IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

Young Flame Headline Animator

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

55 में सुलह, 35 पर कलह


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- 55 में सुलह, 35 पर कलह : कांग्रेस की टिकटों को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी मचने की आशंका जताई जा रही है लेकिन भीतर के नेताओं की मानें तो पार्टी के ज्यादातर टिकट पहले से ही तय हो चुके हैं। उन पर केवल अंतिम मुहर लगनी बाकी रह गई है। फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व राज्य के नेताओं से बातचीत में व्यस्त है और पहली लिस्ट पितृ पक्ष के बाद आने की संभावना जताई जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस काफी हॉट बनी हुई है। माना जा रहा था कि असेंबली चुनाव में गठजोड़ की राजनीति कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने में कामयाब रहेगी लेकिन एक के बाद एक करके गांठें खुलने से विपक्ष की हालत दयनीय होकर रह गई है। हालत यह है कि कांग्रेस के अतिरिक्त किसी और दल में टिकट वितरण कोई मसला ही नहीं रह गया है। बाकी की मजबूरी है कि उपलब्ध विकल्पों में से ही बेहतरीन प्रत्याशी का चयन किया जाए। उधर, कांग्रेस में हर सीट पर चार से पांच बड़े नाम दावा ठोक रहे हैं। बाहरी नेताओं के पार्टी में धड़ाधड़ शामिल होने से भी टिकट की लड़ाई रोचक दौर में पहुंचती जा रही है। पिछली बार कांग्रेस 67 सीटों पर जीतकर आई थी। भजनलाल, गोहाना के धर्मपाल मलिक, इंद्री के राकेश कंबोज कांग्रेस से किनारा कर गए तो संख्या 64 पर आ गई। उप चुनाव में कांग्रेस आदमपुर के अलावा दो सीट फिर जीत गई और आंकड़ा 66 पर आ गया। लेकिन चुनाव आते-आते कांग्रेस के पास 63 विधायक ही रह गए। करतार देवी का निधन हुआ तो शादी लाल बत्रा राज्यसभा व जितेंद्र मलिक लोकसभा पहंुच गए। उनकी सीट खाली हैं। वहां से कांग्रेस को और कोई मजबूत उम्मीदवार तलाश करना पड़ रहा है। सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस में टिकट के लिए माथापच्ची काफी पहले शुरू हो चुकी है। नेता टिकट के जुगाड़ के लिए हरियाणा के साथ दिल्ली में लाबिंग शुरू कर रहे हैं। जिनकी सीट परिसीमन में फंस गई वह अपने लिए नए हलके की तलाश में हैं तो सिटिंग एमएलए अपनी सीट बचाने की फिराक में हैं। इसके अतिरिक्त पिछली बार जो नेता चुनाव कम अंतर से हारे वह भी टिकट हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं। सरकार में बतौर सलाहकार शामिल रहे एक नेता कहते हैं कि कांग्रेस में 55 सीटों पर शुरू से ही कोई विवाद नहीं है। वह कहते हैं कि चिंता का विषय वह 14 सीटें हैं जहां से कांग्रेस तीन से ज्यादा चुनाव लगातार हार चुकी है। उसके बाद वह सीटें हैं जहां पर पिछली बार पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसा नहीं है कि जो लोग चुनाव हारे थे उन सभी के टिकट काटे जाएंगे। अलबत्ता, जिनकी छवि अच्छी है और जो जोरदार टक्कर देकर हारे थे, उनके टिकट कटने की तुक नहीं है। उन जगहों पर चुनाव में ज्यादा मेहनत की जरूरत है। वह कहते हैं कि टिकट को लेकर मारामारी की बात विरोधी दल सबसे ज्यादा कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि बाहर से कांग्रेस में आए नेता टिकट के लिए हुड़दंग मचाएंगे। लेकिन इन नेताओं को पहले ही साफ कर दिया गया है कि टिकट मेरिट और निष्ठा पर मिलेगा। वह कहते हैं कि लगभग 10 से 12 निवर्तमान विधायकों का टिकट काटा जा सकता है। कुछ को शिफ्ट किया जा सकता है। लगातार हार चुकी14 सीट पर नए नाम लाए जा रहे हैं। एक दर्जन सीट परिसीमन में फंस रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी का पत्ता साफ हो गया। कद्दावर को दूसरी सीटों पर लड़ाया जाएगा। वह कहते हैं कि भीतरी-बाहरी, परिसीमन व जीत-हार के भंवर में फंसी 35 सीटों को लेकर मंथन चल रहा है। उनका कहना है कि पार्टी पहले दौर में 30 से 50 नामों की घोषणा पितृपक्ष के बाद कभी भी कर सकती है?

