नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीती रात अपने सांसदों को खाने पर आमं
त्रित किया। महिला आरक्षण बिल के खिलाफ कांग्रेस में उठी विरोध की आवाजों के चलते इस मौके को सोनिया की डिनर कूटनीति मानी गई, मगर बिल का विरोध कर रहे किसी सांसद को उन्होंने मनाने की कोशिश नहीं की। यह मात्र मेल-मिलाप जैसा माहौल था, मगर इसके पीछे जो संदेश था वह सबको समझ में आ रहा था। गौरतलब है कि गुरूवार को कांग्रेस के किशनगंज के सांसद मोहम्मद असरार-उल-हक ने बगावती तेवर अपनाते हुए साफ कहा था कि वह महिला आरक्षण बिल की मौजूदा शक्ल के खिलाफ हैं और अपना यह संदेश सोनिया गांधी तक पहुंचाएंगे। मगर उनके स्वरों का इस मौके पर कोई प्रभाव नजर नहीं आया।
सूत्रों ने बताया कि यह मौका सिर्फ खाने और मेलमिलाप तक ही सीमित रहा और इसमें महिला आरक्षण बिल को लेकर कोई बात ना तो नाराज सांसदों ने की और ना ही आलाकमान ने। खास बात यह रही कि सोनिया ने डिनर में मंत्रियों और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के साथ सांसदों के संबंधी भी शामिल थे। इससे पहले गुरूवार को कांग्रेस ने बिल पर कुछ नरम रूख अख्तियार कर लिया था। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक के बाद साफ कर दिया गया था कि बिल पेश करने से पहले सबसे राय-मशविरा लिया जाएगा। बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी, पी. चिदंबरम भी मौजूद थे। सरकार को 16 मार्च को खत्म हो रहे बजट सत्र के पहले दौर में ही हर हाल में वित्त विधेयक पास कराना है। इसके लिए लोकसभा की कार्यवाही का चलते रहना जरूरी है। वित्त विधेयक पास करवाने के बाद सरकार के पास नाराज पार्टियों को मनाने और बीच का रास्ता निकालने का पर्याप्त समय मिलेगा। सोनिया गांधी का निजी एजेंडा बन चुके महिला आरक्षण बिल को सरकार ज्यादा दिन नहीं लटका पाएगी, मगर कांग्रेसी सांसदों की मुखर होती आवाजें सरकार के सामने नई चुनौती बनकर उभरी है, जिससे निपटने में कई मुश्किलों का सामना करना प़डेगा।

सूत्रों ने बताया कि यह मौका सिर्फ खाने और मेलमिलाप तक ही सीमित रहा और इसमें महिला आरक्षण बिल को लेकर कोई बात ना तो नाराज सांसदों ने की और ना ही आलाकमान ने। खास बात यह रही कि सोनिया ने डिनर में मंत्रियों और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के साथ सांसदों के संबंधी भी शामिल थे। इससे पहले गुरूवार को कांग्रेस ने बिल पर कुछ नरम रूख अख्तियार कर लिया था। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक के बाद साफ कर दिया गया था कि बिल पेश करने से पहले सबसे राय-मशविरा लिया जाएगा। बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी, पी. चिदंबरम भी मौजूद थे। सरकार को 16 मार्च को खत्म हो रहे बजट सत्र के पहले दौर में ही हर हाल में वित्त विधेयक पास कराना है। इसके लिए लोकसभा की कार्यवाही का चलते रहना जरूरी है। वित्त विधेयक पास करवाने के बाद सरकार के पास नाराज पार्टियों को मनाने और बीच का रास्ता निकालने का पर्याप्त समय मिलेगा। सोनिया गांधी का निजी एजेंडा बन चुके महिला आरक्षण बिल को सरकार ज्यादा दिन नहीं लटका पाएगी, मगर कांग्रेसी सांसदों की मुखर होती आवाजें सरकार के सामने नई चुनौती बनकर उभरी है, जिससे निपटने में कई मुश्किलों का सामना करना प़डेगा।