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शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

सौ वोट बहाल करेंगे भरोसा


लोकसभा चुनाव के बाद से ईवीएम की प्रासंगिकता को लेकर घमासान मचा हुआ है। कई राजनीतिज्ञ बैलेट से मतदान को ज्यादा कारगर बता रहे हैं। अलबत्ता, आयोग अभी भी मानता है कि ईवीएम ही लोकतंत्र में सरकार चुनने का कारगर साधन है। हां, इसको लेकर जो संशय उठे हैं उनका निदान करने के लिए प्लानिंग तैयार कर ली गई है। योजना है कि मतदान प्रक्रिया आरंभ होने से पहले सभी पोलिंग स्टेशन पर मॉक पोल (मशीन का ट्रायल) करवाया जाए। मॉक पोल मतदान से एक घंटा पहले करवाते हुए कम से कम सौ वोट डलवाकर प्रक्रिया को जांचा जाएगा। फिर मशीन को खाली करके पोलिंग एजेंटों को दिखाकर मतदान प्रक्रिया शुरू करवाई जाएगी। मॉडल कोड में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा। गड़बड़ी नजर आती है तो इसकी सूचना चुनाव आयोग को तुरंत देने के निर्देश हैं। कुल मिलाकर आयोग की कोशिश है कि राजनीतिज्ञों का भरोसा मशीनी वोटिंग सिस्टम पर बहाल किया जाए। आयोग मानता है कि ईवीएम जल्द और निष्पक्ष चुनाव कराने का बेहतरीन तरीका है। चुनाव में करोड़ों मतदाता अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हैं। हरियाणा में असेंबली के लिए 1 करोड़ 31 लाख 13 हजार 11 मतदाताओं के लिए 13 हजार 524 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। मतदाताओं में 71 लाख 47 हजार पुरूष तथा 59 लाख 65 हजार 911 महिला मतदाता हैं। राज्य में 87 हजार 956 सर्विस मतदाता है, जिसमें 57 हजार 756 पुरूष और 30 हजार 200 महिला सर्विस मतदाता हैं। चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह से मशीनी बनाने के लिए 16 हजार ईवीएम की जरूरत थी। सेंटर से हरियाणा के लिए 27 हजार ईवीएम भेजी गई हैं। यानि, जरूरत से 11 हजार ज्यादा। आयोग कहता है कि एहतियात के तौर पर अतिरिक्त मशीन भेजी गई हैं। मशीनों की कोई खेप कंडम निकल जाए तो अतिरिक्त स्टाक से तत्काल जरूरत पूरी कर ली जाए। मशीनों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। 27 हजार मशीनें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में जिलों को ट्रेजरी रूम में रखी गई हैं। किसी जिले में सबसे सुरक्षित स्थान ट्रेजरी को ही माना जाता है। यह जगह शहर के बीचों-बीच होती है और अक्सर वहां करोड़ों रुपये कैश रखा होता है इसलिए चौबीस घंटे गहन सुरक्षा करने की जरूरत होती है। ईवीएम की निगरानी का काम बाहर से आए जवानों के सुपुर्द किया गया है। चीफ इलेक्शन अफसर सज्जन सिंह कहते हैं कि संदेह को हर कदम पर दूर किया जा रहा है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का चुनाव प्रक्रिया में बहुत ही अहम रोल है। इसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नही हो सकती है। यह मशीन पूर्णतया टेंपर प्रूफ है। उन्होंने बताया कि निर्देश जारी किए गए हैं कि जिला निर्वाचन अधिकारी एल्फाबेटिकली आधार पर एक वोट लिस्ट तैयार करवाएं और इसके लिए पोलिंग स्टेशन के बाहर प्रशासन द्वारा नियुक्त एक आदमी की डयूटी लगाएं ताकि वोट डालने आने वाले वोटर को अपना नाम तलाश करने में किसी प्रकार की परेशानी ना आएं। मशीन को रिटर्निग आफिसर स्वयं चैक करें जिससे संदेह ना रहें। उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम को उम्मीदवार या उसके पोलिंग एजेंट को भी मतदान शुरू होने से पहले टेस्ट जरूर करवा दें। सज्जन कहते हैं कि ईवीएम को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग खुद सतर्कता बरत रहा है। पहले हिदायत मिल चुकी है कि मशीनों के आने जाने से लेकर उसके रखरखाव से जुड़ी हर प्रक्रिया पर नजर रखी जाए।

ताऊ नैया पार लगा दे....



