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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

कृषि व्यवस्था में सुधार का कांग्रेस को सीधा लाभ

( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है वैसे ही चुनावी माहौल में गर्मी बढ़ने लगी है। हरेक दल ने मतदाताओं को लुभाने के लिए घोषणापत्र के जरिए दाना तो फेंका है मगर मतदाता इन दलों के हरियाणा में अब तक किए शासन की कसौटी पर इन वादों को परखने के मूड में है। राज्य के मतदाताओं का रुझान देखें तो मतदाता की कसौटी पर केवल और केवल कांग्रेस ही खरी उतरती नजर आ रही है। किसान हरियाणा में सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है और राज्य में किसी दल का सत्ता का खेल बनाने व बिगाड़ने में किसान वर्ग का बड़ा हाथ रहा है। चुनावी रैलियां हों या साल भर होनेवाली राजनीतिक रैलियां, किसानों ने रैलियों के जरिए राजनीति में अपनी सक्रियता जाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चाहे चौटाला रहे हों या भजनलाल अथवा स्व. चौधरी बंसीलाल, हरेक के मुख्यमंत्रित्वकाल में किसानों को सरकारी लाठी-गोली झेलनी पड़ी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार ही अब तक ऐसी साबित हुई है जिससे किसान संतुष्ट नजर आया। पहले के दौर को निकट से देखनेवाले हुड्डा ने 2005 में सत्ता संभालने पर किसानों की ताकत को जाना और उनके कल्याण के लिए न केवल योजनाएं बनाई बल्कि उन्हें निजी दिलचस्पी लेकर हूबहू लागू भी कराया। हुड्डा ने जब हरियाणा की बागडोर संभाली थी तब किसान वर्ग सबसे ज्यादा समस्याओं से जूझ रहा था। उन्होंने साढ़े चार साल के थोड़े से अरसे में इन समस्याओं को एक-एक कर निपटा दिया और यही कारण है कि राज्य का किसान एक बार फिर उन्हें सत्तासीन देखना चाहता है। जिन समस्याओं का निदान हुड्डा ने किया उनमें से कई तो दशकों से लंबित पड़ी थीं और इस दौरान शासन करने वाली कथित किसान हितैषी पार्टियों ने भी इन समस्याओं को नजरअंदाज ही किया। मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी खूबी यह भी रही कि उसने अफसरशाही के भरोसे रहने की बजाय इन समस्याओं के निपटारे के लिए किसानों को भागीदार बनाया और उनसे सलाह-मशविरा करके ही किसान वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई। नेताओं द्वारा शोषित किसान वर्ग को इस भागीदारी का लाभ यह मिला कि ये योजनाएं शत-प्रतिशत फलदायक साबित हुई। किसान वर्ग को बरगलाने वाले दलों का राजनीतिक खेल समझ चुके किसान ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी हुड्डा सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई और अब विधानसभा चुनाव में भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाता दिख रहा है। किसानों को भरोसा कांग्रेस ने कोई एक दिन में नहीं जीता है बल्कि हुड्डा की नेक नीयति, बेदाग छवि का इसमें बड़ा योगदान रहा है। अब तक सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री जहां सत्ता सुख मिलते ही किसान को भूलने लगते थे वहीं हुड्डा ने जनता खासकर किसानों के बीच जाकर काम करना शुरू किया। साढ़े चार साल पहले मुख्यमंत्री का पद संभालने पर हुड्डा ने राज्य में भय, भ्रष्टाचार, अत्याचार व आतंक का राज खत्म करते हुए व्यवस्था परिवर्तन का वादा किया था। यह बदलाव अब प्रदेश के हर भाग में नजर आ रहा है। पहले किसानों ने सरकार और सरकार के करीब कुछ उद्योगपतियों-व्यापारियों द्वारा किसानों की जमीन को कौडि़यों के भाव पर हथियाने का दौर भी देख था लेकिन अब हालात बदल गए हैं। कांग्रेस सरकार भूमि अधिग्रहण करने संबंधी ऐसी नई नीति लेकर आई जिससे किसानों के दिन बदलने लगे क्योंकि इस नीति के तहत मुआवजा राशि न्यूनतम फ्लोर दर से तय की गई है। इस समय गुड़गांव विकास योजना के दायरे में आती भूमि के मुआवजे का न्यूनतम फ्लोर रेट 20 लाख रुपये प्रति एकड़, एनसीआर व