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शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

एक और हैट्रिक पर हुड्डा की निगाह


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक बनाने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की निगाह अब एक और हैट्रिक पर लगी है। इस हैट्रिक का फर्क बस इतना है कि पहले जीत की तिकड़ी लोकसभा चुनाव में बनाई थी, अब विधानसभा में जीत की यही कहानी दोहराना चाहेंगे। यदि मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव में जीत जाते हैं तो वे प्रदेश के दूसरे ऐसे राजनीतिज्ञ होंगे, जिनके खाते में चुनाव के दोनों संस्करणों (लोकसभा और विधानसभा) में जीत की हैट्रिक दर्ज होगी। लोकसभा व विधानसभा में हैट्रिक बनाने का विरला कारनामा पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल भी कर चुके हैं। बंसीलाल 1980, 1984 व 1989 के लोकसभा चुनाव और 1967, 1968 व 1972 के विधानसभा चुनाव जीतकर तिकड़ी बना चुके हैं। हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद से किलोई हलके में विपक्ष का कुछ ज्यादा ही बोलबाला था। यह भी संयोग ही रहा कि किलोई हलके से जीत की बोहनी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा ने की। इसके बाद लगातार कांग्रेस प्रत्याशी हारते रहे, यह सिलसिला 1991 तक चलता रहा। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णमूर्ति हुड्डा जीते। इसके साथ ही हुए लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से पहली जीत दर्ज की। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1991, 1996 व 1998 के लोकसभा चुनाव में पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल को लगातार तीन बार पटखनी दी थी। वर्ष 2000 व 2005 में हुए उपचुनाव में जीतकर हुड्डा विधानसभा पहंुचे। किलोई उपचुनाव में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने करीब 96 प्रतिशत मत लेकर नया रिकार्ड कायम किया था। नए परिसीमन के बाद किलोई से गढ़ी-सांपला-किलोई बने इस हलके में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने 87 हजार 908 मत हासिल किए थे। इनेलो प्रत्याशी नफे सिंह राठी केवल 10 हजार 99 वोट ले पाए थे। जीत के इसी दौर के बीच 1996 के विधानसभा चुनाव में किलोई और 1999 लोकसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। इनेलो ने इस वीआईपी सीट से नए चेहरे सतीश नांदल को उतारा है। भाजपा, हजकां व बसपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। वैसे, कांग्रेसी पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री को रोहतक विधानसभा से चुनाव लड़ने का न्यौता दे रहे हैं। यह सीट शादीलाल बतरा के राज्यसभा में भेजे जाने के बाद खाली हुई है। यहां कुछ बदलाव होगा, कहना मुश्किल है। फिर भी राजनीति में कुछ भी होने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

