
कुड़ीमार राज्य के कलंक से जूझ रहे पंजाब के 11 जिलों के 156 गांवों ने करिश्मा कर दिखाया है। इन गांवों में एक साल के दौरान 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या (लिंगानुपात) पहले की तुलना में उल्लेखनीय रूप से ज्यादा दर्ज की गई है। प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस साल इन जिलों के चुनिंदा 20 गांवों की पंचायतों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये देकर सम्मानित करने का फैसला किया है। इसके लिए आगामी आठ नवंबर को अमृतसर के डीएवी कालेज में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें प्रदेश की स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री लक्ष्मीकांता चावला पंचायतों को सम्मानित करेंगी। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय के अनुसार, इस साल पंजाब के 11 जिलों में स्त्री-पुरुष लिंग अनुपात में काफी सुधार आया है। इनमें बरनाला के नौ गांव, फतेहगढ़ साहिब के 23, गुरदासपुर के 25, होशियारपुर का एक, लुधियाना के दो, मानसा के सात, मुक्तसर के छह, पटियाला के 41, रूपनगर के 34, शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के सात और तरनतारन का एक गांव शामिल है। इस सूची से बठिंडा, अमृतसर, जालंधर जैसे महानगरों और मोहाली सरीखे विकसित जिले का नाम गायब होना चिंताजनक विषय है। स्पष्ट है कि इन जिलों में अभी भी कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला कायम है। स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सचिव सतीश चंद्रा ने कहा कि जिन जिलों में लिंग अनुपात में सुधार नहीं आया हंै वहां विभाग और गंभीरता से प्रयास करेगा। पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पंजाब के हर गांवों में जन्मे एक साल तक के मेल व फीमेल बच्चों के जन्म का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है। अनुपात निकालने का फार्मूला यह है कि अगर किसी गांव में एक साल में आठ मेल और 20 फीमेल बच्चे पैदा हुए तो लिंग अनुपात एक हजार लड़कों के पीछे 2500 लड़कियां होगा। इस फार्मूले के आधार पर कुछ गांवों में तो एक हजार लड़कों के मुकाबले डेढ़ से दो हजार लड़कियों का अनुपात निकल रहा है। शहीद भगतसिंह नगर का डिंगरियां गांव ऐसा है जहां एक हजार लड़कों के पीछे लड़कियों का अनुपात 2500 दर्ज किया गया है।