
लंदन/नई दिल्ली, एजेंसी : नोबेल समिति ने इस वर्ष शांति पुरस्कार के 205 दावेदारों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का चयन कर सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया, क्योंकि राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल अभी महज आठ महीने का ही है। नोबेल शांति पुरस्कार के लिए जितनी हैरत ओबामा का चयन करने से हुई उतनी ही उन्हें यह सम्मान देने के संदर्भ में जारी वक्तव्य से हुई। इस वक्तव्य में नोबेल समिति ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तथा लोगों के बीच सहयोग को मजबूती देने की उनकी असाधारण कोशिश के लिए उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया। वक्तव्य में ओबामा के परमाणु हथियार मुक्त विश्व के दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की गई है। यह संभवत: पहली बार है जब किसी शासनाध्यक्ष के दृष्टिकोण को नोबेल शांति पुरस्कार देने का प्रमुख आधारबनाया गया है। नार्वे की राजधानी ओस्लो में ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा होते ही अमेरिका सहित दुनिया भर में आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया हुई। अपेक्षा के अनुरूप इस्लामी जगत के लोगों को नोबेल समिति का फैसला रास नहीं आया। जहां विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिकी राष्ट्रपति को बधाई दी वहीं अनेक विचारकों और आम लोगों ने कहा कि ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार तो ठीक है, लेकिन आखिर यह दिया किसलिए गया है? भारत में भी दोनों राष्ट्रीय दलों-कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने सवाल किया कि आखिर इस सम्मान को हासिल करने के लिए मेरिट के आधार पर ओबामा ने किया क्या है?