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बुधवार, 21 अक्टूबर 2009

मुंबई बाढ़ पर बनी फ़िल्म



फ़िल्म तुम मिले छब्बीस जुलाई 2005 में मुंबई में हुई बारिश की पृष्ठभूमि पर आधारित है. फ़िल्म का निर्देशन किया है कुणाल देशमुख ने और इसमें मुख्य भूमिकाओं में पहली बार एक साथ नज़र आएँगे इमरान हाशमी और सोहा अली ख़ान.

कुणाल देशमुख का कहना है कि 26 जुलाई 2005 को वो फिल्म कलयुग की शूटिंग कर रहे थे. जब रात को वो घर लौट रहे थे तो उन्होंने देखा कि वो मुंबई जो रुकती नहीं है, सोती नहीं है, वही बारिश की वजह से अपने घुटनों पर आ गई है.

मुंबई के वो दृश्य उनके दिमाग़ में बस गए और उन्होंने इस पर फिल्म बनाने का फैसला किया.

फिल्म जन्नत के बाद कुणाल देशमुख और इमरान हाशमी की जोड़ी फिर इस फिल्म में साथ आई है. कुणाल कहते हैं कि तुम मिले की कहानी उन्होंने जन्नत से पहले भी इमरान को सुनाई थी लेकिन उस समय उनके पास इतना बड़ा बजट नहीं था. लेकिन जन्नत के हिट होने के बाद जब उन्होंने फिर इमरान से इस फिल्म के बारे में बात की तो वो मान गए.

किरदार

फ़िल्म की कहानी के बारे में इमरान हाश्मी कहते हैं," तुम मिले में 2005 की मुंबई की बाढ़ तो फिल्म का मुख्याकर्षण है ही लेकिन साथ ही ये आज के ज़माने की प्रेम कहानी है जो आज के युवा प्रेमियों की समस्याएं दर्शाती है."

फ़िल्म में सोहा अली ख़ान का नाम संजना है जो केप टाउन में रहती है. सोहा कहती हैं कि ये एक अलग तरह की फिल्म है क्योंकि ये एक प्राकृतिक आपदा पर आधारित है. इसके साथ ही प्रेम कहानी भी न्यू एज रोमांस है और फिल्म सिर्फ उनके और इमरान हाश्मी के किरदार के बारे में है.

अपने किरदार के बारे में सोहा ने कहा, ‘मैं एक स्वतंत्र विचारों वाली और अपने करियर में रुचि रखने वाली लड़की का रोल कर रही हूं. साथ ही वो रोमांटिक भी है जो घर भी बसाना चाहती है. मगर वो कंट्रोल फ्रीक भी है.’

शूटिंग


तुम मिले 26 जुलाई 2005 में मुम्बई में हुई बारिश की पृष्ठभूमि पर आधारित है
फिल्म की शूटिंग के बारे में कुणाल देशमुख कहते हैं कि ये एक अमूल्य अनुभव था. कुणाल ने कहा, " बाढ़ के सीन को फिल्माना और रोज़ बारह-तेरह घंटे पानी में शूटिंग करना बहुत मुश्किल था. रोज़ ही कुछ न कुछ होता था. पहले ही दिन ये समस्या हुई कि मैं कहां बैठूंगा. मॉनीटर का सेटअप सेट से काफी दूर था. इसलिए हमने एक फ्लोटिंग राफ्ट बनाया जिस पर वीडियो असिस्ट रखा गया और हम पानी पर घूमते थे".

इमरान कहते हैं कि इस सेट पर आठ घंटे की शूटिंग भी सोलह घंटों के बराबर लगती थी. सोहा अली खान की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि एक लड़की के लिए ये फिल्म शारीरिक दृष्टि से काफी मुश्किल था लेकिन उन्होंने इसे बखूबी किया.

सोहा खुद कहती हैं कि उन्हें पानी बिल्कुल पसंद नहीं है और इसलिए उन्हें शूटिंग के दौरान डर लग रहा था. सोहा खुद भी 26 जुलाई 2005 को बारिश में फंस गई थीं. वो कहती हैं, "मैं बहुत डर गई थी क्योंकि मैंने ज़िंदगी में इतनी बारिश नहीं देखी थी. फोन नहीं चल रहे थे और मुझे घर पहुंचने में चालीस घंटे लगे".