हरियाणा के चुनावी दंगल पर एक नजर


अपनों को टिकट की जुगत में दिग्गज

( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
हरियाणा के चुनावी दंगल में ताल ठोकने के लिए न केवल दिग्गजों ने लंगोट कसे हुए हैं, बल्कि वह अपनी धर्मपत्नियों और पुत्रों के साथ-साथ भाइयों के लिए भी टिकट की दमदार पैरवी कर रहे हैं। पत्नी और पुत्रों के लिए टिकट मांगने वाले दिग्गजों की संख्या कांग्रेस में सबसे अधिक है। भाजपा, बसपा और हजकां में एक दर्जन दिग्गज अपने पारिवारिक सदस्यों के लिए टिकट की जंग लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 18 सितंबर से आरंभ होगी। इनेलो और हजकां ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। कांग्रेस समेत बाकी दलों की सूची नामांकन प्रक्रिया के दौरान घोषित होने की उम्मीद है। प्रत्येक पार्टी में इस समय टिकट के लिए मारामारी मची हुई है। कांग्रेस समेत हर दल में दिग्गज जहां खुद के टिकट की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं उनकी कोशिश अपनी पत्नियों, पुत्रों और भाइयों को टिकट दिलाने की है। कांग्रेस दिग्गज अपनी व परिवार के सदस्यों की टिकट के लिए दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की धर्मपत्नी आशा हुड्डा के रोहतक से चुनाव लड़ने की संभावना बताई जा रही है। पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की धर्मपत्नी शक्ति शर्मा अंबाला शहर और पंचकूला से टिकट की दावेदार हैं। कांग्रेस के प्रांतीय कार्यकारी प्रधान कुलदीप शर्मा की पत्नी नीलम शर्मा असंध और करनाल तथा करनाल के सांसद डा. अरविंद शर्मा की पत्नी डा. रीटा शर्मा समालखा से टिकट की दावेदार हैं। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पीवी राठी की पत्नी पूनम राठी गन्नौर से कांग्रेस का टिकट चाहती हैं तो पूर्व मंत्री राजेश शर्मा की पत्नी यमुनानगर में दावेदार हैं। वह राज्य कर्मचारी चयन आयोग की सदस्य भी हैं। फरीदाबाद के कांग्रेस सांसद अवतार सिंह भड़ाना अपनी पत्नी ममता भड़ाना के लिए बड़खल अथवा फरीदाबाद एनआईटी से टिकट चाहते हैं। केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के भाई जगन्नाथ उकलाना से टिकट के दावेदार हैं तो उनके जीजा आईएएस आरके रंगा साढ़ोरा अथवा मुलाना से कांग्रेस की टिकट के इच्छुक बताए जाते हैं। राज्यसभा सदस्य ईश्वर सिंह के पुत्र शाहबाद से टिकट के दावेदार है। पूर्व सांसद आत्मा सिंह गिल की बेटी गुरदीप कौर रतिया से बसपा का टिकट चाहती हैं तो उनके पुत्र परमवीर गिल रतिया से ही कांग्रेस के टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। कांग्रेस में उपमुख्यमंत्री