....और ताऊ तबीयत ठीक सै ना., ताऊ राम-राम, रै ताऊ नै कुर्सी दे। कुछ ऐसे ही वाक्य आजकल चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों के कार्यालयों में खूब सुनने को मिल रहे हैं। गांव में तो कहानी इससे भी आगे बढ़कर है। ताऊ मेरी नैया पार लगा दे, आगे तो तेरी बल्ले-बल्ले कर दूंगा, चाय, बीड़ी और सिगरेट की कमी नहीं होने दूंगा। इस शब्द के साथ प्रत्याशी बुजुर्गो के पैर छूकर आशीर्वाद लेना नहीं भूल रहे हैं। बुजुर्गो को भी पता है कि चुनावी धुआं शांत होते ही, चुनावी चाय वाले चूल्हे बुझ जाएंगे, हाथ में माचिस तो होगी पर सुलगाने के लिए सिगरेट या बीड़ी नहीं होगी। चुनावी कार्यालयों में चाय, पानी से लेकर सिगरेट व बीड़ी का भी पूरा इंतजाम बुजुर्गो के लिए किया गया है। एक ऐसे ही चुनावी कार्यालय में बैठे बुजुर्ग, प्रत्याशी द्वारा किए गए इस चुनावी इंतजाम का मजा ले रहे थे कि जन संपर्क करने के बाद प्रत्याशी भी कुछ देर के लिए वहां पहुंचे। प्रत्याशी ने वहां बैठे बुजुर्गो से हाल चाल पूछने के बाद, चुनाव में अपनी स्थिति के बारे में भी पूछा। बुजुर्गो ने भी एक स्वर में जवाब दिया कि बेटा बस चारों तरफ तेरी ही बल्ले-बल्ले है। बुजुर्गो की इतनी बात सुन नेताजी गदगद हो गए और बोले तुम सारे ताऊ मेरी नैया पार लगा दो, मैं तुम्हारी बल्ले-बल्ले कर दूंगा। इसके बाद नेताजी बुजुर्गो का आशीर्वाद लेने के बाद आगे अपने चुनाव प्रचार की ओर बढ़ गए। लेकिन चुनावी कार्यालय में बैठे बुजुर्गो की चर्चा इसके बाद शुरू हो गई। एक बुजुर्ग ने कहा कि आज तक म्हारी बल्ले-बल्ले किसी ने भी नहीं की। यह नेता हमारा भला क्या करेंगे जो सिर्फ अपने भले के अलावा किसी और के बारे में नहीं सोचते। चुनाव में म्हारी वोटों की इन्हें जरूरत है। इस समय चाहे जितना सम्मान करालो, इसके बाद पांच साल तक नहीं दिखाई देंगे। फिर हमें अपने घर वालों से मिलने वाले सम्मान पर ही जीना होगा। तब इन नेताओं को हमारे चाय व बीड़ी का बिल्कुल भी ख्याल नहीं होगा। बुजुर्गो की इन चर्चाओं से साफ है कि जनता जिसको वोट देने जा रही है, उसकी असलियत से रूबरू है। किंतु फिर भी वोट उसकी को देंगे, क्योंकि उनका अनुभव पुराना है, ऐसे ही नेताओं की कतार है, यह तो उनके मोहल्ले व गांव का है, कुछ तो करेगा।

