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शनिवार, 24 अक्टूबर 2009

विदेश जाने के लिए कर रहे हैं भाई-बहन शादी


डालरों की खनक ने पंजाब में रिश्तों को खोखला कर दिया है। सगे भाई-बहन भी दूल्हा-दुल्हन बन जाएं तो इसे क्या कहें। मोगा जिले के सैदोके गांव के एनआरआई जसवीर सिंह की हत्या उसकी प्रेमिका अमनपाल कौर ने अपने भाई से इंद्रजीत सिंह से करवा दी। उसी भाई को वह अपना दूल्हा बनाकर विदेश ले गई। बकौल पुलिस, जसवीर की हत्या उसी की प्रेमिका अमनपाल ने करवाई थी। उसने इंद्रजीत उर्फ गुरसेवक सिंह और उसके साथियों के माध्यम से इस वारदात को अंजाम दिलवाया था। इसी तरह कुछ समय पहले मोगा जिले के किल्ली चाहला गांव के हरप्रीत सिंह ने आस्ट्रेलिया में बसने के लिए अपनी मौसेरी बहन से ही कोर्ट मैरिज कर ली। बताया जाता है कि बरनाला निवासी युवक की मौसेरी बहन ने आईलेट्स का टेस्ट पास कर लिया था। वह आगे की पढ़ाई के लिए आस्ट्रेलिया जा रही थी। वह किसी को अपना पति बनाकर ले जा सकती थी। इससे उसे पैसे भी मिल जाते। फिर क्या था। इस मौके का लाभ उठाने के लिए उसने रिश्ते को दांव पर लगा दिया। पंजाब के शहर-देहात में ऐसे कई और मामले पुलिस की फाइलों में हैं। रिश्तों को दांव पर लगाने के अलावा विदेश जाने की चाह में कई लोग नकली प्रापर्टी पेपर व इनकम टैक्स रिटर्न बनवाकर विजिटर वीजा लगवा रहे हैं। ट्रैवल एजेंटों के दफ्तरों के बाहर हर रोज विदेश जाने के इच्छुक लोगों की लाइन लगी रहती है। एसएसपी अशोक बाठ कहते हैं कि बेरोजगारी और कम वक्त में अधिक रुपये कमाने की होड़ ने लोगों की सोच को बदलकर रख दिया है। लोगों में एनआरआई का तमगा लगाने का जुनून सवार है। इसके लिए रिश्तों को ताक पर रखना शर्मनाक है। समाजशास्त्री आरके महाजन मानते हैं कि यह ट्रेंड देश की संस्कृति के लिए घातक है। विदेश में बसने के लिए ऐसा फंडा ट्रैवल एजेंटों की देन है।

इस छोटी सी गोली से हैं बड़े-बड़े नुकसान


टेलीविजन पर धुआंधार विज्ञापनों के कारण देश में गर्भनिरोधक गोलियों की न सिर्फ स्वीकार्यता बढ़ी है बल्कि युवतियों में इनके इस्तेमाल का चलन भी बढ़ा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवृत्ति घातक है और इन दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से युवतियों में एड्स जैसी यौन संचारित बीमारियां (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज- एसटीडी) बढ़ सकती हैं। सफदरजंग अस्पताल में स्त्रीरोग विभाग की प्रमुख डा. सुधा शलहान ने बताया कि विज्ञापनों के चलते 20 से 35 साल की महिलाओं में आपात गर्भनिरोधकों के सेवन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। उन्हें लगता है, अवांछित गर्भ को रोकने का यह तरीका आसान और बेहतर है। इन दवाओं का जमकर इस्तेमाल न केवल युवतियों के लिए खतरनाक है बल्कि इससे उन्हें एड्स जैसी एसटीडी होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसके कई अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे अत्यधिक चिड़चिड़ापन, मासिक धर्म में विलंब, अत्यधिक रक्तस्राव और उल्टियां आदि। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन गोलियों के जरिए शरीर में अत्यधिक हार्मोन पहुंच जाते हैं। बेहतर होगा कि इनका सेवन चिकित्सक के परामर्श से किया जाए। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में स्त्री रोग विभाग की अध्यक्ष डा. पुष्पा सिंह का कहना है कि पहले विवाह पूर्व गर्भवती होना अनैतिकता माना जाता था। तब लड़कियां असुरक्षित यौन संबंधों से दूर ही रहती थीं। लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। किशोरियों को गर्भनिरोधक गोलियां खाकर गर्भधारण से बचना आसान लगता है। लेकिन इन दवाओं को चिकित्सक की सलाह के बगैर लेना खतरनाक हो सकता है। हाल ही में भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) सुरिंदर सिंह ने भी एक समिति गठित करने की बात कही थी, जो इस पर विचार करेगी कि खुलेआम मिलने वाले आपात गर्भनिरोधक गोलियों को डाक्टर के परामर्श से दिया जाए या नहीं। सिंह ने बताया, भारत में आपात गर्भनिरोधकों के बारे में पर्याप्त जागरुकता नहीं है। इसलिए काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। कई देशों में आपात गर्भनिरोधक सीधे दुकानों से खरीदे जा सकते हैं लेकिन हमारे देश में यह व्यावहारिक नहीं लगता।

