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रविवार, 1 नवंबर 2009

पाकिस्तान को 'कड़ा जवाब' देंगे




भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ा रवैय्या अपनाते हुए कहा है कि अगर पाकिस्तान की तरफ़ से अगर कोई और आतंकी हमला होता है तो उसका ‘कड़ा जवाब’ दिया जाएगा.

चिदंबरम ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि वो भारत के साथ खेल न खेले और मुंबई पर हुआ हमला ‘आखिरी खेल’ होना चाहिए.

तमिलनाडु के मदुरै शहर में शनिवार की देर रात एक जनसभा को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘‘ सीमा पार से आतंकवाद को रोकने के लिए हम हर दिन ताकत बढ़ा रहे हैं. मैं पाकिस्तान को चेतावनी देता हूं कि वो हमारे साथ खेल न खेले. मुंबई आखिरी खेल होना चाहिए. ये सब यहीं ख़त्म होना चाहिए.’’

तमिल भाषा में लोगों को संबोधित करते हुए उनका कहना था, ‘‘अगर पाकिस्तान से चरमपंथी और आतंकवादी भारत के ख़िलाफ़ हमले करते रहे तो वो न केवल हराए जाएंगे बल्कि इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा.’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से घुसपैठिए भेजने की किसी भी कोशिश का भारत कड़ा जवाब देगा. उनका कहना था कि भारत ऐसे प्रयासों को रोकने में पूरी तरह सक्षम है.

चिदंबरम ने कहा कि वो लगातार पाकिस्तान को चेतावनी देते रहे हैं कि वो भारत के मामलों में दखल न दे लेकिन अगर वो ऐसा करते रहे तो उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा.

एक हजार करोड़ स्वाह


ज्वालामुखी बने आयल डिपो में आग का तांडव जारी


जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में ज्वालामुखी बने आयल डिपो में अब तक लाखों लीटर तेल जल गया। इस तेल से एक लाख छोटे चौपहिया वाहन एक साल तक चलाए जा सकते थे। जयपुर में रोजाना दो लाख लीटर पेट्रोल और दस लाख लीटर डीजल खर्च होता है। इस हिसाब से छह महीने का पेट्रोल और एक माह का डीजल आग में खत्म हो गया। अब तक की पड़ताल में करीब एक हजार करोड़ के नुकसान की जानकारी मिली है। इसमें आयल का नुकसान पांच सौ करोड़ का और इतना ही सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इकाइयों एवं शिक्षण संस्थानों को आर्थिक नुकसान हुआ है। आग से 50 औद्योगिक इकाइयां और नौ कालेज तबाह हो गए हैं। इससे दस हजार लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है। इनमें से अधिकांश इकाइयों के चालू होने में छह माह से एक साल तक का समय लग सकता है। आग पर काबू पाने में एक-दो दिन और लगेंगे : आग तीसरे दिन शनिवार को भी जलती रही। हालांकि आग की लपटें पहले से कुछ कम हुई हैं। पचास घंटे के प्रयास के बावजूद आयल डिपो में लगी आग नहीं बुझ पाई। इससे प्रशासनिक, इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) और सेना के अधिकारियों की चिंता बढ़ती जा रही है। टैंकों से निकल रही धुएं की लपटें दस-दस किमी दूर तक दिखाई दे रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टैंकरों में अभी बीस फीसदी ईधन बचा हुआ है इसलिए आग पर काबू पाने में एक-दो दिन और लग सकते हैं। तीन शव और मिले : शनिवार को आग की लपटें पहले के मुकाबले कुछ कम हुईं तो विशेषज्ञ डिपो के निकट पहुंचे। इस दौरान उन्हें तीन शव नजर आए। इसमें दो आईओसी के इंजीनियर के शव हैं। अब तक आठ लोगों के मरने की और सौ लोगों के घायल होने की पुष्टि की है। गर्मी से गल रहे तीन टैंक : विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के कारण तीन टैंक गल रहे हैं। अगर इनका गलना जारी रहता है तो टैंकों से पेट्रोल, डीजल का रिसाव हो सकता है। इससे आग एक बार फिर भड़क सकती है। इसलिए सेना के जवान टैंको से कुछ दूरी पर मिट्टी के गड्ढे खोद रहे हैं जिससे रिसने वाला ईधन इनमें चला जा। दस हजार परिवार अन्यत्र भेजे : डिपो से दस से पंद्रह किमी दूर तक के दस हजार परिवारों को अन्यत्र स्थानों पर भेज गया है। ये परिवार आश्रय स्थलों में ठहरे हुए हैं। दूर-दूर से बुलाए विशेषज्ञ : मथुरा और दिल्ली से आए विशेषज्ञ के साथ-साथ सेना के जवान, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी आसपास जमे हुए हैं। जो आग की लपटें कम होते ही बचाव कार्य शुरू करने की तैयारी में हैं।

