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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

दारू सस्ती, रोटी महंगी

डबवाली (सुखपाल) इन दिनों रोटी महंगी और शराब सस्ती है कहा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। पूरे जिला में शराब तस्करी का धंधा अपने पूरे यौवन पर है और शराब की लत पूरी करने वालों को सस्ती व सुलभ ढंग से उपलब्ध हो रही है। शराब तस्करों का फैलता जाल सरकार द्वारा मंजूरशुद ठेकों को जहां प्रभावित कर रहे हैं वहीं सरकार के राजस्व को भी भारी चूना लगा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में देसी शराब मात्र दस रूपए में पव्वा और 40 रूपए की बोतल आसानी से मिल रही है जिसके चलते शराब का सेवन करने वाले अनेक युवक सस्ती के लालच में स्वयं को नशे की गर्त में झोंकने का काम कर रहे हैं वहीं शहर के विभिन्न हिस्सों में तो हर ब्रांड की शराब सस्ती उपलब्ध करवाने का ठेका तस्कर लिए हुए हैं। जिला के हर गली-कूचे में सायं के समय सस्ती शराब बेचने व खरीदने वालों को सरेआम देखा जा सकता है। ऐसे में यदि घर बैठे सस्ती शराब उपलब्ध हो जाए तो शराबी को ठेके तक जाने की आवश्यकता है।
सिरसा जिला राजस्थान व पंजाब की सीमा के साथ सटे होने के कारण शराब का अवैध कारोबार पूरी तरह फल-फूल रहा है। सूत्र बताते हैं कि पंजाब की अपेक्षा राजस्थान की सीमा पर स्थित गांव -कस्बों से देसी व अंगे्रजी शराब की सस्ते दामों पर भारी खेप उपलब्ध होती है और पुलिस से आंख मिचौली खेलते हुए तस्कर अपने कार्य को अंजाम देते हुए भारी मात्रा में शराब गलियों-कूचों में बने गोदामों में भर लेते हैं । गोदामों में भरने के बाद फिर इसमें शुरू होता है मिलावट का काला काम, नशीले कप्सूलों को मिलाकर एक बोतल की अनेक बोतलें बनाई जाती है और फिर यही शराब सस्ती उपलब्ध करवाने का काम किया जाता है। सस्ती शराब खरीदने वालों में अधिकतर रिक्शा चालक व दिनभर देह तोड़ मेहनत-मजदूरी करने वाला एक भारी तबका इसे खरीद कर अपनी शराब की लत को पूरा करता है। मैडिसनयुक्त इस शराब का सेवन करने वाले लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यदि समय रहते इस सस्ती शराब पर अंकुश लगाने का कार्य नहीं किया गया तो किसी दिन यह नशीली शराब किसी बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकती है। इसलिए पुलिस प्रशासन को ऐसी शराब की बिक्री करने वाले तस्करों पर सख्ती शिकंजा कसना चाहिए ताकि गरीब व मजदूर वर्ग इस शराब की भेंट चढऩे से बच सके।

सरकार की मंशा पीडि़त परिवारों को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को लागू करने की नहीं है --अजय सिंह चौटाला

