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बुधवार, 18 नवंबर 2009

अब महिलाओं के लिए 'काम' की दवा



वियाग्रा की तरह यह दवा भी किसी और मर्ज़ के लिए बनाई गई थी



अवसाद कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली एक दवा, जो बाज़ार में उतारे जाने से पहले होने वाली परीक्षा में फेल हो गई, उसे "महिलाओं के वायग्रा" के तौर पर काफ़ी सराहना मिल रही है.

तीन अलग अलग परीक्षणों में, फिबनसरीन नाम की इस दवा ने उन महिलाओं की सेक्स ड्राइव के लिए चौंकाने वाला काम किया, जिनकी इस विषय में दिलचस्पी कम हो गई थी, जबकि इन्हीं महिलाओं के मूड पर इस दवा का कोई असर नहीं हुआ.

इस खोज का पता भी अचानक ठीक उसी तरह चला जैसा कि वायग्रा के साथ हुआ था. मूल तौर पर वायग्रा को दिल की बीमारी के इलाज के लिए बनाया गया था.

अमरीका की इस खोज को फ्रांस के लिओन में हो रही उस बैठक में पेश किया गया जहाँ सेक्स की दवाओं पर चर्चा हुई.

नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय के मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर जॉन थोर्प ने यूरोपियन सोसाइटी फॉर सेक्सुअल मेडिसिन को बताया, " फिबनसरीन एक बेकार अवसादरोधक साबित हुआ, लेकिन गहरे अध्ययन के बाद ऐसा पाया गया है कि प्रयोगशाला में कुछ जानवरों और इंसानों पर जो प्रयोग हुए, उसमें इसने उनकी कामवासना को बढ़ाया है."

जॉन थोर्प ने ये भी कहा कि इसी वजह से उन लोगों ने प्रयोगशाला में इस दवा को लेकर और भी परीक्षण किए.

इस शोध में जिन महिलाओं ने ये दवा ली उनमें उनकी कम हुई कामवासना में उस दिन महत्वपूर्ण सुधार दिखा और उन्हें सेक्स में भी पूर्ण संतुष्टि हुई.

जॉन थोर्प का कहना था, "ये मूल रूप से महिलाओं के लिए वायग्रा की तरह की दवा है. कम होती कामवासना महिलाओं की सेक्स संबंधी ठीक वैसी ही समस्या है, जैसा कि पुरुषों में उनके लिंग का लचीलापन यानि इरेक्टाइल डिसफंक्शन होता है."

इस विषय में अमरीका, कनाडा और यूरोप की दो हज़ार महिलाओं पर परीक्षण किए गए.

लेकिन महिलाओं की कामवासना को बढ़ाने के लिए दवाओं के औचित्य को ही लेकर कुछ डॉक्टरों ने संशय ज़ाहिर किया है.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन के प्रोफेसर अर्विन नाज़रथ ने कहा है, " कम हुई कामवासना सामान्य भी हो सकती है."

औरों का कहना है कि दवाओं पर निर्भर रहने से सेक्स की समस्या से जूझ रहे दंपत्ति इस समस्या के दूसरे पहलुओं को नज़रंदाज़ करने लगेंगे. please send ur comments on dr_sukhpal007@yahoo.com

सेलिब्रिटी हनीमून


बालीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के साथ शादी करने जा रहे उद्योगपति राज कुंद्र हनीमून को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। राज ने शिल्पा के लिए शानदार हनीमून प्लान किया है, जिसे वे ताउम्र नहीं भूल पाएंगी। उनकी योजना शादी के बाद शिल्पा को कैरेबियाई द्वीप बहामास ले जाने की है। इस बारे में राज ने शिल्पा को ज्यादा नहीं बताया है। उन्हें बस इतना पता है कि राज ने बहामास के अटलांटिस रिसार्ट में रीगल सूइट बुक किया है। यह सारी व्यवस्था राज ने खुद की है।

कानून से ऊपर है पंजाब पुलिस


युवक को हीटर पर बैठाने के पंजाब पुलिस के कारनामे पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि लगता है पुलिस अपने को कानून से ऊपर समझती है। वह यह सोचती है कि कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हाईकोर्ट ने राज्य के गृह सचिव व पंजाब पुलिस की आलोचना की। जस्टिस खेहर ने कहा कि वह इस बारे में राज्य के गृह सचिव से बात करना चाहते हैं कि इस मामले में उन्होंने क्या किया है। मई से अब तक सरकार ने दोषियों के खिलाफ कुछ भी कार्रवाई नहीं की है। सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को संस्पेंड कर दिया गया है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि गृह सचिव को तुरंत कोर्ट में पेश होकर जवाब देना चाहिए। सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें तेज बुखार है, इसलिए वह कोर्ट में तुरंत पेश नहीं हो सकते। कोर्ट अब सोमवार को मामले की सुनवाई करेगी। चंडीगढ़ के एक संगठन ने समाचार पत्रों में प्रकाशित फिरोजपुर पुलिस द्वारा युवक को डकैती में शामिल होना कुबूल करवाने के लिए नंगा करके हीटर पर बैठाया खबर को आधार बना याचिका दाखिल की थी।

