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शनिवार, 5 दिसंबर 2009

'बाबरी विध्वंस का अफ़सोस नहीं'





राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने पर अफ़सोस करने का सवाल ही नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन का संघ का पूरा समर्थन जारी रहेगा.

चंडीगढ़ में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि बाबरी ढाँचा गिराया जाना कोई साज़िश नहीं थी.


उन्होंने कहा, "बाबरी मस्जिद गिराया जाना कोई साज़िश नहीं बल्कि कारसेवकों की सहज प्रतिक्रिया थी, जिनकी भावनाओं पर चोट पहुँचाई गई थी."

मोहन भागवत ने कहा कि जो भी हुआ वह राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़ा हुआ था.

संघ प्रमुख ने कहा कि अफ़सोस जिनको करना चाहिए, वे करें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस पर कोई अफ़सोस नहीं.

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी. हाल ही में संसद में पेश की गई लिबरहान आयोग की रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के कई शीर्ष नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.

लुधियाना में फिर बवाल, सत्संग का विरोध, 1 की मौत


लुधियाना। यहां आज आशुतोष महाराजा के सत्संग के विरोध में दमदमी टकसाल के प्रदर्शनकारी स़डकों पर उतर आए। लोगों के उग्र तेवर को देखते हुए पुलिस ने हवाई फायरिंग की। विरोध प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत होने की खबर है। गौरतलब है कि लुधियाना में पहले से ही तनाव का माहौल है। शहर के पांच इलाकों में कल हुए मजदूरों के बवाल के चलते कफ्र्यू लगा हुआ है और आज दूसरी घटना हो गई जिसमें दमदमी टकसाल के प्रदर्शनकारी आशुतोष महाराज का विरोध करने स़डकों पर उतरे हैं। कहा जा रहा है कि यहां सत्संग होने की बात पर कई दिनों से विरोध जताया जा रहा था। टकसाल ने पहले ही सरकार को इस बारे में चेताया था। आज सुबह 10 बजे यह सत्संग शुरू होना था। इससे पहले ही दमदमी टकसाल के लोग आसपास जमा होना शुरू हो गए थे। पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। इस पर वे पुलिस पर ही पथराव करने लगे। इस बीच आशुतोष महाराज का कल होने वाला सत्संग स्थगित कर दिया गया है।

पा में बिग बी का बिग कमाल

मूवी : पा
कलाकार : अमिताभ बच्चन , विद्या बालन , अभिषेक बच्चन , परेश रावल।
निर्माता : ए . बी . कॉरपोरेशन और रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट।
स्क्रिप्ट , डायरेक्टर : आर . बाल्की
सेंसर सर्टिफिकेट : यू
अवधि : 140 मिनट

इस फिल्म को देखकर आपको लगेगा कि आप किसी नए अमिताभ बच्चन से मिल रहे हैं। वाकई , डाइरेक्टर आर . बाल्की ने इस बार उन्हें सिल्वर स्क्रीन पर कुछ ऐसे अलग अंदाज के साथ पेश किया है जो बिग बी की अपनी इमेज से कोसों दूर है। बाल्की इससे पहले सीनियर बच्चन के साथ लीक से हटकर फिल्म ' चीनी कम ' बना चुके हैं। करीब 70 साल के बिग बी ने सिल्वर स्क्रीन पर 12 साल के ऐसे बच्चे के चरित्र को जीवंत किया है जो एक लाइलाज बीमारी प्रोजोरिया से पीड़ित है। शायद ऐसा चैलेंज भरा रोल बॉलिवुड में अकेले अमिताभ बच्चन ही कर सकते है।

