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गुरुवार, 15 सितंबर 2011

अनपढ़ सरपंचों के रहते क्या पंचायतें हो पाएंगी हाईटैक

सरपंचों को कम्पयूटर शिक्षा देने का कार्य शुरू
डबवाली - कम्पूटर शिक्षा लेने के लिए भी पढ़ाई जरुरी है। अगर कोई अनपढ़ है और अंगुठा लगाता है तो उसे कंप्यूटर शिक्षा देने की बात की जाए तो हैरानी तो जरुर होगी। किसी से भी पूछो तो वो यही कहेगा कि ऐसा सम्भव हो ही नहीं सकता, लेकिन न जाने विभाग के अधिकारियों को ऐसी योजना बनाते समय इस बात का अहसास क्यों नहीं रहता। अब विभागीय अधिकारियों द्वारा नया निर्देश जारी कर दिया कि गांवों के सरपंचों को कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करवाएगी जाएगी और शिक्षा पूरी होने के बाद उन्हें कम्प्यूटर भी दिए जाएंगे ताकि वे हर कार्य कम्प्यूटर आदि के माध्यम से पूरी कर सकें और ऑनलाईन होने पर उन्हें भी अपने कार्य करवाने में आसानी हो सके। हालांकि उनकी नीति तो सही है, लेकिन यह बात गले नहीं उतर रही कि जो सरपंच बिलकुल ही अनपढ़ हैं और जिनके लिए काला अक्षर भैंस बराबर है उन्हें कम्प्यूटर का सिखाया गया क-ख-ग पल्ले पड़ेगा कैसे। विभाग ने बड़ागुढ़ा खंड में कम्प्यूटर शिक्षा शुरू भी करवा दी है और सरपंच भी कम्प्यूटर की जानकारी लेने के लिए कक्षाएं लगाने लगे हैं, लेकिन अनपढ़ सरपंचों के सिर के ऊपर से सारी बात निकलती जा रही है, जिसे वे स्वयं भी मान रहे हैं। इसलिए उनके लिए कम्प्यूटर शिक्षा सीखना काफी मुश्किल भरा हो रहा है। क्षेत्र में दर्जनों सरपंच औरते हैं वहीं उनके परिवार वालो का व गांववालों का कहना की सरपंच गांव की जिम्मेवारी संभालेगी या फिर चुल्हा चोका या फिर सब छोड़ कर कंप्यूटर पर ही बैठी रहेगी। कहीं अनपढता इस योजना को धाराशाही ना कर दे यही विचार सरपंचों व पंचायत सदस्यों के मन में भी आ रहे है। बड़ागुढ़ा खण्ड़ में 44 गांव है जिनमें काफी सरंपच अनपढ़ है।

एक तिहाई सरपंच हैं अनपढ़
बीडीपीओ बड़ागुढ़ा छबीलदास डूडी से पूछा गया तो उन्होंने भी माना की बड़ागुढ़ा खण्ड में दो तिहाई सरपंच पढ़े लिखे व एक तिहाई सरंपच अनपढ़ है। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर शिक्षा पूरी होने के बाद सरंपचों को कंप्यूटर दिए जाएंगे।

गंगा में अस्थियां प्रवाहित करके लौट रहे परिवार को लूटा

गांव शाहपुरबेगू का रहने वाला है पीडि़त परिवार
कालांवाली, (बिल्लू यादव)। हरिद्वार में अपने रिश्तेदार की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करके सिरसा लौट रहे एक परिवार को रेलगाड़ी में लुटेरों ने नशीला पदार्थ सूंघाकर लूट लिया है। लूट के शिकार लोगों को कालांवाली के अस्पताल में दाखिल कराया गया है। जानकारी के अनुसार आज सुबह हिसार से चलकर जींद जाने वाली सवारी गाड़ी नंबर 50444 जब कालांवाली स्टेशन पर पहुंची तो एक डिब्बे में 2 महिलाएं व एक पुरुष बेहोश मिला। डिब्बे में उपस्थित यात्रियों ने आरपीएफ की मदद से तीनों बेहोश लोगों को स्टेशन पर उतार लिया। आरपीएफ प्रभारी होशियार सिंह ने सहारा क्लब सदस्यों को फोन करके एंबुलेंस मंगवाई और तीनों को अस्पताल पहुंचाया। स्वास्थ्य केंद्र में तीनों का उपचार शुरू किया गया और लगभग दो घंटे बाद बेहोश व्यक्ति को होश आया। होश आने पर बेहोश व्यक्ति ने अपना नाम इकबाल सिंह बताया और कहा कि वह गांव शाहपुरबेगू का रहने वाला है। उसने बताया कि वे अपने रिश्तेदार की अस्थियां हरिद्वार लेकर गए थे। अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने के बाद रेलगाड़ी से सिरसा लौट रहे थे कि रास्ते में किसी ने उन्हें नशीला पदार्थ सूंघाकर बेहोश कर दिया और इकबाल की पत्नी रामप्यारी व छोटे भाई की पत्नी कर्मदेवी के कानों की सोने की बालियां व नकदी निकालकर ले गए। सहारा क्लब के सदस्यों ने इसकी सूचना गांव शाहपुर बेगू के सरपंच को दी तो वहां से इकबाल सिंह का लड़का कुलदीप कालांवाली पहुंचा और परिजनों से मिला। कुलदीप ने इसके लिए सहारा क्लब व मंडी के लोगों का धन्यवाद किया है।

