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बुधवार, 7 अप्रैल 2010

महिला बिल लोकतंत्र के लिए खतरा

सहारनपुर: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि महिला आरक्षण बिल लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने महिला विधेयक को मुसलमानों का वजूद मिटाने की साजिश करार देते हुए कहा, हम महिला आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस बिल से गांव देहात की पिछड़ी व मुस्लिम महिलाएं कभी संसद नहीं जा सकतीं। सिर्फ धनाढ्य परिवार की महिलाओं को ही इसका लाभ होगा। मुलायम सिंह ने मंगलवार को यहां एक सम्मेलन और पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक की आड़ में महंगाई का मुद्दा ही दबा दिया है। उन्होंने कहा, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस बिल का विरोध कर प्रशंसनीय काम किया है। सपा प्रमुख ने कहा, सूबे की हालत बेहद चिंताजनक है। देश के सबसे बड़े राज्य उप्र में एक ऐसी सरकार आई है, जिसने पूरे समाज को अलग-थलग करने की कोशिश की है। लोकतंत्र को खत्म करने वाली इस सरकार में एक लाख से ज्यादा लोगों को झूठे मुकदमों में जेल भेजा गया है।

शिक्षा अधिकार पर दबाव में केंद्र सरकार

नई दिल्ली-शिक्षा का अधिकार पर राज्यों के तेवर से केंद्र सरकार दबाव में दिखाई देने लगी है। सरकार की मुश्किल से जमीनी हकीकत पर उतारना है। इसमें सबसे बड़ी मुश्किल वित्तीय प्रबंधन है। केंद्र जहां इसका बड़ा जिम्मा राज्यों पर थोपना चाहता है वहीं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे गैर संप्रग राज्यों की ओर से सौ फीसदी केंद्रीय मदद की मांगें उठने लगी हैं। दबी जुबान संप्रग शासित राज्यों में भी सुगबुगाहट के बाद मानव संसाधन मंत्रालय नए सिरे से वित्तीय समीकरण तय करने पर विचार करने लगा है। शिक्षा के अधिकार को लागू कर केंद्र सरकार ने अपनी पीठ तो थपथपा ली पर राज्यों ने साफ कर दिया है कि सूबे के संसाधन पर केंद्र इसका श्रेय आसानी से नहीं ले पाएगा। गौरतलब है कि केंद्र ने शिक्षा के अधिकार के लिए होने वाली तैयारियों पर राज्य और केंद्र के बीच 55:45 फीसदी वित्तीय भार वहन करने का प्रस्ताव रखा था। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती हों या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्होंने दूसरे ही दिन साफ कर दिया कि वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक सरकार भी उनके साथ खड़ी नजर आई। अपने सीमित संसाधन का हवाला देते हुए उन्होंने केंद्र से इसका पूरा भार उठाने को कहा है।

सकते में आया केंद्र बदलेगा रणनीति

नई दिल्ली-दंतेवाड़ा के नक्सली हमले में 76 जवानों को गंवाने के बाद सकते में आई केंद्र सरकार अब संयुक्त अभियान की रणनीति बदलने पर विचार को मजबूर हो गई है। आंतरिक सुरक्षा तंत्र को मानना पड़ा कि नक्सलियों के खिलाफ इस ऑपरेशन में खामी के चलते जवानों को जान से हाथ धोना पड़ा। अब तक के सबसे बड़े नक्सली हमले के बाद केंद्र सरकार को सख्त कार्रवाई का संकेत देने में ही छह घंटे से ज्यादा लग गए। प्रधानमंत्री निवास पर हुई राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद ही केंद्र सरकार नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने का ऐलान कर सकी। नक्सलियों के अब तक के सबसे बड़े हमले के बाद देश का पूरा आंतरिक सुरक्षा तंत्र ही नहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय भी सकते में आ गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम को फोन कर घटना की पूरी जानकारी ली। इसके बाद शाम को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक भी हुई, हालांकि बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि बैठक पहले से निर्धारित थी और इसमें चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचा तैयार करने पर चर्चा हुई, लेकिन इस बैठक के बाद ही केंद्र सरकार नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक तेवरों में दिखाई पड़ी। बैठक के बाद गृह सचिव जीके पिल्लै ने दो टूक कहा कि सरकार इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देगी। नक्सली हत्यारे हैं और उन पर किसी तरह की मुरव्वत नहीं की जाएगी। गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, थल व वायु सेना अध्यक्ष और सुरक्षा सलाहकार सहित वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक से पहले गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री व अधिकारियों से बात कर इस संयुक्त अभियान में चूक की बात स्वीकारी। इस घटना के बाद सरकार संयुक्त अभियान की मौजूदा रणनीति पर दोबारा विचार करने को मजबूर हो गई है। सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद गृह सचिव जीके पिल्लै ने इस तरफ इशारा भी किया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में कोई बड़ी चूक हुई है, जिसके चलते हमें इतने जवानों से हाथ धोना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त अभियान को ज्यादा अचूक बनाने के लिए केंद्र अब हथियारों के साथ-साथ सर्विलांस उपकरणों पर ज्यादा जोर देगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नक्सल विरोधी अभियान में शामिल बलों के पास हथियारों की कमी नहीं है। जरूरत सर्विलांस सिस्टम को और मजबूत बनाने की है। इसके तहत साउंड सेंसर, नाइट विजन उपकरण, इंफ्रारेड डिवाइस जैसे साजो-सामान से सुरक्षा बलों को लैस किया जाएगा। फिलहाल नक्सल विरोधी अभियान में लगे सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। पीएमओ के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहन को इस घटना से गहरा दु:ख व आघात पहुंचा है।

