डबवाली (सुखपाल) इन दिनों रोटी महंगी और शराब सस्ती है कहा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। पूरे जिला में शराब तस्करी का धंधा अपने पूरे यौवन पर है और शराब की लत पूरी करने वालों को सस्ती व सुलभ ढंग से उपलब्ध हो रही है। शराब तस्करों का फैलता जाल सरकार द्वारा मंजूरशुद ठेकों को जहां प्रभावित कर रहे हैं वहीं सरकार के राजस्व को भी भारी चूना लगा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में देसी शराब मात्र दस रूपए में पव्वा और 40 रूपए की बोतल आसानी से मिल रही है जिसके चलते शराब का सेवन करने वाले अनेक युवक सस्ती के लालच में स्वयं को नशे की गर्त में झोंकने का काम कर रहे हैं वहीं शहर के विभिन्न हिस्सों में तो हर ब्रांड की शराब सस्ती उपलब्ध करवाने का ठेका तस्कर लिए हुए हैं। जिला के हर गली-कूचे में सायं के समय सस्ती शराब बेचने व खरीदने वालों को सरेआम देखा जा सकता है। ऐसे में यदि घर बैठे सस्ती शराब उपलब्ध हो जाए तो शराबी को ठेके तक जाने की आवश्यकता है।
सिरसा जिला राजस्थान व पंजाब की सीमा के साथ सटे होने के कारण शराब का अवैध कारोबार पूरी तरह फल-फूल रहा है। सूत्र बताते हैं कि पंजाब की अपेक्षा राजस्थान की सीमा पर स्थित गांव -कस्बों से देसी व अंगे्रजी शराब की सस्ते दामों पर भारी खेप उपलब्ध होती है और पुलिस से आंख मिचौली खेलते हुए तस्कर अपने कार्य को अंजाम देते हुए भारी मात्रा में शराब गलियों-कूचों में बने गोदामों में भर लेते हैं । गोदामों में भरने के बाद फिर इसमें शुरू होता है मिलावट का काला काम, नशीले कप्सूलों को मिलाकर एक बोतल की अनेक बोतलें बनाई जाती है और फिर यही शराब सस्ती उपलब्ध करवाने का काम किया जाता है। सस्ती शराब खरीदने वालों में अधिकतर रिक्शा चालक व दिनभर देह तोड़ मेहनत-मजदूरी करने वाला एक भारी तबका इसे खरीद कर अपनी शराब की लत को पूरा करता है। मैडिसनयुक्त इस शराब का सेवन करने वाले लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यदि समय रहते इस सस्ती शराब पर अंकुश लगाने का कार्य नहीं किया गया तो किसी दिन यह नशीली शराब किसी बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकती है। इसलिए पुलिस प्रशासन को ऐसी शराब की बिक्री करने वाले तस्करों पर सख्ती शिकंजा कसना चाहिए ताकि गरीब व मजदूर वर्ग इस शराब की भेंट चढऩे से बच सके।
सिरसा जिला राजस्थान व पंजाब की सीमा के साथ सटे होने के कारण शराब का अवैध कारोबार पूरी तरह फल-फूल रहा है। सूत्र बताते हैं कि पंजाब की अपेक्षा राजस्थान की सीमा पर स्थित गांव -कस्बों से देसी व अंगे्रजी शराब की सस्ते दामों पर भारी खेप उपलब्ध होती है और पुलिस से आंख मिचौली खेलते हुए तस्कर अपने कार्य को अंजाम देते हुए भारी मात्रा में शराब गलियों-कूचों में बने गोदामों में भर लेते हैं । गोदामों में भरने के बाद फिर इसमें शुरू होता है मिलावट का काला काम, नशीले कप्सूलों को मिलाकर एक बोतल की अनेक बोतलें बनाई जाती है और फिर यही शराब सस्ती उपलब्ध करवाने का काम किया जाता है। सस्ती शराब खरीदने वालों में अधिकतर रिक्शा चालक व दिनभर देह तोड़ मेहनत-मजदूरी करने वाला एक भारी तबका इसे खरीद कर अपनी शराब की लत को पूरा करता है। मैडिसनयुक्त इस शराब का सेवन करने वाले लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यदि समय रहते इस सस्ती शराब पर अंकुश लगाने का कार्य नहीं किया गया तो किसी दिन यह नशीली शराब किसी बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकती है। इसलिए पुलिस प्रशासन को ऐसी शराब की बिक्री करने वाले तस्करों पर सख्ती शिकंजा कसना चाहिए ताकि गरीब व मजदूर वर्ग इस शराब की भेंट चढऩे से बच सके।