ओझा नहीं डाल पाया मुर्दे में जान


यह सत्य है, किताबों में छपे हुए कहानी के अंश नहीं। शाहाबाद के गांव दामली के ग्रामीणों में रूढि़वादिता कुछ इस कदर छाई कि वे सर्पदंश से मरे एक व्यक्ति को जीवित करने के फेर में पड़ गए। मुर्दे को जीवित करने का दावा करने वाला कोई महापुरुष नहीं, बल्कि गाजियाबाद से आया एक ओझा था। मृत व्यक्ति को जिंदा करने का खेल बारह घंटे चला, लेकिन ओझा मुर्दे में जान नहीं डाल सका। इसके बाद गांववासियों को समझ आया कि यह तो विधि का विधान और प्रकृति का नियम है। तब कही जाकर मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया। मामले के अनुसार गत रविवार की शाम दामली का रहने वाले जोगेंद्र सिंह जब खेतों में काम कर रहा था तभी एक सांप ने उसे डस लिया। घबरा कर वह बाइक से घर की ओर भागा, लेकिन कुछ दूर जाने के बाद वह मूर्छित होकर गिर पड़ा। यह देख गांववासी व परिजन वहां इकट्ठे हुए और गांव में ही झाड़ फूंक करने वाले सात व्यक्तियों को वहां पर बुलाकर लाए। कोई बात नहीं बनी और जोगेन्द्र सिंह ने दम तोड़ दिया। इसकी पुष्टि मौके पर पहुंचे चिकित्सक ने भी कर दी। लेकिन गांववासियों के मन में बैठा अंधविश्वास का रावण अभी भी उसके जीवित होने की आस लगाए था। इसी बीच वहां पर पहुंचे हसनपुर के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने जोगेंद्र सिंह के परिजनों को सुझाव दिया कि गाजियाबाद में एक ऐसा ओझा है जो सर्पदंश से मृत व्यक्ति को जीवित करने की शक्ति रखता है और अगर उसे बुला लिया जाए तो जोगेंद्र जीवित हो सकता है। इस पर परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार न करके उसे बर्फ में रखा और गाजियाबाद से ओझा को बुलाने के लिए गांव से दो व्यक्तियों को भेजा दिया। लगभग 24 घंटे बीतने के बाद गाजियाबाद का ओझा सोमवार शाम सात बजे गांव पहुंचा और एक अलग कमरे में मृत जोगेंद्र को जीवित करने के लिए तंत्र विद्या शुरू कर दी। ओझा के कहने पर गांववासी क्विंटलों आक के पत्ते भी मौके ले आए। लगभग बारह घंटे बीत गए और मंगलवार सुबह सात बजे तक ओझा उसे जीवित नहीं कर सका। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

झलक दिखला जा--द ग्रेट खली


शिमला में यह न कोई भाजपा और न ही कांग्रेस की रैली है बल्कि हजारों की संख्या में ये भीड़ हिमाचली गबरू के दीदार के लिए उमड़ी है।

आमिर, शाहरुख व अमिताभ एक मंच पर



नई दिल्ली। बॉलीवुड के चहेतों को जल्दी ही बॉलीवुड के शहंशाह, बादशाह और मिस्टर परफेक्शनिस्ट एक साथ दिखाई देंगे। जाहिर है, तीनों की मौजूदगी का कारण भी कुछ खास ही होगा। तीनों को एक मंच पर लाने का कारण बनेगा सबका चहेता ओरो।

अमिताभ ने अपने ब्लाग पर इस बात का खुलासा किया है कि शाहरुख खान और आमिर खान दोनों ने उन्हें पा के प्रीमियर में शामिल होने का पूरा आश्वासन दिया है। अमिताभ ने लिखा है कि मुंबई में प्रीमियर की बात पक्की हो गई है। तीन दिसंबर को आईमैक्स, वडाला में पा का प्रीमियर होगा और आमिर तथा शाहरुख दोनों ने ही मुझे इस अवसर पर शामिल होने का पूरा आश्वासन दिया है। उन्होंने लिखा है कि मैंने इंडस्ट्री के लोगों को प्रीमियर में न्यौता देने के लिए पत्र लिखने शुरू कर दिए हैं।

