राजौरी,जंगलों में अवैध कटाई और पानी की कमी के कारण तेंदुए न केवल आबा
दी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं, बल्कि आदमखोर भी बन रहे हैं। राजौरी और पुंछ में अब तक 16 लोग उनके ग्रास बन चुके हैं, जबकि सौ से ज्यादा जख्मी हो चुके हैं। तेंदुओं के हमलों से आजिज आ चुके इन दोनों जिलों के ग्रामीण अब उन्हें खत्म करने पर उतर आए हैं। ग्रामीण अब तक 12 तेंदुओं और दस रीछों को मौत के घाट उतार चुके हैं। वन्यजीव विभाग भी जंगली जानवरों को रिहायशी क्षेत्रों से दूर रखने के लिए ठोस कदम उठाने के बजाय उन्हें मौत के घाट उतारने का बेहिचक आदेश दे रहा है। यही नहीं वह उन ग्रामीणों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं करता जिनके हाथों तेंदुए अथवा रीछ मारे जा रहे हैं। पिछले कुछ समय में राजौरी और पुंछ जिलों के थन्ना मंडी, नौशहरा, कालाकोट सहित करीब दर्जन भर इलाकों में तेंदुए हमले कर चुके हैं। इसी तरह बुद्धल, सवाड़ी, पीढ़ी, चंडीमंढ आदि क्षेत्रों में रीछों का कहर है। कई गांवों में इन दोनों जानवरों का खौफ इतना बढ़ चुका है कि लोग अकेले और बिना लाठी के घरों से बाहर कदम तक नहीं रखते हैं। जब ग्रामीण किसी जंगली जानवर को मौत के घाट उतार देते हैं तो वन्यजीव विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचकर किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि गांव के नाम पर मामला दर्ज कर अपने कर्तव्य का इतिश्री कर लेते हैं। कभी कभार ग्रामीणों से बचकर यदि कोई तेंदुआ निकल भी जाता है तो विभाग उसे मारने का फरमान सुना देता है। वन्यजीव विभाग अभी तक तीन तेंदुओं को मौत के घाट उतारने का आदेश जारी कर चुका है। वन्यजीव विभाग के राजौरी-पुंछ रेंज के अधिकारी विजय सिंह का कहना है कि जो तेंदुए आदमखोर घोषित किए गए हैं उन्हें जल्द ही मार दिया जाएगा। हम लोग गांव-गांव जाकर जानवरों से निपटने के गुर भी लोगों को सिखा रहे हैं। राजौरी में वाइल्ड लाइफ सेंच्युरी व नेशनल पार्क बनाने के लिए प्रस्ताव सरकार के पास भेज रखा है, लेकिन फिलहाल किसी को पता नहीं कि उसे कब मंजूरी मिलेगी।
