लखनऊ, एक तरफ तो यूपी के अस्पताल दवाओं की कमी से जूझ र
हे हैं, दूसरी ओर उप्र ड्रग्स एंड फार्मासिटिकल लिमिटेड (यूपीडीपीएल) के गोदाम में 60 लाख रुपये की कीमती दवाएं धूल खा रही हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग यूपीडीपीएल से दवाएं नहीं खरीद रहा। क्रय आदेश न मिलने से यहां दवाओं का उत्पादन भी बंद हो गया है। यूपीडीपीएल प्रदेश में दवा बनाने वाली एकमात्र सरकारी संस्था है। स्वास्थ्य विभाग यहां की दवाओं को सरकारी अस्पतालों को मुहैया कराता है। अप्रैल 2009 तक तो सब ठीक रहा लेकिन इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग ने यूपीडीपीएल से दवा लेना बंद कर दिया। इस कारण लाखों की जीवन रक्षक दवाएं गोदामों में पड़ी हैं। इनमें मुख्य रूप से एम्पीसिलीन व सिफ्लाक्सिन कैप्सूल, नारफ्लाक्सिन, सिप्रोफ्लाक्सिन, फ्लूक्नोजोल, टिनिडाजोल, एस्कार्बिक एसिड, डाइक्लोफिनेक सोडियम व मेट्रोनिडाजोल की टेबलेट शामिल हैं। मामला संज्ञान में आने पर शासन ने दो माह पहले कई बार स्वास्थ्य विभाग को यूपीडीपीएल से दवा खरीदने के आदेश तो दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा. आरआर भारती का कहना है कि यूपीडीपीएल की बनी दवाओं की एक्सपायरी डेट काफी कम अवधि की है। इसी वजह से इन्हें खरीदने में दिक्कतें आ रही हैं।
