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रविवार, 11 अक्टूबर 2009

100 वर्ष पुराने मिलीबग कीट को निगल जाएगा एनेसियस बांबेओलाई


सिरसा,( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
मिलीबग से तंग आ चुके प्रदेश के नरमा उत्पादक किसानों को प्रकृति ने एक बड़ा तोहफा दिया है। एनेसियस बांबेओलाई नामक इस कीट के प्रकृति में अचानक आगमन ने मिलीबग कीट की प्रजाति को खत्म करना शुरू कर दिया है। दरअसल, सुंडी से छुटकारा पाने के बाद मिलीबग कीट किसानों के लिए जी का जंजाल बन चुका है।उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मिलीबग कीट से किसानों को पूर्ण रूप से राहत मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि कपास (नरमा) को नुकसान पहुंचाने वाले मिलीबग कीट की पहचान करीब एक सौ वर्ष पहले हुई थी। पिछले कुछ वर्षो से इस कीट ने नरमा (कपास) की फसल के साथ-साथ किसानों को भी तबाह कर रखा था। इस कीट से नरमा की पैदावार कुछ अधिक ही प्रभावित होती है। कृषि वैज्ञानिक इस कीट से छुटकारा पाने के लिए किसानों को कीटनाशक दवाई का छिड़काव करने की सलाह देते थे। प्रकृति में अचानक इस कीट के आगमन ने वैज्ञानिकों की एक बहुत बड़ी परेशानी को दूर कर दिया है। इस कीट का नाम बांबेओलाई रखा गया है। इस कीट की खासियत यह है कि यह पहले मिलीबग कीट पर बैठने के बाद अंडा देती है। उसके बाद बांबेओलाई मिलीबग कीट की रिसाइकिल प्रक्रिया को बंद कर बिल्कुल नष्ट कर देती है जिससे यह कीट प्रकृति से खत्म होने की कगार पर है। सिरसा स्थित केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि एनेसियस बांबेओलाई परजीवी के आने से किसानों को दो तरह से लाभ होगा। पहला यह कि मिलीबग के खत्म होने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी वहीं मिलीबग को नष्ट करने के लिए किसानों को जो कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता था शायद उससे भी छुटकारा मिल जाएगा। केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के डा. अशोक इंदोरिया बताते है कि एनेसियस बांबोओलाई नामक यह कीट मिलीबग को पूरी तरह से खत्म करने में मददगार हो सकता है। यह कीट प्रकृति की देन है। पिछले साल यह कीट अचानक इस क्षेत्र से गायब हो गया था जिस वजह से मिलीबग पूर्ण रूप से खत्म नहीं हो सका था। लेकिन इस बार एनेसियस का आगमन शुरू में ही हो गया जिससे किसानों को मिलीबग से काफी हद तक राहत मिली है। यदि एनेसियस सही रूप से इस इलाके में बना रहता है तो मिलीबग कीट को प्रकृति से बिल्कुल नष्ट कर देगा।