डबवाली4 फरवरी(सुखपाल)14 वर्ष पूर्व डीएवी पब्लिक स्कूल डबवाली के वार्षिक समारोह में अग्रिकांड की भेंट चढ़े व प्रभावित सेंकड़ों लोगों के परिजनों को बिना देरी से मुआवजा देने, पीडि़तों को सरकारी नौकरी देने, उच्च न्यायालय के आदेशों को ज्यों का त्यों लागू करने सहित पीडि़तों की अन्य मांगों को लेकर आज इनेलो ने गांधी चौक पर धरना दिया। धरने का नेतृत्व इनेलो के प्रधान महासचिव व स्थानीय विधायक अजय सिंह चौटाला ने किया। इस धरने में अग्निकाण्ड पीडि़त परिवारों के अलावा डबवाली कस्बे व इस क्षेत्र के लोग भी भारी संख्या में हिस्सा लिया। धरने के माध्यम से हुड्डा सरकार से इस मामले को उच्चतम न्यायालय में न ले जाने, डबवाली में बर्न यूनिट स्थापित करने व पीडि़तों का इलाज करवाने सहित राहत संबंधित अन्य मांगें की गई।धरने का नेतृत्व कर रहे पार्टी के महासचिव अजय सिंह चौटाला ने कहा कि वह अग्रिकांड की भेंट चढ़े लोगों को न्याय दिलवाने के लिए कटिबद्ध हैं और जब तक पीडि़तों को न्याय नहीं मिलता, वह जनता को साथ लेकर संघर्ष को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि यदि हुड्डा सरकार ने पीडि़तों को राहत देने के लिए तुरंत कोई कदम नहीं उठााया तो, इस मामले को विधानसभा में भी उठाएंगे।विधायक अजय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार की मंशा पीडि़त परिवारों को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को लागू कर उन्हें तुरंत राहत करने की नहीं है बल्कि इस मामले को वह सुप्रीम कोर्ट में ले जा कर पीडि़तों को न्याय देने में देरी करने की है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार बिल्कुल ही संवेदनहीन व निष्ठुर हो गई है और मुख्यमंत्री हुड्डा सहित सरकार के लोगो में जरा भी मानवीय भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हुड्डा सरकार मीडिया के माध्यम से योजनाओं का झूठा प्रचार करने पर अरबों रूपये पानी की तरह बहा रही है वहीं, दुनिया के विभत्स अग्रिकांड में एक डबवाली अग्रिकांड के पीडि़तों को मुआवजा राशि देने में रूचि नहीं दिखा रही है। उन्होंने कहा कि डबवाली अग्रिकांड की पिछली बरसी पर स्थानीय कांग्रेसी सांसद व सरकार के अन्य लोगों ने पीडि़त परिवारों के बीच उन्हें तुरंत प्रभाव से मुआवजा दिलवाने, उनका इलाज करवाने व सरकारी नौकरी दिलवाने का वायदा किया था परन्तु इस पर पीडि़तों को राहत प्रदान करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा अब इसे सुप्रीम कोर्ट में लेजाकर लटका रही है।उन्होंने कहा कि इस अग्रिकांड में बच्चों, महिलाओं सहित कुल 446 लोगों की दुखद मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि पीडि़त परिवार 14 वर्ष बाद भी इस सदमे से नहीं उबर पाए हैं और अपने इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। विधायक ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल 9 नवम्बर, 2009 को दिए गए फैसले अनुसार अग्निकाण्ड से पीडि़त लोगों को दिए जाने वाले मुआवजे का 45 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और बाकी 55 फीसदी हिस्सा सम्बन्धित राजीव मैरिज पैलेस व डीएवी ग्रुप द्वारा अदा किया जाना है। इस मुआवजे की अदायगी अदालती आदेशों के चार महीने के भीतर की जानी है। उन्होंने कहा कि 14 साल पहले हुए इस हादसे से प्रभावित लोगों व उनके परिवारों को अदालती आदेश के बाद मुआवजा मिलने की उम्मीद बनी है लेकिन हुड्डा सरकार अदालत के फैसले का सम्मान करने और प्रभावित लोगों को तुरन्त मुआवजा राशि देकर उनके घावों पर मरहम लगाने की बजाय इस मामले को लटकाने के लिए एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में लगी हुई है।
उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार को इस मामले में तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने की बजाय मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और पीडि़तों के जख्मों पर मरहम लगाते हुए न सिर्फ तुरन्त मुआवजा का भुगतान करना चाहिए बल्कि डबवाली में बर्न यूनिट व फिजियोथैरेपी सेंटर स्थापित करने और अग्निकाण्ड से पीडि़त बच्चों व उनके परिवारों के पुनर्वास का बन्दोबस्त करते हुए उन्हें सरकारी विभागों में पहल के आधार पर नौकरियां भी देनी चाहिए ताकि वे अपना जीवनयापन कर सकें। उन्होंने कहा कि डबवाली के विधायक होने के नाते वे पूरी तरह से अग्निकाण्ड पीडि़तों व उनके परिवारों के साथ हैं और उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा घोषित किया गया मुआवजा दिलवाने के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगे। इस धरने में पूर्व विधायक डा. सीताराम, जिला प्रधान पदम जैन, राधेराम गोदारा, नरेंद्र बराड़, डा. गिरधारी लाल, सरदार जगरूप सिंह, रणबीर राजा,आशा वाल्मीकि, टेकचंद छाबड़ा, सर्वजीत सिंह मसीतां, कुलदी जम्भू, महावीर सहारण, अजनीश बिश्रोई प्रहलाद सिंह, गुरजीत सिंह एमसी, लवलीकांत मेहता, सुखविंद्र सिंह एमसी, सरेंद्र छिंदा, एमसी, दर्शन मांगेा, काली मिढा, जगत सिंह बराड़, राजा पेंटर, संदीप सन्नी, मास्टर अमृतलाल, अजमेर सिंह, धेलाराम, भूपेंद्र सिंह, स्वर्णसिंह, बलराज सिंह सहित भारी संख्या में नगरवासी शामिल हुए।

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