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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009


अगले साल अक्टूबर में दिल्ली में होने वाले राष्ट्रकुल खेलों के लिए बैटन रिले की शुरुआत लंदन स्थित बकिंघम पैलेस से हो गई। पैलेस में आयोजित बैटन रिले समारोह के दौरान शूटिंग स्टार अभिनव बिंद्रा, पूर्व कप्तान कपिल देव, टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा व अन्य दिग्गज खिलाड़ी।

ले मशाल चल पड़े हैं खिलाड़ी मेरे देश के


एशियाई देशों की शान भारत के सम्मान की मशाल गुरुवार को दुनिया के 70 देशों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता का परचम लहराने के अभूतपूर्व सफर पर निकल गई। भारतीय खेल इतिहास में आजका यह दिन हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। दिल्ली में अगले वर्ष अक्टूबर में होने जा रहे राष्ट्रकुल खेलों के लिए यहां ऐतिहासिक बकिंघम पैलेस में हुए भव्य समारोह में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के हाथों क्वींस बैटन ग्रहण करने के साथ ही परदेस में भी इन खेलों का बिगुल बज गया। रिले के साथ ही देश की पहचान बन चुके इन खेलों का सफर भी विधिवत रूप से आरंभ हो गया। इस मौके पर राष्ट्रपति पाटिल ने महारानी एलिजाबेथ के नाम अपने संदेश का बाक्स बैटन में रखा। इसके बाद उन्होंने यह बैटन खेल मंत्री मनोहर सिंह गिल को सौंपी जिन्होंने आगे इसे भारतीय ओलंपिक महासंघ व राष्ट्रकुल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को सौंप दिया। कलमाड़ी से बैटन अभिनव बिंद्रा ने ग्रहण की जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक की व्यक्तिगत वर्ग की निशानेबाजी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। राष्ट्रकुल खेलों की सबसे पुरानी परंपरा माने जाने वाली क्वींस बैटन रिले 340 दिनों तक कुल एक लाख 90 हजार किमी का सफर तय करेगी। मेजबान देश भारत के भीतर सौ दिनों में इसका 20 हजार किलोमीटर का सफर होगा। यह किसी मेजबान देश का अब तक का सर्वाधिक सफर है। बैटन 1 लाख 70 हजार किमी का अंतरराष्ट्रीय सफर जमीन हवा और समुद्र से तय करने के बाद 25 जून को पाक की वाघा सीमा के जरिये भारत में प्रवेश करेगी। भारत आगमन से पूर्व यह रिले वेल्स, उत्तरी आयरलैंड, जर्सी, साइप्रस, नाइजीरिया, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, जांबिया, सेंट लूसिया, जमैका, कनाडा, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, श्रीलंका, बांग्लादेश व पाक आदि देशों का सफर तय करेगी। बकिंघम पैलेस में आयोजित समारोह में नीली ड्रेस में सजे स्कूली बच्चों ने विश्व एकता के लिए ऋगवेद के मंत्र सुनाए। नामी खेल सितारों ने समारोह में बिखेरी चमक इन ऐतिहासिक पलों के बीच मानो ऐसा लगा रहा था कि सितारे जमीं पर उतर आए हों। बैटन रिले समारोह में अभिनव के अलावा ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र कुमार, पहलवान सुशील कुमार ने भी अपनी चमक बिखेरी। इतना ही नहीं गुजरे जमाने के धावक व 1958 राष्ट्रकुल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता उड़न सिख मिल्खा सिंह,