इस विषय पर ये पहली फिल्म नहीं है. 2008 में भी ‘26 जुलाई एट बारिस्ता’ नाम की फिल्म आई थी. कुणाल देशमुख मानते हैं कि लोगों को तुम मिले इसलिये पसंद आएगी क्योंकि इससे पहले कभी भी बाढ़ पर इतने बड़े पैमाने पर फिल्म नहीं बनी है. इसके अलावा ये आज के ज़माने की प्रेम कहानी है और इसके गाने भी बहुत बढ़िया हैं जो अगले दो-तीन सालों तक लोगों को याद रहेंगे.

मथुरा के पास दो ट्रेनों की टक्कर





उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास बुधवार सुबह गोवा एक्सप्रेस का इंजन मेवाड़ एक्सप्रेस की आख़िरी बोगी से टकरा गया. रेलवे अधिकारियों ने अब तक 22 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है जबकि 22 अन्य घायल हैं.

दोनों ट्रेन दिल्ली की ओर जा रही थीं और एक ही ट्रैक पर थीं. मथुरा के ज़िलाधीश दिनेश चंद शुक्ल ने बीबीसी को बताया, "टक्कर गोवा एक्सप्रेस और मेवाड़ एक्सप्रेस के बीच हुई जिसमें मेवाड़ एक्सप्रेस की एक बोगी क्षतिग्रस्त हुई." दिल्ली में रेलवे विभाग के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बीबीसी के साथ बातचीत में 22 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है.

भारतीय रेलवे के डिविज़नल रेलवे मैनेजर आरडी त्रिपाठी ने स्थानीय पत्रकार सुनील शर्मा को बताया, "मेवाड़ एक्सप्रेस से छह मिनट पीछे गोवा एक्सप्रेस चल रही थी. लेकिन गोवा एक्सप्रेस ने पीछे से आकर मेवाड़ एक्सप्रेस की आख़िरी बोगी को टक्कर मारी जिसके कारण ये हादसा हुआ."

राहत कार्य लगभग छह घंटे चले जिनमें सेना की मदद ली गई. मेवाड़ एक्सप्रेस के डिब्बे में फंसे हुए लोगों को बाहर निकाल लिया गया है और अब रास्ता साफ़ करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

इससे पहले बोगियों में फँसे लोगों को निकालने के लिए गैस कटर्स का इस्तेमाल किया गया.

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री लक्ष्मणी नारायण ने कहा है कि ज़िला प्रशासन राहत कार्य में पूरी तरह जुटा है और घायलों को मथुरा-आगरा के अस्पतालों में ले जाया गया है.

'इंजन बोगी में घुस गया'

गोवा एक्सप्रेस की एक बोगी में सवार रवींद्र कुमार ने बीबीसी को बताया, "भारतीय समयानुसार तड़के 4.30-5.00 के बीच का समय था और गाड़ी काफ़ी धीमी गति से चल रही थी जब एक झटका लगा. सभी यात्रियों को हमारी बोगी से उतार लिया गया."
उनका कहना था, "हमने देखा कि गोवा एक्सप्रेस का इंजन मेवाड़ एक्सप्रेस की आख़िरी बोगी में घुस गया था. लेकिन इतनी बुरी तरह से यह घुसा था कि मेवाड़ एक्सप्रेस का रेल डिब्बा पूरी तरह से चिपक गया था."

रेल अधिकारियों के अनुसार मेवाड़ एक्सप्रेस के जिस डिब्बे को क्षति पहुँची वह महिला आरक्षित डिब्बा था.

दुर्घटना के कारण कई ट्रेनों का रूट बदलना पड़ा.

भारत में रेल दुर्घटनाओं को लेकर रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है. इसी साल रेल बजट के दिन उ़डीसा में जाजपुर के पास रेल दुर्घटना में क़रीब 15 लोग मारे गए थे.

कागजों में जमींदार, करते हैं मजदूरी!


