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रविवार, 4 अक्टूबर 2009
लोटे, चौटाला तो, बदली चुनावी फिजा
( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
ऐलेन ने तोहफा क्या मांगा..हिसार के तत्कालीन कमिश्नर राबर्ट हच ने अपनी पत्नी ऐलेन को ऐलनाबाद ही उपहार में दे दिया..पहले इस हलके का नाम खरियल हुआ करता था..ऐलेन को ऐलनाबाद से खासा लगाव हो गया..इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को भी इस हलके से बेहद लगाव है। 1968 में जब यह सीट सामान्य हुआ करती थी, तब चौटाला ने ऐलनाबाद से पहला चुनाव लड़ा और पहली बार एमएलए बने। 1972 के बाद ऐलनाबाद रिजर्व सीट हो गई..तब भी चौटाला और यहां के लोगों के बीच यारी कम नहीं हुई..2005 के चुनाव तक ऐलनाबाद के लोगों ने इनेलो के भागी राम को पांच बार और सुशील इंदौरा को दो बार चुनाव जितवाया..इस बार हलका फिर ओपन हो गया..चौटाला को मौका मिला तो उन्होंने खुद ही यहां से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। जी हां..ऐलनाबाद हलके की राजनीतिक स्थितियां कुछ ऐसी ही हैं। यह हलका चौटाला परिवार का गढ़ माना जाता है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला करीब चार दशक बाद दूसरी बार ऐलनाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके भाई प्रताप चौटाला यहां से 1967 में चुनाव जीत चुके हैं..अभी तक हुए दस चुनाव में से आठ बार यहां इनेलो का कब्जा रहा है। इस बार कांग्रेस ने पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल को चुनावी समर में उतारा है। भाजपा ने अमीरचंद मेहता, हजकां ने देवीलाल दड़बा और बसपा ने प्रसन्न सिंह खोसा पर दांव खेला है। भरत सिंह दड़बा से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। इस बार दड़बा हलका खत्म हो गया है। इस हलके के कई गांव ऐलनाबाद में आ गए तो कांग्रेस ने बैनीवाल को चौटाला से मुकाबले खड़ा कर दिया है। लीकां गांव के कृष्णलाल और मसीतां के प्रहलाद की मानें तो बड़े चौटाला हलके में दो या तीन बार आए हैं..उन पर पूरे सूबे में पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी है..लोगों ने चौटाला को कह दिया, ऐलनाबाद का चुनाव यहां के लोग लड़ेंगे..आप तो सिर्फ सूबे में प्रचार पर निकल जाओ। मठदादू गांव के अजैब सिंह और मौजगढ़ सुंदर के अनुसार ऐलनाबाद का चुनाव एकतरफा है। नामधारी समुदाय के लोग थोड़ा बहुत इलेक्शन को प्रभावित कर सकते हैं। उनकी सोच कांग्रेस के प्रति है, मगर फैसला ऐन वक्त पर बदलता है। बेनीवाल की भी ठीक पोजीशन है। रिसालिया के कृष्णलाल, ऐलनाबाद के अश्विनी और किशनपुरा के सविंद्र की मानें तो यहां का चुनाव लोग खुद लड़ रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि चौटाला और ऐलनाबाद के लोगों की यारी दूसरे प्रत्याशियों पर भारी पड़ सकती है।
पूरे मोहल्ले के वोटों का सौदा!
( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
मेरे मोहल्ले में एक हजार वोट है, मोहल्ला वासी मेरे कहने अनुसार ही किसी प्रत्याशी को वोट डालेंगे, मैं मोहल्ले का पूरा वोट आपके पक्ष में डलवा दूंगा, यदि आप कुछ खर्च करते हैं। चुनाव के मौसम का फायदा उठाते हुए वोटों के ठेकेदार इस तरह की सौदेबाजी करने में जुट गए हैं। वे प्रत्याशियों को वोटों का लालच देकर अपनी जेब भरने में जुटे हैं। वहीं प्रत्याशी भी अपनी जीत पक्की करने के लिए हर संभव प्रयास करे रहे हैं, तथा इस तरह के ठेकेदारों को झांसे में आकर उन पर पैसा लुटा रहे हैं। पिछले चुनावों की बात करें तो, चुनाव आयोग का इतना डंडा नहीं होता था। बैनर, पंपलेट व होर्डिग पर प्रत्याशी दिल खोलकर खर्च करते थे। जिस प्रत्याशी के बैनर, पोस्टर व पंपलेट अथवा लोगों की जेबों पर प्रत्याशी या पार्टी के बिल्ले ज्यादा दिखाई देते थे, उसकी जीत का आंकलन करने में आम लोगों को भी दिक्कत नहीं होती थी। लेकिन पिछले दो चुनावों से चुनाव आयोग की सख्ती से यह सब पूरी तरह कंट्रोल हो गया है। जेब पर लगने वाले चुनावी बिल्ले गायब हो गए हैं। प्रत्याशी भी अपनी स्थिति का ठीक से आंकलन नहीं कर पा रहा है। ऐसे में कुछ वोटों के ठेकेदारों की चांदी हो गई है। वे प्रत्याशियों का आंकलन करने लगे हैं, किस मोहल्ले में अमुक प्रत्याशी कितना वोट, और पैसा खर्च कर उस वोट को कैसे मोड़ा जा सकता है, इसके लिए प्रत्याशियों से ठेका कर रहे हैं। यह ठेका वोटों के अनुसार हो रहा है। मोहल्लेवासियों को हवा तक नहीं है, कि उन्हीं के मोहल्ले का एक व्यक्ति पूरे मोहल्ले के वोटों का ठेका कर किसी प्रत्याशी से पैसे ले लिए हैं। क्या ठेकेदार प्रत्याशी से लिए गए पैसे के अनुसार अपने मोहल्ले का उतना वोट उसके पक्ष में डलवा पाएगा। यह प्रत्याशियों को भी नहीं पता है। लेकिन उन्हें जीतना है, ऐसे में उन्हें इन ठेकेदारों पर विश्वास करना पड़ रहा है। वोट के लिए ठेकेदारों द्वारा मांगी गई कीमत भी चुका रहे हैं। कई ठेकेदार ऐसे भी हैं, जो एक नहीं कई-कई प्रत्याशियों को झांसा देकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। प्रत्याशियों को समझना चाहिए कि लोगों के बीच उनकी छवि ही उन्हें हरा जिता सकती है। वोटों के ठेकेदार सिर्फ मौके का फायदा उठा सकते हैं, किसी पक्ष या विपक्ष में वोट नहीं डलवा सकते।
दूसरे दौर में शह-मात का घमासान हुआ तेज
( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
ग्यारहवीं विधानसभा के लिए बिछाई गई चुनावी बिसात में शह-मात का दूसरा दौर आरंभ हो चुका है। इनेलो सुप्रीमो का गृहक्षेत्र होने के कारण यहां न केवल आम लोगों की नजर टिकी हुई है बल्कि सत्ताधारी दल कांग्रेस के आलाकमान भी प्रतिपक्ष को घर में घेरने की पुरजोर कोशिश में है। शायद यही वजह है कि चुनावी शतरंज में कांग्रेस ने अपनी रानी अर्थात पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को यहां आगे कर दिया है। 4 अक्टूबर को आयोजित होने वाली सिरसा की विशाल रैली में सोनिया गांधी के साथ-साथ पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के पहुंचने की संभावना बनी हुई है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का गृहक्षेत्र होने के कारण कांग्रेस आलाकमान इस चुनाव में उन्हें घर में ही घेरने की जुगत में है। यही वजह है कि जहां लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित किया था वहीं इस विधानसभा चुनाव में खुद सोनिया गांधी पहुंच रही हैं। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो यह कांग्रेस की सधी हुई चाल है और पार्टी इस चुनाव में सिरसा जिले में इनेलो को पछाड़ने के लिए कोई कसर नहीं रखना चाहती है। 