NEW FORMULA

विधायकी नहीं रही तो पान की दुकान ही सही


कभी चाय की दुकान उनके परिवार की जीविका का साधन हुआ करती थी और अब पान की दुकान से होने वाली आय पर उनका परिवार निर्भर है। वैसे तो न जाने कितने परिवार चाय और पान की दुकान से होने वाली आय पर पर जीते हैं लेकिन जब बात किसी एक पूर्व विधायक की हो तो चौंकना लाजिमी है। जी हां, लखनऊ में एक ऐसे पूर्व विधायक हैं, जिनका परिवार एक पान की दुकान से होने वाली आय पर चल रहा है। पूर्व विधायक हैं चौधरी तारा चंद्र सोनकर। वह 1985 में लखनऊ जिले की मोहनलालगंज विधानसभा सीट से विधायक हुए थे। हाल के वर्षो में राजनीति में जो बदलाव आया, उसमें विधायक तो बड़ी बात किसी स्थानीय निकाय का एक बार सभासद निर्वाचित हो जाने के बाद उसके परिवार की पूरी जीवन शैली में बदलाव आ जाता है लेकिन तारा चंद्र सोनकर जैसे बिरले ही हैं जो पांच साल विधायक रहने के बाद भी अपने परिवार को जिंदा रखने के लिए चाय या पान की दुकान पर निर्भर रहना पड़ता है। विधायक बनने से पहले भी तारा चंद्र सोनकर लखनऊ के बर्लिंग्टन चौराहे से उदयगंज जाने वाली सड़क पर एक किनारे चाय की छोटी सी दुकान से अपने परिवार को पाला करते थे। तीन बेटों व पांच बेटियों की परवरिश भी उन्होंने चाय बेचकर की। कांग्रेस से उनका पुराना जुड़ाव था। 1985 में मोहनलालगंज से उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट मिला और पहली बार में ही उन्होंने जीत दर्ज कर ली। कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका जीवन फिर अपने होटल के इर्दगिर्द ही सिमट गया। बेटों के रोजगार की कोई मुकम्मल व्यवस्था न होने और चाय की दुकान में मंदी छाने से उन्होंने पान की दुकान खोल ली। बेटे बिल्लू सोनकर ने पान की दुकान तो जरूर संभाली, लेकिन चौधरी ताराचंद सोनकर भी दुकान पर सुबह दस से शाम पांच बजे तक समय देने लगे। इस दौरान बतौर पूर्व विधायक क्षेत्र के लोग अगर अपनी किसी समस्या को लेकर उनके पास आ जाते हैं तो उसे भी वह सुनते हैं और पूरी कोशिश उसके निदान के लिए करते हैं। छितवापुर के मूल निवासी ताराचंद के पास एक मोटर सायकिल है, जो बेटा चलाता है।