कहानी
फिल्म की कहानी एकदम हटकर है। विदेश में स्टडी के दौरान अमोल आप्टे ( अभिषेक बच्चन ) और विद्या ( विद्या बालन ) को कुछ मुलाकातों के बाद प्यार हो जाता है। एक राजनेता आप्टे साहब ( परेश रावल ) का इकलौता बेटा अमोल भी डैड की तर्ज पर राजनीति में मुकाम बनाना चाहता है तो विद्या डॉक्टरी की स्टडी को पूरा करने विदेश में है। अमोल और विद्या की नजदीकियां बिना किसी रिश्ते में बंधे एक ऐसे मुकाम पर पहुंच जाती है जहां विद्या अमोल के बच्चे की मां बनने वाली है। अमोल को करियर की इस दौड़ में फिलहाल किसी नए रिश्ते में बंधना मंजूर नहीं। वह विद्या को किसी डॉक्टर से मिलकर इस समस्या को समाप्त करने की सलाह देता है , लेकिन विद्या को ऐसा करना गवारा नहीं। वह अमोल की जिंदगी से निकल अपनी मां के पास आती है और अपने बच्चे को जन्म देती है। विद्या का यह बच्चा प्रोजोरिया नाम की लाइलाज बीमारी से पीड़ित है।

सिर्फ 12 साल की उम्र में 6 0 साल के बूढ़े जैसा दिखने वाला विद्या का बेटा ऑरो ( अमिताभ बच्चन ) दूसरे सामान्य बच्चों जैसा ही है। स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ क्रिकेट खेलना और घर में नानी मां के साथ मौज मस्ती करना ऑरो की जिंदगी का हिस्सा है , लेकिन ऑरो को हर वक्त मन ही मन अपने पा की तलाश है। वहीं , दूसरी और अमोल अब एमपी बन चुका है। स्कूल में एक प्रतियोगिता के दौरान ऑरो की मुलाकात अमोल आप्टे से होती है जो स्कूल के कार्यक्रम में ऑरो को अवॉर्ड देते हैं। अमोल से मिलने के बाद ऑरो को उसमें अपनापन लगता है और दोनों एक दूसरे के नजदीक आते है , लेकिन ऑरो को अभी मालूम नहीं कि अमोल ही उसके पा है । फिल्म की कहानी का नयापन और पेश करने का रोचक अंदाज दर्शकों को बांधकर रखता है।

एक्टिंग
अमिताभ बच्चन का इस फिल्म में एक नया अवतार है। ऑरो की जिंदादिली और हर सही बात में बच्चों की तरह अड़ जाने वाले दृश्यों में अमिताभ का अभिनय कमाल का है। भले ही गजब के मेकअप ने बिग बी की राह आसान बना दी हो , लेकिन एक्टिंग से ऐसा कमाल सिर्फ बिग ही कर सकते है , कभी दर्शकों के चेहरों पर ऑरो की शरारतें हंसी बिखेरती तो कभी आंखें नम करती। अभिषेक सही मायने में एक यंग पॉलिटिशन लगे है वहीं विद्या बालन ऑरो की बेबस मां की भूमिका में खूब जमी है।

शुरू से आखिर तक फिल्म अमिताभ के इर्द गिर्द घूमती है और उन्होंने गजब की एक्टिंग की है। ऑरो के रोल में वह आपको हंसाते भी हैं और आंखें भी नम करते हैं। अभिषेक और विद्या बालन ने भी अच्छा रोल निभाया है।

स्क्रिप्ट , निर्देशन
आर . बाल्की की स्क्रिप्ट में दम है , कहानी की रफ्तार सुस्त है , लेकिन कहानी को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा जरूरी था। ऐसा नहीं बाल्की ने पूरी फिल्म ऑरो के आसपास रखी अमोल और विद्या के चरित्रों के साथ भी उन्होंने पूरा न्याय किया है।

गीत - संगीत
फिल्म के गाने कहानी के मिजाज के अनुकूल है। इलैय्या राजा के संगीत में दम है। फिल्म का टाइटल सॉन्ग हिट हो चुका है। विद्या बालन और अभिषेक पर फिल्माया मुड़ी मुड़ी का फिल्मांकन गजब का बन पड़ा है।

क्या है खास
ऑरो की भूमिका में अमिताभ का कभी ना भूलने वाला अभिनय। कहानी अच्छी है , स्क्रिप्ट में दम है और यह कहीं भटकती नजर नहीं आती। फिल्म में कुछ भी फालतू नहीं है।

कमजोर कड़ी
एंटरटेनमेंट और वीकएंड पर मौज मस्ती की चाह में मसाला फिल्म देखने वालों के लिए कुछ नहीं। फिल्म थोड़ा गंभीर और लीक से हटकर है।

जिंदा है दुनिया का सबसे खौफनाक टेररिस्ट लादेन!