सभी दलों का जातिगत गुणा-भाग


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
: चुनावी महाभारत में चुनावी दल और उनके उम्मीदवार जीत के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते। वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए जाति कार्ड खेलने से नहीं चूकते। हालांकि चुनाव आयोग ने चुनाव में जाति या मजहब के किसी भी प्रकार से प्रयोग करने पर पाबंदी लगा रखी है। पर फिर भी पूरे भारत की तरह हरियाणा में भी चुनाव जातिगत समीकरणों के आधार पर लड़ा जाता है। जातिगत समीकरणों के चलते कई को टिकट मिल जाता है और कई का टिकट कट जाता है। पूरे प्रदेश में सभी जातियों के प्रतिनिधित्व के आधार पर टिकटों का बंटवारा होता है। पर इतना जरूर है कि हरियाणा में कभी सार्वजनिक मंच पर कोई भी नेता किसी जाति विशेष की बात न करके 36 बिरादरी के साथ की ही बात करता है। हरियाणा की चुनावी राजनीति का एक पहलू जाट-गैर जाट के राजनीति का है। बाकी तमाम बातों के लिए यह भी देखा जाता है कि किसने कितने जाट प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2009 में जहां इनेलो ने जाटों व सिखों को सबसे अधिक टिकटें थमाई हैं, वहीं कांग्रेस ने जाट, पंजाबी और ब्राह्मण प्रत्याशियों के बीच तालमेल बैठाया है। इनेलो ने 30 जाट व सात सिखों को टिकट दिया है। इनेलो के सिख प्रत्याशियों में जट्ट सिखों की भरमार है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने 27 जाट, सात ब्राह्मण, सात पंजाबी और दो सिखों को वोट दिया है। जाटों को टिकट देने में भाजपा व हजकां पीछे हैं। भाजपा ने 21 और हजकां ने 14 सीटें जाटों को दी हैं। पर हजकां व भाजपा ने ब्राह्मणों को जमकर टिकटें दी हैं। हजकां ने 14 ब्राह्मण व नौ पंजाबी और भाजपा ने 10 ब्राह्मण और नौ पंजाबियों को टिकट दिए हैं। हजकां ने तीन और भाजपा ने एक सिख को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस, इनेलो, हजकां तीनों ने पांच-पांच अहीर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जबकि भाजपा ने चार अहीर प्रत्याशी बनाए हैं। बहुजन समाज पार्टी की मौजूदगी में इस बार राजनीतक दलों ने आरक्षित सीटों पर प्रत्याशी चयन में विशेष रणनीति बनाई है। हरियाणा विधानसभा के लिए 90 में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। सो किसी भी राजनीतिक दल के 17 से कम अनुसूचित जाति के प्रत्याशी नहीं हो सकते। सामान्य सीटों पर दलितों को टिकट देने की अभी हरियाणा में कोई गंभीर परंपरा शुरु नहीं हुई है। बहरहाल इस बार हरियाणा विधानसभा में दलित प्रत्याशियों के वर्गीकरण का चलन जरूर शुरु हुआ है। हर राजनीतिक दल अपने दलित प्रत्याशियों का वर्गीकरण कर रहा है। पहली बार राजनीतिक दलों ने गैर चर्मकार जातियों को भी तवज्जो दी है। इस बार राजनीति दलों ने दलितों की तरह राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी चयन में पिछड़ा वर्ग का कार्ड भी खेला है। पिछड़ा वर्ग को सबसे अधिक टिकटें भाजपा ने दी हैं। भाजपा ने 19 प्रत्याशी पिछड़ा वर्ग से उतारे हैं। इनेलो ने इस बार पिछड़ा वर्ग को 16 टिकट, हजकां ने 15 टिकट और कांग्रेस ने 13 टिकटें दी हैं। हर पार्टी में पिछड़ा वर्ग की अहीर, सैनी, कांबोज व गुर्जर जातियों को ही टिकट दी हैं। कुम्हार व जांगिड़ आदि को कोई कोई टिकट ही दी गई है। हरियाणा के मेवात क्षेत्र में मुस्लिमों को टिकटें देने का चलन हैं। इनेलो ने सबसे अधिक चार मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जबकि कांग्रेस ने 3, हजकां ने दो और भाजपा ने केवल एक ही मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने सबसे अधिक वैश्य प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। भाजपा ने 7 वैश्यों को टिकटें दी हैं। हजकां ने 5 और कांग्रेस व इनेलो ने 4-4 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

