

हरियाणा के किसान इस बार विधानसभा चुनाव में अपने मसीहा स्व. चौ देवीलाल का कर्ज उतारने के मूड में हैं। चौ. देवीलाल देश के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने किसानों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई थी। किसानों को एक वोट बैंक के तौर पर प्रयोग करती आई कांग्रेस के खिलाफ किसानों को उन्होंने ही एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए यह संदेश दिया था कि किसान की अपनी साख, पहचान व सम्मान है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के उप प्रधानमंत्री के ओहदे तक पहुंचे चौ. देवीलाल की राजनीति हमेशा ही किसानों के आसपास घूमती रही थी। किसानों के बीच से उठकर वह चाहे कितने भी ऊंचे पद तक पहुंचे हों, मगर उन्होंने कभी अपने अतीत को भुलाने का प्रयास नहीं किया। उनकी सोच हमेशा ही किसान हितैषी रही। कहना न होगा कि किसानों ने भी चौ. देवीलाल को हमेशा सिर-आंखों बिठाया। चौ. देवीलाल ने अपने पुत्र ओम प्रकाश चौटाला को भी अपनी किसान की पहचान को जीवित रखने को कहा था और चौटाला उनकी सीख पर खरे भी उतरे। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने किसान नेताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कई ऐसे फैसले लिए जिनका असर व्यापारिक तौर पर साफ नजर आया। किसान नेताओं को मौजूदा सरकार ने इस कद्र अपने वश में किए रखा कि इन नेताओं ने प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज तक नहीं उठाई। प्रदेश सरकार किसानों को जमीन की बिक्री में करोड़ों मिलने का दावा चाहे करती हो, मगर जब यह जमीन ही नहीं रहेगी तो किसान की पहचान भी कहां दिखेगी। हुड्डा सरकार के इस फैसले का खतरनाक असर प्रदेश के सामाजिक ढांचे पर यह हुआ है जमीन न रहने से किसान खेती कहां करता और इससे किसान अपने ही घर में अपनी पहचान को तरसने लगा है। सभी यह जानते हैं कि किसान को व्यापार नहीं आता और न ही वह किसी के मातहत नौकरी कर सकता है, ऐसे में अब वह अपने वजूद को बचाने की जद्दोजहद में लगा है। अब एक बार फिर किसान वर्ग को उम्मीद है कि मौजूदा सरकार द्वारा उनकी गरीबी का फायदा उठाने के लिए अपने कुछ साथी-सहयोगियों का साथ देने के दिन गुजरने वाले हैं और जल्द ही चौ. देवीलाल का परिवार एक बार फिर उनकी पहचान व सम्मान को लौटाएगा।