4 अक्टूबर को आयोजित होने वाली कांग्रेस की सिरसा रैली में सोनिया गांधी के साथ पार्टी के प्रदेश प्रभारी पृथ्वीराज चव्हाण, मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष फूलचंद मुलाना, चुनावी घोषणापत्र कमेटी के चेयरमैन व सांसद डा. रामप्रकाश सहित अनेक पार्टी नेता शिरकत करेंगे। डा. रामप्रकाश के अनुसार राज्यसभा सदस्य हनुमंत राव भी इसमें आ सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस इस रैली के माध्यम से न केवल इनेलो को घर में घेरने की जुगत कर रही है बल्कि सोनिया गांधी को सिरसा बुलाकर एक तीर से कई निशाने भी साधना चाहती है। सच तो यह है कि टिकट वितरण के उपरांत पार्टी में उपजे आक्रोश पर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के आगमन से शीतल जल का फुहारा दिया जाएगा। सिरसा व डबवाली जैसी महत्वपूर्ण विधानसभा सीट से टिकट नहीं पाने वाले कुछ लोगों ने बगावत का झंडा उठाया था। हालांकि डबवाली में यह बगावत आज भी जारी है। संभव है कि सोनिया गांधी के आगमन से पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा उठाने में मदद मिले।
डबवाली विधानसभा क्षेत्र के 14 गांव अतिसंवेदनशील
डबवाली( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- 13 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को सुव्यवस्थित, स्वतंत्र व निष्पक्ष करवाने के मद्देनजर डबवाली निर्वाचन विधानसभा क्षेत्र में 14 गांवों के अति संवेदनशील व 18 गांव के विभिन्न मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। डबवाली विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निग अधिकारी सुभाषा गाबा ने बताया कि डबवाली में मतदान केंद्र 42 से 45 को अति संवेदनशील की श्रेणी में अंकित किया गया है। गांव लोहगढ़ में मतदान केंद्र 52, 52ए व 53 को, गांव अबूबशहर में 55 से 58, गांव हस्सू में 72, जगमालवाली के मतदान केंद्र 74 व 75 को, आसाखेड़ा में 88 व 89 तथा गांव चौटाला में मतदान केंद्र 91, 91ए, 92, 92ए, 93, 93ए, 95, 95ए, 96 व 96ए को अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि गांव जंडवाला बिश्रनेइयां में बूथ नंबर 99 व 100 व गंगा में बूथ नंबर 101 से 105 तक, जंडवाला जाटान में बूथ नंबर 117 को, रामपुरा बिश्रनेईयां में बूथ नंबर 118, कालुआना में बूथ नंबर 122, 122ए, 123, 124, 124ए, ओढां में बूथ नंबर 137 से 140 तक तथा घुक्कांवाली के बूथ नंबर 141 व 142 को अति संवेदनशील मतदान केंद्र घोषित किया गया है। रिटर्निग अधिकारी ने बताया कि डबवाली में 2, 4, 8, 10, 10ए, 14, 14ए, 15, 15ए व बूथ नंबर 20 को, जोगेवाला में बूथ नंबर 24 व 25 को, देसूजोधा में बूथ नंबर 28, 29, 30 नौरंग में बूथ नंबर 34, 35, अलीकां में बूथ नंबर 46, 47, शेरगढ़ में बूथ नंबर 48, सांवतखेड़ा में बूथ नंबर 50, 51, जोतांवाली में बूथ नंबर 54, मसीतां में 62, 62ए, 63, 63ए, मिठड़ी में बूथ नंबर 79, भारूखेड़ा में 98, मटदादू में बूथ नंबर 111 व 112, चोरमार खेड़ा में बूथ नंबर 115, 116, गोदिकां में बूथ नंबर 121, अहमदपुर दारेवाला में 125 व 126, रामगढ़ माजरा में बूथ नंबर 128, नुहियांवाली में बूथ नंबर 134, 135, बनवाला में बूथ नंबर 143, 144 को संवेदनशील मतदान केंद्र घोषित किया गया है। डबवाली विधानसभा क्षेत्र में पोलिंग स्टेशनों को क्रिटिकल मतदान केंद्र की श्रेणी में रखा गया है जिनमें भारूखेड़ा के बूथ नंबर 98, कालूआना के बूथ नंबर 122, 123 व 124, रामगढ़ माजरा, रिसालियाखेड़ा का बूथ नंबर 128 व गांव घुक्कांवाली का बूथ नंबर 141 व 142 शामिल है।
काग्रेस ने विकास नहीं विनाश किया
ऐलनाबाद,,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
काग्रेस ने प्रदेश का विकास नहीं विनाश किया है। यदि विकास हुआ है तो सिफ हुड्डा परिवार का हुआ है, न कि प्रदेश का। यह बात पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ने की। वे शनिवार को ऐलनाबाद हलके के गावा केसूपुरा, कोटली, कुतावड़ा, रत्ताखेड़ा, हुम्मायु खेड़ा, शेखू खेड़ा, किरपाल पट्टी, तलवाड़ा, मौजू खेड़ा आदि गावों में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे। गावों में पहुंचने पर अभय सिंह चौटाला का जोरदार स्वागत किया गया। इनेलो नेता ने कहा कि महंगाई बढ़ाना और कालाबाजारी करना काग्रेस का फितरत रही है। उन्होंने कहा कि देश व प्रदश में जब जब काग्रेस सत्तासीन हुई है तब तब आम लोगों का जीना दुभर हुआ है वहीं कालाबाजारी करने वालों की चांदी रही है। उन्होंने कहा कि काग्रेस आम लोगों की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की पार्टी है। उन्होंने कहा कि पूरे पाच वर्ष तक महंगाई से आम आदमी को जीना मुहाल रखा बावजूद इसके सरकार के मंत्री महंगाई भविष्य में और बढ़ने की बात कह रहे है। ऐसी सरकार को अब चलता करने का समय आ गया है।