करनाल जिले के इंद्री हलके के यमुना नदी से सटे गांव चौगामा का हरिराम सरकारी कागजों में दस एकड़ जमीन का मालिक है..गढ़ी बीरबल के चौकसराम और गिरवर सिंह के नाम छह-छह एकड़ जमीन है तो हांसूमाजरा का देवीचंद चार एकड़ और चंद्राव गांव का शेरसिंह आठ एकड़ जमीन का मालिक है। प्रदेश के राजस्व विभाग की नजर में यह किसान बड़े जमींदार हैं, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत दिखती है। यमुना नदी की मार ने इन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। ये किसान मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। राजस्व विभाग इन किसानों को किसी भी सूरत में गरीब मानने को तैयार नहीं है। वजह यह है कि यमुना नदी में बाढ़ के बाद आज तक जमीनों की गिरदावरी का काम गंभीरता से नहीं कराया जा सका है। यमुनानगर से लेकर दिल्ली तक यमुना नदी के किनारे बसे हजारों किसानों की व्यथा है कि राजस्व विभाग उन्हें करोड़पति व जमींदार से कम आंक कर नहीं देखता। इन किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन न केवल बाढ़ के पानी में बह चुकी है, बल्कि पूरी तरह से बर्बाद भी हो गई है। 1978 से लगातार ये किसान यमुना में बाढ़ का प्रकोप झेलते आ रहे हैं। 1988, 1998 और 2008 में आई बाढ़ के बाद सितंबर 2009 में भी सैकड़ों किसान यमुना नदी के कटाव का शिकार हो चुके हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक दो दिन पहले वित्त एवं राजस्व आयुक्त ने किसानों की जमीनों की गिरदावरी कराने का एलान किया था, लेकिन प्रशासनिक अमले के चुनाव में व्यस्त हो जाने के कारण अभी तक इस काम को अंजाम नहीं दिया जा सका है। किसानों को इस बात का दर्द है कि हर बार बाढ़ में उनकी जमीन चली जाती है, लेकिन सरकारी कागजों में वे जमीन के मालिक बने रहते हैं। असलियत में इन किसानों के पास खुद की कोई जमीन नहीं है। वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। राजस्व विभाग के कागजों में दस एकड़ जमीन के मालिक श्रीराम, दो एकड़ जमीन के मालिक पालाराम और आठ एकड़ जमीन के मालिक कागजों में जमींदार, करते हैं.. शेरसिंह का कहना है कि राजनेता और अधिकारियों को उनकी जरा भी चिंता नहीं है। उन्हें चेताने के लिए चंद्राव, हांसू माजरा और चौगामा के किसानों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया। इंद्री में इस बार चौगामा के 1550 वोट में से मात्र 127 और हांसू माजरा के 650 में से सिर्फ 281 वोट ही डाले गए हैं। काफी संख्या में किसानों ने जानबूझकर खुद को मतदान प्रक्रिया से अलग रखा। उन्होंने अपने गांवों में नेताओं और अधिकारियों के घुसने पर रोक संबंधी बैनर भी लगाए। यमुना के साथ सटे विभिन्न गांवों की 50 सदस्यीय कमेटी किसानों के हक की प्रभावी लड़ाई लड़ रही है। कमेटी के सदस्य सतपाल चौगामा, पवन चौगामा, रामप्रसाद ढांडा, साहब सिंह, भीम सिंह और ईश्वर सिंह की मानें तो यमुना के कटाव से प्रभावित किसान जब मुआवजा, मकान और बीपीएल राशन कार्ड के लिए अधिकारियों के पास जाते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता है। किसानों को राजस्व विभाग द्वारा उनकी जमीन के रेत पर रायल्टी भी नहीं दी जाती है। राजस्व विभाग इस जमीन की रायल्टी खनन ठेकेदारों से खुद हासिल करता है। गढ़ी बीरबल के पूर्व सरपंच शिवनाथ और रामस्वरूप करीब 20-20 एकड़ जमीन के मालिक हैं, मगर वास्तव में उनके पास यह जमीन नहीं है। यह सारी जमीन यमुना में समा चुकी है। किसान प्रेम प्रकाश, दरिया सिंह, पुरुषोत्तम सिंह, कूड़ा राम, मेहर सिंह, पाला राम, देवी चंद और रामस्वरूप के अनुसार नई सरकार से किसानों को अपना हक हासिल होने की बेहद उम्मीदें हैं। उन्होंने जमीनों की नए सिरे से गिरदावरी कराकर मालिकाना हक प्रदान करने और रेत की रायल्टी के साथ ही तमाम सरकारी सुविधाएं दिलाने की मांग की है। राजस्व विभाग के वित्तायुक्त का कहना है कि चुनाव नतीजों के बाद किसानों की समस्या का स्थायी समाधान करने की पहल की जाएगी।

