
लोकसभा चुनाव के बाद से ईवीएम की प्रासंगिकता को लेकर घमासान मचा हुआ है। कई राजनीतिज्ञ बैलेट से मतदान को ज्यादा कारगर बता रहे हैं। अलबत्ता, आयोग अभी भी मानता है कि ईवीएम ही लोकतंत्र में सरकार चुनने का कारगर साधन है। हां, इसको लेकर जो संशय उठे हैं उनका निदान करने के लिए प्लानिंग तैयार कर ली गई है। योजना है कि मतदान प्रक्रिया आरंभ होने से पहले सभी पोलिंग स्टेशन पर मॉक पोल (मशीन का ट्रायल) करवाया जाए। मॉक पोल मतदान से एक घंटा पहले करवाते हुए कम से कम सौ वोट डलवाकर प्रक्रिया को जांचा जाएगा। फिर मशीन को खाली करके पोलिंग एजेंटों को दिखाकर मतदान प्रक्रिया शुरू करवाई जाएगी। मॉडल कोड में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा। गड़बड़ी नजर आती है तो इसकी सूचना चुनाव आयोग को तुरंत देने के निर्देश हैं। कुल मिलाकर आयोग की कोशिश है कि राजनीतिज्ञों का भरोसा मशीनी वोटिंग सिस्टम पर बहाल किया जाए। आयोग मानता है कि ईवीएम जल्द और निष्पक्ष चुनाव कराने का बेहतरीन तरीका है। चुनाव में करोड़ों मतदाता अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हैं। हरियाणा में असेंबली के लिए 1 करोड़ 31 लाख 13 हजार 11 मतदाताओं के लिए 13 हजार 524 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। मतदाताओं में 71 लाख 47 हजार पुरूष तथा 59 लाख 65 हजार 911 महिला मतदाता हैं। राज्य में 87 हजार 956 सर्विस मतदाता है, जिसमें 57 हजार 756 पुरूष और 30 हजार 200 महिला सर्विस मतदाता हैं। चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह से मशीनी बनाने के लिए 16 हजार ईवीएम की जरूरत थी। सेंटर से हरियाणा के लिए 27 हजार ईवीएम भेजी गई हैं। यानि, जरूरत से 11 हजार ज्यादा। आयोग कहता है कि एहतियात के तौर पर अतिरिक्त मशीन भेजी गई हैं। मशीनों की कोई खेप कंडम निकल जाए तो अतिरिक्त स्टाक से तत्काल जरूरत पूरी कर ली जाए। मशीनों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। 27 हजार मशीनें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में जिलों को ट्रेजरी रूम में रखी गई हैं। किसी जिले में सबसे सुरक्षित स्थान ट्रेजरी को ही माना जाता है। यह जगह शहर के बीचों-बीच होती है और अक्सर वहां करोड़ों रुपये कैश रखा होता है इसलिए चौबीस घंटे गहन सुरक्षा करने की जरूरत होती है। ईवीएम की निगरानी का काम बाहर से आए जवानों के सुपुर्द किया गया है। चीफ इलेक्शन अफसर सज्जन सिंह कहते हैं कि संदेह को हर कदम पर दूर किया जा रहा है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का चुनाव प्रक्रिया में बहुत ही अहम रोल है। इसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नही हो सकती है। यह मशीन पूर्णतया टेंपर प्रूफ है। उन्होंने बताया कि निर्देश जारी किए गए हैं कि जिला निर्वाचन अधिकारी एल्फाबेटिकली आधार पर एक वोट लिस्ट तैयार करवाएं और इसके लिए पोलिंग स्टेशन के बाहर प्रशासन द्वारा नियुक्त एक आदमी की डयूटी लगाएं ताकि वोट डालने आने वाले वोटर को अपना नाम तलाश करने में किसी प्रकार की परेशानी ना आएं। मशीन को रिटर्निग आफिसर स्वयं चैक करें जिससे संदेह ना रहें। उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम को उम्मीदवार या उसके पोलिंग एजेंट को भी मतदान शुरू होने से पहले टेस्ट जरूर करवा दें। सज्जन कहते हैं कि ईवीएम को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग खुद सतर्कता बरत रहा है। पहले हिदायत मिल चुकी है कि मशीनों के आने जाने से लेकर उसके रखरखाव से जुड़ी हर प्रक्रिया पर नजर रखी जाए।