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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

उल्फा प्रमुख राजखोवा भारत के हवाले

दावकी [गुवाहाटी]। प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा का शीर्ष नेता अरबिंद राजखोवा, उसकी पत्नी और अन्य प्रमुख उग्रवादियों को शुक्रवार को बांग्लादेशी एजेंसियों ने मेघालय में भारतीय अधिकारियों के हवाले कर दिया। इससे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के साथ शांति वार्ता के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मेघालय के जैनतिया हिल जिले के दावकी चौकी पर सीमा सुरक्षा बल ने 53 वर्षीय राजखोवा तथा नौ अन्य उग्रवादियों को हिरासत में लिया। इनमें उल्फा के सशस्त्र अभियान का उप प्रमुख राजू बरूआ भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जिन उग्रवादियों को बांग्लादेशी अधिकारियों ने सीमा सुरक्षा बल को सौंपा है उनमें राजखोवा के अलावा, उसकी पत्नी और दो बच्चे, उसका अंगरक्षक राजू बोरा, बरूआ की पत्नी और उसका बेटा, तथा उल्फा के स्वयंभू विदेश सचिव सशधर चौधरी की पत्नी और बेटी शामिल है।

सूत्रों ने बताया कि बाद में इनलोगों ने गुवाहाटी के लिए उड़ान भरी जहां इन सबने असम पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। विभिन्न कानूनी औपचारिकताएं निपटाने के लिए उन्हें तत्काल एहतियातन हिरासत में ले लिया गया।

संगठन का संस्थापक सदस्य राजखोवा हाल ही में बांग्लादेश में धरा गया था। राजखोवा उन चार लोगों में से है जिसने सात अप्रैल 1979 को इस अलगाववादी संगठन की नींव रखी थी।

सरकार की ओर से उल्फा के साथ बातचीत शुरू करने का संकेत गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्य सभा में बुधवार को देते हुए कहा था कि उग्रवादी संगठन अगले कुछ दिनों में संभवत: राजनीतिक बयान जारी करेगा। उन्होंने कहा था कि उल्फा का आजकल भटकाव हो गया है। अगले कुछ दिनों में उल्फा नेतृत्व राजनीतिक बयान जारी करेगा। हमारी सरकार उनके साथ बातचीत करने को तैयार है लेकिन शर्त यह है कि वह हिंसा और संप्रभुता की मांग करना छोड़ दें।

उल्फा के पिछले रिकार्ड और संगठन के नेताओं के शांति प्रक्रिया को आगे ले जाने के अपने वादे से मुकरते देख सरकार उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत के लिए सावधानी से कदम उठा रही है। असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने गुवाहाटी में गुरुवार को कहा था कि सरकार को शांति वार्ता शुरू करने के लिए उल्फा की ओर से उत्साही संकेत मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उल्फा नेता अगर बातचीत की टेबल पर आते हैं तो वह उन्हें सुरक्षित रास्ता देने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की आशा है कि संगठन के कमांडर इन चीफ परेश बरूआ समेत अन्य शीर्ष उल्फा नेता बातचीत में भाग लेंगे। संप्रभुता के मुद्दे पर बरूआ शांति प्रक्रिया की बातचीत का विरोध कर चुका है।

राजखोवा का असली नाम राजीव राजखोवा है और वह स्वतंत्रता सेनानी उमाकांत राजखोवा को बेटा है। उमाकांत राजखोवा का निधन तीन साल पहले हो चुका है। भारत के खिलाफ लड़ाई सहित कई मामलों के आरोपी राजखोवा के खिलाफ इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी हो चुका है। वह 1992 से ही भारत के बाहर रह रहा है। उसके बारे में कहा जाता है कि वह बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान के विभिन्न स्थानों पर रहा है।

उल्फा के दो अन्य शीर्ष नेता तथा स्वयंभू वित्त सचिव चित्रबन हजारिका और स्वयंभू विदेश सचिव सशाधर चौधरी को बांग्लादेश में नवंबर में गिरफ्तार किया गया था और दोनों को असम पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस महीने की आखिर में भारत दौरे के हिसाब से ये घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच तीन प्रस्तावित समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे जिसमें प्रत्यर्पण संधि के अलावा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष भी शामिल है।

असम में चौकसी बढ़ायी गई

इस बीच प्रतिबंधित संगठन उल्फा की संभावित हिंसक प्रतिक्रिया को देखते हुए असम में चौकसी बढ़ा दी गई है। उल्फा अपने अध्यक्ष अरविंद राजखोवा के शांति प्रक्रिया में शामिल होने का विरोध कर रहा है।

असम सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में तेल भंडारों, पटरियों, पुलों और बाजारों की सुरक्षा के लिए सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि किसी भी समय कुछ भी हो सकता है। कुछ प्रतिक्रिया हो सकती है। हम ऐसी किसी आशंका से इंकार नहीं कर रहे है।

उधर, शुक्रवार सुबह उत्तरी असम के उदलगुरी जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में में प्रतिबंधित संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के दो आतंकी मारे गए।

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