थाने में घुस पुलिसवालों को मारा


माओवादियों ने पश्चिम मेदिनीपुर जिलातंर्गत झाड़ग्राम तहसील के सांकराइल थाने और बैंक पर हमला कर राज्य सरकार के साथ युद्ध का ऐलान कर दिया है। मंगलवार अपराह्न दो बजे के करीब सुनियोजित ढंग से सांकराइल थाने और उससे चंद फर्लाग की दूरी पर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की केशियापाता शाखा पर एक साथ हमला किया। थाने पर हमले के बाद तैनात जवान संभल पाते तब तक माओवादियों की फायरिंग में दो सब इंस्पेक्टर शहीद हो गये, जबकि माओवादियों ने थाना प्रभारी को कब्जे में ले लिया। थाना प्रभारी के साथ शस्त्रागार में रखे असलहों को लूट कर आराम से चले गये। वहीं बैंक से ग्यारह लाख लूट लिये। इस बीच माओवादी नेता किशन जी ने बयान जारी कर दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली है। किशनजी ने कहा है कि लालगढ़ में पुलिस अगर घुसने की कोशिश करती है तो अपहृत थानेदार अतिन्द्र नाथ दत्त को मौत के घाट उतार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अब अतिन्द्र नाथ की जिन्दगी केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और पश्चिम बंगाल के डीजीपी भूपेंद्र सिंह के बयान पर निर्भर करता है कि वे संयुक्त सुरक्षा बलों केअभियान को तत्काल बंद करते हैं या नहीं। हम भाकपा माओवादी काफी मजबूत हो चुका है। यदि सुरक्षा बल के जवान जंगल में घुसते हैं तो उनकी खैर नहीं। यदि डीजीपी भूपेंद्र सिंह भी यहां आये तो उनका भी वही हश्र किया जायेगा जो इन पुलिसकर्मियों का किया गया है। दूसरी ओर रेलमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिमी मेदिनीपुर के सांकराइल थाने पर माओवादियों द्वारा हमले कर पुलिस अधिकारियों की हत्या और अपहरण की घटना को बिगड़ी विधि व्यवस्था बताकर मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की। बताया जाता है कि मंगलवार को अपराह्न लगभग 2 बजे सांकराइल थाने में हथियारों से लैस लगभग 20 से 30 की संख्या में 19 से 25 साल की उम्र के नकाबपोश माओवादियों ने 11 से 15 मोटर साइकिल पर सवार हो कर पहुंचें और थाने पर धावा बोल दिया। इनमें तीन महिलाएं भी शामिल थीं। ये सभी माओवादी अपने चेहरे को काले कपड़ों से ढके थे। अचानक हुए इस हमले से थाने में उपस्थित पुलिसकर्मी हतप्रभ रह गये। हमलावरों ने पुलिसकर्मियों को कोई मौका दिये बिना उन पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस कारण अपनी मेज पर बैठे एसआई दिवाकर भट्टाचार्य और सपन राय नक्सलियों के गोली के शिकार हो गये। इन पदाधिकारियों की मौत घटनास्थल पर हो गई। मौका पाकर थाना प्रभारी अतिन्द्र नाथ दत्त का अपहरण कर लिया। इसके बाद शस्त्रागार में रखे असलहों को लूट कर आराम से चले गए। लूटे गए असलहों में चार रिवाल्वर, एक नाइन एमएम पिस्टल और छह राइफल शामिल हैं। जाते समय नक्सली थाने से दो मोटर साइकिल भी लेते गए। दूसरी घटना में पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सांकराइल थाने से चंद फर्लाग की दूरी पर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की केशियापाता शाखा भी माओवादियों के निशाने पर रही। थाने में उपद्रव मचाने के बाद करीब डेढ़-दो बजे लगभग एक दर्जन माओवादी एसबीआई की केशियापाता शाखा पहुंचे। वहां दरवाजा बंद होने के कारण माओवादियों ने पहले अंदर बैठे सुरक्षाकर्मी से दरवाजा खोलने को कहा। सुरक्षाकर्मी द्वारा दरवाजा नहीं खोलने पर माओवादियों ने बाहर से ही कैशियर को लक्ष्य करते हुए फायरिंग की। हालांकि खिड़की से टकराकर गोली वापस हो गयी। इसके बाद माओवादियों ने फायरिंग कर बैंक के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगे ताले को तोड़ दिया और भीतर प्रवेश कर गये। इसके बाद गन प्वाइंट पर बैंक के वरीय शाखा प्रबंधक सहित दो अन्य कर्मचारियों को लेकर वाल्ट खोलने को कहा। माओवादियों ने वाल्ट सहित कैश काउंटर पर रखी नकदी को भी लूट लिया। बैंक अधिकारियों के मुताबिक माओवादियों ने करीब 11 लाख रुपये लूटे हैं। नक्सली हमले के बाद खड़गपुर तहसील के ज्यादातर पुलिस अधिकारी भी सांकराइल की ओर रवाना गये। खड़गपुर के एसडीपीओ वी.सोलोमन समेत तमाम थानाध्यक्ष सांकराइल के नजदीक शिविर लगाकर घटनाक्रम पर नजर रख रहे थे। एसडीपीओ ने बताया कि सांकराइल के निकट एक संदिग्ध टिफिन कैरियर मिला है। उसकी जांच के लिए बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया है।