रहे चंद्रमोहन खुद को टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अपनी पत्नी सीमा बिश्नोई के लिए पंचकूला से कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं। हजकां ने सीमा बिश्नोई को अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़वाने की पेशकश की है। हांसी के विधायक अमीरचंद मक्कड़ अपने पुत्र रवींद्र मक्कड़ के लिए टिकट मांग रहे हैं। पूर्व मंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा को अपनी पुत्री सुनीता सेतिया अथवा दामाद राहुल सेतिया के लिए सिरसा से टिकट की उम्मीद में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बादशाहपुर से अपनी पुत्री के लिए टिकट हासिल करने की जुगत में लगे हुए हैं। पूर्व मंत्री संपत सिंह की साली बिमला सांगवान ने नलवा और आदमपुर से कांग्रेस की टिकट मांगी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष फूलचंद मुलाना खुद मुलाना से टिकट के दावेदार हैं। यहां उन्होंने अपने पुत्र वरुण मुलाना का नाम भी चला रखा है। वरुण शाहबाद में भी निगाह टिकाए बैठे हैं। बसपा के प्रांतीय प्रभारी मान सिंह मनहेड़ा की पत्नी सतबीर कौर को नीलोखेड़ी हलके में लाने की तैयारी हो रही है। पूर्व मंत्री जाकिर हुसैन के पुत्र ताहिर हुसैन फिरोजपुर झिरका से बसपा के टिकट के दावेदार हैं। पूर्व मंत्री राव महावीर सिंह के पुत्र राव नरवीर सिंह बादशाहपुर से हजकां की टिकट के दावेदार हैं। पूर्व मंत्री शेर सिंह के पुत्र रवि सिंह साढ़ोरा से बसपा का टिकट चाहते हैं। सोनीपत के कांग्रेस सांसद जितेंद्र मलिक अपने भाई हरेंद्र मलिक के लिए गन्नौर से टिकट की दावेदारी किए हुए हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रतनलाल कटारिया अपनी पत्नी बंतो कटारिया के लिए शाहाबाद से टिकट की जुगाड़ में हैं। हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा की पुत्री माधवी यमुनानगर से बसपा के टिकट की मजबूत दावेदार हैं। पूर्व सांसद स. तारा सिंह ने असंध से अपने पुत्र प्रिंस के लिए इनेलो का टिकट मांगा है। दिवंगत राज्यपाल सूरजभान के पुत्र अरुण कुमार मुलाना से भाजपा के टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई हालांकि खुद आदमपुर से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं, मगर वह अपनी पत्नी रेणुका को नलवा से चुनाव लड़वाने के इच्छुक हैं। यदि रेणुका चुनाव नहीं लड़ी तो कुलदीप अपनी माता जसमा देवी को नलवा अथवा हिसार से चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। कांग्रेस की दिवंगत पूर्व मंत्री करतार देवी के देवर को कलानौर से टिकट दिलाने की जुगाड़ बैठाई जा रही है।