पंचकूला में 16 लाख रुपये और बाकी पूरे हरियाणा में आठ लाख रुपये प्रति एकड़ तय है। इस मुआवजे में यदि सोलेशियम की राशि मिला दी जाए तो यह काफी ज्यादा बढ़ जाती है। हरियाणा में मार्केट रेट पर भूमि की फ्लोर दरें तय करने वाली यह पहली सरकार है। इस नीति में साथ भी यह भी जोड़ा गया है कि हरियाणा आधारभूत ढांचा विकास निगम के माध्यम से अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि पर इन दरों के अलावा सालाना प्रति एकड़ 15,000 रुपये की रायल्टी 33 साल तक दी जाएगी जिसमें हर साल 500 रुपये प्रति एकड़ का इजाफा होगा।इसके अलावा एसईजेड और टेक्नालाजी पार्को के लिए भूमि अधिग्रहण पर रायल्टी के रूप में 33 साल तक 30,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाने का फैसला किया गया है, इस रायल्टी में सालाना 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वृद्धि होती रहेगी। हुड्डा सरकार के इस फैसले का असर यह रहा कि किसान के घर पैसा पहुंचने लगा है और उस पर साहूकारों व बैंकों का दबाव भी खत्म होने की कगार पर है। किसान अपने मौजूदा और चार साल पहले के दौर की तुलना करें तो खुशहाली का यह असर साफ नजर आता है क्योंकि किसान के घर आज जरूरत के हर सामान के अलावा महंगी गाडि़यां भी हैं और उस पर किसी तरह के कर्जे का बोझ भी नहीं है। पिछले दिनों आए एक सर्वे में कहा गया है कि समूचे भारत में सबसे ज्यादा करोड़पति किसान हरियाणा के हैं। हुड्डा ने किसान के दुख दर्द को कितना समझा इसका एक और प्रमाण हैं कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस हाइवे योजना के दायरे में आते किसान। पूर्व इनेलो सरकार ने इस योजना के तहत आती भूमि के अधिग्रहण का कुल मुआवजा 150 करोड़ रुपये तय किया था। इससे स्थानीय किसान काफी असंतुष्ट था और खुद को अपनी कथित हितैषी सरकार के हाथों ठगा महसूस कर रहा था। किसानों ने गुहार भी लगाई मगर चौटाला सरकार में किसान की सुनवाई नहीं हुई। इस दौरान 2005 में हुआ सत्ता परिवर्तन। हुड्डा हालांकि पूर्व सरकार के फैसले को बदलने के लिए बाध्य नहीं थे मगर उन्होंने सत्ता संभालते ही इन किसानों को मुआवजे की दर में करीब पांच गुणा तक की बढ़ोतरी कर दी और यह मुआवजा डेढ़ सौ करोड़ से बढ़ कर 650 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके साथ ही कांग्रेस सरकार ने एक और ऐतिहासिक फैसला किया जिसके तहत एक एकड़ जमीन का मालिक किसान भी बैंक से टै्रक्टर के लिए कर्ज ले सकता है। पूर्व सरकारों के शासनकाल में इसके लिए पांच एकड़ भूमि बैंक के पास गिरवी रखने की शर्त थी। किसान हुड्डा सरकार पर इसलिए भी भरोसा जता रहा है क्योंकि उसने न केवल उसका मान-सम्मान बहाल किया बल्कि उस पर से मानसिक दबाव भी कम कराया। पूर्व सरकारों के दौर में बैंकों का कर्जा चुकाने में नाकाम रहे किसानों को गांवों से हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया जाता था और जेल में उसे दी जाने वाली रोटी का खर्च तक उसके ब्याज में जोड़ दिया जाता था। बैंक अपने कर्जे की वसूली के लिए उसकी जमीन को बहुत कम दाम में नीलाम करा देते थे। लेकिन हुड्डा ने किसानों की पगड़ी के सम्मान को बरकरार रखने के लिए छोटे किसानों व दस्तकारों के 830 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए और केंद्र की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने देशभर में 71,000 करोड़ रुपये के जो ऋण माफ किए थे उसमें भी 2136 करोड़ की कर्जा माफी का लाभ हरियाणा को मिला। सहकारी बैंकों की ब्याज दर भी हुड्डा ने 14 प्रतिशत से कम करके सात प्रतिशत कर दी। कई हलकों का दौरा करने पर यह बात सामने आई है कि किसान फिर कांग्रेस पर भरोसा जता रहा है। जो किसान गांवों में कांग्रेस को बैठक के लिए जगह तक मुहैया कराने में आनाकानी करता था आज खुद कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए सभाओं का आयोजन कर रहा है।

