IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

Young Flame Headline Animator

रविवार, 6 दिसंबर 2009

जब इलाज बढ़ाए बीमारी तो...





डॉक्टरों के पास मरीज अपने दामन में उम्मीद नाम का शब्द लेकर जाता है। नॉर्मल जिंदगी जीने की आस लेकर कि स
फेद एप्रेन पहने डॉक्टर फरिश्तों की तरह उसकी सेहत ठीक कर देगा। डॉक्टर अपनी तरफ से कोशिश भी करते हैं, मगर कई बार डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से इलाज ही बड़ी बीमारी का सबब भी बन जाता है। ऐसे में बिगड़े मर्ज के साथ मरीज ठोकरें खाने को मजबूर हो जाता है। अगर इलाज ही बीमारी की वजह बन जाए तो क्या करें, बता रही हैं नीतू सिंह :

अध्यापक नगर, नांगलोई के रहने वाले विनोद कुमार की नाक की एक साइड में साल 2003 में सूजन आ गई। विनोद दिल्ली जल बोर्ड में काम करते थे, इसलिए केशवपुरम स्थित बोर्ड की डिस्पेंसरी में दिखाने गए। डॉक्टर ने जांच के बाद उन्हें एम्स रेफर कर दिया। विनोद अगले दिन एम्स की ओपीडी में पहुंचे। वहां तैनात डॉक्टर ने उन्हें तुरंत भर्ती कर लिया और कहा कि नाक की सर्जरी करनी होगी। विनोद का आरोप है कि डॉक्टरों ने नाक के बदले गलती से सिर और मुंह का ऑपरेशन कर दिया, जिसके चलते कुछ दिन बाद ही उनकी एक आंख भी खराब हो गई। जब इस बारे में डॉक्टरों से पूछा गया तो वे गलती मानने के बजाय उन्हें ही डांटने लगे। कुछ दिनों बाद विनोद को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। विनोद के मुताबिक, इस सर्जरी के चक्कर में उनका आधा चेहरा खराब हो गया। उधर, दिल्ली जल बोर्ड एक आंख खराब होने के बाद भी उन्हें अपंग मानने को तैयार नहीं। अब तक विनोद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, हेल्थ मिनिस्टर, सबके ऑफिस में गुहार लगा चुके हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। तो क्या इलाज के फेर मंे और बीमार हुए लोगों को कोई ठौर नहीं? ठौर है, मगर वहां तक पहुंचने और इंसाफ पाने के लिए चाहिए सही जानकारी। आज के अंक में हमने इसी पहलू से जुड़ी समस्याओं और जानकारियों पर बात की है।

आम दिक्कतें
1. अस्पताल में भर्ती मरीज के रिश्तेदार अगर उसकी केस फाइल या उसकी फोटोकॉपी अपनी संतुष्टि के लिए किसी और डॉक्टर को दिखाना चाहें, तो हॉस्पिटल वाले करते हैं ऐतराज।
2. किसी बाहरी डॉक्टर को हॉस्पिटल में बुलाकर सेकंड ओपिनियन लेना चाहें तो डॉक्टर और हॉस्पिटलों को होता है ऐतराज।
3. मरीज से मिलने आए किसी डॉक्टर रिश्तेदार को भी नहीं दिखा सकते हैं मरीज की फाइल।
4. अगर डॉक्टर को केस अपनी पकड़ से बाहर लगता है, तो वह तुरंत किसी और हॉस्पिटल में ले जाने को बोल देता हैं, लेकिन यदि मरीज के अटेंडेंट इलाज से संतुष्ट न होने की हालत में उसे किसी और हॉस्पिटल में ले जाना चाहें, उनसे यह लिखवाया जाता है कि वे अपने रिस्क पर और डॉक्टर के मना करने के बावजूद मरीज को ले जा रहे हैं।
5. मरीज या उसके रिश्तेदार के पूछने पर इलाज के बारे में नहीं दी जाती है पूरी जानकारी।

