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गुरुवार, 9 सितंबर 2010

मोटरसाईकल की चपेट में आने से घायल

डबवाली-पंजाब क्षेत्र बठिण्डा रोड़ पर शौच के लिए जा रहा 50 वर्षीय एक व्यक्ति मोटरसाईकल की चपेट में आने से घायल हो गया। जिसेस्थानीय समाज सेवी संस्था उसे घायलावस्था में स्थानीय राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर उसकी गम्भीर हालत को देखते हुए बेहतर ईलाज के लिए एक निजी हस्पताल में दाखिल करवाया गया। प्राप्त जानकारी अनुसार पंजाब के निकटवर्ती गांव डूमवाली में स्थित सेल टैक्स बैरियर के समीप एक होटल पर कार्यरत कर्मचारी 50 वर्षीय देसराज पुत्र जग्गा ङ्क्षसह बीती रात 10 बजे के करीब शौच जाने हेतु सड़क क्रॉस कर रहा था कि सामने से तेज गति से आ रहे एक मोटरसाईकल चालक ने टक्कर मार दी। जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गया। सूचना मिलते ही डबवाली जनसहारा सेवा संस्था के प्रधान आरके नीना संस्था के सदस्यों सहित ऐम्बूलैंस लेकर घटनास्थल पर पहुंचे और घायल को तुरन्त प्रभाव से उपचार हेतु स्थानीय राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर हड्डी रोग विशेषज्ञ के न होने पर उसे पंजाब क्षेत्र में स्थित डॉ. रमेश कुमार हड्डी रोग विशेषज्ञ के हस्पताल में दाखिल करवाया गया। समाचार लिखे जाने तक उसका ईलाज चल रहा था।

मोटरसाईकल की चपेट में आने से घायल

डबवाली-पंजाब क्षेत्र बठिण्डा रोड़ पर शौच के लिए जा रहा 50 वर्षीय एक व्यक्ति मोटरसाईकल की चपेट में आने से घायल हो गया। जिसेस्थानीय समाज सेवी संस्था उसे घायलावस्था में स्थानीय राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर उसकी गम्भीर हालत को देखते हुए बेहतर ईलाज के लिए एक निजी हस्पताल में दाखिल करवाया गया। प्राप्त जानकारी अनुसार पंजाब के निकटवर्ती गांव डूमवाली में स्थित सेल टैक्स बैरियर के समीप एक होटल पर कार्यरत कर्मचारी 50 वर्षीय देसराज पुत्र जग्गा ङ्क्षसह बीती रात 10 बजे के करीब शौच जाने हेतु सड़क क्रॉस कर रहा था कि सामने से तेज गति से आ रहे एक मोटरसाईकल चालक ने टक्कर मार दी। जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गया। सूचना मिलते ही डबवाली जनसहारा सेवा संस्था के प्रधान आरके नीना संस्था के सदस्यों सहित ऐम्बूलैंस लेकर घटनास्थल पर पहुंचे और घायल को तुरन्त प्रभाव से उपचार हेतु स्थानीय राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर हड्डी रोग विशेषज्ञ के न होने पर उसे पंजाब क्षेत्र में स्थित डॉ. रमेश कुमार हड्डी रोग विशेषज्ञ के हस्पताल में दाखिल करवाया गया। समाचार लिखे जाने तक उसका ईलाज चल रहा था।

फिल्मी पर्दे पर नजर आएगा सिरसा का छोरा

सिरसा, 9 सितंबर। पंजाबी की आने वाली नई फिल्म 'ईक कुड़ी पंजाब दीÓ में सिरसा का छोरा कर्मजीत भी दर्शकों को पर्दे पर नजर आएगा। सिरसा के मूल निवासी निर्माता-निर्देशक मनमोहन सिंह की यह फिल्म का 27 सितंबर को रिलीज हो रही है। इस फिल्म में कर्मजीत की भूमिका एक मस्त मौला व्यक्ति की है। फिल्म में हरियाणवी पहलवान की भूमिका निभाने वाला कर्मजीत सिरसा की हुड्डा कालोनी का निवासी है। कर्मजीत इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित है तथा इसे वह अपने कैरियर की शुरूआत मान रहा है। कर्मजीत बताता है कि उसे अभिनय का शौंक स्कूल टाईम से ही था। उसने स्कूल के अनेक कार्याक्रमों में होने वाले नाटकों में अहम भूमिकाएं निभाई। स्कूलों के संयुक्त कार्याक्रमों में भी कर्मजीत ने अपनी अदाकारी के बलबूते अनेक पुरस्कार जीते व अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। इसके बाद ेवह कालेज में भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा प्राध्यापकों व विद्यार्थियों का चहेता बना रहा। कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने इस शौंक को पूरा करने के लिए मनमोहन सिंह जैसे नामी फिल्मकार की शरण में गया। जिन्होंने कर्मजीत के फिल्मों के प्रति लगाव को देखते हुए उसने और मेहनत करने की प्रेरणा दी। वह इस अशीर्वाद के बाद दिलो जान से अभिनय को समर्पित हो गया तथा और लगाव के साथ फिल्मों के साथ जुड़ गया।
फिल्म 'ईक कुड़ी पंजाब दी' में कर्मजीत को पंजाबी अदाकार अमरेंद्र गिल व गुग्गु गिल जैसे नामी अदाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला है। इस फिल्म के ेवरिष्ठ सह निदेशक दर्शन दरवेेश के बार में कर्मजीत कहता है कि उनसे उसे काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने कर्मजीत को इस लाइन में कार्य करने के नुस्खे भी दिए जिनके बलबूते वह अपनी अदाकारी में और ज्यादा निखार लाने को बेताब है। वह इस फिल्म में मिले चांस के लिए मनमोहन सिंह का तह दिल से आभारी है। उस का कहना है कि उसे मनमोहन सिंह ने जो प्यार व आशीर्वाद दिया है वह उसके लिए सदा आभारी रहेगा।