अमिताभ ने लिखा है कि लेकिन एक बुरी खबर यह भी है कि लंदन और दुबई में प्रीमियर की योजना निरस्त हो गई है। कई मुद्दे इसमें आड़े आ रहे थे और ऐसी परिस्थितियों में इस मामले पर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था। दोनों ही जगहों पर प्रीमियर नहीं हो सकेगा।

दुनिया के भ्रष्टतम देशों में भारत भी




बर्लिन। भारत दुनिया के भ्रष्टतम देशों में शुमार है। सकार क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों की सूची में भारत का स्थानर 84वां है। दुनिया में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की बुधवार को एक साथ विभिन्न देशों में जारी वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान में भ्रष्टाचार ज्यादा है।
2.4 अंकों के सात वह 138वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के मामले में जो देश इस सूची में सबसे निचले पायदान पर हैं, वे सभी संघर्ष य हिंस से प्रभावित हैं। इनमें अफगानिस्तान, म्यांमार, इराक, सोमालिया और सूडान प्रमुख हैं। इस सूची में न्यूजीलैंड, डेनमार्क और सिंगापुर ईमानदार देशों में शुमार किए गए हैं। सर्विया, घाना, पेरू और बुर्किना फासो जैसे विकासशील देशों की स्थिति भारत से बेहतर है। उन्हें इस सूची में क्रमश: 83, 79 और 75वें स्थान पर रखा गया है। चीन की स्थिति भी भारत से थो़डी बेहतर है। उसे 3.6 अंक मिले हैं। भारत के अन्य प़डोसी देशों में नेपाल 143वें स्थान के साथ भारत से काफी नीचे है जबकि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ 139वें स्थान पर है। श्रीलंका 3.1 अंकों के साथ 97वें स्थान पर है।
स्विस बैंकिंग कानून बदलने की सिफारिश
संस्था ने पहली बार सिफारिश की है कि स्विट्जरलैंड जैसे देशों के बैंकिंग कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, जहां काली कमाई को सुरक्षित रखा जाता है। संस्था ने कहा कि अब समय आ गया है जब बैंकिंग कानून में गोपनीयता का प्रावधान समाप्त होना चाहिए। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के प्रमुख आरएच तहलियानी ने कहा कि उनकी संस्था ने पाया कि गरीबी और भ्रष्टाचार में सीधा संबंध है, जिससे गरीबी से ल़डने में मुश्किल आ रही है तथा संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य हासिल करने की कोशिश भी नाकाम

जयवर्धने धुन ने टीम इंडिया को नचाया




अहमदाबाद। बल्लेबाजी के लिए ख्वाबगाह पिच पर जमकर खेलते हुए महेला जयवर्धने [नाबाद 204] के दोहरे शतक की बदौलत श्रीलंका की पहले टेस्ट के तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत के खिलाफ 165 रन की बढ़त हो गई है। भारत के पहली पारी में बने 426 रन के जवाब में श्रीलंका ने पांच विकेट के नुकसान पर 591 रन बना लिए हैं।

तीसरा दिन पूरी तरह से महेला जयवर्धने के नाम रहा। उन्होंने आज दो शतकीय साझेदारी में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। पहले चौथे विकेट के लिए थिलन समरवीरा [70] के साथ 138 रन जोड़े फिर छठे विकेट के लिए प्रसन्ना जयवर्धने [नाबाद 84] के साथ अविजित 216 रन की साझेदारी निभाई। जयवर्धने ने खेल खत्म होने से दो ओवर पहले अपना छठा दोहरा शतक पूरा किया। टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा दोहरा शतक लगाने वालों में जयवर्धने चौथे नंबर पर पहुंच गए हैं। हालांकि इस नंबर पर चार बल्लेबाज हैं जबकि सर्वाधिक दोहरा शतक का रिकार्ड आस्ट्रेलिया के डान ब्रेडमैन [12] के नाम दर्ज है। महेला ने दोहरा शतक 330 गेंदों [17 चौके व एक छक्का] में पूरा किया। जयवर्धने के साथ प्रसन्ना ने भी बेहतरीन बल्लेबाजी का नमूना पेश करते हुए 84 रन बना कर पूर्व कप्तान का बखूबी साथ दे रहे हैं। जहीर खान और ईशांत शर्मा ने दो-दो विकेट चटकाए।

