महावीर सहारण (09354862355)
डबवाली (यंग फ्लेम) शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव नतीजों (अभी अधिकारिक रूप से घोषित नहीं) ने अलग गुरूद्वारा कमेटी की मांग को दरकिनार कर दिया है। 11 में से 8 सीटों पर शिरोमणी अकाली दल बादल के उम्मीदवारों की जीत ने साबित कर दिया है कि प्रदेश के सिक्ख अलग कमेटी के पक्षधर नहीं है। जगदीश सिंह झींडा व दीदार सिंह नलवी की क्रमश: 8000 व 10,000 मतों की बड़ी हार से यह तय हो गया है कि उनका जनाधार बुरी तरह से खिसक गया है।
प्रदेश का सिक्ख मतदाता परम्परागत रूप से देवीलाल-औमप्रकाश चौटाला को अपना समर्थन देता रहा है। स. प्रकाश सिंह बादल की चौटाला परिवार से निकटता जगजाहिर रही है। लेकिन विगत एसजीपीसी चुनाव में हरियाणा सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एडहाक) का गठन करके जगदीश सिंह झींडा, दीदार सिंह नलवी, जैसे नेताओं ने प्रदेश में जबरदस्त प्रचार अभियान चलाया था कि अलग गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन किया जाए। उस चुनाव में शिरोमणी अकाली दल बादल ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तथा झींडा नलवी धड़ा 11 में से 7 सीटों पर विजयी होने में सफल रहा। तत्पश्चात झींडा ने लोकसभा-विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान करके अपने इरादे जाहिर कर दिए इससे जहां औम प्रकाश चौटाला को राजनैतिक नुकसान तो हुआ ही बल्कि अलग कमेटी की मांग से एसजीपीसी की ताकत बंटने का अंदेशा भी होने लगा। इसलिए इस चुनाव को शिरोमणी अकाली दल बादल ने गंभीरता से लड़ा तथा इनेलो कैडर का भी सहारा लिया व झींडा-नलवी को बुरी तरह से हराने में सफलता प्राप्त की। अम्बाला की दोनों सीटों पर अकाली दल पाली धड़ा ने विजय प्राप्त की है वो भी मामूली 400 वोटों के अंतर से तथा सिरसा सीट पर गुरमीत सिंह तिलोकेवाला आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते है इस प्रकार झींडा-नलवी के सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए है।
चुनावी नतीजों ने प्रदेश में औम प्रकाश चौटाला को मजबूती प्रदान की है तथा हिसार उपचुनाव में इनेलो प्रत्याशी अजय सिंह चौटाला को इसका फायदा होगा। वहीं कांग्रेस के लिए यह नतीजें निराशाजनक कहे जा सकते है क्योंकि जगदीश सिंह झींडा खुल कर कांग्रेस का समर्थन करते रहे है। इसके अलावा अलग कमेटी का मुद्दा एकबारगी तो इन चुनावी नतीजों ने पुरी तरह से समाप्त कर दिया है व प्रदेश के सिक्खों पर प्रकाश सिंह बादल के असर को भी साबित कर दिया है।
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मंगलवार, 20 सितंबर 2011
हरियाणा के सिक्खों ने नकारी अलग कमेटी की मांग
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मार्केट फीस कम करने की मांग को लेकर दिया धरना, ज्ञापन सौंपा
डबवाली (यंग फ्लेम) हरियाणा में कपास-नरमा पर मार्केट फीस कम करने की मांग को लेकर सोमवार को हरियाणा कॉटन जिनिर्स एसोसिएशन, पक्का आढ़तिया एसोसिएशन तथा कच्च आढ़तियां एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा स्थानीय एसडीएम मुनीश नागपाल की मार्फत हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम एक ज्ञापन पत्र सौंपा गया तथा मार्केट कमेटी के समक्ष सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक धरना प्रदर्शन किया। ज्ञापन द्वारा व्यापारियों व सरकार को हो रहे नुकसान से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। उन्होंने लिखा कि व्यापारियों द्वारा हरियाणा राज्य में कपास-नरमा पर मार्केट फीस एवं एचआरडीएफ 4 प्रतिशत है जबकि पड़ौसी राज्य पंजाब में 2 प्रतिशत व राजस्थान में 0.80 से 1.60 प्रतिशत है। जिस कारण हरियाणा राज्य का नरमा उपरोक्त पड़ोसी राज्यों की मंडियों में बिक रहा है तथा हरियाणा में कॉटन जिनिंग उद्योग एवं इससे जुड़े किसान-मजदूरों, कच्चा आढि़तियां एवं पक्का आढ़ंतियां संकट की स्थिति में है। उन्होंने बताया कि नरमा-कपास की आवक मंडिय़ों में शुरू हो चुकी है और उपरोक्त टैक्स अधिक होने की वजह से किसानों को उनके नरमे का भाव 300 से 400 रूपए कम मिल रहा है। पड़ौसी राज्यों में टैक्स कम होने के कारण किसानों ने दूसरे पड़ोसी राज्यों का रूख कर लिया है। इसी कारण