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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

संपादकीय

डा. सुखपाल सिंह सांवतखेड़ा
भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणाली अपने 6वें दशक में जिस उतार-चढ़ाव से आगे बढ़ रही है। वह काफी सराहनीय है। लेकिन लोकतान्त्रिक प्रणाली के मुख्य तीनों अंगों में भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में लोगों के विश्वास को कायम रखने के लिए लोकतन्त्र व्यवस्था के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारिता से ही उम्मीदें हैं पर देखने में आ रहा है कि जिस तरह से हमारी भारतीय राजनीति में गैर समाजिक तत्वों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है उसी तरह से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी स्वार्थी लोगों ने सेंध लगाना शुरू कर दिया है। जिससे आजकल पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रदेश में विगत दिनों हुए विधान सभा व लोकसभा चुनावों में देखने को मिला कि किस तरह भिन्न - भिन्न राजनीतिक दलों ने ख्रबर की सुॢखयों को विज्ञापनों का रूप देकर आम मतदाता को भ्रमित कर वोट बैंक बढ़ाने का कार्य किया। इससे चाहे इन राजनीतिक दलों को कोई फायदा हुआ हो या नहीं परन्तु समाचार पत्रों को आॢथक लाभ अवश्य हुआ है। जहां एक ओर मतदाताओं को भ्रमित कर उनसे विश्वासघात किया गया। वहीं यह लोकतान्त्रिक प्रणाली के लिए अति घातक सिद्ध हो रहा है। क्योंकि कलम से निकला एक-एक लफ्ज कईयों को घायल करने की क्षमता रखता है। जबकि बन्दूक से निकली गोली केवल एक को ही घायल कर सकती है। अब समय आ गया है कि इस पवित्र पेशे की पवित्रता को कायम रखने के लिए माथापच्ची करने की जरूरत है ताकि लोगों का दृढ़ विश्वास पत्रकारिता से उठने न पाए। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे पीली पत्रकारिता करने वाले स्वार्थी लोगों से बचा जा सके। यंग फ्लेम समाचार पत्र का मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष एवं सकारात्म पत्रकारिता करना है। जो अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि समाज के हित व विकास के लिए आपकी आवाज को बुलन्द करेगा। लेकिन हमारा यह प्रयास इस बड़े समुन्द्र में ऐसी बूंद की तरह है जो इस जल को अमृत में तबदील करने की क्षमता रखता है। यंग फ्लेम एक ऐसी मशाल है जो सच्चाई की रोशनी को हर दिल में जगाए रखने का वायदा करती है। लेकिन यह सब हकीकत में तभी साकार हो सकता है। जब आप जैसे महानुभाव इस मशाल को जगाए रखने के लिए हमारे हाथ से हाथ मिला कर चले ताकि हम पत्रकारिता के इस मुकाम की ऊंचाईयों को आसमान में उन टिमटिमाते तारों के समान चमका सकें। जैसे अनेक तारों में धु्रव तारा। यंग फ्लेम समाचार पत्र पत्रकारिता के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने जा रहा है। युवा पीढ़ी की रूचि को मद्देनज़र रखते हुए राष्ट्र भाषा हिन्दी के साथ - साथ अन्तर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी में एक साथ प्रकाशित किया गया है। हमारा प्रयास है कि जहां हम अपनी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी से ओत-प्रोत भारतीय संस्कृति से जुडें रहेंगे। वहीं आधुनिक सूचना क्रान्ति व प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने को पिछड़ा महसूस न समझकर अंग्रेजी भाषा के माध्यम से युवाओं को अपने साथ जोड़ इस मशाल की लौ को इतना तीव्र करना चाहते हैं कि हमारे समाज से कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा व नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराईयों को जड़ से जला दें। हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यंग फ्लेम समाचार पत्र आपके दिलों में सच्चाई की मशाल जलाने में सफल होगा।

टाईटल यंग फ्लेम ही क्यूं?

यंग फ्लेम अपने आप में एक ऐसा नाम है। जो अपने अन्दर दो लफ्जों को समाए हुए है। जिसका अर्थ ही है कि यंग यानि युवा व फ्लेम यानि अग्रि। युवा शक्ति में वह आग है जो देश व समाज को नई दिशा प्रदान कर सकती है। भारतीय संस्कृति में अग्रि का विशेष महत्व है, कोई भी कार्य का शुभारम्भ करने से पूर्व पवित्र अग्रि को जलाया जाता है। इसी अग्रि को जलाने का हमारा यह तुच्छ प्रयास है कि युवाओं में आग तो है परन्तु उस आग की लकडिय़ों में नशों की दीमक लग रही है उससे हम उन्हें बचा सकें।

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