डबवाली- पतंजलि योग समिति व भारत स्वाभिमान के संयुक्त तत्वाधान में सीनिसर सिटीजन वैल्फेयर ऐसोसिऐशन के लिए स्थानीय सामुदायिक भवन में आज से नि:शुल्क 5 दिवसीय योग शिविर का शुभारम्भ ऐसोसिऐशन के अध्यक्ष सहजिन्द्र सिंह भाटी ने प्रात: 5 बजे किया। ओ३म् ध्वनि व गायत्री मन्त्र के साथ शुरू हुए इस शिविर में योग याधकों को सम्बोधित करते हुए योग शिक्षक वियोगी हरि ने बताया कि बुढ़ापा व जवानी में कोई अधिक अन्तर नहीं है। एक विचार मनुष्य को बूढ़ा बना देता है वो हताश निराश होकर बैठ जाता है। एक दूसरा विचार चलने की प्रेरणा देता है। वह व्यक्ति जवान कहलाता है। समय बदला अनुशासन मनुष्य को सदा जवान रख सकते हैं। एक विचार ने राज कुमार सिद्धार्थ को महात्मा बुद्ध बना दिया, एक विचार ने मोहन दास कर्मचन्द बैरिस्टर को महात्मा गांधी बना दिया। एक विचार ने इन्जीनियर लादेन को आतंकवादी बना दिया। अत: सीनियर सिटीजन को भी पैंशन लेकर घर नहीं बैठना। आज समाज को उनकी ओर अधिक आवश्यकता है। अत: अपना महत्त्व समझें। योग शिक्षक वियोगी हरि ने योग साधकों को श्वासों के नियन्त्रण की कला प्राणायाम का अभ्यास करवाया। उन क्रियाओं का क्रम समय अवधि व लाभ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा दवाओं के सहारे हस्पताल में न कटे। अत: अपने दिन की शुरूआत योग से करें। सीनियर सिटीजन समाज को अपनी उपयोगिता दिखाऐं व लम्बी आयु के अनुभवों से समाज का मार्ग दर्शन करें। शिविर का समापन हास्यासन से हुआ। पुनश्च: शिविर में ऐसोसिऐशन के सचिव शशिकान्त, चिमन लाल मिढा, प्राचार्य दर्शन सिंह व अनेक सदस्य उपस्थित रहे तथा उन्होंने समिति के अध्यक्ष अशोक सोनी का धन्यवाद किया।
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सोमवार, 14 जून 2010
आर्ट ऑफ लिविंग का 6 दिवसीय शिविर सम्पन्न
डबवाली- स्थानीय बाल मन्दिर सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रांगण में आर्ट ऑफ लिविंग के तत्वाधान में चल रहा 6 दिवसीय शिविर आज सम्पन्न हुआ। जिसमें मैडम सविता शर्मा ने बताया कि हमें हर व्यक्ति हर परिस्थिति जैसे है उन्हें वैसे ही स्वीकार करना चाहिए। जब हम उसे नहीं स्वीकार करते तो हम दु:खी हो जाते हैं। जैसे हम कार में जा रहे हैं जल्दी पहुंचना है और जाते - जाते कार पंक्चर हो जाती है तो हम परेशान हो जाते हैं। अब जो हो गया उसे स्वीकार करें तो हम कुछ ओर सोच सकते हैं। नहीं तो हमें गुस्सा आता रहेगा। इसी तरह उन्होंने बताया कि हमें हर किसी में जो भी गुण है। उसकी तारीफ करनी चाहिए। जबकि हम उल्टा करते हैं। हम उसमें जो कमी है उसके बारे में बात करते हैं। जब हम किसी के गुणों की तारीफ करते हैं तो वो गुण हमारे में आने लगते हैं। जबकि हम बुराई करते हैं तो हम भारी होने लगते हैं। जब हम किसी की तारीफ करते हैं तो वो तारीफ उस भगवान की होती है। जिसने उसे बनाया है। जैसे हम किसी पेंटिंग की तारीफ करते हैं तो वो तारीफ पेंटिंग की नहीं होती बल्कि पेंटर की होती है। जिसने उसे बनाया है। हमें किसी की तारीफ दिल से करनी चाहिए और बुराई दिमाग से करनी चाहिए। क्योंकि हम जब भी दिल से करते हैं तो दिल खोलकर करते हैं। क्योंकि जब बुराई दिमाग से करेंगे तो सोचकर करेंगे कि करें या न करें। लेकिन हम उल्टा करते हैं तारीफ दिमाग से सोच - सोच कर करते हैं बुराई दिल खोलकर करते हैं। डॉ. प्रेम छाबड़ा ने नरेश शर्मा, हरदेव गोरखी, इन्द्रजीत, युधिष्टर, योगेश, नरेश गुप्ता, भूपिन्द्र सूर्या, प्रवीण, निरंजन, रविन्द्र मोंगा, कौर सिंह, मनीष बांसल, संजय बांसल, संजीव कालड़ा, आशा रानी, सीमा वर्मा, ममता, सरिता, सुरिन्द्र निर्दोष, किरण शर्मा सहित आए हुए सभी का धन्यवाद किया। सभी लोगों ने मिलकर स्कूल में सफाई कर्मचारी भगवान दास की बहन की शादी के लिए 5500 रूपयों व कुछ सामान का योगदान दिया।