84 दंगों को लेकर अमिताभ भी घेरे में

( डॉ सुखपाल)


वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर बालीवुड के बिग बी अमिताभ बच्चन भी घेरे में आ गए हैं। हुआ यह कि सीबीआई द्वारा सिख विरोधी दंगे में आरोपी जगदीश टाइटलर के बचाव में अदालत के समक्ष पेश की गई 18 मिनट की सीडी में टाइटलर के साथ महानायक अमिताभ, आरके धवन और तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर गौतम कोल भी मौजूद हैं। यह सीडी देखने के बाद दंगा पीडि़तों के वकील एचएस फुल्का ने कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने सीबीआई से पूछा कि सीडी में वीडियोग्राफी का समय और तिथि क्यों दर्ज नहीं है? सीडी की सत्यता एवं समय जांचने के लिए अमिताभ, धवन व कोल से पूछताछ क्यों नहीं की गई? इतना ही नहीं, शोकसभा स्थल पर जहां जगदीश टाइटलर की मौजूदगी दिखाई गई है, वहां बवाल हुआ था और पुलिस ने लाठीचार्ज तक किया था। इस संबंध में स्वयं गौतम कोल ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की थी। उक्त कार्रवाई रिपोर्ट की प्रति के आधार पर टाइटलर की मौजूदगी की भी जांच सीबीआई ने नहीं की है। फुल्का ने सीबीआई द्वारा अदालत के समक्ष सबूत के तौर पर पेश की गई सभी आठ वीडियो सीडी देखने और उनकी जांच की भी मांग की जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। एसीएमएम राकेश पंडित की अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह 16 नवंबर को दोपहर तीन बजे कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित प्रासीक्यूशन ब्रांच में पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता को टाइटलर से संबंधित सभी सीडी दिखाए। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि एक दिसंबर मुकर्रर की है। इस दिन वादी एवं परिवादी पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच सीबीआई द्वारा पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट के गवाह सुरेंद्र सिंह के बयान पर जिरह होगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे में सीबीआई ने जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट देने के लिए उनकी दिनचर्या को आधार बनाया था। उसमें सीबीआई ने छह वीडियो टेप टाइटलर और दो वीडियो टेप दूरदर्शन से हासिल किए थे जिसमें दंगों के समय टाइटलर की मौजूदगी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शोकसभा पर दिखाई गई थी।

अजगरी मंसूबों के आगे विकास की दीवार

अरुणाचल की जमीन पर चीन की गिद्ध दृष्टि के सामने भारत ने विकास की बड़ी दीवार उठानी शुरू कर दी है। अरुणाचल से जुड़ी अपनी सीमा को अभेद्य छावनी बना चुके चीन के मंसूबे भांपते हुए भारत सरकार ने अपनी न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर काम तेज कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश में न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता का मतलब है मजबूत बुनियादी ढांचा, ताकि वहां सामरिक रूप से भारत प्रभावी रहे। इसीलिए चीन की सभी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए बिना शोर मचाए, भारत ने अरुणाचल प्रदेश में विकास की रफ्तार तेज कर दी। यहां विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है दुर्गम पहाडि़यां व संपर्क मार्गो की कमी। इसे समझते हुए गृह मंत्रालय ने विकास की दृष्टि व सामरिक महत्व वाली 10 सड़कों के 196 किलोमीटर मार्ग की परियोजनाओं पर तीन माह पहले काम शुरू किया और दुर्गम पहाडि़यां काट कर 132 किलोमीटर राह समतल कर डाली। करीब 15 किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने मंत्रालय के कामकाज की जो रिपोर्ट जारी की, उससे साफ है कि सड़कों का जाल बिछाने का काम बेहद संजीदा तरीके से बिना किसी शिथिलता के आगे बढ़ रहा है। आंकड़ों पर नजर फिरायें तो अक्टूबर में 46.33 किलोमीटर सड़क का बुनियादी काम पूरा हो गया। साथ ही करीब पांच किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार कर ली गई। इससे पिछले माह, यानी सितंबर में 45.27 किमी सड़क का बुनियादी काम पूरा हुआ, जबकि करीब पांच किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार कर ली गई। अगस्त में भी 40.08 किलोमीटर सड़क का बुनियादी ढांचा तैयार हुआ और करीब 5.40 किमी. सड़क मुकम्मल की गई। वैसे, चीन से तुलना किया जाए तो यह विकास कुछ भी नहीं है। लेकिन केंद्र मान रही है कि चीन ने जिस तेजी से अपना बुनियादी ढांचा तैयार किया है, वह भारत के लिए मुश्किल है और उसकी जरूरत भी नहीं है। इसीलिए, सामरिक महत्व की जगहों पर सड़कें बनाने के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की तैयारी चल रही है।