फिल्मों में आजकल अशीलता व नग्रता परोसी जा रही है -मेहर मित्तल

डबवाली- पंजाबी व हिन्दी फिल्मों में आजकल अशीलता व नग्रता परोसी जा रही है। इसलिए दर्शक फिल्मों से दूर होते जा रहे हैं। यह बात आज यहां प्रजापति ब्रह्मकुमार ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित गीता पाठशाला में योगीराज सूर्य प्रकाश के साथ पहुंचे पंजाबी फिल्मों के प्रख्यात हास्य कलाकार मेहर मित्तल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने बताया कि अपने 35 वर्षों के लम्बे कार्यकाल के दौरान 200 से अधिक फिल्मों में अभिन्य कर चुकें हैं तथा पिछले दिनों अपनी अन्तिम फिल्म की शूङ्क्षटग पूरी करके फिल्मों को अलविदा कह चुके हैं। श्री मित्तल इन दिनों ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर अध्यात्मिक प्रचार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्मों में अभिन्य के लिए फिल्मों का सबसे सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहेब फाल्के आवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि फिल्मों की लाईफ बड़ी चकाचौंध भरी है, दूर से यह बड़ी आसान नज़र आती है परन्तु हकीकत में बहुत मुश्किल है। उन्होंने इस चकाचौंध भरी लाईफ में कभी भी मास-मदिरा का सेवन नहीं किया। तदोपरान्त मेहर मित्तल ने गीता पाठशाला में उपस्थित संगतों को अपने अध्यात्मिक प्रवचनों से मन्त्र मुग्ध कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपने अन्दाज में हास्य चुटकले सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। इस अवसर पर नामधारी ऑटो स्पेयर पार्टस के संचालक दरिया ङ्क्षसह नामधारी ने भी उनसे मुलाकात की।

नक्सलियों ने भेदा खुफिया तंत्र

नई दिल्ली -नक्सलियों ने अब तक के सबसे बड़े इस हमले के लिए शिकंजा भी बेहद अचूक तैयार किया था। उन्होंने सुरक्षा बलों के खुफिया तंत्र में घुसपैठ कर उस इलाके में नक्सल ट्रेनिंग कैंप चलने की झूठी सूचना भिजवाई। कार्रवाई के लिए जब सुरक्षा बल पहुंचे तो उन पर तीन तरफ से घात लगा कर जबर्दस्त हमला किया गया। सुरक्षा बलों के खुफिया नेटवर्क में नक्सलियों की घुसपैठ कितनी तगड़ी थी, इस बात का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि वहां उपलब्ध सारी फोर्स इस सूचना पर कार्रवाई के लिए निकल पड़ी। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ऐसी सूचना पर फौरी कार्रवाई तभी होती है, जब सूत्र बहुत पुराना और विश्वसनीय हो। इसके बावजूद इतने बड़े अभियान पर निकलने से पहले उसे दूसरे सूत्रों से भी पक्का किया जाता है। इसलिए लगता है कि नक्सलियों ने वहां के सरकारी खुफिया नेटवर्क में बहुत जोरदार पैठ बनाई थी। सीआरपीएफ की डेढ़ कंपनी हमले के इरादे से निकल पड़ी। नक्सलियों की कामयाबी में कुछ योगदान वहां मौजूद सुरक्षा बलों की ओर से लिया गया रणनीतिक फैसला भी हो सकता है। ऐसे ऑपरेशन को संचालित करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आम तौर पर अभियान में शामिल सारे लोग एक साथ किसी जगह नहीं जाते। जबकि नक्सलियों ने जिस जगह सुरक्षा बलों को घेरकर मारा वह तीन तरफ से ऊंची पहाडि़यों से घिरा मैदान जैसा इलाका था। लिहाजा सुरक्षा बलों को पलटवार का कोई मौका भी नहीं मिल पाया। ऐसे में सुरक्षा बलों के पास सिर्फ छुपकर खुद को बचाना ही एकमात्र चारा था। जवानों ने पेड़ की ओट ली, लेकिन नक्सलियों ने वहां पहले से ही प्रेशर माइंस लगाई हुई थीं। ज्यादातर मौतें इन प्रेशर माइंस के फटने से हुईं। यह हमला नक्सलियों के बेहतर खुफिया तंत्र और गुरिल्ला रणनीति के साथ ही आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल में बढ़ती उनकी महारथ के संकेत दे रहा है। इस हमले में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग रोधी गाड़ी (एमपीवी) को भी उड़ा दिया। गृह मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि नक्सलियों की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाला ऐसा दस्तावेज हाल ही में बरामद किया गया था जिसमें एमपीवी उड़ाने की तकनीक समझाई गई है, लेकिन यहां उन्होंने इस तकनीक का इस्तेमाल भी कर दिखाया। इस तकनीक में एमपीवी को उड़ाने के लिए काफी बड़ी मात्रा में विस्फोटक की जरूरत होती है।

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