डॉ. प्रेम छाबड़ा ने बाल मन्दिर स्कूल की प्रबन्धक कमेटी व खास तौर पर अरूण जिन्दल का धन्यवाद दिया। जिनके सहयोग से ये कैम्प कामयाब हुआ। क्योंकि उन्होंने स्कूल में कैम्प लगाने का स्थान दिया।
उन्होंने ईस्टवुड स्कूल के संजम, मैडम पुष्पिन्द्र व बीना राय का भी धन्यवाद किया। जिनकी बदौलत आर्ट ऑफ लिविंग की शुरूआत हुई। स्कूल में चपड़ासी के पद पर कार्यरत चौरसिया का भी आभार जताया।
डॉ. प्रेम छाबड़ा ने बाल मन्दिर स्कूल की प्रबन्धक कमेटी व खास तौर पर अरूण जिन्दल का धन्यवाद दिया। जिनके सहयोग से ये कैम्प कामयाब हुआ। क्योंकि उन्होंने स्कूल में कैम्प लगाने का स्थान दिया।
उन्होंने ईस्टवुड स्कूल के संजम, मैडम पुष्पिन्द्र व बीना राय का भी धन्यवाद किया। जिनकी बदौलत आर्ट ऑफ लिविंग की शुरूआत हुई। स्कूल में चपड़ासी के पद पर कार्यरत चौरसिया का भी आभार जताया।
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दिन दिहाड़े मोबाईल छीन कर फरार
डबवाली- स्थानीय कॉलोनी रोड़ स्थित सिटी हाई स्कूल वाली गली से अज्ञात मोटरसाईकिल सवार युवक साईकिल सवार से दिन दिहाड़े मोबाईल छीन कर फरार हो गए। प्राप्त जानकारी अनुसार कॉलोनी रोड़ पर स्थित बैण्ड बॉक्स ड्राईक्लीनर्ज पर कपड़े प्रैस करने वाले युवक सुनील कुमार पुत्र सतपाल निवासी वार्ड नम्बर 8 ने बताया कि वह दोपहर 1 बजे के करीब सिटी हाई स्कूल वाली गली में प्रैस किए कपड़े देकर अपनी साईकिल पर आ रहा था कि पीछे से अचानक मोटरसाईकिल पर सवार 3 युवकों ने उसे धक्का देकर उसे नीचे गिरा दिया और उसका मोबाईल मैजिक वन छीन कर फरार हो गए। जिसकी कीमत लगभग 1500 रूपये के करीब है। इस घटना की जानकारी थाना शहर डबवाली में दे दी गई है।
बैण्ड बॉक्स ड्राईक्लीनर्ज के मालिक त्रिलोक मैहता ने बताया कि कॉलोनी रोड़ पर शरारती तत्व युवकों का जमावड़ा लगा रहता है। जिससे आने - जाने वाली महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कॉलोनी रोड़ पर स्थित दुकानदारों ने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि इन शरारती तत्व युवकों पर नकेल डालने का कार्य करे ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके।
बैण्ड बॉक्स ड्राईक्लीनर्ज के मालिक त्रिलोक मैहता ने बताया कि कॉलोनी रोड़ पर शरारती तत्व युवकों का जमावड़ा लगा रहता है। जिससे आने - जाने वाली महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कॉलोनी रोड़ पर स्थित दुकानदारों ने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि इन शरारती तत्व युवकों पर नकेल डालने का कार्य करे ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके।
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संदिग्ध परिस्थितियों में नशा मुक्ति केंद्र पर व्यक्ति की मौत
डबवाली: बठिडा रोड स्थित नई किरण नशा मुक्ति केंद्र में उपचाराधीन एक व्यक्ति
की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक की पहचान प्रीतम लाल पुत्र मक्खन सिंह निवासी चक निधान वाला जिला फिरोजपुर के रूप में की गई है। प्रीतम ¨सह फिरोजपुर थाने में वायरलेस आपरेटर के पद पर तैनात था। प्रीतम ¨सह को कल ही नई दिशा नशा मुक्ति केंद्र में नशा छुड़ाने के लिए भर्ती करवाया था। प्रीतम सिंह को जब सिविल अस्पताल में लाया गया तब उसकी मौत हो चुकी थी। मृतक के भाई तिलक राज ने पुलिस को दिये बयान में बताया कि उसका भाई शराब के नशे का आदि था। कल ही वह छुट्टी पर घर वापस आया था और