कुंवारी को विवाहिता व तिनके को बताया आशियाना


अभी-अभी विशेष,


बेगूसराय जिले के लड़ुआरा पंचायत के बीड़ी मजदूरों के लिये श्रम एवं नियोजन विभाग के मंत्रालय द्वारा आवंटित 129 इंदिरा आवास के मामले में पंचायत सचिव द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने का मामला प्रकाश में आया है। बीडीओ ने आवंटित 129 आवासों के लिए पंचायत सचिव को यह जांचने का आदेश दिया कि सूचीबद्ध बीड़ी मजदूरों ने पूर्व से आवास का लाभ लिया है या नहीं। इसी आदेश के आलोक में पंचायत सचिव ने जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं। प्रतिवेदन में कई बेघरों व जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी वालों को भी पक्का भवन होने की बात कही है। इस बाबत बीड़ी मजदूरों ने बताया कि पंचायत सचिव के प्रतिवेदन के क्रमांक 3 में श्रीमती अख्तरी खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 10 में मो. सरवर की पत्‍‌नी रौशन खातून को पक्का भवन दर्शाया है जबकि उसके पास भी झोपड़ी है। क्रमांक 13 मो. अफजल की पुत्री गजाला परवीन को शादीशुदा ससुराल हर्रख बताया गया है जबकि गजाला की अब तक शादी ही नहीं हुई। क्रमांक 20 मो. मोकर्रम की पत्‍‌नी नसीमा खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि वह बेघर है और अपने चाचा के जीर्ण-शीर्ण खपड़ैल मकान में गुजर-बसर कर रही है। क्रमांक 58 में मो. नसीम की पत्‍‌नी शबाना खातून को पक्का घर दर्शाया गया है जबकि वह बेघर है और बहनोई के घर में रहती है। क्रमांक 57 में मो. अताउल्लाह की पत्‍‌नी श्रीमती शबनम को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 76 में मो. वकील की पत्‍‌नी हसरून निशां को पक्का भवन दर्शाया गया है जबकि उसके पास टूटी झोपड़ी है। क्रमांक 93 में मो. ऐनुल हक को पंचायत शिक्षक दर्शाया गया है। जबकि वह बीड़ी मजदूर है। बीड़ी मजदूरों का आरोप है कि पंचायत सचिव के पत्रांक सं.11 को 27.08.09 में बीडीओ को सौंपा गया प्रतिवेदन झूठ का पुलिंदा है। वास्तविक लाभुकों को आवास की सुविधा से वंचित करने के लिये पंचायत सचिव ने अनियमितता बरती है। इस संबंध में पूछे जाने पर सदर प्रखंड के बीडीओ प्रमोद कुमार ने कहा प्रतिवेदन की स्थलीय जांच में दोषी पाये जाने पर पंचायत सचिव के विरुद्ध विधि सम्मत विभागीय कार्रवाई की जायेगी। इस गड़बड़ी की चर्चा सरेआम होने पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। इधर जदयू के जिलाध्यक्ष भोला कांत झा के नेतृत्व में एक जांच टीम बनायी गयी। टीम ने गुरुवार को लड़ुआरा का दौरा कर जायजा लिया। इसमें वर्णित आरोपों को सत्य पाया गया है। उसने पंचायत सचिव द्वारा बीडीओ को सौंपे जांच प्रतिवेदन सोची-समझी साजिश के तहत झूठ का पुलिंदा करार दिया है। जांच दल में शामिल जदयू जिलाध्यक्ष भोलाकांत झा, आजाद बीड़ी मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव मो. एहतेशामुल हक अंसारी, कार्यकारिणी सदस्य अनिरूद्ध पासवान, लड़ुआड़ा पंचायत के सरपंच नीरज पटेल मो. आजाद, सुरेश कुमार झा ने जिलाधिकारी जितेन्द्र श्रीवास्तव को आवेदन देकर जांच कर पंचायत सचिव के निलंबन की मांग की है तथा सभी 129 बीड़ी मजदूरों को इंदिरा आवास देने का अनुरोध किया है।

