

हरियाणा के दिग्गज नेताओं ने सूबे में अपनी चौधराहट कायम रखने के लिए अपने-अपने गढ़ों की किलेबंदी तेज कर दी है। इन दिग्गजों के सामने खुद का राजनीतिक रुतबा कायम रखने की चुनौती के साथ-साथ प्रदेश में अपनी पार्टियों के शानदार प्रदर्शन की जिम्मेदारी भी है। पूरे प्रदेश की निगाह उन चुनाव क्षेत्रों पर टिक गई, जहां से ये दिग्गज खुद चुनाव लड़ रहे हैं। हरियाणा के चुनाव में चौधराहट कायम रखने के लिए दिग्गज राजनेताओं के बीच अक्सर जंग होती आई है। इस बार विधानसभा चुनाव में करीब आधा दर्जन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा खुद रोहतक जिले के गढ़ी-सांपला-किलोई हलके से चुनाव लड़ रहे हैं तो इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने जींद के उचानाकलां और सिरसा के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्रों में ताल ठोंकी है। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की पुत्रवधू एवं पर्यटन मंत्री किरण चौधरी ने तोशाम से हुंकार भरी है। इनेलो के प्रधान महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य अजय चौटाला डबवाली हलके से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की धर्मपत्नी जसमा देवी हिसार जिले के नलवा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं तो उनके पुत्र हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई आदमपुर से ताल ठोंक रहे हैं। प्रदेश के इन दिग्गजों का पूरा ध्यान अपने-अपने राजनीतिक गढ़ों की किलेबंदी में लग गया है। वह अपने हलकों में चुनाव प्रचार के लिए लौट आए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अजय चौटाला, पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल व उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी हालांकि पूरे प्रदेश के स्टार प्रचारक हैं, लेकिन अपने गढ़ बचाने के लिए उन्होंने अपने-अपने हलकों में मतदाताओं के बीच बैठना आरंभ कर दिया है। सिरसा और जींद जिलों में चौटाला मतदाताओं को उपलब्धियों की जानकारी दे रहे हैं तो रोहतक में मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा विकास की तस्वीर के साथ लोगों के बीच हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल पर दोहरी जिम्मेदारी है। उन्हें अपनी पत्नी जसमा देवी को जिताने की चिंता है तो साथ ही पुत्र कुलदीप बिश्नोई को सौंपी राजनीतिक विरासत बचाने की फिक्र भी सता रही है। पर्यटन राज्यमंत्री किरण चौधरी बाऊजी चौ. बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को बरकरार रखने की जद्दोजहद में हैं। वित्त मंत्री बीरेंद्र सिंह पर हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की भी जिम्मेदारी है, मगर उनका पूरा ध्यान अपनी सीट उचानाकलां में लगा है। इन दिग्गजों की सोच है कि यदि उनके खुद के राजनीतिक दुर्ग में चौधर कायम रहेगी तो पूरे प्रदेश में उनकी राजनीति का सिक्का चलेगा। अपनी इसी सोच के तहत दिग्गज पूरी मुस्तैदी के साथ अपने राजनीतिक गढ़ों पर ध्यान दे रहे हैं।