टिकट के चक्कर में निकले न दिवाला

( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
करवटें बदलते रहे सारी रात हम.. इस खूबसूरत गाने की गुनगुनाहट कान में आते ही हर उम्र का व्यक्ति गुनगुना उठता है, तथा उस प्रेमी की तड़प का एहसास करता है जो अपनी पे्रमिका की याद में बड़ी मुश्किल से रात गुजारता है। आजकल कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस के कुछ उन टिकटार्थियों का है जो टिकट की दौड़ में काफी पीछे हैं तथा दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे महंगे शहर के होटलों में ठहरे हैं। रात सुबह होने के इंतजार में काट रहे हैं। सुबह होते ही पार्टी के आला नेताओं से मिलने और टिकट की बात पक्की करने की जुगत में जुट जाते हैं, होटलों में रुके इन नेताओं की अपने ही क्षेत्र में कोई खास पहचान नहीं हैं, फिर भी उन्हें टिकट चाहिए। टिकट नहीं मिला तो वे टिकट की घोषणा के साथ ही होटल ही नहीं बल्कि अपने क्षेत्र से भी गायब हो जाएंगे। कांग्रेस में टिकट के लिए मारामारी साफ दिख रही है। कुछ नेता तो बेवजह ही अपने आप को इस मारामारी में शामिल कर रहे हैं। राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक, किसी भी रूप में अभी तक उनकी सक्रियता नहीं देखी गई है जोकि वर्तमान परिवेश में चुनाव लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। फिर भी उन्हें टिकट चाहिए। यमुनानगर जिले की विधानसभा सीटों से ऐसे ही कुछ नेताओं ने कांग्रेस से उम्मीदवारी ठोंकी है और पिछले दो सप्ताह से दिल्ली और चंडीगढ़ के होटलों में अपने कुछ समर्थकों के साथ डेरा जमाए हुए हैं। पार्टी के बड़े नेताओं की कोठियों के चक्कर काट रहे हैं। चर्चा यह भी है कि ऐसे नेताओं की जेबें भी होटलों के किराये व सहयोगियों पर होने वाले खर्च में खाली होने लगी है। अब वे अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से पैसे का जुगाड़ करने को कह रहे हैं। जहां पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधरों को अपनी टिकट बचानी मुश्किल हो रही है, वहां ऐसे नेताओं की क्या औकात है, फिर भी वे अपने जानकारों व रिश्तेदारों को गुमराह कर रहे हैं कि बस नेताजी से बात हो गई है, उनकी टिकट फाइनल है। उनके नाम की घोषणा होते ही पैसे की कमी भी नहीं होगी, चंदे के रूप में बहुत पैसा इकट्ठा हो जाएगा, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि चंदे में टिकट नहीं मिलता भाई।