कुंवारी को विवाहिता व तिनके को बताया आशियाना


अभी-अभी विशेष,


बेगूसराय जिले के लड़ुआरा पंचायत के बीड़ी मजदूरों के लिये श्रम एवं नियोजन विभाग के मंत्रालय द्वारा आवंटित 129 इंदिरा आवास के मामले में पंचायत सचिव द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने का मामला प्रकाश में आया है। बीडीओ ने आवंटित 129 आवासों के लिए पंचायत सचिव को यह जांचने का आदेश दिया कि सूचीबद्ध बीड़ी मजदूरों ने पूर्व से आवास का लाभ लिया है या नहीं। इसी आदेश के आलोक में पंचायत सचिव ने जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं। प्रतिवेदन में कई बेघरों व जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी वालों को भी पक्का भवन होने की बात कही है। इस बाबत बीड़ी मजदूरों ने बताया कि पंचायत सचिव के प्रतिवेदन के क्रमांक 3 में श्रीमती अख्तरी खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 10 में मो. सरवर की पत्‍‌नी रौशन खातून को पक्का भवन दर्शाया है जबकि उसके पास भी झोपड़ी है। क्रमांक 13 मो. अफजल की पुत्री गजाला परवीन को शादीशुदा ससुराल हर्रख बताया गया है जबकि गजाला की अब तक शादी ही नहीं हुई। क्रमांक 20 मो. मोकर्रम की पत्‍‌नी नसीमा खातून को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि वह बेघर है और अपने चाचा के जीर्ण-शीर्ण खपड़ैल मकान में गुजर-बसर कर रही है। क्रमांक 58 में मो. नसीम की पत्‍‌नी शबाना खातून को पक्का घर दर्शाया गया है जबकि वह बेघर है और बहनोई के घर में रहती है। क्रमांक 57 में मो. अताउल्लाह की पत्‍‌नी श्रीमती शबनम को पक्का मकान दर्शाया गया है। जबकि उसके पास जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी है। क्रमांक 76 में मो. वकील की पत्‍‌नी हसरून निशां को पक्का भवन दर्शाया गया है जबकि उसके पास टूटी झोपड़ी है। क्रमांक 93 में मो. ऐनुल हक को पंचायत शिक्षक दर्शाया गया है। जबकि वह बीड़ी मजदूर है। बीड़ी मजदूरों का आरोप है कि पंचायत सचिव के पत्रांक सं.11 को 27.08.09 में बीडीओ को सौंपा गया प्रतिवेदन झूठ का पुलिंदा है। वास्तविक लाभुकों को आवास की सुविधा से वंचित करने के लिये पंचायत सचिव ने अनियमितता बरती है। इस संबंध में पूछे जाने पर सदर प्रखंड के बीडीओ प्रमोद कुमार ने कहा प्रतिवेदन की स्थलीय जांच में दोषी पाये जाने पर पंचायत सचिव के विरुद्ध विधि सम्मत विभागीय कार्रवाई की जायेगी। इस गड़बड़ी की चर्चा सरेआम होने पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। इधर जदयू के जिलाध्यक्ष भोला कांत झा के नेतृत्व में एक जांच टीम बनायी गयी। टीम ने गुरुवार को लड़ुआरा का दौरा कर जायजा लिया। इसमें वर्णित आरोपों को सत्य पाया गया है। उसने पंचायत सचिव द्वारा बीडीओ को सौंपे जांच प्रतिवेदन सोची-समझी साजिश के तहत झूठ का पुलिंदा करार दिया है। जांच दल में शामिल जदयू जिलाध्यक्ष भोलाकांत झा, आजाद बीड़ी मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव मो. एहतेशामुल हक अंसारी, कार्यकारिणी सदस्य अनिरूद्ध पासवान, लड़ुआड़ा पंचायत के सरपंच नीरज पटेल मो. आजाद, सुरेश कुमार झा ने जिलाधिकारी जितेन्द्र श्रीवास्तव को आवेदन देकर जांच कर पंचायत सचिव के निलंबन की मांग की है तथा सभी 129 बीड़ी मजदूरों को इंदिरा आवास देने का अनुरोध किया है।