उसके शराब के नशे को छुड़वाने के लिए उन्होंने उसे डबवाली के नई किरण नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया था। उन्होंने बताया कि आज दोपहर बाद केंद्र से उनके पास फोन आया कि प्रीतम सिंह की हालत गंभीर है। वे तुरंत ही वहा से रवाना हो कर डबवाली के सिविल अस्पताल में पहुंचे लेकिन उनके पहुचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। पुलिस ने मृतक के भाई बयान पर सीआरपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई करते हुए शव का पोस्टमार्टम करवाकर उसके परिजनों को सौंप दिया। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. टीआर मित्तल ने बताया कि जब प्रीतम को सिविल अस्पताल में लाया तब उसकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि बिना जाच के मौत के कारणों का तो पता नहीं लग सकता है। लेकिन जो लक्षण केंद्र संचालकों ने उन्हे बताये हैं उससे प्रथम दृष्टा में लगता है कि प्रीतम सिंह को हृदयाघात हुआ हो। हृदयाघात होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें एकदम से नशा छुड़ाना भी एक कारण हो सकता है। गौरतलब है कि एक अरसा पूर्व अग्निकाड स्थल के पास बनाये गये नई दिशा नशा मुक्ति केंद्र पर उपचाराधीन रोगी के साथ मारपीट करने के कारण रोगी मौत हो गई थी। जिसके कारण विभाग ने अवैध तौर पर चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर छापामारी का अभियान चलाया था। इसके उपरात आज फिर नशा मुक्ति केंद्र पर हुई मौत से कई सवाल खड़े हो गये है। कि बिना चिकित्सकों की देखरेख चल रहे ये केंद्र कहीं जाने अनजाने में यहा पर भर्ती लोगों की मौत का कारण तो नहीं बन रहे?
- रिपोर्ट के मुताबिक होगी कार्यवाही
मामले की जाच कर रहे सहायक उपनिरीक्षक सूबे सिंह ने बताया कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट होने के बाद आगामी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया मृतक के परिजनों ने अपने बयान में रिपोर्ट आने के बाद उचित कानूनन कार्यवाही करने के लिए कहा है। - क्या कहते हैं केंद्र संचालक नई किरण नशा मुक्ति केंद्र के संचालक सुनील गुलाटी ने बताया कि दोपहर करीब साढे़ बारह बजे प्रीतम सिंह की अचानक तबीयत खराब हो गई और वह जोर-जोर से सास लेने लगा उसे तुरत सिविल अस्पताल में ले जाया गया लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि इस समय केंद्र में 33 व्यक्तियों का उपचार चल रहा है और काउसलिंग द्वारा नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।

- रिपोर्ट के मुताबिक होगी कार्यवाही
मामले की जाच कर रहे सहायक उपनिरीक्षक सूबे सिंह ने बताया कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट होने के बाद आगामी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया मृतक के परिजनों ने अपने बयान में रिपोर्ट आने के बाद उचित कानूनन कार्यवाही करने के लिए कहा है। - क्या कहते हैं केंद्र संचालक नई किरण नशा मुक्ति केंद्र के संचालक सुनील गुलाटी ने बताया कि दोपहर करीब साढे़ बारह बजे प्रीतम सिंह की अचानक तबीयत खराब हो गई और वह जोर-जोर से सास लेने लगा उसे तुरत सिविल अस्पताल में ले जाया गया लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि इस समय केंद्र में 33 व्यक्तियों का उपचार चल रहा है और काउसलिंग द्वारा नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
कैसे तैयार हो खिलाड़ी? प्राध्यापक पड़ रहे खेलों पर भारी