हमें तो था पता अब जानेगा सारा जहां


( डॉ सुखपाल)-

विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अगुवा होने का दावा करने वाले पश्चिमी देशोंके डींग हांकने के दिन लद गए हैं। अब सारी दुनिया जानेगी कि हम क्या थे। अगले साल होने वाले कामनवेल्थ खेलों के समय यहां आने वाले विदेशियों को इस बात का अहसास कराया जाएगा कि विज्ञान के कई क्षेत्रों में भारत सदियों पहले जो कर चुका है, उसकी जानकारी उन्हें बहुत बाद में हुई। विदेशियों को अपने ज्ञान-विज्ञान से परिचित कराने की तैयारियों के सिलसिले में नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में विज्ञान और तकनीकी धरोहरों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रदर्शनी में शामिल किए गए प्रमाणों के मुताबिक सैकड़ों साल पहले उत्तर भारत में सर्जरी द्वारा कुरूप नाक को सुंदर आकार दिया जा रहा था। इस तकनीक में व्यक्ति के माथे की त्वचा को हटाकर इस तरह स्थिर किया जाता था जिससे नई मुखाकृति फिर से बन जाती थी। यह वह समय था जब दंड स्वरूप अपराधियों की नाक काट ली जाती थी। ऐसे समय में सर्जरी द्वारा ही भारत में उस कटी नाक को फिर से सही आकार दिया जाता था। हाल ही में हमारे चंद्रयान ने जब चंद्रमा पर पानी के मौजूदगी की जानकारी दी तो पश्चिमी जगत चौंक उठा क्योंकि उनकी नजर में हमारी छवि ठगों और जादूगरों के देश की है। जबकि हकीकत है कि चांद पर पानी के आविष्कार से सदियों पहले भी हम कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हमारे खाते में दर्ज हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि ईसा से 600 साल पहले दुनिया के पहले सर्जन हिंदुस्तान की सरजमीं पर पैदा हुए थे। आज सर्जरी के विभिन्न रूपों को विकसित करने का मूल श्रेय इनको ही जाता है। ये महान सर्जन थे सुश्रुत। हर क्षेत्र में कुलीन मानने वाले यूनानी भी हमसे चिकित्सा के सर्जरी क्षेत्र में पीछे हैं। यूनानियों के फादर आफ मेडिसिन हिप्पोक्रेटस से डेढ़ सौ साल पहले सुश्रुत भारत में सर्जरी को नया आयाम दे रहे थे। जबकि हिप्पोक्रेटस की प्रसिद्धि का यह आलम है कि आज भी डाक्टरों को इनके नाम की शपथ दिलाई जाती है। दुनिया को सर्जरी का ज्ञान देने वाले सुश्रुत ने अपने चिकित्सकीय विचारों, विधियों और तकनीकों पर सुश्रुत संहिता नामक एक ग्रंथ भी लिखा है। उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार इस ग्रंथ में 650 अलग अलग दवाओं, 300 किस्म के आपरेशन, 42 तरह की शल्य चिकित्सा विधियों सहित 121 प्रकार के उपकरणों का विस्तृत विवरण दिया गया है। इस प्रदर्शनी के आयोजकों और मदद करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार दवाओं का सबसे प्राचीन उल्लेख भारतीय ग्रंथ वेदों में मिलता है। वेदों को ईसा से एक हजार से तीन हजार साल पहले के बीच में लिखा गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार लौह युग के पहले भी रसायन विद्या, खगोल विद्या, कृषि, माप-पद्धति और धातु विद्या जैसे क्षेत्रों में हिंदुस्तान ने कई उपलब्धियां अर्जित की हैं।

कोर्स के नाम पर लूटने वालो सावधान


50 लाख का होगा जुर्माना
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सरकार ने इंजीनियरिंग, प्रबंधन, मेडिकल और ऐसे ही दूसरे व्यावसायिक व गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के नाम पर लूटखसोट व धोखाधड़ी करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों पर नकेल डालने की तैयारी कर ली है। दाखिले के लिए कैपिटेशन फीस की वसूली भी दंड के दायरे में होगी। इन मामलों के दोषी उच्च शिक्षण संस्थानों पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना और उन्हें संचालित करने वालों को तीन साल तक की सजा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए प्रस्तावित तकनीकी व मेडिकल शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों में गलत कार्य निषेध विधेयक-2009 के मसौदे को कानून मंत्रालय की भी मंजूरी मिल गई है। बताते हैं कि विधेयक में छात्रों से कैपिटेशन फीस वसूलने, महंगा ब्रोशर (विवरणिका) बेचने, संस्थान के स्तर और वहां पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों, फैकल्टी आदि के बारे में गलत जानकारी देने और दाखिले में हेराफेरी जैसे मामलों में दंड के लिए काफी कड़े प्रावधान किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि विधेयक में इन मामलों के दोषी उच्च शिक्षण संस्थानों पर 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही जिम्मेदार पदाधिकारी को तीन साल तक की सजा भी हो सकती है। जुर्माना व सजा एक साथ भी हो सकती है। मालूम हो कि विधेयक के शुरुआती मसौदे में दस साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब उसे तीन साल कर दिया गया है। बताते हैं कि अभी यह तय नहीं है कि जेल की सजा संस्थान के निदेशक या विश्वविद्यालयों के कुलपतियों या फिर प्रबंधतंत्र में से किस पदाधिकारी को होगी। लेकिन विधेयक को अंतिम रूप दिया जा चुका है और उसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) के सामने लाने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा में सुधार के एजेंडे के तहत सरकार ने एक साथ कई पहलुओं पर काम शुरू कर दिया है। मसलन शिक्षकों, गैर शिक्षकों, प्रबंधतंत्र और छात्रों से जुड़े मामलों में सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल बनाने संबंधी विधेयक को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। यह ट्रिब्यूनल राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर बनेगा। राज्य ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकेगी, जबकि उसके फैसले के खिलाफ सिर्फ सुप्रीमकोर्ट का ही दरवाजा खटखटाया जा सकेगा। ट्रिब्यूनल में चेयरमैन समेत तीन सदस्य होंगे। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या फिर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ट्रिब्यूनल के चेयरमैन होंगे।