अभय सिंह चौटाला ने इनेलो प्रमुख व ऐलनाबाद हलके से प्रत्याशी ओमप्रकाश चौटाला के लिए वोटों की अपील करते हुए कहा कि इनेलो की सरकार बनने पर सिरसा क्षेत्र के लोगों के बिजली व पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना नहीं पड़ेगा बल्कि सरकार के लोग आपके पास आकर आपकी समस्याओं का समाधान करेगे। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि 13 अक्टूबर को हरियाणा के प्रदेश में एक महत्वपूर्ण दिन होगा और लोगों को काग्रेस के कुशासन से पीछा छुड़वा कर अपनी मनचाही सरकार बनाने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि इनेलो 36 बिरादरी की पार्टी है और इस बार इसे सत्ता सौंपकर प्रदेश को विकास की पटरी पर फिर से लाने का काम करे। आज उनके साथ अजय सिंह झोरड़, ब्यूटी टेलर, अभय सिंह खोड, सहित अन्य इनेलो नेता उपस्थित थे।
कांग्रेस में आज नया उत्साह भरेंगी सोनिया
सिरसा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
: कांग्रेस के चुनाव प्रचार को गति देने के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रविवार को हरियाणा पहुंच रही हैं। सोनिया गांधी करनाल और सिरसा में दो बड़ी चुनाव रैलियों को संबोधित करेंगी। उनके चुनाव प्रचार में मामूली संशोधन किया गया है। सोनिया गांधी को पहले सिरसा और बाद में करनाल में रैलियों को संबोधित करना था, लेकिन नए शेड्यूल के मुताबिक अब सोनिया गांधी की पहली रैली करनाल में होगी जबकि दूसरी रैली सिरसा में है। हरियाणा में सोनिया गांधी का यह पहला दौरा है। अभी तक मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा राज्य में चुनाव प्रचार की बागडोर संभाले हुए हैं। सोनिया गांधी के हरियाणा दौरे के बाद पार्टी को राज्य की चुनावी फिजा पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में होने की उम्मीद दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के हरियाणा दौरे को लेकर बेहद उत्साहित हैं। करनाल व सिरसा में सोनिया की जनसभाओं के चलते दोनों जिलों के आसपास के कई विधानसभा क्षेत्रों पर उसका असर पड़ने की संभावना है।करनाल से कांग्रेस प्रत्याशी सुमिता सिंह और सिरसा से लक्ष्मणदास अरोड़ा चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों प्रत्याशियों ने दावा किया है कि सोनिया गांधी के दौरे के बाद राज्य में नया माहौल दिखाई पड़ेगा। कांग्रेस ने सोनिया गांधी के दौरे के बाद प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को भी हरियाणा के दौरे पर बुलाने की कार्य योजना तैयार की है। जल्दी ही राहुल गांधी के कार्यक्रमों को भी फाइनल टच दिया जा सकता है। कांग्रेस के प्रांतीय कार्यकारी प्रधान कुलदीप शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के चुनाव प्रचार और सोनिया गांधी के आगमन के बाद राज्य में कांग्रेस द्वारा जीती जाने वाली सीटों की संख्या निस्संदेह बढ़ जाएगी। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद : सोनिया गांधी के हरियाणा दौरे को लेकर चाक चौबंद व्यवस्थाएं की गई हैं। करनाल और सिरसा में अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया है। रैली स्थलों से करीब पांच सौ मीटर की दूरी तक पुलिस बल तैनात है। संदिग्ध प्रवृत्ति के लोगों की चेकिंग की जा रही है, मगर चुनाव के मद्देनजर उन्हें तंग नहीं होने दिया जा रहा है। प्रथम पृष्ठ का शेष
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