
सिरसा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
मिलीबग से तंग आ चुके प्रदेश के नरमा उत्पादक किसानों को प्रकृति ने एक बड़ा तोहफा दिया है। एनेसियस बांबेओलाई नामक इस कीट के प्रकृति में अचानक आगमन ने मिलीबग कीट की प्रजाति को खत्म करना शुरू कर दिया है। दरअसल, सुंडी से छुटकारा पाने के बाद मिलीबग कीट किसानों के लिए जी का जंजाल बन चुका है।उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मिलीबग कीट से किसानों को पूर्ण रूप से राहत मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि कपास (नरमा) को नुकसान पहुंचाने वाले मिलीबग कीट की पहचान करीब एक सौ वर्ष पहले हुई थी। पिछले कुछ वर्षो से इस कीट ने नरमा (कपास) की फसल के साथ-साथ किसानों को भी तबाह कर रखा था। इस कीट से नरमा की पैदावार कुछ अधिक ही प्रभावित होती है। कृषि वैज्ञानिक इस कीट से छुटकारा पाने के लिए किसानों को कीटनाशक दवाई का छिड़काव करने की सलाह देते थे। प्रकृति में अचानक इस कीट के आगमन ने वैज्ञानिकों की एक बहुत बड़ी परेशानी को दूर कर दिया है। इस कीट का नाम बांबेओलाई रखा गया है। इस कीट की खासियत यह है कि यह पहले मिलीबग कीट पर बैठने के बाद अंडा देती है। उसके बाद बांबेओलाई मिलीबग कीट की रिसाइकिल प्रक्रिया को बंद कर बिल्कुल नष्ट कर देती है जिससे यह कीट प्रकृति से खत्म होने की कगार पर है। सिरसा स्थित केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि एनेसियस बांबेओलाई परजीवी के आने से किसानों को दो तरह से लाभ होगा। पहला यह कि मिलीबग के खत्म होने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी वहीं मिलीबग को नष्ट करने के लिए किसानों को जो कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता था शायद उससे भी छुटकारा मिल जाएगा। केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के डा. अशोक इंदोरिया बताते है कि एनेसियस बांबोओलाई नामक यह कीट मिलीबग को पूरी तरह से खत्म करने में मददगार हो सकता है। यह कीट प्रकृति की देन है। पिछले साल यह कीट अचानक इस क्षेत्र से गायब हो गया था जिस वजह से मिलीबग पूर्ण रूप से खत्म नहीं हो सका था। लेकिन इस बार एनेसियस का आगमन शुरू में ही हो गया जिससे किसानों को मिलीबग से काफी हद तक राहत मिली है। यदि एनेसियस सही रूप से इस इलाके में बना रहता है तो मिलीबग कीट को प्रकृति से बिल्कुल नष्ट कर देगा।