क्या कहती है हॉस्पिटल की रूल बुक

गंगाराम हॉस्पिटल के अध्यक्ष डॉ. बी. के. राव
1. हॉस्पिटल में भर्ती किसी भी भर्ती मरीज के इलाज से संबंधित फाइल की फोटोकॉपी को उनके परिजन ले जा सकते हैं। इसके लिए वह ट्रीटिंग डॉक्टर, रेकॉर्ड सेक्शन या हॉस्पिटल प्रशासन से सीधे बात कर सकते हैं। भर्ती के टाइम ही नहीं, मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद भी अगर कोई उनकी फाइल की कॉपी लेना चाहता है तो रेकॉर्ड सेक्शन से बात करके तुरंत इशू करा सकता है।
2. अगर मरीज या उसके रिश्तेदार लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के बारे में डिटेल्स जानना चाहते हैं तो डॉक्टर बिल्कुल मना नहीं कर सकते। यह मरीज या उनके रिश्तेदारों का अधिकार है कि वे सबकुछ जानें।
3. अगर भर्ती मरीज का कोई डॉक्टर रिश्तेदार या जानकार उससे मिलने के लिए आता है और उसकी फाइल देखना या उस पर डॉक्टर से डिस्कस करना चाहता है तो हम कभी इनकार नहीं करते हैं।
4. अगर भर्ती मरीज के रिश्तेदार अपनी संतुष्टि और सेकंड ओपिनियन के लिए बाहर से किसी डॉक्टर को बुलाना चाहते हैं तो उन्हें सिर्फ अपने ट्रीटिंग डॉक्टर को कॉन्फिडेंस में लेना होता है। हमारे यहां तो कई बार लोग दूसरी पैथी के एक्सपर्ट या प्रीस्ट आदि को भी ले आना चाहते हैं और इस स्थिति में भी हमारे डॉक्टर ऐतराज नहीं करते हैं। मगर जहां तक इलाज की बात है तो जब तक मरीज हमारे यहां भतीर् रहता है तब तक उसकी सहमति के हिसाब से ही इलाज होता है।
5. अगर कोई डॉक्टर की सहमति के बिना मरीज को डिस्चार्ज कराकर ले जाना चाहता है तो ऐसे केस में अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस के पेपर पर साइन कराना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसा नहीं करने से मरीज के साथ अगर अनहोनी हो गई तो उसकी जिम्मेदारी डॉक्टर और हॉस्पिटल पर आ सकती है।

एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. डी. के. शर्मा

1. किसी भी भर्ती मरीज के इलाज से संबंधित फाइल की फोटोकॉपी को उसके परिजन ट्रीटिंग डॉक्टर की सहमति से ले जा सकते हैं।
2. अगर मरीज या उसके रिश्तेदार उसके लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के बारे में डीटेल में जानना चाहते हैं तो डॉक्टर मना नहीं करते हैं। यह अलग बात है कि हमारे यहां मरीजों का बहुत ज्यादा दबाव होने के चलते ओपीडी में डॉक्टर ज्यादा टाइम नहीं दे पाते हैं, बावजूद इसके मरीज और उसके रिश्तेदारों को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की जाती है।
3. अगर भर्ती मरीज का कोई डॉक्टर रिश्तेदार या जानकार उससे मिलने के लिए आता है और उसकी फाइल देखना चाहता है तो ट्रीट्रिंग डॉक्टर से बात कर सकता है।
4. भर्ती मरीज के रिश्तेदार अपनी संतुष्टि के लिए सेकंड ओपिनियन लेना चाहते हैं तो उन्हें इंस्टिट्यूट की ही दूसरी यूनिट के डॉक्टरों से सलाह लेने का सुझाव दिया जाता है, लेकिन अगर कोई बाहर से डॉक्टर को बुलाना चाहता है तो इसके लिए विशेष पमिर्शन और ट्रीटिंग डॉक्टर की रजामंदी की जरूरत होती है। जैसा कि पी. वी. नरसिंह राव और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इलाज के मामले में किया गया था।

मरीज को है पूरा अधिकार

कोट
- अगर पेशंट सेकंड ओपिनियन के लिए दूसरे डॉक्टर को बुलाते हैं, तो इलाज कर रहा डॉक्टर या हॉस्पिटल अथॉरिटी कोई ऐतराज नहीं कर सकते।