दलाईलामा की अरुणाचल यात्रा पर चीन को ऐतराज


बेंगलूर में तीन देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से ठीक पहले चीन ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर मुद्दा एक ऐसा सवाल है, जिसे इतिहास ने पैदा किया है। चीन ने इसके साथ ही कहा कि मौजूदा वक्त की जरूरत यह है कि भारत और पाकिस्तान दोनों बातचीत के जरिए इस मुद्दे का उचित समाधान निकालें। चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की प्रस्तावित अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भी फिर चिंता जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मा झाओक्सू ने मंगलवार को यहां कहा, कश्मीर का मुद्दा इतिहास की देन है। भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए इसका उचित हल तलाशना चाहिए। चीन द्वारा भारतीय पासपोर्ट धारकों को कश्मीर के लिए अलग वीजा जारी करने के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर झाओक्सू ने यह बात कही। उन्होंने मंगलवार को फिर कहा कि चीन तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की अगले माह प्रस्तावित अरुणाचल यात्रा को लेकर बहुत चिंतित है। झाओक्सू ने कहा कि कथित अरुणाचल प्रदेश पर चीन की स्थिति पहले जैसी और स्पष्ट है। उल्लेखनीय है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से पर अपना हक जताता रहा है। इस बीच, चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने 27 अक्टूबर को बेंगलूर में होने वाली तीन देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन के विदेश मंत्री यांग जेइची के भाग लेने की पुष्टि की है। इस बैठक में भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्री भाग लेंगे। इस यात्रा के दौरान यांग भारतीय समकक्ष एस.एम. कृष्णा के साथ अलग से बातचीत करेंगे। यह त्रिपक्षीय वार्ता ऐसे वक्त पर हो रही है जब हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे को लेकर चीन और भारत के संबंधों में कुछ खटास आ गई है।

जरा सामने तो आओ छलिये..


कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी निजी दौरे पर उत्तराखंड पहुंच गए हैं। दौरे की गोपनीयता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुफिया एजेंसियों, अफसरों व पुलिस के आला अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो शताब्दी एक्सप्रेस से राहुल रुड़की पहुंचे और वहां से हर्षिल (उत्तरकाशी) चले गए। उनका ट्रेकिंग का लुत्फ उठाने का कार्यक्रम है। मजेदार बात यह रही कि राहुल ने अपना गेटअप भी बदल रखा था। मिलने-जुलने में खासी दिलचस्पी रखने वाले श्री गांधी देवभूमि में इस बार कुछ अलग अंदाज में आए हैं। उनकी एक झलक देखने के लिए देहरादून, रुड़की व हरिद्वार रेलवे स्टेशनों पर कांग्रेसी कार्यकर्ता इंतजार करते ही रह गए। राहुल गांधी के दौरे का पता लगते ही पार्टी कार्यकर्ता झंडे, बैनर व पुष्पगुच्छों के साथ देहरादून, रुड़की और हरिद्वार के रेलवे स्टेशनों पर पहुंच गए। सूचना यह थी कि शताब्दी एक्सप्रेस से श्री गांधी देहरादून पहुंच रहे हैं। ऐसे में अपने चहेते नेता की झलक पाने की होड़ लग गई। तीनों रेलवे स्टेशनों पर इंतजार में खड़े कांग्रेसी एक-दूसरे से संपर्क करते रहे। करीब साढ़े 11 बजे यह सूचना आई कि रुड़की रेलवे स्टेशन पर श्री गांधी उतर गए हैं और हर्षिल (उत्तरकाशी) के लिए कार से रवाना हुए हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी का गेटअप एकदम बदला हुआ था। वे एक टीनएजर दिख रहे थे। इस जानकारी के बावजूद कुछ चुनिंदा कांग्रेस नेता दून रेलवे स्टेशन पर जमे रहे। शताब्दी एक्सप्रेस दून रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो कांग्रेसी पुष्प गुच्छ व बैनर लेकर बोगी के पास पहुंचे। पुलिस, खुफिया व रेलवे के अधिकारी भी स्टेशन पर तैनात रहे। सारे यात्री बाहर निकल गए, तब सभी को अहसास हुआ कि वास्तव में श्री गांधी की रुड़की में उतरने की सूचना ठीक थी। मायूस कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी की और वहां से चले गए। रुड़की संवाददाता के अनुसार श्री गांधी रेलवे स्टेशन उतरे और यहां से कार से उत्तरकाशी के लिए रवाना हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार श्री गांधी का कार्यक्रम अति गोपनीय रखा गया। पहले तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें एसपीजी की सुरक्षा में हरिद्वार में उतरना था पर बाद में एसपीजी ने कार्यक्रम बदल दिया। रुड़की में श्री गांधी को कोच के दूसरी तरफ से उतारा गया। सीओ टै्रफिक नवनीत सिंह को मार्ग की जानकारी के लिए उनके काफिले के साथ भेजा गया। हरिद्वार संवाददाता के अनुसार श्री गांधी के आने की सूचना मिलने पर कांग्रेसी कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन पहुंच गए। इनकी तैयारी उस समय धरी रह गई, जब उन्हें पता चला कि वह रुड़की में ही उतर गए हैं। कुल मिलाकर श्री गांधी के कार्यक्रम को लेकर दिनभर शासन-प्रशासन ही नहीं, बल्कि कांग्रेसी भी परेशान रहे। मुख्य सचिव इंदुकुमार पांडे के अनुसार उनके कार्यक्रम की कोई अधिकृत सूचना शासन के पास नहीं है। इधर पता चला है कि राहुल का उत्तरकाशी में ट्रेकिंग का भी कार्यक्रम है।

