
अकाली दल ने पहली बार पंजाब के बाहर चुनाव जीतकर अपना आधार फैलने के सबूत दिए हैं। यूं तो पार्टी पहले भी दिल्ली आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ती रही है मगर उसे जीत नसीब हुई इस बार हरियाणा के विधानसभा चुनाव में। अकाली प्रत्याशी चरणजीत सिंह ने कालियांवाली सीट जीतकर इनेलो के हाथ मजबूत किए हैं जिसने अकाली दल को राज्य में दो सीटें दी थी। हरियाणा में प्रतिशत के लिहाज से किसी दल का यह सबसे बढि़या प्रदर्शन है क्योंकि उसके दो में से एक उम्मीदवार ने जीतकर पार्टी का जीत का प्रतिशत 50 फीसदी रखा है। अन्य कोई दल उसके बराबर नहीं ठहरता। हरियाणा ही नहीं, पंजाब में भी कई राजनीतिक पार्टियां अकाली दल द्वारा राज्य से बाहर चुनाव लड़ने का मजाक उड़ाती रही हैं और किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि अकाली दल हरियाणा में चुनाव जीतने की क्षमता रखता है। हालांकि पहले भी अकाली दल हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक-दो बार जीत दर्ज कर चुका है मगर तब उसके प्रत्याशी पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़े थे। इस बार तकड़ी के जरिए अकाली दल ने हरियाणा में खाता खोला है। इस जीत के जरिए सुखबीर सिंह बादल क्षेत्रीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे मगर तब अकाली दल कोई सीट नहीं जीत पाया था। दिल्ली का अनुभव हरियाणा में काम आया है। अकाली राजनीति में इस जीत को ऐतिहासिक जीत माना जा रहा है। यह जीत अकाली दल के लिए टानिक का काम करेगी। जीत से उत्साहित अकाली दल अब केवल पंजाब की सीमाओं तक ही बंध कर नहीं रहेगा बल्कि खुद को राष्ट्रीय स्तर तक स्थापित करने के सपने को पूरा करने के करीब पहुंचेगा। सुखबीर बादल ने इस जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा के सिखों ने कांग्रेस द्वारा अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी गठित करने का ऐलान करके सिखों में फूट डालकर उन्हें कमजोर करने की घटिया चाल का हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को ऐसा करारा जवाब दिया है कि वह साधारण बहुमत के लिए अन्य दलों की मिन्नत पर मजबूर है। सुखबीर बादल ने कहा कि हरियाणा के किसानों ने सरकार की किसान विरोधी नीतियों और भूमि अधिग्रहण करने की गलत नीति से दुखी होकर इस चुनाव में कांग्रेस को सजा दी है। उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस ने नरमे के एमएसपी में थोड़ी बढ़ोतरी करके हरियाणा के किसानों को प्रभावित करने का प्रयास किया था मगर हरियाणा के लोगों का फतवा कांग्रेस की तानाशाही नीतियों के खिलाफ राज्य के समूह नागरिकों के भारी रोष का प्रतीक है। बादल ने कहा कि अब कांग्रेस को जनमत को संजीदगी से स्वीकार करते हुए चुनावी राजनीति से किनारा कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह हरियाणा के लोगों द्वारा उनके प्रति दिखाए विश्वास पर बड़ा फº महसूस करते हैं क्योंकि वह हरियाणा में जहां भी चुनाव प्रचार के लिए गए, वहां इनेलो-अकाली दल के प्रत्याशियों को कामयाबी मिली।