नेता जी की सवारी, समर्थकों को खूब भा रही

नवीन भाई दो दिन मौज लेने के और बचे हैं। फिर हार जीत के बाद ये प्रत्याशी बात नहीं करेंगे। वह अपनी बात पूरी नहीं कर पाया था कि उसके साथी ने कहा कि शुक्रवार को तो बाइक में 200 रुपये का तेल ही डलवाया था। ऊपर का खर्चा भी नहीं मिला। इस बाबा (उम्मीदवार को संबोधित करते हुए) की ऐसे कैसे नैया पार लगेगी। यार छोड़ तुम पिछले कई दिनों से बाबा को चूना लगा रहे हो। यह अच्छी बात नहीं। जिसका नमक खाओ, उसके लिए कुछ काम भी करो। यह बात चल रही थी कि तीसरा व्यक्ति वहां पर आ टपकता है। इस दौरान दोनों महारथी प्रत्याशियों को चूना लगाने निकल पड़े। कुछ ऐसा ही हो रहा है चुनाव के मौसम में। नेताओं के साथ घूमने वाले समर्थक उसे वोट दें या न दें, उससे माल ऐंठने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। क्षेत्र में कई प्रत्याशियों ने प्रचार के लिए मोटरसाइकिलों पर कुछ लोगों को लगाया हुआ है। इन सभी की बाइक में 200 रुपये का तेल डलवाया जाता है। इसके अलावा उन्हें खाने के लिए अलग से राशि दी जा रही है। इन लोगों का काम झंडा लगाकर प्रत्याशी के समर्थन में नारे लगाने होते हैं। ये लोग समूहों में जाकर क्षेत्र में नेता जी का प्रचार करते हैं। यह बात अलग है कि कुछ युवक बाइक में तेल डलवाकर व जेब खर्च लेकर थोड़ी दूर ग्रुप के साथ चलकर रिश्तेदारी में या अपने घर भाग जाते हैं। हालांकि, कुछ उम्मीदवारों को इस बारे में पता भी चल गया है, लेकिन कुछ बोल नहीं रहे। वे समझ रहे हैं कि इस समय टोकाटाकी काम खराब कर सकती है। इसलिए नेताजी चुप हैं। कार में प्रचार करने वाले समर्थक बाइक वालों से दो कदम आगे निकल गए हैं। उम्मीदवारों की तरफ से एक वाहन के लिए 500 रुपये तेल और करीब एक हजार रुपये किराया मिलता है। गांवों से आने वाले ये समर्थक सुबह चुनाव कार्यालय आते हैं। फिर नेता जी से नोट झटक लेते हैं और वापस अपने घरों या रिश्तेदारों के यहां चले जाते हैं। हालांकि, कुछ समर्थक ऐसे भी हैं जो वाकई पैसों का सदुपयोग कर रहे हैं। वे नेता जी के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। दिन भर घूमते हैं और उनके समर्थन में जमकर नारे लगाते हैं। नेता जी को भी ऐसे समर्थकों पर पूरा भरोसा है। खैर, चुनाव प्रचार तो रविवार को खत्म हो जाएगा। फिर नेताओं को चूसने वाले समर्थक क्या करेंगे, उनकी सुबह कैसे शुरू होगी, इस बारे में वे अभी से सोचने लगे हैं।

