
( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
प्रदेश में सत्ता संग्राम की बिसात बिछ चुकी है और अभी से शह-मात का खेल शुरू हो गया है। इस खेल में उतरे दलों के प्यादे अपनी हर कुर्बानी देने को तैयार हैं। लेकिन जब बड़ मोहरे मैदान में आ जाएं तो इनकी चाहत भी अपने घर की सुरक्षा की भावना से ऊपर उठने की होती है ताकि जोश बरकरार रहे। सिरसा जिला के अंतर्गत आने वाले पांचों विधानसभा हलकों में ऐसा कुछ देखने में आ भी रहा है। खासकर इंडियन नेशनल लोकदल के संदर्भ में यह नजारा अब आम हो गया है। गृह जिला के दो विधानसभा हलकों से पार्टी के दो हैवीवेट व पिता-पुत्र के चुनावी मैदान में उतरने से महज राजनीतिक पंडितों का गणित ही नहीं गड़बड़ाया है अपितु इनेलो कार्यकर्ताओं में नई स्फूर्ति का संचार भी हुआ है। दरअसल दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का दबदबा शुरू से ही रहा है। अगर डबवाली विधानसभा क्षेत्र की अतीत के पन्नों को खंगालें तो वर्ष 1987 में तत्कालीन लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़े मनीराम ने जीत दर्ज करते हुए 64.72 फीसदी मत प्राप्त कर विपक्षी प्रत्याशी का हौसला ही पस्त कर दिया था। वर्ष 1996 में भी मनीराम ने 35.81 फीसदी मत प्राप्त कर समता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2000 में एक बार फिर जब डा. सीताराम इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी के रूप में इस विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे तो उन्होंने पार्टी की मत प्रतिशतता में भारी इजाफा करते हुए 62.2 फीसदी मत प्राप्त किए। उनका यह दबदबा वर्ष 2005 में भी बरकरार रहा और इस वर्ष भी उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। जहां तक ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इंडियन नेशनल लोकदल के वर्चस्व की बात है तो उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि लोकदल के समय भी पार्टी प्रत्याशी भागीराम ने वर्ष 1982 में 52.27 फीसदी तो 1987 में 58.74 फीसदी मत प्राप्त कर अपना परचम लहराया। भागीराम ने वर्ष 2000 में भी इनेलो प्रत्याशी के रूप में 54 फीसदी से अधिक मत प्राप्त कर इंडियन नेशनल लोकदल के मजबूत जनाधार को दर्शाया। उनकी जीत के सिलसिले को वर्ष 2005 में भी डा. सुशील इंदौरा ने बरकरार रखा और इस सीट पर इनेलो के वर्चस्व को साबित किया। इतनी सशक्त पृष्ठभूमि के साथ ऐलनाबाद व डबवाली विधानसभा क्षेत्र से पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला के उम्मीदवार बनने से राजनीतिक गलियारे में पार्टी द्वारा दिए गए संदेश की चर्चा बनी हुई है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इससे न केवल ऐलनाबाद व डबवाली सीट जीत के लिहाज से सुरक्षित होने की संभावना बढ़ी है बल्कि रानियां, कालांवाली व सिरसा के उम्मीदवारों के आत्मबल में भी वृद्धि हुई है। इनेलो के सिरसा प्रत्याशी पदम चंद जैन, रानियां के कृष्ण कंबोज भी इस सच्चाई से इनकार नहीं करते। उनका कहना है कि नि:संदेह ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला के मैदान में उतरने की घोषणा ने प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने का काम किया है।