कार में लिफ्ट देकर छीनी कानों की बालियां

डबवली- यदि आप किसी कार में लिफ्ट लेने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाए क्योंकि लिफ्ट देने के बहाने आपको को लूटा जा सकता है। डबवाली में एक ऐसी घटना हो चुकी है। शहर डबवाली पुलिस ने लिफ़्ट देने के बहाने कार में बैठाकर छिना-झपटी के मामले में घटना की दो महिला आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पकड़ी गई महिलाओं की पहचान अमरजीत कौर पत्नी करनैल सिंह व जलू पत्नी पिन्दर सिंह निवासी वार्ड 21 रामनगर सगरूर (पंजाब)के रूप में हुई। पुलिस ने पूछताछ के दौरान इनके तीन अन्य साथियों जिनमें दो महिलाए व एक पुरूष शामिल है जिनकी पहचान कर ली गई हैं। गिरफ्तार की गई दोनों महिलाओं को आज डबवाली अदालत मे पेश कर रिमांड हासिल किया ताकि उनसे पूछताछ कर छिने गए सोने के कड़े व कानोंं की बालियां बरामद की जा सके। मामले की जानकारी देते हुए शहर डबवाली थाना के प्रभारी महासिंह ने बताया कि 3 अगस्त को वार्ड न: 7 मण्डी डबवाली निवासी कौशल्या देवी शहर डबवाली के एक बैंक मेें गई थी और जब वापस आ रही थी तो कार में सवार उपरोक्त आरोपियों ने उसे कार में बैठा लिया और शहर से बाहर सुनसान स्थान पर ले जा कर उसके कानों की बाली और हाथ के कड़े छिन कर मौके से फरार हो गए। थाना प्रभारी ने बताया कि इस संबंध में कौशल्या देवी की शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू की गई और महत्वपूर्ण सुराग जुटाकर घटना के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया की घटना के बाकी तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की एक टीम पंजाब के सगरूर क्षेत्र में जाएगी।

ट्रांसफार्मर से तार चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

डबवाली-जिले के विभिन्न गांवों में बिजली के ट्रांसफार्मर से तांबा की तार चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश हो गया है। डबवाली, कालांवाली व ओढ़ां पुलिस ने गिरोह के कुछ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। शहर डबवाली पुलिस ने 11 जुलाई को गांव डबवाली क्षैत्र में ट्रासर्फामर में से हुई तांबा तार चोरी की घटना को गुत्थी को सूलझाते हुए रतनलाल पुत्र सालीराम निवासी नरसिंह कॉलोनी डबवाली को गिरफ्तार किया है। आरोपी से पूछताछ के दौरान उसके पांच अन्य साथियों की भी पहचान कर ली गई है जिन्हे शीघ्र ही गिरफ्तार किया जाएगा। इसी प्रकार कालांवाली पुलिस ने 31 जुलाई को गांव तारूआना क्षेत्र से ट्रांस्फार्मर में से तांबा तार चोरी करने की गुत्थी को सुलझाते हुए घटना के एक आरोपी सोनू उर्फ काला पुत्र फतेह सिंह निवासी वार्र्ड 12 रामा मंडी (पंजाब )का रहने वाला है। पुलिस ने आरोपी को डबवाली अदालत में पेशकर पूछताछ हेतू पुलिस रिमांड पर ले लिया है। एक अन्य घटना में ओढ़ा पुलिस ने 22 अगस्त को ओढ़ां से घुकांवाली रोड़ पर स्थित एक ट्रांसफार्मर में से तांबा तार चुराने के आरोप में पंजाब के डूमवाली गांव क्षेत्र से सुक्खा सिंह पुत्र बृजभान निवासी गली नम्बर 34 पारस नगर भंठिडा को काबू किया है। पूछताछ के दौरान उसके 6 अन्य साथियों की भी पहचान कर ली है। जिसे शीघ्र ही दबिश देकर गिरफ्तार किया जाएगा।