इससे पहले कल के नाबाद बल्लेबाज समरवीरा ने अर्धशतक और जयवर्धने ने अपना शतक पूरे करते हुए भारतीय गेंदबाजों पर जमकर शाट लगाए। समरवीरा ने जहां हरभजन सिंह पर चौका जमाते हुए 97 गेंदों पर अपना पचासा ठोका वहीं जयवर्धने ने भी भज्जी की गेंद को सीमारेखा के पार पहुंचाते हुए 86 गेंदों पर चार चौके और एक छक्के की मदद से अर्धशतक बनाया। दोनों बल्लेबाजों ने चौथे विकेट के लिए 138 रन जोड़ लिए थे लेकिन तभी ईशांत ने एक शाट पिच गेंद पर समरवीरा को युवराज सिंह के हाथों कैच कराकर इस जोड़ी को तोड़ा। जयवर्धने ने मैथ्यूज के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया लेकिन लंच से पहले आखिरी ओवर में हरभजन ने मैथ्यूज को गंभीर के हाथों लपकवाकर पहले सत्र में टीम को दूसरी सफलता दिलाई।

हालांकि इसके बाद जयवर्धन ने 151 गेंदों पर दस चौके और एक छक्के की मदद से अपना 27वां और भारत के खिलाफ पांचवां सैकड़ा जड़ा। जयवर्धने इसके बाद भी नहीं रुके और उन्होंने प्रसन्ना के साथ मिलकर श्रीलंका के लिए भारत के खिलाफ उसी की जमीन पर छठे विकेट के लिए अपनी टीम की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने के रिकार्ड भी बना डाला।

स्कोर बोर्ड

पहला टेस्ट, तीसरा दिन [स्टंप्स]

भारत पहली पारी में 426 रन

श्रीलंका पहली पारी पांच विकेट पर 591 रन

दिलशान का द्रविड़ बो जहीर 112

पर्णविताना का धौनी बो ईशांत 35

संगकारा का तेंदुलकर बो जहीर 31

महेला जयवर्धने नाबाद 204

समरवीरा का युवराज बो ईशांत 70

मैथ्यूज का गंभीर बो हरभजन 17

प्रसन्ना नाबाद 84

अतिरिक्त: 38

विकेट पतन: 1-74, 2-189, 3-194, 4-332, 5-357।

गेंदबाजी

जहीर 30-4-93-2

ईशांत 28-0-108-2

हरभजन 39-3-151-1

मिश्रा 43-6-152-0

युवराज 13-1-49-0

तेंदुलकर 7-0-20-0

तीन शहरों में मिले 43 लाख नकली नोट


राष्ट्रीय जांच एजेंसी देशद्रोहियों को खोजने व आतंकी हमलों की साजिशें नाकाम करने में जुटी है, वहीं एसटीएफ और पुलिस ने मंगलवार को कोलकाता में 31 लाख, दिल्ली में 10, मुंबई में 2.5 लाख की नकली करेंसी बरामद की। 31 लाख की नगदी तो अकेले लश्कर-हुजी से जुड़े तीन बांग्लादेशी आंतकियों से बरामद हुई है जिन्हें धर्मतल्ला में दबोचा गया। ये तीनों श्रमजीवी एक्सप्रेस धमाके और हैदराबाद एसटीएफ कार्यालय पर दफ्तर पर हमले में शामिल रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हजार और पांच सौ के नोटों की यह खेपें बांग्लादेश के रास्ते देश में पहुंची है। एसटीएफ प्रमुख राजीव कुमार ने बताया कि आतंकियों अब्दुल बाकी, मुहम्मद तहिदुर और अब्दुल रहमान को धर्मतल्ला में उस वक्त दबोचा गया, जब वह बस स्टैंड पर मालदा जाने वाली गाड़ी के बारे में पूछ रहे थे। उनके बैगों से 31 लाख की करेंसी, फर्जी डीएल, वोटर आईडी मिले हैं। एसटीएफ प्रमुख ने कहा, तीनों मुर्शिदाबाद जिले से ट्रेन द्वारा कोलकाता पहुंचे थे। अब्दुल बाकी हैदराबाद स्थित एसटीएफ दफ्तर पर हमले में शामिल था जबकि तहिदुर श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में शामिल रहा। तीनों पाकिस्तान शाहिद बिलाल ग्रुप से जुड़े हैं,जो लश्कर-ए- तैयबा और हरकत उल जिहाद अल इस्लामी (हुजी) को आतंकी उपलब्ध करवाता है। पूछताछ में पता चला है कि अब्दुल रहमान हीली सीमा से घुसपैठ कर गत अप्रैल माह में भारत आया था जबकि बाकी कब आए इसका पता जांच के बाद चलेगा। कुमार ने कहा,आतंकियों से गिरोह के अन्य सदस्यों तथा कोलकाता में मौजूद मददगारों के बारे में पूछताछ की जा रही है। वहीं, दिल्ली पुलिस के सहायक आयुक्त नीरज ठाकुर ने बताया, पुलिस ने सफदरगंज इनक्लेव के निकट कमल सिनेमा के पास से वसीम, मजीबुर रहमान, रोहित यादव और विपिन खारी नामक व्यक्ति को दस लाख की नकली करेंसी के साथ पकड़ा। इसी प्रकार महाराष्ट्र एटीएस ने सेंट्रल मुंबई के सिवोन-कोलीवाडा क्षेत्र से झारखंड के पांच लोगों को ढाई लाख के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया।