डॉ. गिरीश त्यागी, रजिस्ट्रार, दिल्ली मेडिकल काउंसिल

- इंटरनैशनल कोड ऑफ एथिक्स के मुताबिक हर मरीज या उनके परिजनों को यह जानने का हक है कि मरीज को क्या हुआ है, उसकी जांच में क्या सामने आया है और इलाज के लिए उन्हें कौन-सी दवाइयां दी जा रही हंै। अगर उन्हें कोई कॉम्प्लिकेशन आती है तो उसकी वजह क्या है, यह भी जानने का हक है।

डॉ. अनिल बंसल, मेंबर, दिल्ली मेडिकल काउंसिल
दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को रेग्युलेट करने वाली संस्था दिल्ली मेडिकल काउंसिल समेत तमाम एजेंसियां मरीजों को इलाज के दौरान लापरवाही बरतने पर अपनी शिकायत दर्ज करवाने का फोरम मुहैया कराती हैं। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी के मुताबिक:

-इलाज के बारे में अपनी संतुष्टि के लिए उसके रिश्तेदार भर्ती मरीज की फाइल दूसरे अस्पताल के डॉक्टर को दिखा सकते हैं।
-पेशंट की संतुष्टि के लिए अगर बाहर से किसी डॉक्टर को कोई बुलाता है तो इस पर हॉस्पिटल या ट्रीटिंग डॉक्टर को ऐतराज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस बारे में कहीं कोई रोक नहीं है। कई बार तो डॉक्टर खुद यह बोलते हैं कि अगर मरीज की हालत ज्यादा खराब है और रिश्तेदार अपनी संतुष्टि करना चाहते हैं तो बाहर से किसी डॉक्टर को बुलाकर सेकंड ओपिनियन ले लें।
- जहां तक मरीज के किसी डॉक्टर रिश्तेदार के फाइल देखने की बात है तो इसमें छुपकर देखने वाली कोई बात ही नहीं है, वैसे भी सिर्फ फाइल देखकर केस को समझना मुश्किल होता है। ऐसे में ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर से सीधे केस डिस्कस करना चाहिए और उस ट्रीटिंग डॉक्टर को भी इस डिस्कशन को मरीज या उसके रिश्तेदारों की चिंता के तौर पर देखना चाहिए, अपने काम में दखल के तौर पर नहीं।
-अगर ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर केस डिस्कस करने या फाइल शेयर करने में आनाकानी करते हैं तो इसे उसकी प्रफेशनल इनसिक्युरिटी ही कहा जा सकता है।
- इलाज का सबका अपना तरीका होता है और हर डॉक्टर अपना बेस्ट देना चाहता है। मुश्किल केस में हॉस्पिटल के दूसरे डॉक्टरों से भी वह डिस्कस करता ही है। जहां तक परिजनों की मजीर् होने पर शिफ्ट कराने की बात है, अगर डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को शिफ्ट नहीं किया जाना चाहिए, फिर भी परिजन शिफ्ट के लिए दबाव डालते हैं तो डॉक्टर उनसे लामा फॉर्म (लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) पर साइन करवाते हैं।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. अनिल बंसल के मुताबिक:
-इंटरनैशनल कोड ऑफ एथिक्स के मुताबिक हर मरीज या उसके रिश्तेदारों को यह जानने का हक है कि मरीज को क्या हुआ है, उसकी जांच में क्या सामने आया है और इलाज के लिए उन्हें क्या- क्या दिया जा रहा है। अगर उन्हें कोई कॉम्प्लिकेशन आती है तो उसकी वजह क्या है, यह भी जानने का हक है। मगर भारत में सरकारी क्षेत्र में जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टरों की कमी इसके आड़े आती है तो प्राइवेट अस्पतालों में भी ऐसा कल्चर नहीं है। यही वजह है कि मरीज के कुछ पूछने पर ज्यादातर टाइम घुड़की ही मिलती है। आए दिन सरकारी अस्पतालों में होने वाली मारपीट इसी का एक नतीजा है।

कहां करे मरीज शिकायत

स्टेप 1
अगर कोई व्यक्ति अपने या अपने रिश्तेदार के इलाज से संतुष्ट नहीं है या इलाज से कोई नई बीमारी या मृत्यु हो गई है तो वह दिल्ली मेडिकल काउंसिल में अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। काउंसिल में शिकायत दर्ज कराने के दो तरीके हैं। इलाज से जुड़े सभी कागजों की फोटोकॉपी और शिकायत पत्र को पोस्ट कर दिया जाए या फिर खुद वहां जाकर कंप्लेंट की जाए और संबंधित कागज जमा कराए जाएं।