विस चुनाव में इनेलो ने चलाया युवा कार्ड

( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-

हरियाणा में इस बार युवा वर्ग पर इनेलो अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रही है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के जरिए युवा कार्ड खेलने की जो चाल चली थी वह कांग्रेस के टिकट बंटवारे तक मंद पड़ गई। इनेलो सबसे ज्यादा युवाओं को टिकट देकर इस मामले में कांगे्रस को पछाड़ने में सफल रही है। चर्चाओं के अनुसार युवा वर्ग के लिए सबसे ज्यादा घोषणाएं इनेलो ने ही की हैं। उसके घोषणापत्र में युवाओं के लिए कई ऐसी योजनाएं हैं जो इस समय युवाओं को उसके साथ बहुत नजदीक से जोड़ रही हैं। बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, मुफ्त शिक्षा और नौकरियों में भारी-भरकम आरक्षण से युवा इनेलो की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। इनेलो ने कालेज जाने वाली छात्राओं को स्कूटी देने का भी वायदा किया है। कुछ समय पहले तक कांग्रेस यह प्रचारित कर रही थी कि युवा वर्ग उसके साथ है। राहुल गांधी के रूप में कांगेस ने युवा चेहरा राष्ट्रीय स्तर पर पेश भी किया था मगर उनका यह जादू हरियाणा में छाप छोड़ने में नाकाम रहा। कांग्रेस ने टिकटें बांटी तो युवा संगठन से दो-तीन लोगों को ही टिकटें मिली। हालात यह बन पड़े कि कांग्रेस के इस दोहरे चेहरे से खफा युवा इनेलो की ओर आकर्षित होने लगे। चर्चाओं के अनुसार युवाओं में अजय व अभय चौटाला एक रोल माडल बन कर उभरे हैं। उन्हें लगता है कि हरियाणा का भविष्य इनेलो के हाथ में सौंपने पर उनकी कई समस्याओं की जड़ मिट सकती है क्योंकि यह युवा जोड़ी युवाओं से सीधे जुड़े होने के कारण उनकी समस्याओं को नजदीक से जानती है। हरियाणा में पिछले साढ़े चार साल के कांग्रेस शासन दौरान बढ़ी बेरोजगारी से त्रस्त युवा वर्ग इसी कारण अब उम्मीद भरी नजरों से इनेलो की ओर देख रहा है क्योंकि इनेलो के पूर्व शासन से वाकिफ युवा जानते हैं कि यही पार्टी उन्हें बिना पक्षपात के नौकरियां दे सकती है। कांग्रेस शासन में नौकरियां तो मिली मगर केवल रोहतक व झज्जर के युवकों को। बाकी पूरे हरियाणा में बेरोजगारों की तादाद इसी कारण ज्यादा बढ़ी है।