चूडि़यों के शहर में कलाइयों की आजमाइश

( डॉ सुखपाल)-


यह चूडि़यों का शहर है, पर इन दिनों यहां कलाइयों की आजमाइश चल रही है। मुलायम सिंह के विरोधी उपचुनाव के बहाने उन्हें सपा के इस गढ़ में ही आइना दिखाने की चालें चल रहे हैं, तो सपा प्रमुख ने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अपनी पुत्रवधू डिम्पल को मैदान में उतार दिया है। बहू के पक्ष में पूरा परिवार फिरोजाबाद में डेरा डाले हुए है, तो कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर के पक्ष में खुद राहुल गांधी ने वोट मांगकर संकेत दे दिया कि राजनीतिक दलों के लिए यह उपचुनाव किस कदर प्रतिष्ठापूर्ण है। बसपा ने एसपी सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया है जो सपा के टिकट पर जलेसर से सांसद रहे और पिछले चुनाव से पहले सपा से नाता तोड़ बसपा से चुनाव लड़े थे। इनके बीच भाजपा पांचवें सवार की तरह मैदान में है। अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद सीट छोड़ते वक्त ही संकेत दे दिया था कि डिम्पल मैदान में उतर सकती हैं। जाहिर है, सपा के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। शायद इसीलिए मुलायम सिंह ने यहां खुद कमान सम्भाल रखी है। प्रो.रामगोपाल, शिवपाल सिंह यादव, स्वयं अखिलेश, सांसद धर्मेन्द्र यादव पार्टी के तमाम दिग्गजों को लेकर दिनरात एक किये हैं। डिम्पल अपने को यहां की बहू बताकर वोट मांग रही हैं। कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर पिछला चुनाव फतेहपुर सीकरी से कम मतों के अन्तर से हार गए थे। उनकी उम्मीदवारी का फैसला राहुल गांधी का था, इसलिए कांग्रेस के लिए भी यह प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। राहुल की रैली के बाद यहां के सियासी महौल में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। इससे पहले दिग्विजय सिंह, रीता जोशी, प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद अजहरुद्दीन व जगदम्बिका पाल जैसे जैसे नेता यहां आ चुके हैं। बसपा की उम्मीदें कांग्रेस और सपा के बीच मत विभाजन पर टिकी हैं। सरकार के मंत्रियों की पूरी फौज यहां जुटी है। रामवीर उपाध्याय, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, जयवीर सिंह और नारायण सिंह इनमें मुख्य हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा.रमापति राम त्रिपाठी पार्टी उम्मीदवार भानुप्रताप सिंह के पक्ष में सभाएं कर चुके हैं। इस संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। शिकोहाबाद में अशोक यादव व जसराना में रामप्रकाश यादव निर्दलीय हैं, जबकि फिरोजाबाद से शेख नासरुद्दीन सिद्दीकी व टूंडला से राकेश बाबू बसपा विधायक हैं। सिरसागंज के विधायक ठा.जयवीर सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।