किंग या किंग मेकर की भूमिका में होगी हजकां

( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-

विधानसभा चुनाव के लिए महज तीन दिन बाद मतदान होना है। मतदान के दिन वोटर किसको अपना समर्थन दें, मतदाता इसका सही फैसला तो आज शाम पांच बजे बंद हो रहे चुनाव प्रचार के बाद ही करेंगे। लेकिन इतना तय है कि चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति भी इतनी पेचीदा होगी कि हरियाणा जनहित कांग्रेस को किंग अथवा किंग मेकर की भूमिका निभानी होगी। कांग्रेस के विपक्षी दलों भाजपा, इनेलो व हजकां किसी भी सूरत में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं कर सकते। अब रही विपक्षी दलों की स्थिति इनेलो व भाजपा कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए पूरी जी-जान लगाए हुए हैं और इसका अंदाजा विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के माध्यम से लगाया जा सकता है। ऐसे में ये लोग हजकां को बाहर से समर्थन देकर भी सरकार बनाने में नहीं चूकेंगे। ऐसा इन दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बयानों से स्पष्ट हो गया है। इसके अतिरिक्त दूसरी स्थिति यह भी हो सकती है हजकां खुद किंग न बनकर किंग मेकर की भूमिका निभाए। किंग मेकर की भूमिका में भी यह तय है कि पार्टी अपने घोषणा-पत्र को लागू करवाने में सफल होगी और सरकार का संचालन करने में अपना मजबूत हस्तक्षेप रखेगी। प्रदेश की सभी सीटों पर चल रहे तिकोने और चौकोने मुकाबले से स्पष्ट हो गया है कि कोई भी एक दल सरकार नहीं बना पाएगा। ऐसे में दो दर्जन से अधिक सीटें जीतने की स्थिति में मौजूद हरियाणा जनहित कांग्रेस के समर्थन के बिना सरकार बनाना किसी भी दल के लिए आसान नहीं होगा। वर्तमान में पलवल से लेकर अंबाला तक और सिरसा से लेकर राई तक अधिकतर सीटों पर कांटे का मुकाबला है। मुकाबले में कौन सा उम्मीदवार आगे निकल जाए और कौन सा पिछड़ जाए यह कहना तो मुश्किल है। आदमपुर विधानसभा उपचुनाव व बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान को इस बात का मलाल था कि वह भरसक कोशिश के बाद भी हरियाणा से भजनलाल फेक्टर को कम नहीं कर पा रही है। अब विधानसभा चुनावों में भी भजनलाल फेक्टर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी बन गया है। चौ. भजनलाल के नेतृत्व में बहुमत हासिल करने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के बाद से कांग्रेस के पैट नॉन-जाट वोटर की नाराजगी जग-जाहिर है। इस रोष व नाराजगी का सबूत हजकां की रोहतक रैली में दिख चुका है। इस रैली में चौ. भजनलाल द्वारा कुलदीप बिश्नोई को अपना राजनीतिक वारिस घोषित करके कुलदीप बिश्नोई को अप्रत्यक्ष रूप से हरियाणा के एकमात्र दमदार नॉन-जाट लीडर के रूप में स्थापित कर दिया। हालांकि विधानसभा चुनावों के लिए टिकट वितरण में जाट उम्मीदवारों को उचित तवज्जो देकर उन्होंने अपने आपको 36 बिरादरी के नेता के रूप में प्रदर्शित करने का काम किया लेकिन हजकां के वोट बैंक के रूप में फिर भी नॉन-जाट वोटर को ही देखा जा रहा है। हजकां द्वारा अपने घोषणा-पत्र में किए गए वायदे भी लोगों के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं। प्रत्येक परिवार ीि एक महिला व ओवरएज लोगों को 2000 रुपए मासिक भत्ता देने की घोषणा करके पार्टी ने प्रदेश के एक बहुत बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़ लिया है क्योंकि महिलाओं और विशेषकर ओवरएज लोगों के हितों के लिए अभी तक किसी भी राजनैतिक दल ने कोई घोषणा नहीं की थी। इसके अतिरिक्त प्रदेश को बेरोजगारी मुक्त प्रदेश बनाने का लक्ष्य और बेरोजगारी की स्थिति में 2000 रुपए मासिक भत्ता दिए जाने, बेरोजगारों को दो लाख रुपए तक का कर्ज तीन साल के लिए बिना ब्याज मुहैया करवाने और छात्र संघ के चुनाव बहाल करने की घोषणा से हजकां ने प्रदेश के युवा वोट बैंक में अच्छी-खासी पैठ बना ली है। गरीबों को हर साल 50000 मकान मुफ्त देने और पिछड़े वर्गाे के लोगों को 100-100 गज के प्लाटों पर मकान बनाने की घोषणा से दलितों, बीपीएल परिवारों व पिछड़े वर्गो के मतदाताओं का झुकाव भी हजकां की ओर बढ़ा है। इस तरह से समाज के प्रत्येक वर्ग और परिवार के प्रत्येक सदस्य के कल्याण की योजनाओं को घोषणा-पत्र में शामिल किए जाने से पार्टी की पैठ हर घर तक बन गई है।

