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शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

गोदाम में धूल खा रही लाखों की दवाएं

लखनऊ, एक तरफ तो यूपी के अस्पताल दवाओं की कमी से जूझ हे हैं, दूसरी ओर उप्र ड्रग्स एंड फार्मासिटिकल लिमिटेड (यूपीडीपीएल) के गोदाम में 60 लाख रुपये की कीमती दवाएं धूल खा रही हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग यूपीडीपीएल से दवाएं नहीं खरीद रहा। क्रय आदेश न मिलने से यहां दवाओं का उत्पादन भी बंद हो गया है। यूपीडीपीएल प्रदेश में दवा बनाने वाली एकमात्र सरकारी संस्था है। स्वास्थ्य विभाग यहां की दवाओं को सरकारी अस्पतालों को मुहैया कराता है। अप्रैल 2009 तक तो सब ठीक रहा लेकिन इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग ने यूपीडीपीएल से दवा लेना बंद कर दिया। इस कारण लाखों की जीवन रक्षक दवाएं गोदामों में पड़ी हैं। इनमें मुख्य रूप से एम्पीसिलीन व सिफ्लाक्सिन कैप्सूल, नारफ्लाक्सिन, सिप्रोफ्लाक्सिन, फ्लूक्नोजोल, टिनिडाजोल, एस्कार्बिक एसिड, डाइक्लोफिनेक सोडियम व मेट्रोनिडाजोल की टेबलेट शामिल हैं। मामला संज्ञान में आने पर शासन ने दो माह पहले कई बार स्वास्थ्य विभाग को यूपीडीपीएल से दवा खरीदने के आदेश तो दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा. आरआर भारती का कहना है कि यूपीडीपीएल की बनी दवाओं की एक्सपायरी डेट काफी कम अवधि की है। इसी वजह से इन्हें खरीदने में दिक्कतें आ रही हैं।

पंजाब के मंत्रियों की गाडि़यों का चक्काजाम करेंगे ड्राइवर

चंडीगढ़,पंजाब विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान मंत्रियों व अधिकारियों के वाहनों का चक्का जाम करेंगे ड्राइवर। यह खुलासा गुरुवार को यहां पंजाब गवर्नमेंट ड्राइवर व टेक्निकल इंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों व विभिन्न जिलों से आए कर्मचारी नेताओं ने किया। यूनियन नेताओं ने कहा कि फरवरी के पहले सप्ताह पंजाब के सभी जिलों में जिला स्तर पर व प्रदेश स्तर पर यूनियन के पदाधिकारियों का चुनाव कर लिया जाएगा। नेताओं ने कहा कि पहले सभी जिला स्तर पर ड्राइवरों की मांगों को लेकर चक्का जाम किया जाएगा फिर पंजाब विधानसभा के बजट सत्र दौरान मंत्रियों व अधिकारियों के वाहनों का चक्का जाम करके रोष प्रदर्शन किया जाएगा। यूनियन नेताओं ने कहा कि राज्य में ड्राइवरों से हो रहे भेदभाव को बंद करके पंजाब के सरकारी ड्राइवरों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों अनुसार 700 रुपए स्पेशल पे की अदायगी शुरू की जाए। पंजाब के सभी सरकारी वाहनों का बीमा करवाया जाए और किसी हादसे में ड्राइवरों से कुल क्लेम का 50 प्रतिशत लिया जाना बंद किया जाए। डाक्टरों व नर्सो की तर्ज पर ड्राइवरों को भी पल्स पोलियो की ड्यूटी पर जाने का भत्ता दिया जाए। ड्राइवरों को केंद्र की तर्ज पर ओवरटाइम व कनवेंस अलाउंस दिया जाए।

महाराष्ट्र में ट्रेन के आगे कूदीं दो राष्ट्रीय खिलाड़ी

मुंबई, महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से बच्चों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं की कड़ी में बुधवार को दो और नाम जुड़ गए। अहमदनगर जिले में राष्ट्रीय स्तर की दो खिलाडि़यों वृषाली ठुबे एवं आकांक्षा सोनावने ने ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली। दोनों खिलाड़ी 12वीं की छात्रा थीं। दोनों के स्कूल में प्री बोर्ड परीक्षा चल रही थी। 17 वर्षीय वृषाली कबड्डी एवं आकांक्षा तलवारबाजी की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थीं। मंगलवार को दोनों ने जीवविज्ञान के पहले पेपर की परीक्षा दी थी। बुधवार की सुबह दोनों स्कूल की यूनीफॉर्म पहनकर साथ ही दूसरी परीक्षा देने निकली थीं, लेकिन स्कूल जाने के बजाय, दोनों रास्ते से ही ऑटो रिक्शापकड़कर अहमदनगर-मनमाड़ रेलवे लाइन के गेट नंबर 30 पर जा पहुंचीं। गेट बंद था और दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे। तभी दोनों लड़कियां ऑटो से उतरकर रेललाइन के किनारे-किनारे उस तरफ जाने लगीं, जिधर से ट्रेन आने वाली थी। गेट से करीब 100 मीटर दूर पहुंचते ही दोनों लड़कियां सामने से आ रही ट्रेने के सामने कूद गई। ट्रेन की गति तेज थी, इसलिए उन्हें बचाया नहीं जा सका। पुलिस को लड़कियों की जेब से मिले पत्र से उनके विद्यालय का पता चला तो उनके प्रधानाचार्य को इस दुर्घटना की सूचना दी गई। पुलिस को आत्महत्या के कारणों का सही पता नहीं चल सका है। यह घटना भी सूबे में एक पखवाड़े से हो रही बच्चों की आत्महत्याओं की श्रृखला में एक कड़ी मानी जा रही हैं। वृषाली के पिता बीएल ठुबे अहमदनगर के पारनेर तालुका में एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं। जबकि आकांक्षा के पिता यशवंत सोनावने जिला सहकारी लेबर फेडरेशन के संचालक हैं।