उप्र में राहुल की राह रोकेंगे दो राजकुमार


कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की नजर यदि उत्तर प्रदेश में पार्टी की खोई जमीन वापस लाने पर है, तो वहां अब उनके ही हमउम्र दो अलग-अलग पार्टियों के राजकुमार उनकी राह रोकेंगे। लगभग तीन साल तक जुदा रास्तों के बावजूद राहुल को जवाब देने के लिए वे एक साथ आ गए हैं। मुलायम सिंह के सांसद पुत्र अखिलेश यादव और चौधरी अजित सिंह के सांसद पुत्र जयंत चौधरी वैसे तो इसकी शुरुआत फीरोजाबाद सीट पर कांग्रेस व उसके युवराज को निशाने पर लेकर करेंगे, लेकिन यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। जानकारों का कहना है कि जयंत चौधरी चार नवम्बर को फीरोजाबाद लोकसभा सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव में सपा प्रत्याशी व अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का प्रचार करने यूं ही नहीं जा रहे हैं। जनसभा के लिए भी टूंडला (वैशालीपुरम्) को चुना गया है। वह भी अनायास नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर टूंडला में ही पले-बढ़े हैं, लिहाजा उन्हें व उनकी कांग्रेस को जवाब भी वहीं से दिया जाएगा। राहुल गांधी ने शुक्रवार को फीरोजाबाद में राज बब्बर के प्रचार के लिए हुई जनसभा में बीते बीस साल में उत्तर प्रदेश के पिछड़ने के लिए विपक्ष (खास कर सपा) पर निशाना साधा था। इसलिए जयंत व अखिलेश इस चुनाव में कांग्रेस और उसके भविष्य की असलियत मतदाताओं को बताएंगे। सपा प्रमुख मुलायम के पुत्र अखिलेश यादव व रालोद मुखिया अजित के पुत्र जयंत चौधरी अपने-अपने दलों के भावी सितारे हैं। दोनों दलों को अपने इन राजकुमारों से बहुत उम्मीदें हैं। वे नेता इन युवा नेताओं में अपना व पार्टी का भविष्य देख रहे हैं। तर्क यह भी है कि सपा व रालोद के दोनों सांसदों के पास उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में उनके पिता की राजनीतिक विरासत व संगठन है। वे युवा भी हैं और दोनों ने अच्छी पढ़ाई भी कर रखी है। इसलिए वे कांग्रेस और उसके युवराज को पूर्वी, मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हर तरह से जवाब दे सकते हैं। इसकी शुरुआत फिलहाल फीरोजाबाद उपचुनाव से होगी, लेकिन यह सिलसिला आगे भी चलेगा। वजह यह है कि लोकसभा चुनाव के महज पांच महीने के भीतर कांग्रेस जिस तरह से जीतकर उभर रही है, उस खतरे का अहसास दोनों दलों को है। लिहाजा उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी को रोकना दोनों पार्टियों के लिए जरूरी हो गया है।

हरियाणा दिवस पर विशेष : यह कैसी उपलब्धि




हरियाणा के उदय के बाद हम 75 लाख 90 हजार से 2 करोड़ 11 लाख से अधिक हो गए। जनगणना के मामले में बेशक चीन विश्व में सबसे ऊपर हो पर घनत्व के मामले में हरियाणा ने उसको भी पछाड़ दिया है। वह भी सामान्य नहीं, बल्कि यहां का घनत्व चीन से लगभग दोगुना हो चुका है। प्रदेश का फरीदाबाद जिला ऐसा है, जिसकी जनसंख्या हर 9.7 साल में दोगुनी हो जाती है। इतनी तेज गति से जनसंख्या वृद्धि होने के कारण सरकार भी चिंतित है और इस वृद्धि को रोकने के लिए कारगर उपाय खोज रही है। जनगणना के मुताबिक हरियाणा की आबादी उदय के समय 75.90 लाख थी, जो अब 178.57 प्रतिशत बढ़ चुकी है। 2001 में प्रदेश की आबादी 211.4 लाख हो चुकी थी। वर्तमान में यह आंकड़ा कहां तक पहुंच गया होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि आबादी तो लगातार बढ़ रही है पर सुविधाएं व दूसरी जरूरतें बहुत कम पूरी हो पा रही हंै। प्रदेश में 2001 तक भी 55.5 प्रतिशत परिवारों के पास प्रसाधन (शौचालय) की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि ग्रामीण हरियाणा में 71.3 प्रतिशत परिवार इस सुविधा से वंचित हैं तथा 48.4 प्रतिशत घरों में बाथरूम नहीं हैं। 23.2 प्रतिशत परिवारों के पास गंदे जल की निकासी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। भारत का घनत्व 325 है, जबकि हरियाणा का जनसंख्या घनत्व 478 है। अमेरिका का घनत्व 30 व कनाडा का घनत्व केवल 3 है। जनसंख्या के मामले में विश्र्व में सबसे अग्रणी माने जाने वाले चीन का घनत्व केवल 237 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो कि हरियाणा से लगभग आधा है। देश में दस लाख से अधिक की आबादी वाले 35 शहर हैं, जिनमें फरीदाबाद शहर भी शामिल हैं। इस शहर की आबादी 10.55 लाख है और हर 9.7 वर्ष में दोगुनी हो जाएगी। देश के बड़े राज्यों में हरियाणा की शहरी जनसंख्या वृद्धि की प्रतिशतता सर्वोच्च है। हमको सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।