जज्बे को सलाम


विदेशों में ही नहीं बल्कि अपने देश में भी ऐसे साहसी हैं जिनके जज्बे को हम सब सलाम करते हैं। कपूरथला में मंगलवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें इस विकलांग युवक ने तीन लोगों को मोटरसाइकिल पर बिठाकर उसे अपने दांतों से खींच कर सबको दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया।

हालात बदतर, सेनाएं तैयार रहें


नई दिल्ली : बीते एक साल में भारत के आस-पड़ोस में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। मुंबई हमले के बाद भारत में भले ही कोई बड़ा आतंकी हमला न हुआ हो लेकिन इस बारे में खुफिया सूचनाएं लगातार मिलती रहती हैं कि आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में लगे हुए हैं। काबुल में भारतीय दूतावास पर हुआ हमला ऐसी ही साजिशों का नमूना है जो एक बार फिर साबित करता है कि हम किस तरह की ताकतों से घिरे हैं। मुंबई आतंकी हमले के बाद पहली बार तीनों सेनाओं के कमांडरों से मंगलवार को मुखातिब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन शब्दों में आगाह किया। उन्होंने कहा कि आतंक के खेल में सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों ही किस्म के खिलाड़ी मौजूद हैं। भारत एक लोकतंत्र और खुला समाज है इसीलिए कई बार हमारे लिए आतंक का खतरा काफी ज्यादा होता है। प्रधानमंत्री ने सेनाओं को आतंक की हर सूरत से मुकाबले के लिए अपनी तैयारियों को मुस्तैद रखने की सलाह देते हुए कहा कि भारत के सैनिक दस्तों को किसी भी जगह, हर समय और किन्हीं भी हालात में लड़ने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए। मनमोहन ने भरोसा दिलाया कि सेनाओं को आधुनिक हथियारों और सुविधाओं के साथ-साथ बेहतर मानव संसाधन मुहैया कराने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में नागरिक प्रशासन को मिलने वाली मदद के लिए सेनाओं को शाबाशी भी दी। रक्षा सेनाओं के कमांडरों को दिए संबोधन में पीएम ने परमाणु अप्रसार को लेकर नए सिरे से शुरू हुए कोशिशों का भी हवाला देते हुए कहा कि भारत बहुपक्षीय और भेदभाव रहित फिशाइल मैटीरियल कट-आफ ट्रीटी (नाभिकीय पदार्थो का प्रसार नियंत्रित करने के लिए समझौता) पर बातचीत के लिए तैयार है। सेना के आला कमांडर लेंगे हालात का जायजा सेना के आला कमांडर अगले तीन दिनों तक देश के सुरक्षा हालात और आस-पड़ोस की स्थिति की समीक्षा करेंगे। थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर की अगुवाई में होने वाली कमांडरों की यह बैठक मौजूदा खतरों से निपटने की रणनीति पर भी विचार करेगी। सेना मुख्यालय के मुताबिक बैठक का जोर सैनिक रणनीति, तैयारियों की स्थिति के साथ-साथ संगठनात्मक मुद्दों पर भी होगा। इसके अलावा सेना के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बेहतरी के मुद्दों पर भी सेना के आला अधिकारी चर्चा करेंगे।