अफसरों को भाई नेतागीरी


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- हरियाणा की राजनीति और चुनाव में अफसरशाही का रुझान बढ़ता जा रहा है। अफसर रिटायर होकर या नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रख रहे हैं। यह दीगर बात है कि अभी तक बहुत कम अफसरों को इसमें कामयाबी मिली है। पहले पहल कृपा राम पूनिया ने राजनीति में मजबूत दस्तक दी। 1987 में देवीलाल कृपा राम पूनिया को आईएएस के पद से इस्तीफा दिलवाकर राजनीति में लाए। तब पूनिया प्रदेश में एक बड़े दलित नेता के रूप में उभरे। पर पूनिया देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह के खेमे में चले गए और पार्टी के संगठन पर देवीलाल के बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला की पकड़ रही। इसके कारण धीरे-धीरे पूनिया राजनीति के हाशिये पर चले गए। वैसे पूनिया से पहले शाम चंद राजनीति में आ गए थे और मंत्री भी बने थे। शामलाल लंदन में स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाते थे। नौकरी छोड़ने के बाद वह 1972 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर बंसीलाल की वजारत में वजीर बने। दिलचस्प बात यह है कि बाद में सोनीपत जिला की बरौदा सीट से शाम लाल को हराकर ही कृपा राम पूनिया ने राजनीति में प्रवेश किया। आईएएस अधिकारी आईडी स्वामी सेवानिवृत्त होने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। स्वामी ने करनाल संसदीय सीट से दो बार चुनाव जीता और वह केंद्र में मंत्री भी बने। हेतराम बैंक अधिकारी का पद छोड़कर और डा.सुशील कुमार इंदौरा डाक्टर का पद छोड़कर राजनीति में आए और दोनों ही सिरसा से सांसद बने। दोनों ही इनेलो के टिकट पर सांसद बने थे पर अब दोनों ही कांग्रेस में हैं। हरियाणा विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष डा.रघुबीर सिंह कादियान 1987 के दौर में देवीलाल के साथ राजनीति में आए। कादियान हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में डाक्टर थे। कादियान भी उन राजनेताओं में से हैं जोकि देवीलाल के छोटे बेटे से रणजीत सिंह के साथ हो लिए थे, पर आखिर उन्हें कांग्रेस में आना पड़ा। नारनौल से निवर्तमान विधायक राधे श्याम शर्मा आबकारी व कराधान विभाग में अधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के बाद वह कांग्रेस से टिकट चाहते थे, पर टिकट न मिलने पर उन्होंने 2005 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। इलाके में उन्हें राधे श्याम डीटीसी के नाम से ही जाना जाता है। एचसीएस अधिकारी बहादुर सिंह ने साल 2000 विधानसभा में जीत हासिल की और वजीर बने। पर अब वे इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आ गए हैं। पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए एच आर स्वान ने दो बार सिरसा संसदीय सीट पर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा। इस समय पूर्व पुलिस महानिदेशक एएस भटोटिया और पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रेशम सिंह भाजपा में हैं। दोनों अफसर भाजपा की चुनाव समिति में हैं। पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र सिंह मलिक, पूर्व आईएएस बी डी ढालिया और आर एस चौधरी इनेलो में हैं और इनेलो में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। डा.केवी सिंह 1987 के दौर में सरकारी नौकरी छोड़कर देवीलाल के ओएसडी बने थे। अब केवी सिंह मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी थे। सिरसा जिला में दड़बा उनका विधानसभा क्षेत्र था जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा था पर हार गए थे। अब डा. के वी सिंह सिरसा जिले के मंडी डबवाली से कांग्रेस के टिकट पर दावा कर रहे हैं। दड़बा सीट नई हदबंदी में बची नहीं और डबवाली सीट अब आरक्षित नहीं रही। एचसीएस अफसर वीरेंद्र मराठा ने नौकरी से इस्तीफा देकर 2004 में एकता शक्ति नाम से राजनीतिक दल बनाया। एकता शक्ति में कई उतार चढ़ाव आए। मराठा ने कई चुनाव लड़े। आखिरकार 2009 के चुनाव में उन्होंने एकता शक्ति का बसपा में विलय कर दिया और करनाल संसदीय सीट से चुनाव लड़ा पर जीत न सके। बसपा से निकाले जाने के बाद आजकल मराठा इनेलो के संपर्क में है। आईएएस अफसर रघुबीर सिंह ने सेवानिवृत्ति के बाद हविपा की टिकट पर टोहाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था पर वह हार गए। रघुबीर सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरपाल सिंह के सगे भाई हैं। केंद्रीय मंत्री सैलजा के जीजा व सेवानिवृत्त आई ए एस आर के रंगा अब कांग्रेस में है और मुलाना या सढौरा विधानसभा सीट से टिकट का दावा कर रहे हैं। हाल ही में सेवानिवृत्त हुए आई ए एस अफसर एचसी दिसौदिया कांग्रेस में हैं और टिकट का दावा कर रहे हैं। सेवानिवृत्त एचसीएस अधिकारी एमएल सारवान भी भी राजनीति में सरगर्म हैं।

