे भारत की ओर से खेलना बेहद पसंद है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रविवार को 20 साल पूरे करने वाले तेंदुलकर ने कहा कि मुझे बहुत खुशी होती है कि इतने अधिक लोग मेरे करियर का अनुसरण करते हैं। मैं भी इंसान हूं, लेकिन मेरे पीछे एक बड़ी शक्ति, बड़ी टीम है। मेरे साथी खिलाड़ी, परिवार, बच्चे, दोस्त और प्रशंसक हैं। मैं जब बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर जाता हूं तो मैं उनकी तरफ से खेलता हूं। तेंदुलकर ने अपने करियर में बल्लेबाजी के कई रिकार्ड तोड़े, लेकिन इस दौरान दो बार उन्हें लगा कि उनका करियर समाप्त हो गया है। ठीक 20 साल पहले 15 नवंबर 1989 को कराची में खेले गए अपने पहले टेस्ट मैच के बारे में इस स्टार बल्लेबाज ने कहा कि पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट के बाद मुझे ऐसा लगा। मैंने केवल 15 रन बनाए और मैंने सोचा कि क्या मुझे अगले मैच में खेलने का मौका मिलेगा, लेकिन मुझे यह मौका मिला। जब मैंने दूसरे मैच में 58 या 59 रन बनाए तो मुझे बड़ी राहत मिली। दूसरी बार तब जब मैं टेनिस एल्बो चोट से पीडि़त था। यह बहुत मुश्किल समय था। मैं रात को सो नहीं पाता था और मुझे लगा कि मेरा करियर समाप्त हो गया है। तेंदुलकर ने पिछले साल चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ 140 रन की मैच विजेता पारी को आस्ट्रेलियाई तेज आक्रमण के खिलाफ पर्थ में 1991 में खेली गई 119 रन की पारी से ऊपर रखा क्योंकि यह शतक उन्होंने मुंबई आतंकी हमले के बाद लगाया था। उन्होंने कहा कि मैं कह सकता हूं कि पर्थ की पारी मेरी चोटी की पारियों में शामिल है। लेकिन पिछले साल चेन्नई में मैंने जो पारी खेली वह सभी से ऊपर है क्योंकि इस मैच से कुछ दिन पहले मुंबई में भयावह घटना घटी थी। इसकी भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन इस जीत से हम कुछ पलों के लिए उनका ध्यान बांटने में सफल रहे। तेंदुलकर से जब पूछा गया कि क्या उनका पुत्र अर्जुन भी उनके नक्शेकदम पर चलकर क्रिकेट खेलेगा, उन्होंने कहा कि वह अभी दस साल का है और मैं उस पर क्रिकेट खेलने का दबाव नहीं डालूंगा। यदि उसे क्रिकेट खेलनी है तो पहले उसे इस खेल को अपने दिल में बसाना होगा तेंदुलकर और फिर इसके बारे में सोचना होगा। यह बात सिर्फ अर्जुन ही नहीं बल्कि सभी युवाओं पर लागू होती है। कप्तानी के बारे में उन्होंने कहा कि मुझे कभी नहीं लगा कि यह बोझ है। निश्चित तौर पर देश की कप्तानी करना सम्मान है। यह अलग तरह का अनुभव है। हमने आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच जीता। टाइटन कप जीता और टोरंटो में पाकिस्तान को हराया, लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ बारबडोस में 120 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए। मैंने इस दौर का भी लुत्फ उठाया और इससे काफी कुछ सीखा।

एयर इंडिया के अधिकारी पर महिला पर यौन शोषण का आरोप




न्यूयॉर्क। अमरीका के जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट पर एयर इंडिया की एक महिला कर्मचारी ने एक वरिष्ठ अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। सूत्रो के अनुसार कैरोबियन महिला ने एयर इंडिया के एयरपोर्ट मैनेजर अनिल सभरवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इस मामले में कल शिकायत दर्ज कराई गई।
हालांकि, बताया जा रहा है कि कल एफआईआर दर्ज होने से पहले ही सभरवाल दिल्ली के लिए उ़डान भर चुके थे। इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है अमरीका में एयर इंडिया की कार्यकारी निदेशक चित्रा सरकार ने इस मामले में फिलहाल कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