कांग्रेस की सदस्यता अब खानापूर्ति नहीं

नई दिल्ली: पार्टी के सदस्यता अभियान को मौसमी खानापूरी से बाहर निकाल कांग्रेस इसे देश में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का माध्यम बनाएगी। इसके लिए पार्टी ने अपनी सभी प्रदेश इकाईयों को साफ हिदायत दी है कि सदस्यता फार्म भरवाने की महज खानापूर्ति न की जाए बल्कि उसको जीवंतता के साथ कांग्रेस के साथ जोड़ा जाए। सदस्यता अभियान के सहारे जमीनी आधार बढ़ाने की इस पहल की समीक्षा के लिए कांग्रेस ने 21 अक्टूबर को सभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की एक बैठक बुलाई है। एआईसीसी के सभी पदाधिकारी और सभी प्रदेशों के प्रभारियों के साथ राज्य इकाईयों के प्रमुखों की इस बैठक का एकमात्र एजेंडा संगठन चुनाव से पहले सदस्यता अभियान में तेजी लाना है। पार्टी नेतृत्व इस बात से परिचित है कि सदस्यता अभियान का लक्ष्य पूरा करने के लिए कांग्रेस के हर स्तर पर नेता अपनी तरफ से फार्म भरवा सदस्यता शुल्क जमा कराने से भी परहेज नहीं करते। इस पर लगाम कसने के लिए पार्टी ने पहले ही तंत्र बना लिया है और ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर पर पूरा डाटा बेस बनाया जा रहा है। बुधवार को प्रस्तावित बैठक में प्रदेश अध्यक्षों को विशेष तौर पर लोगों से सीधे जुड़ने पर फोकस करने को कहा जाएगा।

सेनाएं हर खतरे के लिए रहें तैयार : पीएम


नई दिल्ली- रक्षा सेनाओं के आला कमांडरों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगाह किया है कि बीते एक साल में भारत के पास-पड़ोस के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। पीएम ने सेनाओं को आतंक की हर सूरत से मुकाबले के लिए अपनी तैयारियों को मुस्तैद रखने की सलाह दी। मुंबई आतंकी हमले के बाद पहली बार तीनों सेनाओं के कमांडरों से मुखातिब हुए पीएम ने कहा कि आतंक के खेल में सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों ही किस्म के खिलाड़ी मौजूद है। भारत एक लोकतंत्र और खुला समाज बताते हुए पीएम ने कहा कि इसीलिए कई बार हमारे लिए आतंक का खतरा काफी ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि इस बीच भले ही कोई बड़ा आतंकी हमला न हुआ हो लेकिन इस बारे में खुफिया सूचनाएं लगातार मिलती रहती हैं कि आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में लगे हुए हैं। काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले को ऐसी की साजिशों का नमूना बताते हुए पीएम ने कहा कि इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि हम किस तरह की ताकतों से घिरे हैं। प्रधानमंत्री ने रक्षा सेनाओं को हर तरह के खतरे से मुकाबले के लिए तैयारी की सलाह भी दी। पीएम ने सलाह दी कि भारत के सैनिक दस्तों को किसी भी जगह, हर समय और किन्हीं भी हालात में लड़ने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सेनाओं को आधुनिक हथियारों और सुविधाओं के साथ-साथ बेहतर मानव संसाधन मुहैया कराने की कोशिशों में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में नागरिक प्रशासन को मिलने वाली मदद के लिए सेनाओं को शाबासी भी दी। वहीं रक्षा सेनाओं के कमांडरों को दिए संबोधन में पीएम ने परमाणु अप्रसार को लेकर नए सिरे से शुरू हुए कोशिशों का भी हवाला दिया। पीएम ने कहा कि भारत बहुपक्षीय और भेदभाव रहित फिसाइल मटेरियल कट-आफ ट्रीटी (नाभिकीय पदार्थो का प्रसार नियंत्रित करने के लिए समझौता) पर बातचीत के लिए तैयार है।