यूपी-बिहार ने महंगाई पर केंद्र को घेरा

लखनऊ/पटना, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा महंगाई के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार ने गुरुवार को उनके और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। यूपी की मुख्यमंत्री मायावती और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शरद पवार अपनी गैर जिम्मेदाराना बातें बंद करें, क्योंकि महंगाई की असली गुनहगार केंद्र सरकार है जिसकी गलत नीतियों के कारण जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस में मायावती ने कहा कि तीन मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से महंगाई बढ़ रही है। पहला केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां, दूसरा पेट्रोलियम के दामों में की गई भारी वृद्धि और तीसरा कांग्रेस व पूंजीपतियों की साठगांठ। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का हर फैसला जमाखोरों, मुनाफाखोरों तथा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है। केंद्रीय मंत्री विशेषकर शरद पवार जिस प्रकार बयान देते हैं उससे चीनी के दाम आसमान छूने लगते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश में चावल की कमी है तो इसके निर्यात की अनुमति केंद्र ने कैसे दे दी? चावल के निर्यात पर उन्होंने तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की। मायावती ने कहा कि दो साल पहले जब देश में पर्याप्त चीनी पैदा हुई थी तो बफर स्टॉक बनाने के बजाए सस्ते में उसका निर्यात कर दिया। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि प्रदेश के किसानों का पूरा गन्ना जब तक पेर नहीं लिया जाता उनकी सरकार बाहर से चीनी आयात की अनुमति कदापि नहीं देगी। केंद्र सरकार महंगाई के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराना बंद करे और अपनी गलत आर्थिक नीतियों को सुधारे वरना बसपा देशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी नहीं छोड़ा। पटना में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की घोषणा ठीक वैसी ही है जैसे आग लगने पर गढ्ड़ा खोदना। नीतीश ने कहा कि इस बैठक के स्थान पर प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए जिसमें महंगाई को नियंत्रित करने पर गहराई से विचार किया जाए। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि प्रधानमंत्री इस महीने के आखिर में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाएंगे। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि महंगाई के लिए केंद्र और उसकी नीतियां पूरी तरह जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्र के पास कोई दीर्घकालीन नीति नहीं है, जबकि राज्य सरकारें काला बाजारियों और मुनाफाखोरों के प्रति पूरी तरह सतर्क हैं। पवार द्वारा राज्यों को फुटकर बाजार में अपनी एजेंसियों के माध्यम से खाद्य पदार्थ वितरित करने के निर्देश दिए जाने पर नीतीश ने कहा कि अगर कीमतें बढ़ने के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं तो कांग्रेस शासित राज्यों में कीमतें कम क्यों नहीं हो रहीं? उन्होंने बताया कि बिहार में कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों के खिलाफ शिकायतों के लिए एक लाइन शुरू की गई है ताकि उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी है।

electricity generation is slow but sure in Haryana --(Dr.) M.M. Goel,

Kurukshetra,- “The progress of electricity generation is slow but sure in Haryana which promise sustainable future of the peoples with their cooperation, patience and responsibility as consumers who should feel concerned for payment of electricity bills and complete no to power theft. The growth rate of capacity of thermal power plants required to be speeded up. We need to do serious introspection on the sustainability issues for power sector in Haryana. We are expected to think of the life style which is needed, affordable and cost effective. ” observed Professor (Dr.) M.M. Goel, Chairman, Department of Economics, Kurukshetra University & Convener Intellectual cell of the Haryana Pradesh Congress Committee in an International Symposium on Sustainable Future (ISSF-2010) being organized by Indira Gandhi Institute of Development Research( IGIDR), Goregaon (Mumbai) on January 11. He shared Dias with eminent personalities from India and abroad most notably Professor Yoginder K. Alagh, Mr. Suresh Prabhu both former ministers of energy at the Government of India., Padam Vibhushan Dr. Man Mohan Sharma , Dr Sonia Valdivisia of UNEP, France, Dr. Martina Prox of Germany.
Sustainability of human survival will be reality with governance structure and manpower planning, said Professor Goel.
To secure sustainable future of the people in India, we need to recognize electricity as the most important infrastructural activity and calls for its sufficiency, efficiency which is possible through good governance conceptualized as SMART administration including SIMPLE, Moral, Action oriented, Responsive and Transparent at all levels of production transmission ,distribution and consumption , said Professor Goel.
Earlier Professor Dilip Nachane, Director IGIDR welcomed the guests and Professor Vinod K Sharma convener ISSF-2010 introduced the guests and proposed vote of thanks.

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