सभी दलों को मिलेगा समान समय : सज्जन सिंह


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- भारत के चुनाव आयोग ने हरियाणा राज्य विधानसभा-2009 के आगामी आम चुनावों के लिए प्रसार भारती निगम के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर समान समय देने की योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सज्जन सिंह ने आज यहां बताया कि हरियाणा में केवल राष्ट्रीय पार्टियों और मान्यता प्राप्त राज्य पार्टियों को ही रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारण की सुविधा उपलब्ध होगी। सज्जन सिंह ने कहा कि यह सुविधा आकाशवाणी और दूरदर्शन के क्षेत्रीय केन्द्रों और हरियाणा के मुख्यालय पर तथा राज्य में स्थित अन्य केन्द्रों पर उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्रीय पार्टी और राज्य में मान्यता प्राप्त पार्टी को हरियाणा में दूरदर्शन नेटवर्क और आकाशवाणी के क्षेत्रीय केन्द्रों पर समान रूप से 45 मिनट का समय दिया जाएगा। राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों को विधानसभा चुनावों के लिए एक समान समझा जाएगा। हरियाणा राज्य के पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टियों के प्राप्त मतों के आधार पर पार्टियों को अतिरिक्त समय आबंटित किए जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट के एक सत्र में किसी भी पार्टी को 15 मिनट से अधिक समय आबंटित नहीं किया जाएगा। ब्रॉडकास्ट और टैलीकास्ट का समय नामांकन भरने की अन्तिम तिथि से आरम्भ होकर हरियाणा में चुनावों की तिथि से दो दिन पहले समाप्त होगा। बहरहाल, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के विशेष प्रावधानों के अनुसार मतदान बंद होने के 48 घंटों के दौरान कोई भी टेलीकास्ट या ब्रॉडकास्ट नहीं होगा। प्रसार भारती निगम द्वारा आयोग के परामर्श से ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट की वास्तविक तिथि और समय का निर्णय लिया जाएगा। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उपलब्ध सम्प्रेषण का वास्तविक समय तकनीकी कारणों पर निर्भर होगा। टेलीकास्ट और ब्रॉडकास्ट के लिए आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। पार्टियों को अग्रिम तौर पर पांडूलिपियां और रिकॉर्डिग भेजना अनिवार्य होगा। पार्टियां प्रसार भारती निगम द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले स्टूडियो या दूरदर्शन या आकाशवाणी केन्द्र पर अपनी स्व:लागत पर इसे रिकॉर्ड करवा सकती हैं। वे दूरदर्शन और आकाशवाणी के स्टूडियो में अग्रिम अनुरोध पर इसे रिकॉर्ड करवा सकते हैं। ऐसे मामलों में रिकॉर्डिग दूरदर्शन या आकाशवाणी द्वारा निर्धारित समय पर राज्य की राजधानी में अग्रिम रूप से करवाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पार्टियों द्वारा ब्रॉडकास्ट के अतिरिक्त प्रसार भारती निगम द्वारा दूरदर्शन या आकाशवाणी केन्द्र पर अधिकतम दो पैनल विचार-विमर्श या वाद-विवाद पर आयोजित किए जाऐ। प्रत्येक पार्टी ऐसे एक कार्यक्रम के लिए एक प्रतिनिधि नामांकित कर सकती है। भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रसार भारती निगम के परामर्श से ऐसे पैनल विचार-विर्मशों और वाद-विवादों के लिए समन्वयक ों के नामों को स्वीकृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय वाऊचर प्रत्येक पांच मिनट के गुणज पर उपलब्ध होंगे तथा पार्टियां उन्हें उचित रूप से संघटित करने के लिए स्वतंत्र होगी।

सम्मान दिवस रैली की तैयारी पूरी : अरोड़ा


डबवाली, (डॉ सुखपाल सावंत खेडा ): इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा है कि स्वर्गीय ताऊ देवी लाल के जन्म दिन पर 25 सितंबर को जींद में प्रस्तावित रैली की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। जींद में सफीदो रोड स्थिति हुडा मैदान पर रैली में प्रदेश भर से लाखों लोग हिस्सा लेने आएंगे और पूर्व उप प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। श्री अरोड़ा ने कहा कि आज प्रदेश लूटपाट, भ्रष्टाचार, अपराधों, हत्या, बलात्कार, अपहरण व फिरौती के मामलों में नंबर वन है। प्रदेश का आम नागरिक कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों से बेहद परेशान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इनेलो की सरकार बनने पर बेरोजगार युवकों को सरकारी या गैर सरकारी नौकरी अथवा तीन हजार रुपए महीना बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवकों के लिए नौकरी की आयु सीमा 40 साल से बढ़ाकर 45 साल की जाएगी और प्राइवेट सेक्टर में भी 50 फीसदी नौकरियां हरियाणा के निवासियों के लिए आरक्षित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि आज महंगाई की मार से आम आदमी बेहद परेशान है और गरीब आदमी दो वक्त दाल व रोटी भी नहीं खा सकता। उन्होंने हुड्डा को केवल रोहतक का मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि इस इलाके के युवकों का गला काटकर नौकरियां केवल रोहतक के युवाओं को दी जा रही है।