काउंसिल का पता
दिल्ली मेडिकल काउंसिल, कमरा नंबर : 368, थर्ड फ्लोर, पैथोलजी ब्लॉक, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली-110002

फोन नंबर : 011-23235177, 23237962

वर्किंग डे : सोमवार से शुक्रवार

वर्किंग ऑवर्स : सुबह 9:30 से दोपहर बाद 4:30 तक

स्टेप 2
- अगर मरीज या उसके रिश्तेदारों को लगता है कि काउंसिल में जाने के बजाय पुलिस के पास जाने से फौरन कार्रवाई होती है, तो यह विकल्प भी अपनाया जा सकता है। जिस एरिया में हॉस्पिटल है, वहां के पुलिस स्टेशन में जाकर कंप्लेंट की जा सकती है। हालांकि पुलिस को भी जांच के दौरान अगर मेडिकल लापरवाही का मामला लगता है, तो केस को दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पास ही रेफर किया जाता है।

स्टेप 3
- इलाज के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए मरीज या उसके रिश्तेदार कंस्यूमर फोरम भी जा सकते हैं। शिकायत का नेचर देखने के बाद कंस्यूमर फोरम या तो दिल्ली मेडिकल काउंसिल से संपर्क करती है, या फिर किसी भी सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम बनाकर उसे जांच की जिम्मेदारी सौंपती है।

कंस्यूमर फोरम से जुड़ी जानकारी
पता : दिल्ली स्टेट कंस्यूमर कमिशन, ए ब्लॉक, फर्स्ट फ्लोर, विकास भवन, आईपी इस्टेट, नई दिल्ली-110002
फोन नंबर : 011-23370799, 23370258
फैक्स नंबर : 23370258

कैसे होती है जांच
- दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) शिकायत करने वाले व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराए गए सभी डॉक्युमेंट्स की जांच कराती है।
- जरूरत पड़ने पर शिकायतकर्ता और जिस डॉक्टर के खिलाफ शिकायत की गई है, उन दोनों को बुलाकर मामले के सभी पहलुओं को समझा जाता है।
- केस को काउंसिल की इगेक्युटिव कमिटी के सामने रखा जाता है। कमिटी के सभी मेंबर्स केस डिस्कस कर इस पर अपनी राय देते हैं।
- अगर केस बहुत सीरियस है या एक बार में फैसला नहीं हो पाता, तो कमिटी की दूसरी मीटिंग होती है और फिर ऑर्डर पास किया जाता है।
- केस कितने समय में सुनवाई के लेवल पर आ जाएगा, इसके बारे में कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। पेंडिंग केसों के हिसाब से नंबर लगता है।
- डीएमसी अपने लेवल पर शिकायत सही पाए जाने पर डॉक्टर को वॉनिर्ंग दे सकती है। डीएमसी डॉक्टर का लाइसेंस भी कैंसल कर सकती है।
- शिकायतकर्ता अगर अपने नुकसान की भरपाई चाहता है, तो डीएमसी की रिपोर्ट के साथ वह कंस्यूमर फोरम जा सकता है।
- डीएमसी ऐसे मामलों के निपटारे के लिए महीने में कम से कम दो बार एग्जिक्यूटिव कमिटी की मीटिंग बुलाती है। जरूरत पड़ने पर महीने में चार या पांच बार भी मीटिंग हो सकती है।
- अगर शिकायतकर्ता डीएमसी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में इस फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है।

मेडिकल काउंसिल का पता :
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, पॉकेट-14, सेक्टर-8, द्वारका फेज-1, नई दिल्ली- 110077
फोन नंबर : 011-25367033, 25367035, 25367036, 25367037
फैक्स नंबर : 25367024, 25367028

डॉक्टर-मरीज से संबंधित दो अहम फैसले

आपराधिक मामले के अलावा मुआवजा भी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंडियन मेडिकल असोसिएशन बनाम वी. पी. शांता के मामले में 1995 में दिए गए फैसले के मुताबिक डॉक्टरों पर दो कारणों से मुकदमा चलाया जा सकता है। एक तो लापरवाही बरतने के लिए उन पर आपराधिक मामला बनता है और दूसरा कंस्यूमर फोरम में उनसे मुआवजे की मांग भी की जा सकती है, जबकि इससे पहले डॉक्टरों को सिर्फ असावधानी बरतने के लिए दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जा सकती थी।