इस्लामाबाद।। दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी और अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के जिंदा या मुर्दा होने के बारे में अब तक तमाम कयास लगाए जाते
रहे हैं। लेकिन अब पाकिस्तान की जेल में बंद एक तालिबानी कैदी ने लादेन के जिंदा होने के बारे में नया खुलासा किया है। इस तालिबान बंदी का दावा है कि उसका एक दोस्त अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन से मिला था। इस तालिबान उग्रवादी के अनुसार, इस साल जनवरी या फरवरी में मैं अपने इस मित्र से मिला। उसने मुझसे कहा कि वह ओसामा से मिलकर आ रहा है और वह मुझे भी ओसामा से मिला सकता है।

इस व्यक्ति ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि शेख (बिन लादेन) कभी एक जगह पर नहीं ठहरते, अपना ठिकाना हमेशा बदलते रहते हैं। मेरे जान-पहचान का वह व्यक्ति गजनी (अफगानिस्तान) से आया था, इसलिए मैं समझता हूं कि ओसामा भी वहीं होंगे। उसने कहा कि मेरा यह दोस्त मुझसे हुई उसकी मुलाकात के करीब 15 से 20 दिन पहले ओसामा बिन लादेन से मिला था। इस बंदी शख्स का नाम कानूनी वजहों से उजागर नहीं किया गया है।

उसने बताया कि ओसामा से मिलने वाला उसका परिचित मेहसूद कबीले का है और वह अल कायदा के विदेशों में मौजूद कार्यकर्ताओं को ओसामा से मिलवाता है। उसका यह दोस्त अल कायदा के लोगों को अन्य देश से शेख तक लाने में मदद करता है। मेरे दोस्त ने 9-11 के आतंकवादी हमलों से पहले खुद भी कई बार बिन लादेन से मुलाकात का दावा किया।

गौरतलब है, पूर्वी अफगानिस्तान के गजनी इलाके में तालिबान की मजबूत मौजूदगी है। उसने यह भी कहा कि आतंकवादी अमेरिकी ड्रोन हमलों के डर से पाकिस्तानी सरजमीं पर जाने से बच रहे हैं। उसने कहा कि इस समय पाकिस्तान हमारे रुकने के लिहाज से सही नहीं है, क्योंकि ड्रोन हमलों में हमारे कई खास लोग शहीद हो गए हैं।

हालांकि बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इस तालिबान कैदी के ओसामा के बारे में किए गए दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रीडेल का मानना है कि उग्रवादी की कहानी विश्वसनीय है और इसकी खोजबीन की जानी चाहिए। रीडेल ने कहा कि तमाम पश्चिमी इंटेलिजेंस कम्यूनिटी, सीआईए और एमआई6 पिछले सात सालों से लादेन की तलाश में जुटे हुए हैं, लेकिन उन्हें अब तक इस तरह का कोई सूचना स्त्रोत नहीं मिला है। इसलिए अगर यह सही है, तो काफी बड़ी और असाधारण बात है। हमलोग जानते हैं कि ओसामा बिन लादेन जिंदा है और वह पाक-अफगान सीमा इलाके में कहीं रह रहा है। इस स्टोरी के बारे में सबसे असामान्य बात यह है कि हमारे पास एक ऐसा शख्स है, जो पहली बार सामने आकर कह रहा है कि हां, वह लादेन से मिला है और उसके पास हाल ही में उससे फिर मिलने का मौका था।

पाकिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी का भी कहना है कि इस कैदी के पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तालिबान नेताओं के साथ नजदीकी रिश्ते रहे हैं और वह आतंकवादी संगठन के लिए किडनैपिंग और पैसे उगाही में भी शामिल रहा है। बीबीसी को नवंबर महीने में पाकिस्तान अधिकारियों की मौजूदगी में दो दफा इस कैदी से मिलने का मौका दिया गया। गौरतलब है कि पाकिस्तान पर ओसामा बिन लादेन का पता लगाने के लिए और कदम उठाने के बढ़ते दबाव के बीच पाक लगातार कहता आया है कि ओसामा पाकिस्तानी धरती पर मौजूद नहीं है।

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