खुफिया विभाग की साइकिल पर सवारी


कंप्यूटर के युग में भी पंजाब पुलिस का खुफिया विभाग पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहा है। खुफिया विभाग आज भी जानकारी जुटाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करता है। इसके लिए बकायदा खुफिया विभाग के मुलाजिमों को बीस रुपये प्रति माह साइकिल एलाउंस भी दिया जाता है। सरकार की ओर से दिया जाने वाला बीस रुपये का साइकिल एलाउंस विभाग की कार्यप्रणाली और खुफिया मुलाजिमों की क्षमता पर कई तरह के सवाल खड़े करता है। इतना ही नहीं खुफिया विभाग के जवानों को 25 रुपये प्रतिमाह किट मेन्टेनेंस और 100 रुपये प्रति माह राशन मनी के नाम पर दिए जाते हैं, जो कमरतोड़ मंहगाई के दौर में मजाक सा है। 24 घंटे ड्यूटी करने वाले विभाग के इन जवानों का स्केल दिन में छह घंटे ड्यूटी करने वाले जेबीटी अथवा बीएड अध्यापक से भी कम है। हालांकि इन जवानों को कई बार वेतन आयोग द्वारा अध्यापकों के वेतनमान के बराबर लाने की भी कोशिश की गई। पंजाब विधानसभा में सबसे पहले खुफिया विभाग के कर्मचारियों के हक में सवाल रिटायर डीएसपी नरोट मेहरा व विधायक विशंभर दास ने उठाया था। मगर अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विधायक दास का कहना है कि आज जिस तरह से आतंकियों व अपराधियों से चुनौती मिल रही है, उसके लिए खुफिया विभाग को मजबूत व कर्मचारियों को उत्साहित करने की जरूरत है। आईजी हेडक्वार्टर पराग जैन भी मानते है कि आज युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में आने के लिए उत्साहित किए जाने की जरूरत है। जल्द ही पंजाब में कम्यूनिटी ओरिएंटेड पुलिस बनाई जा रही है। इसके अलावा जवानों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग उनके वेलफेयर और उनको ऊंचा उठाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम बनाए गए हैं, जो सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद लागू कर दिए जाएंगे। आईजी जोनल संजीव कालड़ा ने भी माना कि लंबे अरसे से इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। पुलिस मुलाजिमों और खुफिया विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर जितना काम का बोझ है उस हिसाब से न तो उनके पास सुविधाएं है और न ही उन्हें मेहनत का पूरा फल मिल रहा है। हालांकि उन्होंने विभाग की तरफ से सरकार को कुछ सुझाव दिए थे। इस संबंध में एक वेलफेयर बैठक इस माह के अंत या अगले माह के शुरू में आयोजित की जाएगी। बैठक में कुछ अहम फैसले लिए जाने की संभावना है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों पर अमल करते हुए कर्मचारियों की दिक्कतों को दूर करने की कोशिश करेगी।

पाक आतंकियों से बचाए परमाणु अस्त्र : भारत

नई दिल्ली: पाकिस्तान में हर रोज हो रहे आतंकी हमलों के मद्देनजर भारत ने विश्व समुदाय का ध्यान वहां मौजूद परमाणु अस्त्रों पर मंडरा रहे खतरों की तरफ दिलाया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की सचिव निरुपमा राव ने कहा कि परमाणु हथियार पाक में सक्रिय आतंकियों के पहुंच से दूर रखने की जरूरत हैं। उन्होंने मुंबई हमलों के दोषियों पर कार्रवाई को लेकर पाक के धीमे पड़ने पर भी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि पाक के इस रवैये के पर भारत ने अपनी राय इस्लामाबाद को बता दी है। विदेश सचिव का इशारा सीधे तौर पर यही था कि किसी एक घटना के लिए जिम्मेवार आतंकियों पर नरमी बरतने का ही खामियाजा है कि उसके अपने घर में भी लगातार हमले हो रहे हैं।