लापरवाही के मामले में एक्सपर्ट की राय जरूरी
5 अगस्त 2005 को डॉ. जैकब मैथ्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के मुताबिक किसी आम आदमी को डॉक्टर की लापरवाही के खिलाफ सीधे केस करने का अधिकार नहीं है। मामला तभी दर्ज किया जा सकता है जब किसी सक्षम डॉक्टर (सरकारी क्षेत्र से हो तो बेहतर है) ने इस मामले में अपनी राय दी हो। इस मामले में बचाव पक्ष के वकील की एक दलील यह भी थी कि अगर डॉक्टर पर यह तलवार लटकती रही कि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है तो वह इलाज करने से घबराने लगेगा।

सेक्स से पहले कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए महिलाएं लेतीं हैं ड्रिंक


लाखों महिलाएं सेक्स से पहले शराब पीना पसंद करती हैं। इसकी एक सीधी वजह है कि वे मानती हैं कि शराब पीने
से उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। यह नया 'ज्ञान' एक सर्वे का नतीजा है, जो करीब तीन हजार ब्रिटिश महिलाओं पर किया गया है। इन महिलाओं का मानना है कि सेक्स के पहले उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। इस वजह से वह शराब का सहारा लेतीं हैं।

रिसर्चरों ने सेक्सुअल हैबिट्स और अल्कोहल लेने के बीच लिंक का शोध किया तो पाया कि आधों ने पीने के बाद सेक्स करना पसंद किया। वहीं, महिलाओं का कहना है कि शराब पीने से वे आक्रामक और ज़्यादा एडवेंचरस हो जाती हैं। इस सर्वे पर स्टडी करने वाली फेमफ्रेश की कैथरीन लेकलैंड के मुताबिक सर्वे के नतीजे से साफ है कि आज की ज़्यादातर ब्रिटिश महिलाओं में कॉन्फिडेंस की कमी है।

प्रधानमंत्री रूस रवाना, परमाणु समझौते पर होंगे हस्ताक्षर

मास्को रवाना होने से पहले जारी एक बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे विश्वास है कि मेरा दौरा रूस के साथ सहयोग को मजबूत करने कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा और इस तथ्य को बल देगा कि बदलती अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी शांति और स्थिरता का एक कारक है।"

सिंह ने कहा, "दोनों देशों की साझेदारी लंबी मित्रता की मजबूत नींव पर आधारित है। वर्षो के संयुक्त प्रयासों से भारत और रूस के बीच के बहुक्षेत्रीय सहयोग में अधिक गहराई और परिपक्वता आई है। हम इसे और मजबूत करना चाहते हैं।"

प्रधानमंत्री रूसी राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव के आमंत्रण पर भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने रवाना हुए। इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस साल जून में ब्रिक देशों (भारत, ब्राजील, रूस और चीन) और शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में मेदवेदेव से मिले थे। मेदवेदेव ने दिसंबर 2008 में भारत का दौरा किया था।

रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव के साथ वार्ता की कार्यसूची की रुपरेखा के बारे में जानकारी देते हुए सिंह ने कहा कि वह रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हाइड्रोकार्बन सहित अन्य क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग की समीक्षा करेंगे।

मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं राष्ट्रपति के साथ आतंकवाद, वैश्विक मंदी की समाप्ति, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, परमाणु नि:शस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करुं गा।"

सोमवार को मनमोहन सिंह और मेदवेदेव की मुलाकात के बाद दोनों पक्षों के असैन्य परमाणु सहयोग के विस्तार के एक समझौते और तीन अन्य रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है।

मनमोहन सिंह रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। इसके अलावा सिंह भारत-रूस सीईओ परिषद की बैठक में पुतिन के साथ शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच शिक्षा, शोध, मीडिया और बौद्धिक हलकों सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता जताई।

मन का रेडियो, रिश्तों का गीत





टॉक शो के जरिए लोगों को प्यार का पाठ पढ़ानेवाले लव गुरु रेडियो जॉकी विवान का अपनी पत्नी से तलाक हो चुका है। उ
सके जीवन में अहम मोड़ तब आता है, जब ...