निर्दलियों को देखकर चाल चलेगी हजकां


( डॉ सुखपाल)-
: हरियाणा विधानसभा से विश्वास मत पर गैर मौजूद रहकर हजकां अभी बहुमत के खेल को लंबा चलाना चाहती है। बेशक सरकार ने सदन में बहुमत हासिल कर लिया है, पर निर्दलीय विधायकों के सहारे स्थायीत्व नहीं आ सकता, क्योंकि हर निर्दलीय विधायक की बड़ी-बड़ी मांगे रहती हैं। सरकार को किसी न किसी तरह से हजकां या हजकां विधायकों को मैनेज करना जरूरी है। हजकां के अध्यक्ष विश्वास मत के बाद निर्दलीय विधायकों के रुख, गति व चाल को देखना चाहते हैं कि वे किस तरफ जा रहे हैं। निर्दलीय क्या-क्या शर्ते रखते हैं। कौन-कौन से मंत्री पद मांगते हैं और कांग्रेस किस हद तक इसके लिए तैयार होती है। इसके बाद ही कुलदीप अपना दांव फेंकेंगे। इधर बीच-बीच में हजकां के विधायकों की हुड्डा सरकार के पक्ष में जाने की अफवाहें भी चलती रहती हैं पर कुलदीप का कहना है कि हजकां पूरी तरह एकजुट है। चुनाव नतीजों के बाद ही कांग्रेस और हजकां में बातचीत शुरू हो गई थी। कांग्रेस चाहती है कि कुलदीप हजकां का विलय कांग्रेस में कर दें और इसके एवज में जो भी उनकी मांग होंगी, मान ली जाएंगी। कारण यह है कि अगर कांग्रेस के 40 विधायकों में हजकां के छह विधायक शामिल हो जाते हैं तो पूरे पांच साल सरकार के स्थायीत्व पर कोई बड़ा सवालिया निशान नहीं लगेगा। पर कुदलीप विलयके लिए हरगिज तैयार नहीं। कुलदीप हजकां के वजूद को कायम रखकर शरद पवार की तरह महाराष्ट्र पैट्रन पर कांग्रेस से संबंध बनाकर रखना चाहते हैं। यह भी पता चला है कि अगर हजकां सरकार को समर्थन देती है तो कुलदीप खुद अपने लिए कोई मंत्री पद नहीं लेंगे। वे अपने विधायकों में ही मलाई बांटेंगे। समझौते के किसी बिन्दू पर पहुंचने के लिए कुलदीप ने कांग्रेस के सामने एक कामन मिनीमम प्रोग्राम बनाने की भी शर्त रखी है, जिसमें हजकां के घोषणा पत्र के प्रमुख पहुलओं को शामिल किया जाएगा। कुलदीप चाहते हैं कि इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए दोनों दलों की एक सांझा कमेटी भी बने ताकि प्रदेश के विकास का कोई संशय न रहे। गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव नतीजों में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस को 40, इनेलो को 32, हजकां को 6, बीजेपी को 4, निर्दलीयों को 7 और बीएसपी को 1 सीट मिली है। कांग्रेस ने सात निर्दलीय और 1 बसपा विधायक के साथ सरकार बना ली है। हजकां ने विकल्प खुले रहे हैं और कांग्रेस व इनेलो दोनों तरफ से उन्हें चारा डाला जा रहा है।