बिना इजाजत परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर


कामनवेल्थ गेम्स के दौरान राजधानी आने वाले आगंतुकों के मन से आतंकी गतिविधियों का भय भगाने के लिए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर स्पेशल आपरेशन गु्रप (एसओजी) तैयार किया जा रहा है। आईजीआई एयरपोर्ट की अभूतपूर्व सुरक्षा के लिए तैयार किए जा रहे स्पेशल आपरेशन ग्रुप में नेशनल स्क्यूरिटी गार्ड, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन, ब्यूरो आफ सिविल एविएशन, फारनर रिजनल रजिस्ट्रेशन आफिसर्स एवं दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड आदि एजेंसियों को शामिल किया गया है। स्पेशल आपरेटिंग ग्रुप का नेतृत्व पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी के पास होगा। उनकी सहायता के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। एसओजी कामनवेल्थ गेम्स शुरू होने से सात दिन पहले आईजीआई एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को अपने हाथों में ले लेगी। गेम्स खत्म होने के अगले एक हफ्ते तक आईजीआई एयरपोर्ट की सुरक्षा एसओजी के हाथ ही होगी। एसओजी के अंतर्गत आने वाली एजेंसियों के कार्य क्षेत्र के निर्धारण के लिए स्पेशल आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जा रहा है। कामनवेल्थ गेम्स के दौरान ये सभी एजेंसियां एसओपी के तहत ही आईजीआई एयरपोर्ट की सुरक्षा को चाकचौबंद करेंगी। एयरपोर्ट से जुडे़ एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कामनवेल्थ गेम्स के दौरान राजधानी में 8000 से अधिक एथिलीट व अधिकारियों के आने की संभावना जताई जा रही है। इन सभी की आईजीआई एयरपोर्ट पर आगमन संबंधी व्यवस्था, सुविधा एवं सुरक्षा को सुव्यवस्थित करने के लिए एसओपी के तहत हर एजेंसी के कार्यो का निर्धारण किया जा रहा है। मसलन एसओपी के तहत आईजीआई एयरपोर्ट की सुरक्षा पर तैनात केंद्रीय औद्योगिक बल को एयरपोर्ट परिसर के आंतरिक एवं बाहृय सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एफआरआरओ को गेम्स के दौरान दिल्ली आने वाले अधिकारियों एवं विशिष्ट अतिथियों के जल्द इमीग्रेशन क्लीयरेंस की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डायल के गेस्ट केयर डिपार्टमेंट को खिलाडि़यों, अधिकारियों एवं विशिष्ट अतिथियों के आवभगत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आतंकी साजिशों को नस्तेनाबूत करने के लिए नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) की विशेष टुकडि़यां तैनात की जाएंगी। एयरपोर्ट परिसर के लगे बाहरी क्षेत्र एवं पार्किंग की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की जिम्मा दिल्ली पुलिस के हाथों में होगा।

एक एसएमएस ने जगाया इंसानियत का जज्बा


मोबाइल पर महज एसएमएस पढ़कर एक अनजान शख्स की जान बचाने के लिए देखते ही देखते 280 लोग अपना खून देने के लिए तैयार हो गए। इनमें से तो कई तो तुरंत अस्पताल भी पहुंच गए। इन्हीं में से एक ने खून दिया और डेंगू पीडि़त युवक को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया। शास्त्री नगर के सेक्टर-13 निवासी दर्शनलाल तिवारी मेरठ में माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय में क्लर्क हैं। उनका बेटा अतुल चौ. चरण विश्वविद्यालय में एमए का छात्र है। 10 दिन पहले अचानक हालत बिगड़ने पर अतुल को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद डाक्टरों ने उसे डेंगू से पीडि़त बताया और तुरंत खून का इंतजाम करने को कहा। अतुल का ब्लड ग्रुप एबी पॉजीटिव है। दर्शनलाल ने तमाम भागदौड़ की, लेकिन इस ग्रुप का ब्लड कहीं नहीं मिला। उधर, अतुल की हालत बिगड़ती जा रही थी और डॉक्टरों ने खून के बिना उसे बचाने में असमर्थता जता दी। दर्शनलाल को मायूस देख एक टेलीकॉम कंपनी में कार्यरत उनके पड़ोसी प्रवीण तिवारी ने उन्हें एसएमएस के जरिये ब्लड की मांग करने की सलाह दी। वह उन्हें कंपनी के रीजनल कार्यालय लेकर गए। अधिकारियों से बातचीत के बाद 14 अक्टूबर को कंपनी के उपभोक्ताओं के मोबाइल पर एसएमएस कराया। एसएमएस में एबी पॉजीटिव ग्रुप का ब्लड देने की अपील की गई। फिर क्या था, एसएमएस जारी होने के कुछ ही समय बाद दर्शनलाल के पास खून देने के इच्छुक लोगों के फोन आने लगे। उनके पास उसी दिन लगभग 280 फोन आए। फोन करने वालों में मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, आगरा जिलों के लोग थे। इतना ही नहीं, कई लोग तो खून देने अस्पताल में पहुंच भी गए। इन्हीं में से एक युवक ने अतुल को खून दिया। इसके बाद से उसकी हालत में सुधार होता चला गया। अब वह खतरे से बाहर है। दर्शनलाल कहते हैं कि वह एक एसएमएस फिर कराएंगे और मदद के लिए आगे आने वाले सभी लोगों का आभार जताएंगे।

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