मूवी : रेडियो
कलाकार : हिमेश रेशमिया , सोनल सहगल , शहनाज ट्रेजरीवाला।
निर्माता : रवि अग्रवाल ,
स्क्रिप्ट व डाइरेक्शन : ईशान त्रिवेदी।
सेंसर सर्टिफिकेट : यू
अवधि : 112 मिनट
हमारी रेटिंग :

ऐसा कम ही हुआ है जब किसी फिल्म ने रिलीज से पहले सिर्फ म्यूजिक के दम पर फिल्म की पूरी लागत वसूल ली हो। इस हफ्ते रिलीज हुई रेडियो ने यह कमाल कर दिखाया। करीब 6 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म के म्यूजिक से ही निर्माता ने अपनी लागत बटोर ली है। फिल्म के डायरेक्टर ईशान त्रिवेदी ने अपनी पिछली फिल्म साढ़े सात फेरे में टीवी चैनलों में टीआरपी बढ़ाने की होड़ में मानवीय रिश्तों के साथ खिलवाड़ को पेश किया था , इस बार उन्होंने महानगरों की लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन चुके एफएम रेडियो स्टेशनों के आरजे की लाइफ स्टाइल पर फोकस किया है। गायक , संगीतकार के तौर पर पहचान बनाने के बाद हिमेश रेशमिया की इस फिल्म मे एक्टिंग देखकर लगता है अपनी आरजे की भूमिका के लिए उन्होंने अच्छी खासी तैयारी की।

कहानी
फिल्म की कहानी मेट्रो शहरों की लाइफ स्टाइल पर बेस्ड है। फिल्म में विवान शाह ( हिमेश रेशमिया ) रेडियो चैनल मिर्ची का स्टार आरजे है। विवान के पास पैसा कामयाबी सब कुछ है , अपने शो में दूसरों की मुश्किलों का हल खोजने वाले विवान की जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं है , विवान और उसकी बीवी पूजा तलवार ( सोनल सहगल ) के बीच दूरियां ऐसी बढ़ती हैं कि कि नौबत तलाक तक पहुंची। इन दोनों के बीच रिश्तों में खटास विवान की तेज रफ्तार से भागती लाइफ स्टाइल है और पूजा का करियर में अपना सही मुकाम हासिल न कर पाने की कुंठा से ज्यादा और कुछ नहीं था।

तलाक के बाद भी पूजा और विवान के बीच दोस्ती का रिश्ता पूरी तरह से टूटा नहीं था। इस बीच विवान की सूनी जिंदगी में शनाया ( शहनाज ट्रेजरीवाला ) सुखद हवा के झोंके की तरह आती है। चंद मुलाकातों में हुई कुछ तकरार के बाद विवान को शनाया की आंखों में अपने लिए प्यार दिखाई देता है। विवान पूजा से शनाया की बातें शेयर करता है और उसे लगता है कि अब उसे शनाया के साथ एक नई जिदंगी शुरू करनी चाहिए। ऐसे में एक्स वाइफ पूजा और शनाया में अपने सच्चे प्यार को तलाशते विवान की इस लव स्टोरी का क्लाइमेक्स आम हिंदी फिल्मों से डिफरेंट है। लव और म्यूजिक की इस कहानी के बीच झंडू लाल त्यागी ( परेश रावल ) की जब भी एंट्री होती है , हॉल में हंसी के ठहाकों की आवाज सुनाई देती है।

फिल्म का बड़ा प्लस पॉइंट इसका म्यूजिक भी है। मन का रेडियो , जिदंगी जैसे , एक रेडियो और पिया जैसे लडू मोतीचूर , दामाद जी गानों का फिल्मांकन अच्छा है। फिल्म के म्यूजिक से हिमेश ने साबित किया है कि मैलडी में उनका जवाब नहीं। एक्टिंग में हिमेश ने मेहनत की है जबकि परेश रावल खूब हंसाते हैं। इंटरवल से पहले कहानी थोड़ा स्लो है।