आनंद त्रिपाठी,सिरसा-हरियाणा में जहा एक ओर प्रदेश सरकार खेलों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर अब तक राज्य में शारीरिक शिक्षा प्राध्यापकों (लेक्चरार) के पदो को ही सृजित नहीं किया गया है। प्रदेश के लगभग 2 हजार से अधिक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्राध्यापकों के स्थान पर डीपीई से काम चलाया जा रहा है। शिक्षा विभाग की माने तो समूचे प्रदेश भर में लगभग 16 डाइटों पर ही यह पद सृजित कर नियुक्ति की गई है। एक तरफ तो सरकार स्पोटर्स टैलेंट हंट के नाम पर ग्रामीण अंचल के खिलाड़ियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने की बात कर रही है वहीं विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के प्राध्यपक पदों का सृजन न किया जाना सरकार की खेल के प्रति प्रतिबद्धता के पहलू पर सवालिया चिंह लगता है। बाहर के खिलाड़ियों को अपने प्रदेश से खेलने पर सारी सुविधाएं देने का दंभ भरने वाली सरकार का खेल के प्रतिबद्धता को लेकर यह स्याह पहलू है। स्पोटर्स टैलेंट हट के माध्यम से समूचे प्रदेश के ग्रामीण अंचल के प्रतिभावान खिलाड़ियों को खोजने का काम किया जा रहा है। वहीं शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक न होने से ग्रामीण अंचल के विद्यालयों में पढ़ रहे प्रतिभावान खिलाड़ियों को निखारने का काम सही से नहीं हो पा रहा है। कहा जाता है कि कोई भी इमारत नीवं की मजबूती पर स्थिर होती है लेकिन यहा तो नीवं निर्माणकर्ता ही नहीं है तो इमारत की बुलंदगी की बात करना बेमानी सी लगती है। यही बात प्रदेश के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के खिलाड़ियो पर लागू हो रही है। सरकार प्रवक्ता पदों को सृजित करने की बजाय कक्षा दस तक की कक्षाओं को शिक्षित करने की योग्यता रखने वाले डीपीई द्वारा समूचे प्रदेश में काम चला रही है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी आशा किरण ग्रोवर से पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार करते हुए बताया कि डीपीई ही हर जगह कक्षाएं ले रही है। फिलहाल अभी तक किसी पद का सृजन नहीं किया गया है।
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बोर्ड ने भी नहीं दिया ध्यान ,जारी रहा गोरखधधा
आनंद त्रिपाठी,सिरसा-सेंट्रल सीनियर सेकेंण्डरी स्कूल द्वारा किए गए फर्जीवाड़ें के संबंध में किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? निदेशालय को,बोर्ड को,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अथवा स्कूल को,जब सब के सब एक के बाद एक गुत्थगुत्थ नजर आ रहे है। विभाग के अधिकारियों अथवा शिक्षा विभाग की नियामक संस्था द्वारा वर्षो से चल रहे इस फर्जीवाड़े को नजरअंदाज किया जाना काफी सवाल छोड़ता है। इस संबंध में सबसे बड़ा सवाल निदेशालय पर ही खड़ा हो जाता है कि बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा स्मरण दिलाए जाने के बावजूद निदेशालय ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी क्रम में शिक्षा निदेशालय के बाद बोर्ड भी कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। जिसने विद्यालय द्वारा भेजे गए मान्यता पत्र को अपने पत्र से मिलाए बगैर ही परीक्षा फर्म को स्वीकार कर विगत 9 वर्षों में हजारों बच्चों को परीक्षा दिला दी। बोर्ड द्वारा इस तरह की ढिलाइ बोर्ड की कार्यशैली पर काफी बड़ा सवाल खड़ा करती है। इतना ही नहीं हरियाणा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड,भिवानी की भूमिका भी संदेह के घेरे है। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार जब किसी भी विद्यालय को मान्यता दी जाती है तब उसकी चार प्रतिलिपि बनाई जाती है। जिसमें से एक निदेशालय में रखी जाती है बाकी एक-एक विद्यालय,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी को भेज दी जाती है। निश्चय ही किसी दशा में बदलाव किए जाने पर चारों में बदलाव होना चाहिए लेकिन इस मामले में विद्यालय और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की प्रतिलिपि में बदलाव है जबकि निदेशालय और बोर्ड की प्रतिलिपि उक्त से इतर है। बोर्ड की भूमिका की बात करें,तो यह है कि मान्यता प्राप्त करने के बाद जब विद्यालय द्वारा परीक्षा फार्मो को काउटर साईन कराकर बोर्ड के पास भेजा जाता है। तब विद्यालय द्वारा प्राप्त किया गया पत्र भी फार्मो के संलगन् किया जाता है,जिसकी पुष्टि जिला शिक्षा विभाग भी करता है। बोर्ड को निदेशालय द्वारा भेजे गए मान्यता पत्र से मिलान करने तथा जाच करने का विषय होता है लेकिन इस विद्यालय के संबंध में नीतियों को सर्वथा अभाव पाया गया और बगैर मिलान किए ही परीक्षा फार्म स्वीकार कर बच्चों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी। उसके बाद चला वर्षों तक का गोरखधधा सभी के सामने में है। स्कूल द्वारा 9 साल तक किए गए इस फर्जीवाड़े में सभी तार एक-दुसरे से जुड़े नजर आ रहे है। निदेशालय जहा मामले में चुप्पी साधे बैठा रहा वहीं जिला शिक्षा कार्यालय उपलब्ध पत्र के आधार पर काउटर साईन करने की बात कहता रहा। बोर्ड ने इस संबंध में कोई संज्ञान ही नहीं लिया और न ही कभी जाचा की जो पत्र उसके पास उपलब्ध है वह विद्यालय द्वारा भेजे गए पत्र से मेल भी खाता है अथवा नहीं। हरियाणा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड,भिवानी के नवनियुक्त शेखर विद्यार्थी का कहना है कि इस संबंध में अभी तक फिलहाल कोई जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा मामला है तो इसे संज्ञान में लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जिम्मेदार किसी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। बिना काउटर साईन के फार्म हुए जमा उप जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना ने बताया कि उक्त विद्यालय को 2001 से अस्थाई मान्यता मिली है और विगत के वर्षो में कार्यालय द्वारा काउटर साईन भी किया जाता रहा है लेकिन न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए इस बार विद्यालय के किसी भी फार्म पर काउटर साईन नहीं किया गया है। उधर भिवानी बोर्ड के सूत्र की माने तो उक्त विद्यालय ने बिना काउंटर साईन के ही फार्म जमा करा दिए है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना काउटर साईन को बोर्ड भेजे गए सैकड़ों विद्यार्थियों के फार्म का बोर्ड क्या करता है। हालाकि बोर्ड के एक लिपिक की माने तो ऐसे मामले में बोर्ड द्वारा फार्म स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए।
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डाक परिचय पत्र बनाएगा सेवाओं को सुगम
सिरसा-डाक सेवाओं का लाभ लेने वाले उपभोक्ताओं को सेवाओं का सुगम प्रयोग करने के लिए विभाग द्वारा डाक पहचान पत्र जारी किया जाएगा। इस कार्ड को बनवाने के बाद उपभोक्ता को डाक से जुड़ी सेवाओं के लिए अन्य पहचान पत्र दिखाने की जरूरत नहीं होगी। 15 जून से प्रदेश के 16 बड़े डाकघरों में इस सेवा का शुभारभ हो जाएगा। डाक विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाएं जैसे रजिस्ट्री लेने, स्पीड पोस्ट लेने, मनीआर्डर लेने सहित अनेक सेवाओं के लिए प्राप्तकर्ता को विभिन्न प्रकार के अपने परिचय दिखाकर ये सेवाएं दी जाती थी। अब विभाग द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए उपभोक्ता को डाक परिचय पत्र जारी किया जाएगा जिसकी फीस 240 रुपये विभाग द्वारा वसूल की जाएगी। तीन वर्ष बाद कार्ड को नवीनीकरण करवाने के लिए उपभोक्ता को 140 रुपये की फीस अदा करनी होगी। 