नक्सली भी वोटर कार्ड की जुगत में


( डॉ सुखपाल)-

नक्सलियों के खिलाफ सरकार की जंग सरीखी तैयारियों से छत्तीसगढ़ और झारखंड के सैकड़ों गांवों में भय और आतंक पसरा हुआ है। नक्सल प्रभावित इलाके में आने वाले गांवों में लोग सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच पिसने से बचने के उपाय खोज रहे हैं। खुद को सुरक्षा बलों के कहर से बचाने के लिए ग्रामीण वोटर कार्ड और राशन कार्ड को कवच के रूप देख रहे हैं। वहीं, खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि सुरक्षा बलों को भरमाने और दबाव बनाने के लिए जंगलों से भागकर आए नक्सली तो कहीं सरकारी पहचान पत्र हासिल करने की होड़ में नहीं जुट गए हैं। दरअसल, जब से केंद्र की नक्सलियों के खिलाफ समग्र अभियान की तैयारियां तेज हुई हैं, तभी से छत्तीसगढ़ और झारखंड में वोटर कार्ड बनवाने वालों की खासतौर पर होड़ लग गई है। लोकतंत्र के विरोधी नक्सलियों के राज में रहने वाले ज्यादातर ग्रामीण मतदान से दूर ही रहते रहे हैं। जन वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते भी आदिवासियों और ग्रामीणों ने अब तक राशन कार्ड बनवाने की नहीं सोची थी। मगर अभियान की तैयारियों में आई तेजी के बाद ग्रामीण ताबड़तोड़ तरीके से सरकारी पहचान पत्र पाने के लिए सरपंचों के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने लगे हैं। ग्रामीणों में खासतौर से वोटर कार्ड बनवाने की मची इस होड़ पर राज्य व केंद्र सरकारों का ध्यान गया। इसकी पड़ताल की गई तो गांव के सरपंचों और ग्रामीणों का कहना था कि सरकार की जंग सरीखी तैयारियों से भयभीत ग्रामीण कागजी तौर पर पुख्ता हो लेना चाहते हैं। दरअसल, ग्रामीणों की सोच है कि अगर वोटर कार्ड होगा तो वे तलाशी दल के सामने अपनी पहचान के साथ-साथ लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था प्रगट कर सकेंगे। चूंकि, नक्सली लोकतंत्र या मतदान का विरोध करते रहे हैं, इसलिए ग्रामीणों को लग रहा है कि वे वोटर कार्ड दिखाकर यह साबित कर देंगे कि उनका नक्सलियों से कोई लेना-देना नहीं है। खुफिया एजेंसियां इस पहलू से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलियों की हरकतों पर नजर रखे आईबी के सूत्रों के मुताबिक, यह माओवादियों की चाल भी हो सकती है। अभियान के मद्देनजर नक्सलियों के गांवों और शहरों में आ जाने की सूचनाएं पहले ही आ चुकी हैं। आशंका है कि नक्सली योजनाबद्ध तरीके से अपने काडरों को वोटर और राशन कार्ड दिला रहे हैं, ताकि पुलिस को उन पर हाथ डालने से पहले सोचना पड़े। इस आशंका पर गृह मंत्रालय और दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच मंत्रणा हुई। तय हुआ कि राशन कार्ड और वोटर कार्ड तो बनाए ही जाएं, इस सोच के मद्देनजर केंद्र ने दोनों ही राज्यों के प्रशासन को वोटर व राशन कार्ड बनने की प्रक्रिया तेजी से चलाने को कहा है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि सरपंच या सरकारी कर्मचारी कार्ड बनाने में लोगों का शोषण न करें।

तेल डिपो में आग से जयपुर में पांच की मौत, 150 झुलसे


जयपुर( डॉ सुखपाल)
: राजस्थान की राजधानी जयपुर के सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) के डिपो में गुरुवार शाम लगी भीषण आग में पांच लोगों की मौत हो गई। आगजनी की इस घटना में 150 से ज्यादा लोग बुरी तरह झुलस गए, जिनमें कइयों की हालत गंभीर बताई गई है। घायलों को सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे आईओसी के डिपो में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया। आग की लपटें 20-20 किलोमीटर दूर तक दिखाई दे रही थीं। जिसकी वजह से विशेषज्ञों को घटना की जांच में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आगजनी की सूचना मिलने पर शहर की सभी दमकल गाडि़यों को आग बुझाने में लगा दिया गया। लेकिन आग इतनी भयानक थी कि वह जयपुर की दमकलकर्मियों के काबू में नहीं आ रही थी। बाद में समीपर्ती क्षेत्रों से दमकल गाडि़यों को बुलाया गया। आग की गंभीरता को देखते हुए जयपुर के सभी अस्पतालों में हाई अलर्ट कर दिया गया। गैस का रिसाव होने से तेल डिपो में आग लगी है। सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अस्पताल पहुंचे और घायलों से उनका हालचाल जाना। गहलोत ने घटना के बारे में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा से भी बातचीत की।

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