पाक के परमाणु ठिकानों तक पहुंच गए आतंकी

इस्लामाबाद: संदिग्ध तालिबान आतंकियों ने पाकिस्तान में फिर खूनी खेल खेला। आतंकियों ने शुक्रवार को एक के बाद एक देशभर में तीन बड़े हमले किए। इनमें से एक हमला तो कामरा वायुसेना ठिकाने पर बोला गया। इसे पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा अहम ठिकाना माना जाता है। आतंकियों ने बारात ले जा रही बस को उड़ा दिया। एक रेस्तरां के बाहर भी धमाका किया गया। इन हमलों में 26 लोगों की जान चली गई। कई दर्जन लोग जख्मी भी हुए हैं। आतंकियों ने जुमे के दिन पहला हमला पंजाब प्रांत में पाकिस्तानी वायुसेना के कामरा ठिकाने पर बोला। साइकिल सवार आत्मघाती हमलावर ने सुबह सबेरे इस ठिकाने की एक चेक पोस्ट पर खुद को धमाके से उड़ा लिया। जोरदार धमाके की चपेट में आए आठ लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इनमें से दो वायुसेना के सुरक्षागार्ड थे। इस हमले में करीब डेढ़ दर्जन लोग जख्मी भी हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। सुरक्षा गार्डो ने जैसे ही उसे रोका उसने अपनी सुसाइड जैकेट में धमाका कर दिया। पुलिस का कहना है कि उसकी जैकेट में तबाही मचाने का करीब पांच किलोग्राम सामान भरा था। अमेरिका के सामरिक थिंक टैंक स्ट्रेटफोर के मुताबिक कामरा ठिकाने पर हमले से पाक के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर फिर आशंकाएं उभर सकती हैं। कामरा पाक की वायुसेना का सबसे बड़ा रखरखाव और शोध प्रतिष्ठान बताया जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम जंगी विमान भी इस ठिकाने पर ही रखे गए हैं।

सोनिया चुनेंगी मुख्यमंत्री


हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन होगा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यह तय करेंगी। और जिस नेता को सोनिया चुनेंगी, उसी के सिर पर सजेगा मुख्यमंत्री का ताज। हरियाणा कांग्रेस विधायक दल ने आज शुक्रवार को बैठक कर विधायक दल का नेता चुनने के लिए कांग्रेस आला कमान को तमाम हक दे दिए। इस संबंध में कल दिल्ली में हरियाणा से कांग्रेसी सांसदों की राय भी ली जाएगी। बहुत मुमकिन है कि कल ही सोनिया कांग्रेस विधायक दल के नेता के नाम पर अपनी मुहर लगा देंगी। वर्ष 2005 में भी सरकार बनाने के वक्त विधायक दल ने सभी अधिकार सोनिया गांधी को दे दिए थे पर तब सांसदों से यहीं राय ले ली गई थी। बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से तीन पर्यवेक्षक पृथ्वीराज चव्हान, बी हरिप्रसाद और मोहसिना किदवई मौजूद थीं। बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित सभी 40 विधायक शामिल हुए जबकि जबकि तीन सांसद केंद्रीय मंत्री सैलजा, डा. अरविंद शर्मा और अवतार सिंह भडाना बैठक में नहीं आए। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में दीपेंद्र सिंह हु़ड्डा, जितेंद्र मलिक, श्रुति चौधरी, अशोक तंवर, राव इंद्रजीत और नवीन जिंदल शामिल हैं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद तीनों पर्यवेक्षकों ने सभी विधायकों से अलग-अलग राय जानी कि वे किसे विधायक दल का नेता बनाना चाहते हैं। विधायकों से कुछ अन्य मुद्दों पर भी राय ली गई। बैठक में चर्चा व उसके बाद विधायकों से राय से तीनों पर्यवेक्षक कांग्रेस हाईकमान को अवगत कराएंगे जिसके आधार पर फैसला लिया जाना है।