ड्राइवर को सूली चढ़ा बच निकलते हैं सभी

अपने देश में सड़क दुर्घटनाओं के लिए व्यक्तियों को सूली पर चढ़ाने की परंपरा है, जबकि विभागीय संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी से साफ बच निकलती हैं। भारत में सालाना करीब एक लाख 40 हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इनमें 90 प्रतिशत मामलों में ड्राइवर को दोषी माना जाता है लापरवाही से गाड़ी चलाने का मुकदमा चलता है। सिर्फ आठ प्रतिशत मामलों में वाहन मालिकों को कसूरवार ठहराया जाता है। दो फीसदी दुर्घटनाओं में ही पीडब्लूडी, ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ की जिम्मेदारी तय होती है। ऐसे मामले अपवाद ही हैं जहां गढ्डेदार सड़क, गलत मोड़, बेढब ढलान, बेवजह स्पीड बे्रकर, मिट्टी-रोड़ी-बजरी जैसे बेजा अवरोध, गलत या अनुपस्थित यातायात संकेतक अथवा त्रुटिपूर्ण यातायात व्यवस्था और इनसे जुड़े विभागों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार माना गया हो, जबकि पचास प्रतिशत दुर्घटनाओं में इन की प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका होती है। यहां तक कि वाहन में निर्माणगत खराबी भी दुर्घटना का कारण हो सकती है, जिसके लिए वाहन निर्माता की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए लेकिन भारत में कानूनी प्रावधान होते हुए भी ज्यादातर विभाग दुर्घटना की जिम्मेदारी से साफ बच निकलते हैं। मोटर वाहन एक्ट, 1988 की धारा 135 में बाकायदा इस बात की व्यवस्था है कि प्रत्येक दुर्घटना की राज्य सरकार द्वारा विधिवत जांच एवं विश्लेषण होना चाहिए ताकि हादसे के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों तथा एजेंसियों की जिम्मेदार तय की जा सके। परंतु इस नियम की शायद ही कोई परवाह की जाती है। नतीजतन कई मर्तबा बेगुनाहों को सजा हो जाती है, जबकि असली गुनहगार छूट जाते हैं और दुर्घटनाओं को बढ़ाते रहते हैं। किसका है कसूर : सड़क हादसों के लिए दूसरे कारक किस तरह जिम्मेदार हो सकते हैं, इसे समझने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर 1995 के दौरान हुए हादसों की जांच पर निगाह डालना उचित रहेगा। उस समय यह एक्सप्रेस-वे नया-नया बना था और इस पर एक के बाद एक दुर्घटनाएं हो रही थीं। जब गहन जांच हुई तो पाया गया कि दुर्घटनाएं टायरों की वजह से हो रही थीं जिन्हें एक्सप्रेस-वे जैसी परिस्थितियां झेलने के लिए नहीं बनाया गया था। इसके बाद वहां ट्रकों के लिए रफ्तार सीमा तय कर दी गई, जिससे दुर्घटनाएं थम गई। दूसरा उदाहरण दिल्ली-गुड़गांव और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे का है। अब तक जिम्मेदार एजेंसियों ने इनके कारणों की समुचित जांच नहीं की है। इन दोनों एक्सप्रेस-वे के डिजाइन में गंभीर खामियां हैं जिससे गलत जगहों पर निकासी और प्रवेश के रास्ते दे दिए गए हैं। इसके अलावा दूसरी गड़बड़ी गलत-अस्पष्ट-छोटे एवं भ्रामक यातायात संकेतक तथा प्रकाश की अपर्याप्त व्यवस्था की है।

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