
पाकिस्तान के क़बायली इलाक़े दक्षिण वज़ीरिस्तान में तालेबान विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सेना के अभियान के कारण वहाँ मानवीय संकट का ख़तरा पैदा हो गया है. सेना का दावा है इस संघर्ष में अब तक 78 तालेबान लड़ाके मारे गए हैं.
रिपोर्टों के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान के साथ सटी पाकिस्तान की सीमा पर डेरा इस्माइल ख़ान शहर में एक लाख लोग एकत्र हो गए हैं. ये संघर्ष के कारण विस्थापित हुए आम नागरिक हैं.
पाकिस्तान के उस इलाक़े में कड़ाके की सर्दी पड़ती है और प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने अंतरराष्ट्रीय मदद का अनुरोध किया है.
एक संवाददाता का कहना है कि शरणार्थियों की लंबी कतारें लगीं है और लोग प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष अपने नाम का पंजीकरण करवा रहे हैं.
लेकिन जहाँ कुछ रिपोर्टों के अनुसार उन्हें किसी भी तरह की राहत उपलब्ध नहीं कराई गई है और वे स्थानीय लोगों पर आश्रित हैं वहीं सरकार का दावा है कि विस्थापितों का पंजीकरण हो रहा है और उन्हें तत्काल राशन भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
'तालेबान के 78 लड़ाके मारे गए'
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अथर अब्बास का कहना है, "सैनिक उस इलाक़े में सफल अभियान चला रहे हैं....ये इलाक़ा पाकिस्तान में आतंकवादी समस्या का केंद्र है...सेना इस इलाक़े में लगभग 12 किलोमीटर अंदर पहुँच गई है."
पाकिस्तानी सेना का दावा है कि अब तक के संघर्ष में 78 चरमपंथी और नौ सैनिक मारे गए हैं. लेकिन इन दावों की स्वतंत्र सूत्रों से पुष्टि नहीं हुई है.
सुरक्षाबलों ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एंगल माल के पहाड़ों पर नियंत्रण कायम करने का दावा भी किया है.
दूसरी तरफ़ तालेबान का दावा है कि अब तक की लड़ाई में उसका कोई लड़ाका मारा नहीं गया है.
दक्षिणी अफ़ग़निस्तान को अफ़ग़ानिस्तान के बाहर इस्लामी चरमपंथियों का पहला बड़ा गढ़ माना जाता है.
ग़ौरतलब है कि इसी संघर्ष के दौरान इस्लामाबाद में अमरीकी सीनेटर जॉन कैरी आजकल पाकिस्तानी नेताओं से मिल रहे हैं. वे अमरीका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली अरबों डॉलर की मदद के बारे में भी चर्चा करेंगे.