ऐसी मिसाल कहीं नहीं

डबवाली।बात सुनने में अटपटी लगे। लेकिन है सच। ऐसा सच जिस पर सरलता से यकीन नहीं किया जा सकता हो। रैगर समाज के शहर में करीब एक हजार घर हैं। इन घरों में जब भी सुख-दु:ख का कोई कार्यक्रम होता है, उससे पूर्व बाबा रामदेव के मंदिर का भाग निकाला जाता है। ऐसा पिछले सत्तर सालों से चल रहा है। डबवाली का रैगर समाज इसे रसम मानकर निभाता है।
न्यू बस स्टैण्ड रोड़ पर स्थित बाबा रामदेव के मंदिर की स्थापना विक्रमी संवत 1988 के दरमियान हुई थी। उस दौरान बाबा रामदेव के भक्त गीगा राम मंदिर वाली जगह आए। उन्होंने दो ईंट खड़ी करके ध्यान लगाया और वहां पर बाबा रामदेव मंदिर बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों को उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों का विश्वास मजबूत होता गया। विक्रमी संवत 1989 में दो ईंटे कमरे में तबदील हो गई। जिसके ऊपर गुम्बद बनाया गया और कलश लगाए गए। मंदिर में सुबह-शाम को दो समय आरती होने लगी। मंदिर के विकास का जिम्मा रैगर समाज ने अपने हाथों में लिया। इसके लिए चौधरी रामलाल, त्रिलोक चंद सकरवाल, प्रभाती राम धोलपुरिया, कान्हा राम तथा मंगला राम ने बाबा रामदेव सेवक संस्था का निर्माण किया।
मंदिर के ठीक सामने रहने वाले नपा डबवाली के पूर्व अध्यक्ष 81 वर्षीय चौधरी रामलाल बताते हैं कि इसी दौरान रैगर समाज से संबंध रखने वाले मुकंदा राम ने मंदिर के साथ लगती एक बिसवा जमीन मंदिर को दान कर दी। उस समय रैगर समाज के करीब 400 घर थे। प्रत्येक घर खुशी-गमी के मौके पर मंदिर को दान दिया जाने लगा। इसी दान के सहारे उन्होंने जमीन पर दुकानें काट दी। दुकानों के निर्माण के बाद आने वाली आमदन से मंदिर के पुजारी तथा वहां रूकने वाले संत-फकीर के भोजन की व्यवस्था होने लगी।
खुशी का मौका हो या फिर गम का मौका रैगर समाज के लोगों ने इन दोनों अवसरों पर मंदिर को दान देने की रसम अपना ली। धीरे-धीरे मंदिर की मान्यता बढऩे लगी। साल में दो बार मेला भरने लगा। इस मेले में आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी। जिससे गली, मोहल्ले फिर शहर के लोग मंदिर में आने लगे। लेकिन सत्तर साल पहले रैगर समाज में शुरू हुई परंपरा आज भी कायम है। घर में छोटा सा कार्यक्रम होने पर भी मंदिर को दान देना नहीं भूलते।
बन गई परंपरा
मंदिर को संभाल रहे बाबा रामदेव सेवा मण्डल के अध्यक्ष प्रेम कनवाडिय़ा तथा सदस्य कृष्ण खटनावलिया ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं। उनके बुजुर्गों से उन्हें इस रसम की जानकारी मिली है। समाज के जिस भी घर में कोई कार्यक्रम होता है, उसी समय मंदिर के विकास के लिए परिवार खुद ब खुद दान देने की रसम निभाता है। उन्होंने बताया कि यह समाज के लोगों का सहयोग तथा बाबा रामदेव की कृपा है, जो एक कमरे का मंदिर विशाल मंदिर में परिवर्तित हो गया है और साथ में धर्मशाला बन गई है।

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