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गुरुवार, 14 जनवरी 2010

एक बगावत ने इकट्ठा कर दिए 10 करोड

नईदिल्ली, हाकी इंडिया भले ही एक-एक रुपए के लिए रो रही हो, लेकिन उसके खिलाडि़यों की बगावत ने पांच दिन में दस करोड़ से ज्यादा जमा कर लिए। यह बताता है कि अगर राष्ट्रीय खेल के आका सही सोच और उचित दिशा पर आगे बढ़ें तो हाकी के लिए करोड़ों जुटाने के लिए भी उन्हें यह नहीं कहना पड़ेगा कि हम फीफा और बीसीसीआई की तरह अमीर संस्था नहीं हैं। आज भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और सहारा के एक करोड़ रुपए की मदद देने के बाद बागी खिलाड़ी भले ही हाकी इंडिया के कैंप में वापस हो गए हों, लेकिन हाकी संघ यह स्थिति पैदा न होने से बच सकता था। पांच दिन से बगावत का झंडा बुलंद करने वाले हाकी खिलाडि़यों को सहारा ने तो एक करोड़ की मदद दी ही। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने पांच करोड़ रुपए की मदद की घोषणा की। यही नहीं पंजाब, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने भी खिलाडि़यों को वित्तीय मदद देने का आश्वासन दिया है जो एक-एक करोड़ से कम नहीं होगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी टीम को प्रायोजित करने की इच्छा जाहिर की है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो खुद हाकी इंडिया के अध्यक्ष एके मट्टू को पत्र लिख कर शीर्ष हाकी खिलाडि़यों के वेतन-भत्ते और प्रशिक्षण का व्यय उठाने के लिए कह चुके हैं। हालांकि यह काम हाकी इंडिया के अध्यक्ष को करना चाहिए था। श्री सीमेंट भी टीम को आर्थिक सहायता देने को तैयार है। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी पेशकश की कि पंजाब आगामी विश्व कप के लिए भारतीय हाकी टीम को प्रायोजित करने को तैयार है। लंदन में बसे एक भारतीय डाक्टर ने भी खिलाडि़यों को दस लाख रुपये की मदद की पेशकश की है। बजाज अलियांज ने भी टीम के प्रायोजन के लिए दो करोड़ देने को कहे। शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, सलमा आगा जैसे फिल्मी सितारों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है। यही नहीं जाने-माने कामेडियन भगवंत मान और सुप्रसिद्ध पंजाबी गायक बब्बू मान ने कहा हम देश भर में चैरिटी शो करेंगे।

पवार पर बरसीं महिला मंत्री

नई दिल्ली, लगातार बढ़ रही महंगाई के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार न सिर्फ विपक्ष बल्कि अपने सहयोगियों के बीच भी घिरे हैं। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में गरीबों का समर्थन पाकर सत्ता में आई तृणमूल नेता ममता बनर्जी खासतौर पर आक्रामक दिखीं। जबकि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने भी पवार से जानना चाहा कि आखिर सरकार कर क्या रही है? जबकि आमतौर पर हावी रहने वाले पवार सफाई देते दिखे। महंगाई उनकी जेब पर भले ही भारी न हो, जनता की बेचैनी नेताओं को आशंकित करने लगी है। विपक्ष पूरे देश में आंदोलन की तैयारी कर रहा है। खासतौर पर ममता परेशान हैं। उन्होंने पवार से सवाल पूछ लिया। उन्होंने कहा, महंगाई से लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन तक नहीं मिल रहा है। सरकार को बताना चाहिए कि महंगाई रोकने के लिए क्या किया जा रहा है। कम से कम जनता को दिखना तो चाहिए कि सरकार महंगाई रोकने को प्रयत्नशील है। सुझाव दिया कि आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। अंबिका सोनी ने भी यही सवाल उठाए। बताते हैं कि कुछ दूसरे मंत्रियों ने भी महंगाई पर चुप्पी को गलत बताया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाने तथा जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

बंदिशों संग लौटेगी नेपाली बाला

नई दिल्ली, महाराष्ट्र से नेपाली छात्रा को निर्वासित करने के मामले में गृह मंत्रालय की सख्ती ने कुछ असर दिखाया। महाराष्ट्र सरकार ने नेपाली छात्रा नीतू के निर्वासन का फैसला एक माह के लिए स्थगित कर दिया है। अब वह भारत वापस आकर अपनी पढ़ाई पूरी करेगी, लेकिन उस पर बंदिशें लागू रहेंगी। सूत्रों के मुताबिक, पुणे के फिल्म व टेलिविजन इंस्टीट्यूट की छात्रा नीतू सिंह को मीडिया से बातचीत की अनुमति नहीं होगी। संस्थान के बाहर जाने के लिए उसे अधिकृत लोगों की अनुमति लेनी पड़ेगी। वास्तव में इन सख्त शर्तो के पालन पर ही नीतू को भारत वापसी की अनुमति मिली है। एफटीआईआई के निदेशक को इन सभी शर्तो के पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नीतू सिंह को 5 दिसंबर को महाराष्ट्र सरकार ने उसके देश वापस भेज दिया था। इस बारे में पुणे पुलिस या महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को भी अंधेरे में रखा। महाराष्ट्र सरकार ने आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा मसला बताकर संस्थान व उसके समर्थकों को भी चुप करा दिया था। कई महिला व समाजसेवी संगठनों ने आरोप लगाया था कि नीतू के पति नेपाल की संसद के नामित सदस्य अमरेश सिंह के इशारे पर केंद्र ने यह कदम उठाया है।