एक्टिंग
आपका सुरूर और कर्ज के मुकाबले हिमेश इस बार रोल में जमे है। फिल्म में उनकी एक्टिंग देखकर लगता है रेडियो जॉकी की भूमिका के लिए उन्होंने अच्छी खासी तैयारी की है। आरजे की लाइफ स्टाइल , रेडियो पर अपने शो को हिमेश ने दमदार अंदाज में पेश किया है। सोनल सहगल और शहनाज अपनी भूमिकाओं में ठीकठाक रहीं। छोटी सी भूमिका के बावजूद परेश रावल खूब जमे और हंसाने में कामयाब रहे।

स्क्रिप्ट , डाइरेक्शन
ईशान की स्क्रिप्ट में कुछ जगह ठहराव है , इसके बावजूद उन्होंने रेडियो जॉकी के वर्क स्टाइल और शोज पर अच्छी खासी रिसर्च की हैं इंटरवल से पहले कहानी सुस्त है , लेकिन क्लाइमैक्स रोचक है।

गीत , संगीत
हिमेश पर शुरू से नाक से गाने का इल्जाम लगता रहा है , लेकिन इस बार उन्होंने स्टाइल में चेंज किया है और गले से गाया है। गीतकार सुब्रत सिन्हा के लिखे गानों में नयापन और बोलों में ताजगी का एहसास लगता है। फिल्म के पांच गीत म्यूजिक चार्ट में लंबे अर्से से टॉप फाइव पर हैं।

क्यों देखें
रेडियो और आरजे को फोकस करती इस प्रेम त्रिकोण की कहानी में महानगरों में करियर , पैसा और कामयाबी की दौड़ में टूटते इंसानी रिश्तों को दमदार ढंग से पेश किया गया है।

कमजोर कड़ी
इंटरवल के बाद विवान का पूजा और शनाया के बीच सच्चे प्यार की कशमकश को कुछ ज्यादा खींचा गया है। झंडू लाल त्यागी बने परेश रावल का रोल थोड़ा ज्यादा होता तो बेहतर था।

बाबरी ध्वंस की 17वीं बरसी, अयोध्या छावनी में तब्दील



06 दिसंबर, 2009
नई दिल्ली। अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की रविवार को बरसी के मौके पर सभी राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था कडी कर दी गई हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के कई शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई हैं। इसके साथ ही दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों में व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। उप्र में राजनीतिक पार्टियों द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। ऎसा इसलिए किया गया है ताकि कानून व्यवस्था को लेकर व्यवधान पैदा न हो। उत्तरप्रदेश के एक आला अधिकारी ने बताया कि अयोध्या व अन्य संवदेनशील जिलों में सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई हैं। अयोध्या में केंद्रीय बलों के अलावा पीएसी के 500 कर्मी, आरपीएफ के 200 जवान, दंगा-नियंत्रक दलों को भी तैनात किए हैं। लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर मची राजनीतिक हलचल देखते हुए ज्यादा सर्तकता बरती जा रही हैं। लोकसभा में रिपोर्ट पर सोमवार को चर्चा होगी।

बिग बॉस 3 से राजू श्रीवास्तव की छुट्टी



06 दिसंबर, 2009
नई दिल्ली। कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 3 में जीत के प्रबल दावेदार माने जा रहे हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव शो से बाहर हो गए हैं। देश की जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। बिग बॉस 3 में इस हफ्ते मॉडल प्रवेश राणा, विंदू और राजू श्रीवास्तव की किस्मत दांव पर थीं, और फैसला राजू के खिलाफ गया।
राजू पहली बार शो में नॉमिनेट हुए थे। इससे पहले आठ हफ्तो तक उनका नाम एक बार भी नॉमिनेट नहीं किया था, लेकिन इस बार नाम आते ही उन्हें बाहर का रास्ता देखना पडा। राजू श्रीवास्तव ने कहा, जनता का फैसला उन्हें मंजूर हैं, और वो अपनी इमेज सुधारने के लिए अब और मेहनत करेंगे। वैसे, माना ये भी जा रहा है कि राजू श्रीवास्तव के शो से बाहर दूसरे टेलीविजन चैनल से अपने बाकी शो को लेकर समझौता था, जिसके टूटने पर उन्हें भारी हर्जाना भरना पडता।
ऎसे में राजू ने खुद बाहर होने की गुजारिश की। फिलहाल, बिग बॉस 3 में सात दावेदार बाकी हैं, और देखना है कि अब अगले हफ्ते कौन घर से बाहर होता हैं। लेकिन, अब विंदू दारा सिंह को खेल का बडा खिलाडी माना जा रहा हैं क्योंकि वो 7 से ज्यादा बार नॉमिनेट हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें हर बार जनता ने बचा लिया हैं।