लड़कियां चली मिशन नासा पर

सिरसा( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान के बच्चे अब अंतरिक्ष व वैज्ञानिकों की दुनियां से रूबरू होंगे। नारी शिक्षा को समर्पित शाह सतनाम जी ग‌र्ल्ज स्कूल का एक दल अमेरिका स्थित नासा अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के भ्रमण के लिए रवाना हुआ। इस शक्षिणक दल में संस्थान की पांच छात्राएं-शिवम चौधरी, मनदीप, रिया, मनप्रीत, मंजीत व एक अध्यापिका शामिल है। शाह सतनाम जी ग‌र्ल्ज स्कूल की प्राचार्य शीला पूनियां व स्टाफ सदस्यों ने इस दल को शुभकामनाएं देकर रवाना किया। एजुकेशन फ‌र्स्ट कंपनी के तत्वावधान में नासा केंद्र के भ्रमण पर जाने वाला शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान हरियाणा का इकलौता संस्थान है, जिसके बच्चे वैज्ञानिक जिज्ञासों को शांत करने व विज्ञान की आधुनिकतम तकनीकों से रूबरू होंगे। दस दिनों के इस शक्षणिक भ्रमण में संस्थान के बच्चे नासा सैंटर के अलावा न्यूयार्क, आरलेंडो, कैप केरनिवल इत्यादि स्थानों का भ्रमण करेगे तथा विश्व प्रसिद्ध व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर, स्टेच्यू आफ लिबर्टी इत्यादि का अवलोकन करेगे। पहली बार नासा सेंटर का भ्रमण पर जाने वाली छात्राओं के चेहरों पर खुशी की चमक साफ दिखलाई दे रही थी वहीं स्कूल स्टाफ भी स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रहा था।

कांग्रेस की नई लीडरशिप गांव-देहात से :


राहुल कांग्रेस अपनी नई लीडरशिप गांव-देहात से पैदा करने का इरादा रखती है। इस उद्देश्य के लिए एनएसयूआई व युवक कांग्रेस गांवों को अपनी कर्मभूमि बनाकर आम आदमी, किसान और दलित के हितों की लड़ाई लड़ेंगी। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष संजय छोक्कर के समर्थन में समालखा अनाज मंडी में शनिवार को आयोजित जनसभा में भविष्य का अपना दृष्टिकोण रखा। करीब दस मिनट तक हिंदी में बेबाक बोलते हुए राहुल ने कहा कि विपक्ष के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। उसे सिर्फ आतंकवाद और जिन्ना दिखाई पड़ते हैं। उसे गरीब और दलित की रोजी-रोटी की कोई चिंता नहीं है। विपक्षी नेताओं ने आज तक आम आदमी के बीच जाकर उसका हालचाल पूछने की पहल नहीं की और जब कांग्रेस ने ऐसा किया तो उसके पसीने छूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एनएसयूआई और युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों को गांव-गांव आम आदमी के बीच भेजेंगे। उनकी यह फौज किसान और दलित के हितों की लड़ाई लड़कर कांग्रेस की नई लीडरशिप गांव-देहात से पैदा करेगी। राहुल ने इंडिया शाइनिंग के नारे पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस का आम आदमी की सरकार का नारा टीवी से नहीं बल्कि गरीब की झुग्गी-झोंपड़ी और दलित के घर से निकला है। उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव में दो विचारधाराओं के बीच टक्कर है। एक विचारधारा सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाली आम आदमी की सरकार की है और दूसरी विचारधारा वातानुकूलित कमरों में बैठकर इंडिया शाइनिंग का झूठा नारा देने वालों की है। फैसला जनता को करना है, वह किस विचारधारा का साथ देगी। कांग्रेस महासचिव ने प्रदेश की बागडोर फिर से मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के हाथों में सौंपने का संकेत देते हुए कहा कि केंद्र की तरह राज्य में भी आम आदमी की सरकार होगी और इस सरकार के संचालक पूंजीपति अथवा चुनिंदा नेता नहीं बल्कि गरीब, पिछड़े, मजदूर, किसान व युवा होंगे। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने गठबंधन की राजनीति पर प्रहार करते हुए राहुल गांधी की तारीफों के पुल बांधे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पक्ष में छत्तीस बिरादरी के लोग एकजुट हो रहे हैं। उन्हें जातीय समीकरणों की बजाय सिर्फ विकास पर भरोसा है। लोगों को इस विधानसभा चुनाव में पार्टी की नीति, नीयत और नेता को ध्यान में रखते हुए मतदान करना चाहिए। कांग्रेस के प्रांतीय प्रभारी पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि राज्य में उनकी पार्टी को सत्ता नहीं बल्कि सेवा का मौका चाहिए। समालखा से कांग्रेस प्रत्याशी संजय छोक्कर ने कहा कि राहुल गांधी ने देश में राजनीति के मायने बदले हैं। युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद अशोक तंवर, कांग्रेस पर्यवेक्षक विप्लव ठाकुर, पर्यवेक्षक बीडी कल्ला, पानीपत ग्रामीण की प्रत्याशी प्रसन्नी देवी, शाहबाद के प्रत्याशी अनिल धंतौडी, घरौंडा के प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर, युवक कांग्रेस के प्रांतीय उपाध्यक्ष पंकज पूनिया और किसान सेल के चेयरमैन नीटू मान ने भी जनसभा को संबोधित किया। राहुल ने वल्लभगढ़ व नारनौल में भी जनसभाओं को संबोधित किया।

