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शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

महिला को काम दिलवाने के बहाने लाए और बंधुआ बनाकर छोड़ गए


डबवाली-आसाम से काम दिलवाने के बहाने पहले दिल्ली फिर डबवाली लाई गई एक आदिवासी युवती को काम तो मिला लेकिन पगार नहीं मिली। पगार की जगह उसे मालिकों की गालियां दुत्कार ही मिलती रही। दरअसल जिन लोगों ने इस युवती को काम दिलवाया वही लोग धोखेबाज निकले और युवती को बंधुआ बनाकर मालिकों से पैसे ऐंठ कर चलते बने और युवती अनजान लोगों के यहां सब कुछ सहन करते हुए भी काम करती रही। करीब साढ़े 6 माह तक इधर-उधर भटकने के बाद इस युवती को डबवाली की एक सामाजिक संस्था का सहारा मिला और यह युवती अपने घर वापिस लौट रही है। डबवाली की सामाजिक संस्था सहारा जनसेवा के प्रधान आरके नीना को शुक्रवार सुबह किसी ने सूचना दी कि बठिंडा चौक पर एक महिला बदहवासी की स्थिति में बैठी है। सूचना मिलने पर श्री नीना ने इस युवती से संपर्क किया तो पता चला कि इस युवती का नाम मारिया गुरूति है और वह आसाम के आदिवासी इलाके में जिला सुनीतपुर के गांव सुनाबिल मलीजा की रहने वाली है। मारिया ने आरके नीना को अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाई। मारिया के मुताबिक करीब 6 माह पहले उसके गांव के ही पड़ोसी गांव की एक महिला रीता उसका पति रणजीत उसे काम दिलवाने के बहाने दिल्ली लेकर आए थे।
मारिया के मुताबिक उसके 4 बच्चे हैं और गरीबी की वजह से उसने दिल्ली में काम करना स्वीकार कर लिया। वह रीता और रणजीत के भरोसे पर अकेली ही काम के लिए दिल्ली आ गई। यहां रीता व रणजीत ने उसे एक दफतर में सेवादार के तौर पर काम पर रखवा दिया। इस दफ्तर में मारिया से 5 महीने तक काम करवाया गया लेकिन उसे एक भी पैसा नहीं दिया। काम पर रखवाने वाले रीता व रणजीत भी बाद में उसकी सुध लेने नहीं आए।
इस जगह पर काम करते हुए मारिया बिहार के एक युवक सुरेश के संपर्क में आई। मारिया के मुताबिक सुरेश ने उसे इस दफ्तर से छुटकारा दिलवाने व अच्छा काम दिलवाने का वायदा किया और उसे अपने साथ डबवाली इलाके में ले आया। मारिया के मुताबिक यहां सुरेश उसे एक गांव में ले गया और किसी घर में नौकरानी के तौर पर काम पर लगा दिया।
मारिया के मुताबिक सुरेश भी धोखेबाज निकला और उसे नौकरानी रखवाने के एवज में मालिकों से पैसे लेकर चलता बना। मारिया के मुताबिक इस घर में उससे नौकरानी का काम बड़ी बेरहमी से लिया जाने लगा और बदले में एक पैसा भी नहीं दिया गया। घर में उसके साथ कई बार मारपीट की गई और अक्सर उसे गंदी-गंदी गालियां दी जाती थी। मारिया को तो इस गांव व इलाके की कोई जानकारी नहीं थी लेकिन मालिक के व्यवहार से तंग आकर उसने यहां से निकलने का इरादा जरूर बना लिया। मारिया के मुताबिक शुक्रवार अल सुबह वह इस घर से भाग निकली और सड़क पर पहुंच कर एक टैम्पो में बैठकर डबवाली शहर पहुंच गई। मारिया डबवाली तो पहुंच गई लेकिन न तो कोई उसका अपना था और न ही उसके पास पैसे थे कि वो अपने गांव लौट जाए। मारिया जब बठिंडा चौक में अपने भविष्य की चिंता में बैठी कुछ सोच रही थी तभी सहारा जनसेवा के प्रधान आरके नीना यहां उसका सहारा बन कर आ पहुंचे।
श्री नीना के मुताबिक उन्होंने इस युवती की दर्दभरी दास्तां सुनने के बाद वह उसे थाना शहर में ले गए। थाना प्रभारी महा सिंह रंगा ने जब इस युवती से पूछताछ की तो वह उस गांव उन लोगों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाई जिन्होंने उसकी मजबूरी का लाभ उठाकर उससे मुफ्त में मजदूरी करवाई।
इस युवती ने थाना प्रभारी से गुहार लगाई कि उसे किसी तरह उसके परिवार के पास आसाम में पहुंचा दिया जाए। श्री नीना के मुताबिक थाना प्रभारी महा सिंह रंगा ने इस युवती की 1500 रूपए देकर आर्थिक मदद की और सहारा जनसेवा को यह दायित्व सौंपा कि वे युवती को आसाम उसके घर भेजने का इंतजाम करें। इसके बाद इस युवती को अवध-असम एक्सप्रैस से आसाम भेजने का प्रबंध किया गया। इस प्रकार कई महीनों तक बंधुआ मजूदर के रूप में काम करने वाली मारिया अब अपने बच्चों व परिवार के पास पहुंच जाएगी।

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