श्रीलंका को रौंद टीम इंडिया बनी सरताज



मुम्बई में खेले गए तीसरे व आखिरी टेस्ट मैच में श्रीलंका को एक पारी और 24 रनों से हराकर टेस्ट रैंकिंग का ताज टीम इंडिया ने अपने नाम कर लिया। इस शानदार जीत के साथ ही भारत ने इस श्रृंखला को 2-0 से अपने नाम कर लिया।

पांचवे दिन संगकारा पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी लेकिन वह दबाव को झेल नहीं सके। जहीर खान की गेंद पर वह चकमा खा गए और भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने कैच लपककर उन्हें पेवेलियन की राह दिखा दी। उन्होंने बेहतरीन 137 रन बनाए। इसके बाद हेराथ भी तीन रनों के स्कोर पर जहीर का शिकार बन गए। जहीर खान ने नुवान कुलसेकरा को अपना पांचवा शिकार बनाया। हरभजन सिंह की गेंद पर मुरलीधरन के आउट होते ही भारतीय टीम ने मैच और श्रृंखला अपने नाम कर ली।

वैसे खेल के चौथे दिन ही श्रीलंका की हार लगभग तय हो गई थी। चौथे दिन मेहमान टीम का कुल स्कोर 29 रन पहुंचा ही था कि हरभजन सिंह ने तिलकरत्ने दिलशान के विकेट के रूप में भारत को पहली सफलता दिलाई थी। पहली पारी में शानदार 109 रन बनाने वाले दिलशान दूसरी पारी में महज 16 रन ही बना सके। इसके बाद परानाविताना एस. श्रीसंत की गेंद पर पगबाधा करार दिए गए। उन्होंने 54 रन बनाए।

परानाविताना के आउट होने के बाद जहीर खान ने माहेला जयवर्धने और थिलन समरवीरा को पेवेलियन की राह दिखा दी। जयवर्धने 12 रनों पर आउट हुए जबकि समरवीरा खाता भी नहीं खोल सके। चायकाल होने से ठीक पहले एंजेलो मैथ्यूज भी प्रज्ञान ओझा का शिकार बन गए। टीम को मुश्किल से उबारने के लिए प्रसन्ना जयवर्धने ने भरपूर कोशिश की लेकिन वह ज्यादा देर तक अपने कप्तान का साथ नहीं दे सके। वह 32 रनों के निजी स्कोर पर पेवेलियन लौट गए।

खेल के तीसरे दिन भारतीय टीम ने सहवाग के शानदार दोहरे शतक और कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के शतक की बदौलत अपनी पहली पारी नौ विकेट पर 726 रन बनाकर घोषित कर दी थी। टेस्ट मैचों किसी पारी में भारत का अब तक यह सर्वाधिक स्कोर है।

भारत की ओर से सहवाग ने 293 रनों की यादगार पारी खेली। धौनी ने 100 रन बनाए। द्रविड़ ने 74, वी.वी.एस. लक्ष्मण ने 62 और सचिन तेंदुलकर ने 53 रनों का योगदान दिया। श्रीलंका ओर से मुथैया मुरलीधरन ने चार और रंगना हेराथ ने तीन विकेट चटकाए। मेहमान टीम की पहली पारी 393 रनों पर सिमट गई थी ।

गौरतलब है कि कानपुर में खेले गए श्रृंखला के दूसरे मैच में पारी और 144 रनों से जीत हासिल कर भारतीय क्रिकेट टीम श्रृंखला में पहले ही 1-0 से आगे चल रही थी। अहमदाबाद में खेला गया पहला मैच ड्रा रहा था।

SHARE ME

IMPORTANT -------- ATTENTION ---- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

SITE---TRACKER


web site statistics

ब्लॉग आर्काइव

  © template Web by thepressreporter.com 2009

Back to TOP