सरकार को न केवल मार्केट फीस का नुकसान हो रहा है बल्कि 5.25 प्रतिशत वैट जो कि नरमा-कपास पर लगता है उसका भी नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। किसानों की उपज दूसरे राज्यों में जाने से कच्चा आढ़तिया, पक्का आढ़तिया, मजदूर, किसान एवं कॉटन जिनिंग से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। नरमा-कपास वैट प्रणाली की विसंगतियों के कारण कॉटन उघोग का करोंडों रूपए वैट रिफंड के रूप में बिना वजह पड़ा है जिस कारण कॉटन उघोग बहुत भारी वित्तीय संकट से गजुर रहा है। हरियाणा कॉटन जिनिर्स एसोसिएशन, पक्का आढ़तियां एसोसिएशन एवं कच्चा आढ़तियां एसोसिएशन ने सरकार से मांग की कि मार्केट फीस तथा एचआरडीएफ मिलकार एक प्रतिशत फीस की जाए एवं वैट कच्चा आढ़तियों की बजाए मिल मालिकों से भरवाकर बंद होने के कगार पर खड़े कॉटन उद्योग को बचाया जा सके।
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जगसीर मांगेआना ने दी जगदेव मटदादु को करारी शिकस्त
यंग फ्लेम का आकलन सटीक साबित हुआ
डबवाली (यंग फ्लेम) शिरोमणी अकाली दल बादल प्रत्याशी जगसीर सिंह मांगेआना ने तिकोने मुकाबले में हरियाणा सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के जगदेव सिंह मटदादु को 1494 मतों से हरा दिया है हालांकि अधिकारिक रूप से चुनाव नतीजे की घोषणा 22 सितंबर को की जाएगी। 18 सिंतबर को हुए चुनाव में 28014 मतदाताओं में 21030 मतदाताओं ने वोट डाला। अकाली दल बादल प्रत्याशी के लिए परमजीत सिंह माखा का प्रभावी चुनाव लडऩा बेहद फायदेमंद रहा।
शुरूआती दौर में जगसीर सिंह मांगेआना को बेहद कमजोर उम्मीदवार आंका जा रहा था लेकिन कांग्रेस समर्थकों द्वारा परमजीत सिंह माखा को चुनाव मैदान में उतार देने से जगदेव सिंह मटदादु के लिए मुश्किलों का दौर शुरू हो गया था साथ ही चुनाव के आखिरी दौर में इनेलो कैडर के मैदान में उतर आने से जगसीर सिंह मांगेआना का चुनावी ग्राफ एकाएक ऊपर आ गया। जगदेव सिंह मटदादु के समर्थक शुरू से ही अपनी जीत को पक्की मान कर चल रहे थे तथा उनका अत्मविश्वास ही उन के हार का एक कारण बना।उन्होंने जमीनी समीकरणों को नजर अंदाज कर दिया। मांगेआना तथा माखा को पार्टी वर्करों का भी बड़ा सहारा मिला। जगदेव सिंह मटदादु के पास कार्यकर्ताओं की कमी दूर-दराज के गांवों में स्पष्ट रूप से देखी गई।
डबवाली हलके में जगसीर सिंह को 5021, जगदेव सिंह को 3496 व परमजीत को 2265 वोट मिले। राणियां में क्रमश: 2676, 2668 व 1110 वोट मिले तथा ऐलनाबाद में 1316, 1355 व 864 वोट मिले। इस चुनाव नतीजे से यह साबित हो गया कि हार-जीत में चुनावी समीकरणों की भूमिका तो होती ही है बल्कि कार्यकर्ताओं की मेहनत भी मायने रखती है।
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प्रदेश के सिक्खों ने दिया एकता का परिचय-जपानी
डबवाली (यंग फ्लेम) शिरोमण गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में हरियाणा प्रदेश की 11 में से 8 सीटों पर अकाली दल बादल एवं इंडियन नेशनल लोकदल के सांझे उम्मीदवारों का भारी मतों से जीतना प्रदेश के सिक्खों की सबसे बड़ी जीत है। यह शब्द इनेलो पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के शहरी प्रधान सुखजिंद्र जपानी ने एक प्रैस ब्यान जारी कर कहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सिक्खों ने यह साफ कर दिया कि वह हरियाणा की अगल कमेटी के हक में नहीं है। प्रदेश के सिक्खों ने शिरोमणी गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में अलग कमेटी का राग अलापनों वालों से ध्यान हटाकर अकाली दल बादल व इंडियन नेशन लोकदल पार्टी के हक में मतदान कर जहां बादल-चौटाला परिवार को और अधिक मजबूत किया है वहीं प्रदेश में भविष्य में होने वाले चुनावों के लिए बादल-चौटाला परिवार को आशीर्वाद देने का कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि कांग्रेस हमेशा से ही सिक्खों की दुशमन रही है। सिक्खों की दुशमन कांग्रेस व दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान परमजीत सिंह सरना की मिली भगत समुचे सिक्ख जगत को बांटना चाहते थे लेकिन सिक्खों ने एकता का परिचय देते हुए उनके मनसूबों पर पानी फेर दिया।
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