मिली जीत


आस्ट्रेलिया 229/5 भारत 230/4 युवराज 78 (96 गेंद) धौनी 70 ( 75 गेंद) नई दिल्ली में तीसरे वनडे में शतकीय साझेदारी के दौरान एक-दूसरे को बधाई देते कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और युवराज सिंह। भारत ने मैच 6 विकेट से जीता।

डेरीबा मर्गा ने जीती दिल्ली हाफ मैराथन


नई दिल्ली। मैराथन में अफ्रीकी देशों का दबदबा कायम रखते हुए विश्व और गत चैम्पियन इथोपिया के डेरिबा मर्गा ने रविवार को यहां एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन का पुरुष वर्ग का खिताब जीत लिया जबकि महिला वर्ग में कीनिया की विश्व चैम्पियन मैरी किटानी ने बाजी मारी।

भारतीयों में सेना के दीपचंद सहराम पुरुष जबकि उत्तर प्रदेश की सुकन्या माली महिला वर्ग में चैम्पियन रही। गत चैम्पियन मर्गा अपने खिताब की सफलतापूर्वक रक्षा करते हुए 59 मिनट 54 सेकेंड का समय लेकर चैम्पियन बने। मर्गा के हमवतन इशेकू वेनदिनु एक घंटा और दो सेकेंड का समय लेकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि एक घंटा और चार सेकेंड के साथ कीनिया के विल्सन किटसैंग को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

दूसरी तरफ महिला वर्ग में विश्व चैम्पियन मैरी ने इथोपियाई धावकों की कड़ी चुनौती से उबरते हुए एक घंटा छह मिनट और 54 सेकेंड के साथ दिल्ली हाफ मैराथन के खिताब पर कब्जा जमाया। इथोपिया की आएलु व्युडे [एक घंटा सात मिनट 58 सेकेंड] और अबेरु केबिडे [एक घंटा सात मिनट 59 सेकेंड] क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रही।

मैराथन चैम्पियन को 25000 डालर की इनामी राशि मिली जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले धावक को 15000 डालर और तीसरे स्थान पर रहने वाले धावक को 10000 डालर दिए गए। भारतीय धावकों में पिछले साल तीसरे स्थान पर रहने वाले दीपचंद ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए एक घंटा चार मिनट का समय लिया जबकि रेलवे के संतोष कुमार एक घंटा पांच मिनट दस सेकेंड के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

पुरुष वर्ग में रेलवे के ही सोजी मैथ्यूज को एक घंटा पांच मिनट 18 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। दीपचंद, संतोष और मैथ्यूज सभी धावकों के बीच क्रमश: 17वें, 18वें और 19वें स्थान पर रहे।

भारतीय धावकों के महिला वर्ग में उत्तर प्रदेश का दबदबा रहा और शीर्ष तीन स्थान उसी की धावकों की झोली में गए।

सुकन्या एक घंटा 20 मिनट 11 सेकेंड के साथ भारतीय महिलाओं में सर्वश्रेष्ठ रही जबकि गोरखपुर की अनुराधा सिंह ने एक घंटा 22 मिनट सात सेकेंड के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। ए दोनों कुल धावकों में क्रमश: 22वें और 24वें स्थान पर रही।

महिला वर्ग में तीसरा स्थान आगरा की कमलेश बघेल ने हासिल किया। वह एक घंटा 23 मिनट 45 सेकेंड का समय लेकर कुल 25वें स्थान पर रहीं।