छठ की छटा : चार दिन का किराया सात हजार


औरंगाबाद (बिहार)- देश भर में सूर्य नगरी के रूप में चर्चित देव इलाके में छठ के अवसर पर आने वाली भारी भीड़ के चलते यहां महज चार दिन के लिए एक कमरे का किराया सात हजार रुपये तक पहुंच गया है। एक समय था जब छठ के दिनों में देव आने वाले श्रद्धालुओं को यहां के लोग बिना किसी खास खर्चे के अपने घरों में रुकने की सुविधा दे देते थे, लेकिन धीरे-धीरे किराया लेने का चलन शुरू हुआ और आज स्थिति यह है कि तनिक भी ठीक-ठाक जगह का किराया तीन हजार से लेकर सात हजार तक वसूल किया जा रहा है। पिछले वर्ष किराये के रूप में पांच सौ से एक हजार रुपये ही ले रहे थे। किराये में अप्रत्याशित बढ़त के बावजूद छठ व्रतियों की भीड़ बढ़ रही है। देव में ठहरने के ठौर हाउसफुल होने के बाद लोग आस-पास के गांवों में भी जगह तलाशते हैं। एक कांप्लेक्स के मुखिया सूर्यनाथ चौरसिया ने अपने यहां तीन से सात हजार रुपये तक में श्रद्धालुओं को कमरा दिया है। उन्होंने बताया कि झारखंड एवं बिहार के उत्तरी कोने से पहुंचे लोगों ने कमरा आरक्षित कराने के लिए अग्रिम पैसा दे दिया था। देव के सीतालाल गली, मल्लाह टोली, जंगी मुहल्ला, नया बाजार, आनंदी बाग, बरई बिगहा, सोती मुहल्ला आदि में एक कमरे का किराया एक से तीन हजार रुपये तक लिया गया। प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं के लिए दस हजार वर्ग फीट में पंडाल लगाया है। एसडीओ जयंत कुमार सिंह ने बताया कि जिले के गणमान्य नागरिकों के सहयोग से यह व्यवस्था की गई है। देव स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। शाम को सूर्य कुंड तालाब के पास भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। तालाब में Fान कर श्रद्धालुओं ने खरना की रस्म पूरी की और दीप जलाकर प्रसाद ग्रहण किया। देव में छठ पूजा अनुष्ठान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। देव में छठ का महत्व पूरे देशभर में है। यहां कार्तिक और चैत मास में छठ पर्व करने देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि देव में सूर्य की उपासना करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। छठ के दौरान लगने वाला विशाल मेला से देव लघु कुंभ बन जाता है।

शिकायती पत्र के साथ वसंुधरा का त्यागपत्र


केंद्रीय नेतृत्व को थकाने के बाद अंतत: शुक्रवार को भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा। कुछ घंटों बाद पार्टी के संसदीय बोर्ड ने उसे स्वीकार भी कर लिया। चुनावों में लगातार हार से पस्त भाजपा की ओर से अनुशासन को लेकर जितनी सख्ती दिखाई जा रही है उतनी ही तारें टूटती भी जा रही हैं। अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी को तीन महीने तक टालने के बाद शुक्रवार को वसुंधरा राजे ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन जमकर अपनी भड़ास भी निकाली। तीन लाइन के इस्तीफे के साथ तीन पेज का शिकायती पत्र संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों को भेजा गया। सूत्र बताते हैं कि पत्र में उन्होंने इस्तीफा लेने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए संगठन के कई पहलू पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1952 से लेकर वर्षो तक उनकी मां विजया राजे सिंधिया के कार्यो की भी पार्टी ने अवहेलना की है। पत्र में पार्टी के कुछ नेताओं की भूमिका और खेमेबाजी पर भी सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा है कि हाल के चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के लिए कई लोग जिम्मेदार हैं। उन्हें भी इस्तीफा देना चाहिए था। कुल मिलाकर उन्होंने फिर से वही सारे मुद्दे छेड़ दिए हैं जिसपर पार्टी लगाम लगाने की कोशिश करती रही है। शुक्रवार की शाम बोर्ड ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया, लेकिन यह अंत तक साफ नहीं हो पाया कि उन्होंने इस्तीफा किसे दिया। यह संकेत है कि उन्होंने इस्तीफा आडवाणी को ही सौंपा। गौरतलब है कि राजस्थान में हुई पार्टी की हार के बाद से ही उनपर इस्तीफा देने का दबाव था, लेकिन वह लगातार इसे टालती आ रही थीं। परेशान पार्टी ने शुक्रवार को आगे की कार्रवाई के लिए बोर्ड की बैठक बुलाई थी, लेकिन उसे शाम तक के लिए टाल दिया। इस बीच वसुंधरा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा स्वीकार होने के बाद शाम को वसुंधरा ने अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात की। बाहर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने खुद को पार्टी की अनुशासित कार्यकर्ता बताया। इधर बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी नेता अनंत कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्र से पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली और अनंत कुमार महाराष्ट्र जाएंगे। जबकि विजय गोयल और थावर चंद गहलोत हरियाणा के पर्यवेक्षक हैं। विजय चक्रवर्ती अरुणाचल प्रदेश जाएंगे।

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