शांति के नोबेल से भारत बेचैन


विश्व शांति दूत के नए अवतार में आ चुके अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का हाथ भारत की परमाणु स्वतंत्रता तक पहुंच सकता है। परमाणु हथियारों की होड़ पर अंकुश के लिए ओबामा को शाबासी का प्रतीक माना जा रहा नोबेल पुरस्कार भारत के लिए दंड साबित हो सकता है। यानी परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) और सीटीबीटी का फंदा भारत के गले में कसने की पहले से ज्यादा आक्रामक रणनीति व्हाइट हाउस में बन रही हो तो अचरज नहीं होना चाहिए। अगर इसमें थोड़ा भी शक हो तो ओबामा की कुछ पंक्तियां दूर कर देंगी जो नोबेल की घोषणा के तुरंत बाद उन्होंने अपने बयान में कहीं थीं। मैं नोबल सम्मान को आगे की कार्रवाई के लिए आदेश के तौर पर स्वीकार कर रहा हूं। यह है ओबामा की पहली प्रतिक्रिया। इसके तुरंत बाद की लाइन तो भारत के होश उड़ाने के लिए काफी है। अब परमाणु हथियारों की होड़ को आगे रोकने और सभी नाभिकीय अस्त्रों को ठिकाने लगाने की सख्त जरूरत है। भारतीय कूटनीतिक खेमे को इसके निहितार्थ निकालने में ज्यादा मशक्कत की जरूरत नहीं पड़ी। अमेरिका संग परमाणु करार की रणनीति पर काम कर रहे विदेश मंत्रालय के अफसरों के माथे पर पसीना सब कुछ बयां करता है। एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने तो कह भी दिया एनपीटी की पदचाप नजदीक आती सुनाई दे रही है। भारत को इस पर दस्तखत की जगह अमेरिका को अंगूठा दिखाने की ठोस रणनीति बना लेनी चाहिए। आईएईए के प्रमुख अल बरदेई की भारत के रुख पर मुहर इस लिहाज से बड़ा अस्त्र साबित होगी। वैसे एनपीटी की प्रासंगिकता को लेकर भारत विश्व बिरादरी के बीच माहौल बनाने की पूरी तैयारी कर रहा है। वहीं,अफसरों का यह तर्क भी गले उतरता है कि परमाणु अप्रसार का राग लगातार ऊंची करने के पीछे ओबामा का मकसद अपनी आवाज नोबेल पुरस्कार समिति तक ही पहुंचाने का था। इस रणनीति की पुष्टि के लिए साउथ ब्लाक में दो अहम प्रमाणभी पेश किए जा रहे हैं। पहला, इटली में जी-आठ की बैठक में एनपीटी पर दस्तखत की अनिवार्यता वाला प्रस्ताव। दूसरा,एक पखवाड़ा पहले संयुक्त राष्ट्र में एनपीटी व सीटीबीटी को लेकर ऐसा ही दूसरा प्रस्ताव। दोनों का एक ही मकसद है। भारत जैसे एनपीटी पर दस्तखत न करने वाले मुल्कों की परमाणु महत्वाकांक्षा को पूरा होने से रोकना। सूत्रों के अनुसार, नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद ओबामा के पास अब परमाणु मामलों पर भारत से असहमति जताने का नैतिक बल पहले से ज्यादा बढ़ गया है। यानि परमाणु ऊर्जा संव‌र्द्धन और परमाणु ईधन के दोबारा प्रसंस्करण की तकनीक हासिल करने के नजदीक जा रहे भारत की राह में रोड़ा आ सकता है।

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