जमानत गई तो क्या नाम तो हुआ


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : हरियाणा विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त कराकर घर बैठने वाले नेताओं की संख्या हर बार बढ़ती जा रही है। चुनाव आयोग द्वारा नामांकन की फीस दस गुणा अधिक बढ़ा दिए जाने के बावजूद नेताओं में चुनाव लड़ने का क्रेज कम नहीं हुआ है। गैर कद्दावर, मुद्दाविहीन और चुनाव के मौसम में अचानक प्रकट होने वाले इन नेताओं को जनता ने हर बार बुरी तरह से सबक सिखाया है। निर्दलीय उम्मीदवारों को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो विभिन्न पार्टियों के नेताओं को भी थोक में अपनी जमानतें जब्त करानी पड़ी हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की शुरुआत 1967 में हुई। तभी से नेताओं में चुनाव लड़कर जनता का प्रतिनिधित्व करने की आपाधापी मची हुई है। चुनाव लड़ने वाले तमाम गैर कद्दावर और मुद्दाविहीन नेताओं को जनता ने भी पराजय का स्वाद चखाने में कोई कंजूसी नहीं बरती है। लोगों ने चुनाव में उन्हीं राजनेताओं के प्रति अपना विश्वास जाहिर किया, जिन्हें वह राजनीतिक तौर पर जानते हैं और उनकी नीतियों तथा मुद्दों से इत्तफाक रखते हैं। हरियाणा विधानसभा के प्रत्येक चुनाव में ताल ठोंकने वाले उम्मीदवारों में हालांकि निर्दलीयों की संख्या बहुत ज्यादा रही है, लेकिन विभिन्न पार्टियों के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी तीन से चार अंकों में दर्ज की गई है। विधानसभा चुनाव की शुरुआत के बाद कोई भी उम्मीदवार 500 रुपये की जमानत राशि जमा कराकर पर्चा दाखिल करने में देरी नहीं लगाता था। ऐसे नेताओं की सोच सरकारी कागजों में अपना नाम दर्ज कराकर चर्चा में आने तक सीमित होती थी। उनकी सोच को खारिज करने के उद्देश्य से वर्ष 2000 से जमानत राशि दस गुणा बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर दी गई है। चुनाव आयोग का मानना था कि जमानत राशि बढ़ाने के बाद बिना वजह चुनाव लड़ने वाले नेताओं की संख्या पर रोक लग सकेगी, लेकिन परिणाम चुनाव अधिकारियों की सोच के विपरीत आए हैं। वर्ष 2000 और 2005 के चुनाव में ही 961 आजाद उम्मीदवार मैदान में उतरे तथा 894 की जमानत राशि जब्त हो गई। अकेले निर्दलीय उम्मीदवारों की जब्त यह राशि करीब 45 लाख रुपये बैठती है। निर्दलीय उम्मीदवारों की जब्त जमानत राशि का यदि जिक्र नहीं भी किया जाए तो प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार भी जमानत जब्त कराने में पीछे नहीं रहे हैं। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख पार्टियों के 916 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और उनमें से 86 की जीत हुई जबकि 717 की जमानतें जब्त हो गई। इन नेताओं की जमानत जब्त होने संबंधी राशि करीब 35 लाख रुपये बैठती है। वर्ष 2005 में चुनाव आयोग के खाते में जमा जब्त जमानत राशि 40 लाख रुपये बताई जाती है, जबकि इसमें निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने से आई रकम शामिल नहीं है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला और प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सज्जन सिंह का जोर हालांकि चुनाव खर्च कम करने की तरफ है, मगर निर्दलीय और प्रमुख पार्टियों के नेताओं के चुनाव लड़ने के बढ़ते क्रेज से वह चिंतित भी हैं। सज्जन सिंह का मानना है कि चुनाव व्यवस्थाओं में सुधार किया जा रहा है। आयोग की कोशिश है कि कम खर्च में बेहतर परिणाम ले लिए जाएं। विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1967 में 294 ऐसे उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है, जो निर्दलीय तो नहीं थे, मगर प्रमुख पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों के बैनर तले उन्होंने जीत के लिए जनता के द्वार पर दस्तक दी। वर्ष 1968 में 212, 1972 में 206, 1977 में 466, 1982 में 874, 1987 में 1099 और वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में 134 प्रमुख उम्मीदवारों की जमानत जब्त कर उनकी राशि को चुनाव आयोग के खाते में जमा कराया गया है। वर्ष 1996 के चुनाव में 538, वर्ष 2000 में 717 और वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में 728 उम्मीदवारों को अपनी जमानत राशि जब्त करानी पड़ी है। इनमें निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने का आंकड़ा शामिल नहीं किया गया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक जब जमानत राशि कम थी तब भी और अब राशि अधिक होने के बावजूद दावेदारों में चुनाव लड़ने का क्रेज बरकरार है।

महिला ने दिया तीन बच्चों को जन्म


मानसा( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : जिले के गांव कोटड़ा की 36 वर्षीय एक महिला ने यहां राजीव अस्पताल में एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया है, जिसमें एक लड़का व दो लड़कियां हैं। महिला सुखदीप कौर पहले भी दो लड़कियों की मां है। गरीब परिवार से संबंधित इस परिवार को दो लड़कियों के बाद फिर दो लड़कियां आने की बेहद खुशी है। राजीव अस्पताल मानसा की डा. मोनिका सिंगला ने बताया कि उक्त मां व उसके तीनों बच्चे बिल्कुल तंदरुस्त हैं, जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।उधर, सुखदीप कौर के पति गुरजंट सिंह का कहना है कि इसे परमात्मा का तोहफा समझकर उनकी खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है।