महंगाई : मुख्यमंत्रियों से होगा जवाब-तलब

नई दिल्ली,-महंगाई जैसे आम आदमी से जुडे़ मुद्दे पर घटक दलों समेत विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यों को लपेटे में ले लिया। कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने दो टूक कह दिया कि बढ़ती कीमतों के लिए अकेले केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी बराबर की जिम्मेदार हैं। पवार की दलीलों के बाद अंतत: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाने का निर्णय किया, जिसमें महंगाई पर राज्यों की जवाबदेही तय की जाएगी। यह सम्मेलन जनवरी के आखिरी सप्ताह में बुलाया जाएगा। इसमें राज्यों में आवश्यक वस्तु अधिनियम पर अमल और जमाखोरी रोकने जैसे मुद्दों की समीक्षा की जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति की बैठक में चौतरफा घिरे पवार ने थोक व खुदरा मूल्यों में भारी अंतर के लिए राज्यों पर आरोप मढ़े। कहा, दाल व खाद्य तेल पर 10 से 15 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी देने के बावजूद ज्यादातर राज्यों ने उत्साह नहीं दिखाया। सब्सिडी वाला खाद्य तेल बांटने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु और हिमाचल प्रमुख हैं। जबकि आंध्र, बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल में सब्सिडी वाली दालें बेची जा रही हैं। पवार ने कहा जमाखोरी पर पाबंदी लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को आवश्यक वस्तु अधिनियम की शक्ति प्रदान तो कर दी, लेकिन उसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। आवंटित अनाजों को भी राज्य उठाने में हीलाहवाली कर रहे हैं। राज्यों ने आवंटित 20 लाख टन गेहूं में केवल 1.59 लाख टन उठाया है, जबकि 10 लाख टन चावल में 2.9 लाख टन। राशन दुकानों से अधिक से अधिक खाद्यान्न वितरित करने की अपील भी राज्यों से की गई, लेकिन बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना में भी राज्यों ने कोताही बरती है। ऐसे राज्यों के नामों का उल्लेख करते हुए पवार ने केंद्रीय एजेंसियों को सक्रिय करने का ऐलान किया।

हाथी ने सबको रौंदा

लखनऊ, कल यानी 15 जनवरी को बसपा प्रमुख मायावती का जन्म दिन है। उनके लिए इससे बड़ा और कोई तोहफा नहीं हो सकता कि स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनाव में उनकी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल कर ली। बुधवार को जिन 33 सीटों की मतगणना हुई उनमें से 31 सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। सिर्फ दो सीटें ऐसी रहीं जहां उसके प्रत्याशी नहीं जीत पाए। इनमें से एक प्रतापगढ़ है, जहां सपा ने जीत दर्ज की। दूसरी सीट रायबरेली है, जहां कांग्रेस जीती है। भाजपा, रालोद का तो सफाया हो गया। बसपा के लिए इस बड़ी जीत के साथ एक खास बात यह भी है कि विधान परिषद के अंदर सरकार का बहुमत हो गया है। अभी तमाम मौके ऐसे आते थे जब विपक्ष के अड़ जाने की वजह से मतदान होने की स्थिति में विधेयक पारित नहीं हो पाते थे। इससे सरकार की किरकिरी होती थी। सौ सदस्यीय विधान परिषद में बसपा पहली बार बहुमत में आई है। इस सदन में अभी तक बसपा के 22 सदस्य थे। 31 बुधवार को जीत गए। अब बसपा सदस्यों की संख्या 53 हो गई है। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब विधान परिषद का सभापति भी बसपा का होगा। अभी तक इस सदन में सबसे बड़ी पार्टी सपा थी, जिसके 35 सदस्य थे। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में ग्राम प्रधान, ब्लाक पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सभासद, छावनी परिषद के सदस्य, विधान सभा सदस्य, विधान परिषद सदस्य और सांसद वोट डालते हैं। इन सीटों के लिए पिछली बार वर्ष 2003 में चुनाव हुए थे। उस समय मुलायम सिंह की सरकार थी। बसपा ने यह कहते हुए चुनाव नहीं लड़ा था कि मुलायम सरकार में निष्पक्ष चुनाव की कोई उम्मीद नहीं है। तब सपा ने 22 सीटों पर खुद जीत दर्ज की थी और आठ सीटों पर उसके समर्थित उम्मीदवार जीते थे। इस बार बसपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। सपा 33 सीटों पर चुनाव लड़ी। जबकि कांग्रेस ने 21 और भाजपा ने 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। रायबरेली में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर थी। कांग्रेस यह सीट जीत कर अपनी साख बचाने में कामयाब रही। प्रतापगढ़ सीट पर सपा की जीत का श्रेय निर्दलीय विधायक राजा भैया को जाता है। सपा के टिकट पर जीते अक्षय प्रताप सिंह राजा भैया के करीबी हैं। पिछले विधान परिषद के चुनाव में वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के टिकट पर सांसद हो गए, जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस बार वह लोकसभा का चुनाव हार गए तो उन्होंने फिर विधान परिषद की ओर रुख किया। तीन सीटों- अलीगढ़, बुलंदशहर और मेरठ-गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्रों की मतगणना गुरुवार को होगी।

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