गोल्फ तो बस बहाना है, कश्मीर को स्वर्ग दिखाना है


जहाज से नीचे उतरते हुए लगा कि जो लोग यह कहते हैं कि स्वर्ग आसमान से उपर कहीं है, वे शायद झूठ बोलते हैं क्योंकि हमने जहाज में बैठे हुए ऊपर से कश्मीर देखा तो महसूस हुआ कि स्वर्ग नीचे ही है, यह उद्गार यहां रॉयल स्पि्रंग गोल्फ कोर्स में भाग लेने आए 20 देशों के राजदूतों ने व्यक्त किए। जिसे देखो, वही कहता था कि इट्स अमेजिंग, वंडरफुल, हैवन ऑन द अर्थ। माहौल ही कुछ ऐसा था। गुनगुनी धूप, एक तरफ जब्रवान की पहाडि़यां और दूसरी तरफ डल झील, बीच में हरी-हरी घास से ढका रॉयल स्पि्रंग गोल्फ कोर्स। अंबैस्डर्स गोल्फ कप प्रतियोगिता में मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका,जिंबाबवे, कंबोडिया, ईरान, थाईलैंड समेत विभिन्न 20 मुल्कों के राजदूत अपने हाथ आजमा रहे थे। राज्य के पर्यटन मंत्री न्वांग रिगजिन जोरा ने कहा कि हम इन्हें यहां के हालात दिखाने लाए हैं। ये लोग जब वापस अपने देश जाएंगे तो हमारे पर्यटन राजदूत बनकर जाएंगे। हम चाहते हैं कि कश्मीर फिर से दुनिया भर के पर्यटकों की पहली पसंद बने। गोल्फ में हाथ आजमाने के बाद जिंबाबवे के राजदूत जोनाथन उपवांशे कश्मीर की खूबसूरती की तारीफ करते हुए कहा कि जहाज में बैठे जब हमने ऊपर से कश्मीर को देखा तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि धरती का एक हिस्सा इतना खूबसूरत है। इस बार तो मैं यहां गोल्फ खेलने आया हूं ,लेकिन जल्द ही मेरी यहां बतौर पर्यटक बन सपरिवार आने की तमन्ना है। दक्षिण अफ्रीका के राजदूत फ्रांसिल मैलॉय ने कहा कि टूडे इज द मोस्ट मेमोरेबल एंड एंजायबेल डे ऑफ माई होल लाइफ। आय एम वैरी थैंक्सफुल टू लोकल गवर्नमेंट हू गेव में दिस आपाच्र्यूनिटी को प्ले गोल्फ हियर।

GOOD GOVERNMENT ONLY IF IT GIVES SMART ADMINISTRATION ---Dr M.M GOEL


(Dr Sukhpal)

To ensure inclusive growth for all times to come in the Indian economy, there is strong case for replacing post mortem approach by prognosis approach & target orientation to result orientation” observed Dr. M.M. Goel, Professor & Chairman Dept. of Economics, Kurukshetra University , here today. He was addressing the Postgraduate students of economics at Arya College on the topic “Rationale & Issues in Good Governance of Indian Economy.”
We can call a Government a ‘good Government’ if it gives SMART administration. By the SMART administration, we mean a Government which is Simple, Moral, Accountable, Responsive and Transparent. To ensure transparency, Right to Information Act 2005 is necessary but not sufficient and calls for its implementation with political will and commitment by politicians and bureaucrats in power, observed Professor Goel.
We need to encourage and incentivise a culture of good governance and accountability at all levels of operation in the economy which calls for change in the way of planning, policy making, communicating, analyzing, understanding, adopting, implementing, accountability, responsibility, attitude and aptitude of manpower of all kinds, said Professor Goel.
According to Professor Goel, we need good governance at all levels of operation in the Indian economy because we have been suffering from poor governance. Our governments at the centre and state level proved to be ineffective and inept. Our people have little confidence in police force. Our politicians both in power and opposition are insensitive and callous towards the people and their problems at large. He also added that we are the victims of slow to respond bureaucracy, said Professor Goel. The other examples of bad Governance includes mismanagement of the budget and financial resources at all levels of Government, Cumbersome procedures of doing business of any kind and makes a case for good governance, believes Professor Goel.
To bring a change, we need to overhaul our system of governance with true-self accountability as mantra of progress and prosperity in India and else where in the World. To give a blue print of good governance, we need to analyze the system with perspective, adjustment to Mai-Bap culture, keep options and opinions open at all times, tendency of observing and personalizing issues needs to be checked. The old tussle for supremacy between the executive and the judiciary calls for See-saw balance, believes Professor Goel.
Earlier Dr.Jagdish Gupta Principal of the college welcomed & introduced Professor Goel. Dr.Anirudh Bharti proposed the vote of thanks.

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