यूजीसी ने दी सीडीएलयू को डेढ़ करोड़ रुपये जारी करने की स्वीकृति

सिरसा( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-

चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय पर यूजीसी की मेहरबानियां अंजाम तक पहुंचती दिखाई देने लगी है। सामान्य विकास सहायता स्कीम के तहत ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस विश्वविद्यालय को डेढ़ करोड़ रुपये जारी करने की स्वीकृति प्रदान की है। यूजीसी द्वारा जारी की जा रही इस अनुदान राशि से चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय का चहुमुखी विकास संभव हो सकेगा और विकास के विविध कार्यो को गति मिल सकेगी।

केंद्रीय अनुदान के लिए यूजीसी की धारा-12बी के तहत सूचीबद्ध होने के उपरांत चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उदारता सामने आने लगी है। आयोग की ओर से इस विश्वविद्यालय को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान जनरल डेवलपमेंट एसिस्टेस स्कीम के तहत डेढ़ करोड़ रुपये की अनुदान राशि की स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे पूर्व चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय को एक करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी। इस तरह विश्वविद्यालय को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतरिम आवंटन की 50 फीसदी की राशि जारी कर दी गई है। इस आशय की पुष्टि करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केसी भारद्वाज बताते है कि आयोग द्वारा मिली स्वीकृति से संदर्भित पत्र मिल गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले कुछ दिनों में आयोग से स्वीकृत राशि विश्वविद्यालय को मिल जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मिल रही सहायता राशि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के चहुंमुखी विकास में सहायक साबित होगी। मालूम हो कि इस विश्वविद्यालय में भवनों के निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर हैं और आशा की जाती है कि यूजीसी की ओर से स्वीकृत राशि निर्माण कार्य को गति प्रदान करेगी।

खंड स्तरीय प्रदर्शनी प्रतियोगिता आयोजित

ओढा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सभागार में खण्ड स्तरीय अध्यापन शिक्षण सामग्री की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का शुभारभ खंड शिक्षा अधिकारी मंजू जायसवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने अध्यापक ग्राट में से प्रभावशाली शिक्षण सामग्री के निर्माण और अध्यापन के समय उनका प्रयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने अध्यापकों द्वारा प्रदर्शनी में उत्साह से भाग लेने के लिए प्रशसा की। प्राचार्य सुभाष फुटेला ने आए हुए अधिकारियों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। प्रदर्शनी में प्रस्तुत मॉडलों का अवलोकन करने के बाद प्राचार्य सुभाष फुटेला, प्राचार्य बलजिन्दर सिंह, हरमेल सिंह, नीरज आहुजा ने सर्वश्रेष्ठ अध्यापक शिक्षा सामग्री को चुना। जिसमें प्राथमिक वर्ग में गणित विषय में जीपीएस जलालआना के हेमराज अरोड़ा को प्रथम, जीपीएस असीर से हरजिंदर सिंह को द्वितीय चुना गया तथा भाषा में तख्तमल स्कूल से मनोहर ने पहला व असीर से रजनी ने दूसरा स्थान पाया। पर्यावरण विषय पर प्रस्तुत प्रदर्शनियों में जीपीएस किंगरा के जोगिन्दरपाल कौर ने प्रथम, पिपली स्कूल से माया देवी ने द्वितीय और पर्यावरण-2 में जीपीएस तिगड़ी के जसपाल व जीपीएस किंगरा के रामअवतार ने पहला व दूसरा स्थान ग्रहण किया। उच्च प्राथमिक वर्ग द्वारा पेश की गई प्रदर्शनियों में भाषा में जीजीएचएस ओढा की अल्का रानी, जीएचएस जगमालवाली की मूर्ति देवी तथा गणित में जीएसएसएस ओढा के रजनीश अरोड़ा, पन्नीवाला मोटा स्कूल से मुरारी लाल और विज्ञान विषय में पिपली स्कूल के मनोज सिंगला, पन्नीवाला मोटा की पायल शर्मा ने क्रमवार पहला दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसी तरह भूगोल में जीएचएस मिठड़ी की सुखवीर कौर ने प्रथम व जीएचएस देसू मलकाना की सुखजीत कौर द्वारा प्रदर्शित मॉडल ने द्वितीय स्थान हासिल किया। विद्यालय में इस आयोजन को सफल बनाने में महावीर मल्हान, रमेश कासल, जोगेन्द्र कुमार व मनोज कुमार आदि ने विशेष सहयोग दिया।

SHARE ME

IMPORTANT -------- ATTENTION ---- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

SITE---TRACKER


web site statistics

ब्लॉग आर्काइव

  © template Web by thepressreporter.com 2009

Back to TOP