सिरसा, 7 अगस्त। सूचना का अधिकार लागू हुए छह साल हो गए हैं मगर अभी तक इस कानून को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं है। यहां तक की देश का प्रमुख विभाग पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) भी इसे लेकर गंभीर नहीं है और वहां भी कानून की उल्लंघना की जा रही है। सिरसा निवासी पवन पारीक एडवोकेट ने पीएमओ कार्यालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि सोनिया गांधी को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष किस आधार पर बनाया गया है तथा परिषद का गठन किस उद्देश्य के लिए किया हुआ है। यह पूरा मामला पीएमओ से संबंधित है, लिहाजा उन्होंने पीएमओ कार्यालय को ही 25 जून को आवेदन किया था। जुलाई माह में पवन पारीक के पास पीएमओ कार्यालय से पत्र आया कि उक्त जानकारी के लिए उनका आवेदन पत्र राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पास भिजवा दिया है और यह कहा कि उक्त जानकारी परिषद की ओर से केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी नई दिल्ली उपलब्ध करवाएगा। इसके उल्ट सलाहकार परिषद ने भी आवेदनकर्ता को एक पत्र भेजा है जिसमें साफ उल्लेख है कि उक्त जानकारी पीएमओ कार्यालय से संबंधित है और वही जानकारी मुहैया करवाएगा। इससे साफ है कि पीएमओ कार्यालय बिना आवेदन को पढ़े ही दूसरे विभाग को अग्रेसित कर देता है जो आरटीआई का उल्लंघन तथा आवेदक को परेशान करने वाला कदम है। उनका कहना है कि पीएमओ कार्यालय ने आरटीआई की धारा 6 (3) का हवाला देकर दूसरे विभाग को आवेदन पत्र स्थानांतरित किया है जबकि इस धारा का प्रयोग करने के क्रम में भारत सरकार, कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 10-2-2008 आईआर दिनांक 12 जून 2008 के तहत जारी किए गए प्रावधानों का अनुपालन किया जाना चाहिए जो कि इस प्रकरण में पीएमओ द्वारा यह अनुपालना नहीं की गई है। अब उन्होंने दोबारा से पीएमओ कार्यालय को पत्र भेजा है जिसमें मांगी गई जानकारी जल्द मुहैया करवाने तथा अन्य किसी विभाग को पत्र हस्तानांतरित न करने की मांग की गई है।
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रविवार, 7 अगस्त 2011
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