क्लर्क ने मुंशी को जड़ा तमाचा



डबवाल( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- न्यायालय परिसर में आज उस समय बवाल खड़ा हो गया जब न्यायालय में तैनात कापी क्लर्क द्वारा एक अधिवक्ता के मुंशी को थप्पड़ जड़ दिया। क्लर्क के इस कृत्य से खफा मुंशी एकत्रित हो गए और मामला जब न्यायाधीशों के नोटिस में आया तो कापी क्लर्क द्वारा माफी मागे जाने पर मामला वहीं निपट गया। मिली जानकारी के अनुसार डबवाली बार के वरिष्ठ अधिवक्ता युधिष्ठिर शर्मा का मुंशी रमेश शर्मा किसी मामले में नकल लेने के कापी क्लर्क दविंद्र सिंह के पास गया तो किसी बात को लेकर दोनों में बहस हो गई और जिससे तैश में आकर दविंद्र सिंह ने मुंशी रमेश मेहता को थप्पड़ रसीद कर दिया। मामले की जानकारी मिलने पर बार के सभी मुंशी एकत्रित हो गए और उन्होंने उपरोक्त घटना की कड़ी निंदा की। वहीं इसकी सूचना मिलने पर न्यायाधीश महावीर सिंह और अमरजीत सिंह ने कापी क्लर्क दविंद्र सिंह को अपने कार्यालय में तलब कर लिया। वहीं पर मुंशियों का शिष्टमंडल भी पहुंच गया। मौके पर क्लर्क दविंद्र सिंह द्वारा इस घटना में माफी माग लिए जाने पर मामला वहीं निपट गया। आज न्यायालय परिसर में दिनभर इस थप्पड़ की गूंज सुनाई देती रही। इस विवाद के कारण काफी देर तक वहा पर काम काज सामान्य रूप से नहीं हो पाया।

गबन मामले में चार कर्मचारी और निलंबित


ओढा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- प्राथमिक कृषि सहकारी समिति ओढा के कर्मचारियों द्वारा किसानों से किए लाखों रुपए के गबन का मामला हर दिन नया मोड़ ले लेता है जहा कल पैक्स कर्मचारियों ने 16 किसानों से किए गबन पैसे को उनके खाते में जमा करवा दिया वहीं आज प्रबंधक कमेटी ने कड़ा रुख अपनाते हुए इस मामले में दोषी चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित किए जाने वाले कर्मचारियों में एक क्लर्क और तीन सेल्समैन शामिल है। स्थानीय पैक्स कार्यालय में एक बैठक की गई जिसमें पैक्स प्रबंधक बलबीर सिंह, पैक्स समिति के चेयरमैन दर्शन सिंह, डायरेक्टर विजय कासल, गुरमेल सालमखेड़ा, करनैल सिंह व जगपाल कुण्डर आदि ने भाग लिया। इस बारे में पैक्स प्रबंधक बलबीर सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा दी गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सेल्समैन जगदीश कुमार, मलकीत सिंह, संजय कुमार व क्लर्क सुखदेव सिंह को निलंबित कर दिया है इन कर्मचारियों को आरोप पत्र भी थमाया गया जिसमें किसानों द्वारा लगाए गए आरोप के बारे में जवाब प्रबंधक कमेटी की आगामी बैठक में देंगे। अगर प्रबंधक समिति उनके जवाबों से संतुष्ट होता है तो ठीक है। अन्यथा उनके खिलाफ ओढा थाना में एफ.आई.आर दर्ज करवाई जाएगी। उधर इस मामले में जाच कर रहे नेकी राम ने कहा कि इस कार्रवाई से उनकी जाच पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। उन्हे सौंपी गई अभी जाच जारी है। गौरतलब है कि इस गबन मामले में बैंक मैनेजर मोहन लाल, सेल्समैन दलीप सिंह, दया राम एक अन्य को शुरूआती जाच में ही निलंबित किया जा चुका है। इसी कार्रवाई से बचने के लिए कर्मचारियों ने गत दिन 15 किसानों के खाते में 9 लाख रुपए की राशि जमा करवाई थी जबकि बचे एक किसान की 53 हजार की राशि जल्द जमा करवाने का आश्वासन दिया था।

