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मंगलवार, 17 मई 2011

क्या फैसला अकालियों का, ऐलान दिल्ली का

मामला मुक्तसर जिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति का
डबवाली-नई दिल्ली स्थित कांग्रेस पार्टी की हाईकमांड द्वारा पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों की जारी नई सूची में सिख प्रभाव और जागीरदार राजनीतिज्ञों का गढ़ माने जाते जिला श्री मुक्तसर साहब में एक व्यापारी व साधारण नेता श्री गुरदास गिरधर को जिलाध्यक्ष नियुक्त कर मुख्य मंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जिले में सत्ता पक्ष अकाली दल के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप में रास्ता आसान कर दिया है।
हमेशा से बड़े-बड़े जागीरदार जटट् सिक्ख नेताओं की राजनीति के प्रभाव में इस जिले में जहाँ मुक्तसर, मलोट और गिद्दड़बाहा शहरी इलाके होने के बावजूद सिक्ख वोट बैंक व सिखी पर आधारत राजनीति का दबदबा रहा है। जिस के तहत यहां पंजाब के पूर्व मुख्य मंत्री स्व. श्री हरचरन सिंह बराड़, अकाली राजनीति के बाबा बोहड माने जाते रहे श्री तेजा सिंह बादल, मौजूदा मुख्य मंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल और दरवेश राजनीतिज्ञ के रूप में प्रख्यात रहे स्व: जत्थेदार जगदेव सिंह खुडड्ीयां (सांसद फरीेदकोट लोकसभा क्षेत्र), पूर्व सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता, श्री जगमीत सिंह बराड़, भाई शमिन्दर सिंह और पूर्व विधायक श्री दर्शन सिंह मराड़ सरीखे नेता अपने-अपने समय और पैठ के मुताबिक मुक्तसर जिल की सियासत भारी रहे हैं।
यह भी जमीनी हकीकत है कि पंजाब के सीमावर्ती जिले मुक्तसर ने पंजाब की राजनीति पर बहुल लंबे समय तक एकछत्र राज किया है, जो कि मौजूदा समय में भी बरकरार है। इस जिले में चाहे कि हिंदु वोटरों की संख्या काफी है परन्तु फिर भी वह इतनी नहीं कि सिक्ख वोटों को किसी पक्ष से प्रभावित कर सके। जिले में बाकी राजसी पार्टियां ही नहीं बल्कि धर्म निष्पक्ष पार्टी के तौर पर जानी जाती कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में इतिहास गवाह है कि पिछले काफी समय से कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष के पद पर सिक्ख नेता ही काबज होते रहे हैं। जिसके चलते सिख बहुसंख्यक इस जिले में कांग्रेस का सिख वोट बैंक चाहे अकाली दल पर भारी नहीं पड़ सका परन्तु मुकाबला करन के पूर्णतय समर्थ जरूर रहा।
राजनैतिक पयवेक्षको का यह भी मानना है कि सैंकड़े एकड़ जमीनें और करोड़ों-अरबों की जायदादों वाले जागीरदार नेताओं की राजनीतिक सरजमीं (जिला मुक्तसर) पर जहां राजनीति का एक दाव खेलते समय करोड़ों रुपए तक की खर्च करने की परवाह नहीं की जाती, वहां एक आम साधारण और व्यापारी नेता द्वारा जिल में बडे स्तर पर गुटबाजी की शिकार कांग्रेस पार्टी को उभार कर सत्तापक्ष अकाली दल (बादल) और पी.पी.पी. के साथ आमने -सामने की लड़ाई में से कांग्रेस की किश्ती पार निकाल सकना असंभव माना जा रहा है।
कांगे्रस आलाकमान द्वारा मुक्तसर जिलेके तीन विधानसभा क्षेत्र मुक्तसर, गिद्दड़बाहा और मलोट के फिरोज़पुर लोकसभा क्षेत्र के अधीनस्थ आने कारण इस लोकसभा क्षेत्र से दो बार किस्मत आजमा चुके कांग्रेस के हाई-प्रोफाइल नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस के स्थायी सदस्य श्री जगमीत सिंह बराड़ की सिफ़ारिश पर मुक्तसर जिले के कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति की है। परंतु इस सब बीच कांग्रेस आलाकमान शायद यह भूल बैठी कि मुक्तसर जिले में पंजाब के मौजूदा मुख्य मंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल का गृह विधानसभा क्षेत्र लम्बी भी पडता है। जहां से सिर्फ मुक्तसर जिले की सियासत नहीं बल्कि समूचे प्रदेश की अकाली राजनीति का कहानीयां गढी जाती है और लम्बी विधानसभा क्षेत्र का राजनैतिक दृश्य ही पूरे जिले की राजनैतिक धुरी को तय करता है। ऐसे में बाबा बोहड सीनियर बादल और परिपक्व मुहिमबाज उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल के सामने श्री गुरदास गिरधर जैसे सीधे और आर्थिक पक्ष से आम साधारण व्यक्ति के ज्यादा प्रभावशाली साबित होने के बारे शंका जाहर की जा रही है। जबकि दूसरे तरफराजनीतिक पर्यवेक्षको की राय में श्री मुक्तसर साहिब जिले में ऐसा गतिशील और बेबाक नेता जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए था, जो कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तर्ज पर प्रदेश के मौजूदा हाकिमों को उन को गृह जिले में सख्त टक्कर दे कर अकालियों के सूबे पर 25 वर्षों तक राज करने के सपनों को नेसताबूत कर सके।
पार्टी के एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी के इस फैसले से लगता है कि जैसे जिला कांग्रेस कमेटी श्री मुक्तसर साहिब के अध्यक्ष का फैसला सुखबीर सिंह बादल ने किया है और इसका ऐलान आल इंडिया कांग्रेस समिति हैडक्र्वाटर से हुआ है।
इसी दौरान संपर्क करने पर जिला श्री मुक्तसर साहब के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री गुरदास गिरधर ने खुद को जन्मजात व टकसाली कांग्रेसी करार देते कहा कि वह स्वतंत्रता सेनानी श्री बिहारी लाल के पुत्र हैं और उन की जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पूरी पैठ है। सिख राजनीति से भरपूर जिले में हिंदु वर्ग के साथ संबन्धित होने बावजूद खुद को प्रभावशाली अध्यक्ष के तौर पर साबित करनेके बारे उन्होने कहा कि कांग्रेस एक धर्म निष्पक्ष पार्टी है जहां धर्म और जाति-पात से पहले लोकहित हैं।

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