नशा मुक्ति केंद्रों पर नजर रखेगी कमेटी

पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के नशा मुक्ति केंद्रों की स्थिति के लिए कमेटी का गठन किया है। इस दो सदस्य कमेटी में एडवोकेट आलोक जैन व एडवोकेट एडीएस सुखीजा शामिल है। यह कमेटी निरीक्षण के बाद अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। कमेटी के सदस्य तीन राज्यों के केंद्रो में दी जाने वाली सुविधाओं के लिए निरीक्षण करेंगे। जिस पर स्टेटस रिपोर्ट में सुधार की दिशा में सुझाव दिए जाएंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के पेश होने वाले काउंसिल को भी निर्देश दिए हैं कि अपनी तरफ वे भी कमेटी के सदस्यों को इस दिशा में जरूरी सूचना मुहैया कराए। जिसमें उन्हें यह बताना हो कि इन राज्यों में किन-किन जगहों पर नशे की रोक के लिए केंद्र उपलब्ध होंगे। साथ ही उन्हें इन राज्यों की किसी भी जगह पर कमेटी के सदस्यों के निरीक्षण के दौरान जरूरी प्रबंध करने होंगे। जिसमें ठहरने व ट्रांसपोटेशन सुविधा तक शामिल होगी, बल्कि समय मिलते ही सभी को निरीक्षण के वक्त भी उपलब्ध रहना होगा। कोर्ट ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि निरीक्षण से पहले संबधित जिले के उपायुक्त को सूचित करना भी जरूरी होगा, ताकि केंद्रों में निरीक्षण के दौरान कमेटी के सदस्यों के साथ किसी वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किए जा सके। कोर्ट ने युवाओं के बीच नशे की लत पर चिंता जताई है। साथ ही पंजाब व हरियाणा की रवैये पर भी असंतुष्टि जताई है। जिन्होंने इस पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया है। इस मसले पर पंजाब सरकार ने कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट भी पेश की थी।

एक और नोबेल पर भारत का नामलंदन, एजेंसियां : दुनिया के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के साथ भारतीय मूल के एक और शख्स का नाम जुड़ गया है। भारतीय मूल के अमेरिकी वेंकटरमन रामकृष्णन ने नोबेल पुरस्कार जीत कर दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए वर्ष 2009 का नोबेल पुरस्कार मिलेगा। उन्हें इस पुरस्कार के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक थामस ए. स्टेट्ज और इजरायल की वैज्ञानिक अदा ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से चुना गया है। इन तीनों को राइबोसोम की संरचना और इसकी कार्यप्रणाली के संबंध में महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। रायल स्वीडिश एकेडेमी आफ साइंसेज की ओर से यह घोषणा की गई। एकेडेमी के मुताबिक तीनों वैज्ञानिकों ने राइबोसोम का त्रिविमीय (3-डी) माडल बनाया, जिससे यह पता चला कि किस तरह विभिन्न एंटीबायोटिक और राइबोसोम आपस में जुड़े रहते हैं। वेंकटरमन ने थामस और योनाथ के साथ मिल कर राइबोसोम के बारे में कई उपयोगी ... एक और नोबेल पर भारत का नाम जानकारियां इकट्ठी कीं, जिनकी मदद से कई बीमारियों से बचाव के लिए एंटीबायोटिक बनाने में मदद मिली। इन तीनों ने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी तकनीक से उन लाखों परमाणुओं की गतिविधियों का अध्ययन किया जो हमारे शरीर की कोशिका में प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम का निर्माण करते हैं। भारी प्रतिष्ठा और रकम : रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस अद्भुत योगदान के लिए तीनों वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार के रूप में 14 लाख अमेरिकी डालर (करीब सात करोड़ रुपये) मिलेंगे। यह रकम तीनों में बराबर-बराबर बंटेगी। इसके साथ ही इन वैज्ञानिकों को जो प्रतिष्ठा मिलेगी, वह तो अनमोल है। साथियों का आभार : वेंकटरमन ने इस पुरस्कार के लिए अपने साथी वैज्ञानिकों और सहयोगियों का आभार जताया है। अति मुदित वेंकटरमन ने कहा, मैं अपने प्रखर सहयोगियों, छात्रों और मेरे लैब में काम करने वाले तमाम शोधकर्ताओं का तहे दिल से ऋणी हूं, क्योंकि विज्ञान सामूहिकता से जुड़ा क्षेत्र है। लैब या नोबेल विजेताओं की फैक्ट्री : अपने मित्रों के बीच वेंकी नाम से लोकप्रिय वेंकटरमन इन दिनों कैंब्रिज, इंग्लैंड के एमआरसी लेबोरेटरी आफ मोलेक्यूलर बायोलाजी के स्ट्रक्चरल स्टडीज डिवीजन के प्रमुख हैं। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले इस लेबोरेटरी के तेरहवें वैज्ञानिक हैं। 69 साल की स्टेट्ज येल यूनिवर्सिटी में मोलेक्यूलर बायोफिजिक्स एंड बायोकेमिस्ट्री विभाग में प्रोफेसर हैं, जबकि योनाथ इजरायल के वेजमैन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में स्ट्रक्चरल बायोलाजी विभाग में प्रोफेसर हैं।

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