अभी भी टिकट बंटवारे में उलझी हुई है कांग्रेस


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कल 18 सितंबर से पर्चा भरने का काम शुरू हो जाएगा। हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। पर्चा 25 सितंबर तक भरा जाएगा और 29 सितंबर को नामांकन की आखिरी तारीख है। कांग्रेस, बीजेपी व बसपा अभी भी टिकटों के बंटवारे में उलझी हुई हैं। दूसरी तरफ इनेलो ने 42 और हरियाणा जनहित कांग्रेस ने 26 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनेलो के लिए अपने बाकी प्रत्याशी तय करके उनका ऐलान करना कोई मुश्किल नहीं है पर कांग्रेस में टिकट बंटवारा बड़ी जंग बनी हुई है। हजकां-बीजेपी भी कांग्रेस के टिकट बंटवारे पर नजर गड़ाए हुए हैं। असल में इन्हें उम्मीद है कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस में जबरदस्त बगावत होगी। इन्हीं बागियों में जो मजबूत होंगे, उन्हें हजकां व बीजेपी प्रत्याशी बना सकती हैं। असल में कांग्रेस के लिए टिकट का दावा करने वालों के आवेदनों के चडीगढ़ कांग्रेस मुख्यालय में बोरे भर गए थे। पार्टी ने छंटनी के बाद 885 दावेदारों का पैनल बनाकर भेजा पर अब यह पैनल कहीं नहीं बचा है। सीधे पार्टी में आवेदन करने वालों से कहीं अधिक लोग वे थे, जो सीधे-सीधे पार्टी में अपने आकाओं को बायो डाटा दे रहे थे। इसके अलावा कई बड़े नेताओं ने अपने-अपने नाम दिए हैं। टिकटों का बंटवारे में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर ऊभरी। एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट है तो दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री सैलजा, वित्तमंत्री वीरेंद्र सिंह, खेल मंत्री किरण चौधरी और सांसद राव इंद्रजीत सिंह का गुट है। दोनों धड़े अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकटें दिलवाना चाहते हैं। असल में इसी के आधार पर ये गुट अगले पांच साल की राजनीति करना चाहते हैं। सैलजा तो कह भी चुकी हैं कि इस चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा। सो जो ज्यादा टिकटें ले जाएगा, वहीं मुख्यमंत्री के लिए अपना दबाव बनाने में कामयाब रहेगा। पर सच यह भी है कि कांग्रेस में आला कमान सोनिया का हुक्म सब कुछ होता है। सोनिया ने जिसको आशीर्वाद दिया, कांग्रेस के सभी विधायक भी उसी के साथ होंगे और वहीं राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा। लगता है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची 19 सितंबर तक ही आ पाएगी। कांग्रेस जानती है कि टिकटों के बंटवारे से साथ ही एक धमाका होगा टिकट से वंचित तमाम दावेदार हंगामा करेंगे। कुछ निर्दलीय चुनाव मैदान में आ सकते हैं तो कुछ भीतरघात कर सकते हैं। इधर बीजेपी अपने प्रत्याशी 19 और बीएसपी 21 सितंबर को घोषित करेगी। बीएसपी 20 सितंबर को जींद में आयोजित राज्यस्तरीय रैली में लगी है जिसमें पार्टी सुप्रीमो मायावती हिस्सा लेंगी। बसपा का कहना है कि जो दावेदार रैली में सबसे ज्यादा भीड़ लेकर आएगा, उसी को टिकट दिया जाएगा। इनेलो वाहिद ऐसी सियासी पार्टी है जोकि अपना चुनाव घोषणापत्र भी जारी कर चुकी है और चुनाव प्रचार में भी जुटी है। वैसे टिकट बंटवारे से रुष्ट होकर छोटी-मोटी बगावत इनेलो में भी हुई है। पूर्व मंत्री नरेंद्र शर्मा, कुरुक्षेत्र जिला परिषद के अध्यक्ष मेवा सिंह पार्टी छोड़ चुके हंै। गुल्ला चीका के पूर्व विधायक ने टिकट न मिलने से नाराज होकर अभी पार्टी तो नहीं छोड़ी पर भविष्य की रणनीति तय करने के लिए 20 सिंतबर को सीवन में महापंचायत बुलाई हुई है।

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