15 जून से प्रदेश के अंबाला सिटी, अंबाला मुख्य डाकघर, यमुनानगर, भिवानी, फरीदाबाद, गुड़गाव, नारनौल, हिसार, सिरसा, करनाल, पानीपत, जींद, रोहतक, कुरुक्षेत्र, बहादुरगढ़ व सोनीपत में इस योजना का शुभारभ किया जाएगा। डाक विभाग के मंडल अधीक्षक जेपी सैनी ने बताया कि इस कार्ड को बनवाने के लिए उपभोक्ता को दो फोटो व अपने परिचय का कोई प्रमाण देना होगा। उन्होंने बताया कि डाक परिचय का फार्म भरने के बाद विभाग द्वारा उपभोक्ता के मूल निवास व अन्य जानकारियों की जाच की जाएगी और उसके बाद उसे कार्ड जारी कर दिया जाएगा। सिरसा के सहायक अधीक्षक अनिल रोज ने बताया कि 15 जून को डाक परिचय पत्र बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिचय पत्र बनवाने के लिए मुख्य डाकघर में फार्म उपलब्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि जिला के किसी भी उपभोक्ता को डाक परिचय पत्र बनवाने के लिए मुख्य डाकघर में ही आवेदन करना होगा।
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बसेरा बनता गया, पेड़ उजड़ते रहे
ऐलनाबाद-पेड़ों को नष्ट कर पर्यावरण के दुश्मन बने शहरी और ग्रामीण लोगों के साथ-साथ सरकारी अमला भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। दो दशक पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों के कुओं, तालाबों, जोहड़ों व गावों के चारों तरफ बनी घिरनी रास्ते पर पेड़ों के झुंड के झुंड बने दिखाई देते थे। इसी तरह शहर से निकलते ही शुरू हो जाता था, हरियाली का आलम। लोगों ने इन तालाबों, जोहड़ों पर कब्जे कर अपना बसेरा स्थापित कर लिया तो वहीं शहरी क्षेत्र के बढ़ने से भवनों, पेट्रोल पंप, कारखानों आदि का निर्माण होने लगा। इस तरह जैसे-जैसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से निकलकर आगे बढ़ने लगे तो सबसे पहले कुल्हाड़ी पेड़ों पर चली। ये कुल्हाड़ी ऐसी चलनी शुरू हुई कि अब तक चली आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरातन संस्कृति की धरोहर माने जाने वाले जोहड़, तालाब, कुएं के इर्द-गिर्द पेड़ों के अंबार लगे होते थे, जिन पर पक्षियों को सुंदर आवाज के मधुर गायन सभी को मोहित करते थे। प्रभावशाली लोगों की शह पर इन कब्जे होने शुरू हुए। ज्यों-ज्यों लोगों ने इन पर अपना हक जताना शुरू किया तो सबसे पहले रास्ते में आने वाले पेड़ों को काटा गया जो कि प्रकृति का संतुलन कायम रखने में सहायक है। ऐलनाबाद खंड में भी ऐसे अनेक गाव है, जहा पर बड़े-बड़े पेड़ों पर चहचहाहट करते हुए सुंदर पक्षी नजर आते थे। उन्हीं पेड़ों को काटकर लोगों ने अपने बसेरे बना लिए। आबादी बढ़ने के साथ-साथ लोगों ने अपना व्यावसायिक कारोबार शुरू करने के लिए सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ाकर उस जगह को खाली करवाया। ऐलनाबाद शहर की तलवाड़ा रोड़, डबवाली रोड़, सिरसा रोड़, ममेरा रोड आदि पर भी दो दशक पहले बड़े-बड़े विशाल वृक्ष सड़कों-खेतों पर दिखाई देते थे, लेकिन अब पेड़ों की जगह कालोनिया बनी नजर आती है। कमोबेश गावों में भी इसी तरह के मिलते-जुलते हालात है। बड़े-बड़े पीपल, बरगद के पेड़ों को पक्षी अपना बसेरा मानते थे। उन्हीं पेड़ों को काटकर लोगों ने उन्हीं जगहों पर अपना बसेरा बना लिया है। जोहड़ पायतन की जगह पर कब्जे हो गए है। पुराने कुएं, जिन पर कभी ग्रामीण महिलाओं की भीड़ लगी रहती थी, उन्हीं कुओं की मिटती संस्कृति पर आज ग्रामीणों का कोई ध्यान नहीं रह गया है।
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