अब नहीं होती बाल सभाएं, केवल एक दिन चाचा नेहरू आते हैं याद



आप अपने बचपन को याद कीजिए। बचपन म्ों चले जाईए। स्कूल के वो दिन याद करें, जब हर शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल सभा होती, बाल सभा की तैयारी जोरों से की जाती। याद करें वो नजारा, जब मास्टर जी नाम पुकारते और कविता, कहानी, चुटकुले आदि पढने के लिए बाल सभा म्ों बकायदा बुलाते। याद करें उस लम्हे को जब मास्टरजी उन दोस्तों को जबरन बाल सभा म्ों खड़ा कर बुलवाते, कुछ भी कहने के लिए प्रेरित करते... याद आयार्षोर्षो अगर आप को याद आ रहा है, तो आप के सामने वो सारे पल आ रहे होंगे, जब बाल सभा होती थी। पूरे सप्ताह आपको और आपके दोस्तों को शनिवार का इंतजार रहता इंतजार रहता। जिससे बच्चों की प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए, व्यक्तित्व विकास के लिए एक मंच का काम करतीं।
ये षब्द विद्यालय निदेषक एवं प्राचार्य आचार्य रमेष सचदेवा ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए नटखट संस्था द्वारा आयोजित बाल दिवस के कार्यक्रम में कहे।
उन्होंने कहा कि बाल सभा, नाम से ही स्पष्ट है, बच्चों का कार्यक्रम। चूंकि बच्चों की बात उठती है, तो सहज म्ों ही चाचा नेहरू याद आ जाते। बाल सभा म्ों बच्चों के व्यक्तित्व विकास के बहाने, प्रतिभा निखारने के बहाने चाचा नेहरू को याद कर लिया जाता।

वक्त बदला, वक्त ने अपनी चाल बदली और हर शनिवार होने वाली बाल सभा महिने के आखरी शनिवार को होने लगी और कब यह बाल सभा का क्रम समाप्त हो गया, पता ही नहीं चला। अधिकांश स्कूलों म्ों अब बाल सभाएं नहीं होती। बाल सभा नहीं होती तो बच्चों के चाचा नेहरू याद नहीं आते और याद आते हैं, तो अब केवल एक ही दिन बाल दिवस पर। वह भी रस्म अदायगी और दूसरे ही दिन बच्चे चाचा नेहरू को भूला-बिसार दें, तो इसम्ों आष्चर्य ही क्यार्षोर्षो एक तो बाल सभा अब होती नहीं और चाचा नेहरू को याद करने का वक्त ही नहीं। रही सही कसर टीवी ने पुरी कर दी और टीवी म्ों भी बच्चे कार्टून म्ों रम जाते।
अब हालात ये बनते है कि चाचा नेहरू अब बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू नहीं रहे, अब स्पाईडर म्ौन, सुपर म्ौन आदि कार्टून पात्र उन्हें आकषिZत करते हैं। यहाँ यही समझ आता है कि बाल सभा की इस टूट चुकी कड़ी के बीच बच्चों को चाचा नेहरू को याद रखना है, तो माय फ्रैंड गणेशा, कृष्णा, हनुमान की तरह चाचा नेहरू को भी बच्चों के सामने लाना होगा, नहीं तो साल म्ों एक बार बाल दिवस मना लिया और बाल सभा तो होती नहीं, इसलिए एक दिन चाचा नेहरू याद आते रहेंगे, और बच्चे उन्हेें भुलाते-बिसराते रहेंगे।
इस अवसर पर हर कक्षा के मॉनिटर को विद्यालय की ओर से 100-100 रूपये दिए गए थे ताकि बच्चे अपना कार्यक्रम स्वयं आयोजित करना सीखें और बजट बनाना व खर्च करने सीखें। जहां बड़े बच्चों ने छोटों को गुब्बारे व टाफियां बांटी वहीं अधिकांा कक्षाओं ने अपनी-अपनी कक्षा के लिए डिक्षनरी खरीद कर इस आयोजन को सार्थक बनाया।
बच्चों ने देष-भक्ति के गीतों पर नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम के उल्लास को कायम रखा। कार्यक्रम का संचालन प्रेरणा बतरा व मास्टर धनंजय तथा इतिहास के अध्यापक केषरा राम ने किया।

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