
भारत में ईरान के राजदूत ने संकेत दिए हैं कि अगर भारत तय समयसीमा के अंदर गैस पाइपलाइन पर बातचीत नहीं करता है तो वो चीन के सामने ये पेशकश रख सकता है.
नई दिल्ली में जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या चीन ने पाइपलाइन योजना में रुचि दिखाई है तो उन्होंने हाँ में जवाब दिया.
उनका कहना था, हमने पाकिस्तान के साथ मिलकर पाइपलाइन संधि पर हस्ताक्षर कर लिए. लेकिन भारत चाहे तो अब भी इस संधि का हिस्सा बन सकता है. लेकिन ये पेशकश असीमित समय के लिए नहीं है.
ईरानी राजदूत ने उम्मीद जताई कि त्रिपक्षीय समझौते पर सहमति हो जाएगी ताकि ईरान को किसी और देश से बातचीत न करनी पड़े.
भारत ईरान-पाकिस्तान के साथ मिलकर गैस पाइपलाइन योजना से जुड़ा रहा है लेकिन वो पिछले कुछ समय से बातचीत से दूर है. भारत 2007 में इस बातचीत से अलग हो गया था.
असहमति
भारत का कहना है कि बातचीत से पहले इस बात पर सहमति हो कि पाकिस्तान से गुज़रने वाली पाइपलाइन की ट्राज़िट से जुड़ी कीमत द्विपक्षीय स्तर पर तय की जाए.
मई 2009 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ईरान के दौरे पर गए थे और उसी दौरान दोनों देशों ने गैस पाइपलाइन पर समझौता कर लिया था.
लेकिन ये नहीं बताया गया था कि योजना से जुड़े सारे मुद्दे सुलझा लिए गए हैं या नहीं.
इस गैस पाइपलाइन को शुरू में 2.2 अरब क्यूबिक फ़ीट गैस भारत और पाकिस्तान को पहुँचाना था (दोनों देशों का आधी-आधी गैस).
भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक मुद्दों पर सहयोग ज़्यादा नहीं है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि व्यवसायिक रिश्तों को मज़बूत करने से आपसी रिश्ते सुधारने में मदद मिलेगी. रूस के बाद ईरान में गैस का सबसे बड़ा भंडार है.