चित्र : कर्मजीत सिरसा

कलाकार को समाज के हर दु:ख दर्द का आईना बनना चाहिए --बूटा सिंह शाद

डबवाली -प्रसिद्ध हिंदी-पंजाबी फिल्म निर्माता-निर्देशक और नावलकार बूटा सिंह शा का कहना है कि कला के किसी भी माध्यम को अपनाने वाले कलाकार को समाज के हर दु:ख दर्द का आईना बनना चाहिए,ताकि इन दुखों के कारन जान कर उनका निवारण किया जा सके। वे आज स्थानीय जाट धर्मशाला में पंजाबी सत्कार सभा द्वारा आयोजित उन पर करवाए गये रु- ब-रु कार्यकम में बोल रहे थे। कवि हरभजन सिंह रेणु की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा की उन्हें उनकी फिल्मो के श्रोताओं का और लेखक के रूप में पाठकों का अथाह प्यार मिला है और यही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान हैं। सत्तर के दशक में पंजाबी फिल्म कुल्ली यार दी के निर्माण से अपना फि़ल्मी कैरिअर शुरू करने वाले बूटा सिंह शाद ने इस कार्यक्रम में आये श्रोताओं को बताया कि हालाँकि उनका जन्म बठिंडा जिला के गाँव दान सिंह वाला में हुआ है लेकिन उनके परिवार ने पचास के दशक में सिरसा जिला के कुम्थला गाँव में जमीन खरीदी थी तभी से इस धरती से उनका गहरा नाता जुड़ गया। उन्होंने कहा कि लिखने का शौक उन्हें अपने लड़कपन से ही पैदा हो गया था और उनकी पहली कहानी उस समय की प्रसिद्ध साहित्यक पत्रिका आरसी में छपी थी। इसके बाद शुरू हुआ लिखने का यह सिलसिला निरंतर चलता गया। इस क्रम में उनकी कहानियों की चार किताबें प्रकशित हुई और अब तक उनके 25 नावल प्रकाशित चुके हैं और उनका एक नावल रंग तमाशे प्रकाशन के लिए त्यार है.अपने नावल कुत्त्याँ वाले सरदार से प्रसिद्धि के शीर्ष पर पहुँचने वाले बूटा सिंह शाद ने पंजाबी सिनेमा जगत को मित्तर प्यारे नूं ,सच्चा मेरा रूप,धरती साडी माँ,गीद्धा,सैदा जोगन और खालसा मेरा रूप है जैसी फि़ल्में दीं हैं। उन्होंने ने बतोर निर्माता हिंदी की कई व्यावसायिक फिल्मो का निर्माण भी किया है जिनमें निशान,हिम्मत और मेहनत,स्मगलर और पहला पहला प्यार उल्लेखनीय हैं। उन्होंने अपने चालीस साल के फि़ल्मी जीवन के प्रति संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि बेहद सीमित साधनों के बावजूद मुंबई में उनके सभी सपने सच हुए तो इसका कारन उनका जनून ही था जिसने किसी भी अड़चन को उनका रास्ता नही रोकने दिया। उन्होंने कहा कि समय के अनुशासन ने भी उनकी राह को आसान बना दिया. इस कार्यक्रम में श्रोताओं ने अपनी ओर से कई सवाल श्री शाद से पूछे जिनके बहुत सहजता से उन्होंने जवाब दिए। इस अवसर पर पंजाबी सत्कार सभा के पदाधिकारियों ने श्री शाद को स्मृति चिन्ह देकर ओर शाल ओढा कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन पंजाबी सत्कार सभा के प्रधान प्रदीप सचदेवा ने किया जबकि समापन पर महासचिव भूपिंदर पन्निवालिया ने बूटा सिंह शाद ओर श्रोताओ के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सभा के उप प्रधान सुखदेव ढिल्लों,कोषाध्यक्ष प्रभु दयाल,सुतंतर भारती,लाज पुष्प, राजिंदर सिंह बराड़,कर्मजीत सिंह सिरसा,बीर दविंदर सिंह,धर्म सिंह,रुस्तम सैनी,महेंद्र घनघस सहित अनेक पंजाबी प्रेमी उपस्तिथ थे.

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