नशे में धुत्त पुलिस ड्राईवर ने दीवार में ठोंकी गाड़ी


ओढा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- नशे में धुत्त पुलिस लाईन के एक ड्राइवर ने तेज गति से गाड़ी चलाते में हुए गाव में ले जाकर घर की दीवार में जा ठोंकी जिससे दिवार गिर पड़ी और दीवार के पास घर का कोई सदस्य न होने के कारण कोई बड़ा हादसा होने से टल गया। पुलिस ने उक्त कर्मचारी को पकड़ कर उसके खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला दर्ज कर अदालत में पेश किया है। जानकारी अनुसार पुलिस लाइन में ड्राईवर रणधीर सिंह पुत्र राम सिंह डबवाली से डयूटी कर शराब के नशे में सिरसा वापिस आ रहा था। कि नशे ंमें होने के कारण वह रास्ता भूलकर गाव ओढा में गाड़ी लेकर घुस गया। तेज गति से जा रही गाड़ी अनियंत्रित होकर ईटों के चट्टे से भिड़ती हुई दीवार से जा टकराई। जिसमें दीवार बुरी तरह क्षति ग्रस्त होकर गिर गई। सौभाग्य रहा कि घर का कोई भी सदस्य उस दीवार के पास नही था और बच्चे भी दीवार दूर खेल रहे थे। इस दुर्घटना में किसी को चोट नही आई है। ओढा पुलिस ने घर की मालिक परमजीत कौर पत्‍‌नी अजायब सिंह के बयान पर चालक के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए काबू कर डबवाली न्यायालय में पेश किया है।

राजा बिल गेट्स के सामने 140 देश रंक


न्यूयार्क: दुनिया की चूलें हिला देने वाली ग्लोबल मंदी बिल गेट्स की बादशाहत को नहीं डिगा पाई। बिजनेस पत्रिका फो‌र्ब्स की दिग्गज अमेरिकी दौलतमंदों की सूची में माइक्रोसाफ्ट के संस्थापक व चेयरमैन गेट्स इस साल भी नंबर वन रहे। वह लगातार 16 सालों से अमेरिकी पत्रिका की 400 रईसों की इस सूची में शीर्ष पर जमे हुए हैं। बीते साल सितंबर से शुरू हुए वित्तीय वबंडर के चलते इस सूची के 400 दौलतमंदों की सामूहिक संपत्ति में 300 अरब डालर की कमी आई है। वह कितने धनी हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि दुनिया में ऐसे 140 से ज्यादा मुल्क कुल संपत्ति के मामले उनके सामने गरीब नजर आते हैं। ऐसे देशों में कोस्टारिका, उरुग्वे और बोलीविया जैसे देश शामिल हैं। म्यांमार और तंजानिया की कुल जीडीपी से उनकी संपत्ति कुछ ही कम है। यह तब है, जब आर्थिक संकट के कारण इस साल उनकी दौलत में 7 अरब डालर (करीब 334 अरब रुपये) की कमी आई है। इसके बावजूद अभी भी गेट्स की कुल संपत्ति 50 अरब डालर (करीब 2,385 अरब रुपये) है। फो‌र्ब्स ने वीरवार को अपनी सूची जारी की है। इसमें बिल गेट्स के बाद वारेन बफेट को दूसरे पायदान पर रखा गया है। इस सूची में चार भारतीय मूल के लोगों ने भी जगह बनाई है। इनमें 1.65 अरब डालर (करीब 71 अरब रुपये) के साथ भरत देसाई 212वें स्थान पर हैं। भरत अमेरिकी साफ्टवेयर फर्म सिंटेल के मुखिया हैं। वेंचर कैपिटलिस्ट और गूगल के संस्थापक निदेशकों में से एक कवितर्क राम श्रीराम 1.45 अरब डालर (करीब 69 अरब रुपये) के साथ 272वें पायदान पर हैं। 1.40 अरब डालर (करीब 66 अरब रुपये) के साथ साफ्टवेयर उद्यमी रोमेश वाधवानी को 277 वें स्थान पर जगह मिली है। वहीं वेंचर कैपिटलिस्ट विनोद खोसला 347 वें पायदान पर हैं। खोसला की कुल संपत्ति 1.1 अरब डालर है।

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