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बुधवार, 11 मई 2011

समय को लेकर दुविधा में स्कूल मुखिया

डबवाली(यंग फ्लेम) समय को लेकर डबवाली खंड के सरकारी विद्यालयों के मुखिया दुविधा में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे विद्यालयों का समय 7 से 2.30 रखे या पुराना समय 8 से 2 बजे तक ही विद्यालय लगाए। एक मई से शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में समय बदलकर सुबह 7 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक कर दिया था। शिक्षकों द्वारा समय बढ़ाने का विरोध करने पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मीटिंग में कहा था कि विद्यालयों का समय न बढ़ाया जाए। मगर मुख्यमंत्री के बयान के बाद भी गांव सावंतखेड़ा में तो स्कूल 8 से 2 बजे तक चल रहा है वहीं दूसरी और गांव मांगेआना में स्कूल सुबह 7 से दोपहर ढाई बजे तक चल रहा है हालांकि यह दोनों गांव खंड शिक्षा अधिकारी डबवाली के अधीन आते है अब यह तो अधिकारियों की लालफीता शाही ही बता सकती है कि ऐसा क्यों हो रहा है कि कहीं तो स्कूलों का समय 8 से 2 बजे तक है और कहीं सुबह 7 से अढाई बजे तक चल रहा है। जबकि कुछ स्कूल पुराने समय पर लग रहे हैं। ऐसे में शिक्षक व अभिभावक निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर वे क्या करें। जब शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री के आदेश ही कोई मायने नहीं रखते हैं तो शिक्षकों व बच्चों की कौन सुनेगा। इस संबंध में उप जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल सुबह 7 से दोपहर 2.30 बजे तक ही लग रहे हैं क्योंकि उनके पास सरकार की ओर से समय घटाने का कोई लिखित आदेश नहीं आया है। जब तक नए आदेश नहीं आते, स्कूल 7 से ढाई बजे तक ही लगेंगे।

आखिर क्यों नहीं रूक रही गौ-तस्करी

डबवाली -तमाम प्रयासों के बावजूद भी प्रशासन गौवंश की तस्करी रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। डबवाली में एक वर्ष पूर्व हुए गौहत्या कांड को लोग अभी भूले नहीं थे कि डबवाली बठिंडा मार्ग पर स्थित पंजाब के गांव मशाना व गुडथड़ी के बीच नाले के पास टिब्बे की आड़ में गौ वंश का वध करके उसके मांस और चर्बी का निर्यात करने का सनसनीखेज मामला समाने आया। पिछले काफी समय से इस स्थान पर बेदर्दी से इलाके के गौधन को काट कर उनकी चमड़ी निकालने के अलावा, चर्बी और अस्थियां बेचने के धन्धे का पर्दाफाश हुआ। गौहत्या की विभिन्न धाराओं के तहत आठ पर मामला दर्ज करके 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसे मामले दिन प्रतिदिन क्यों बढ़ रहे है क्या आज का समाज इतना अधर्मी हो गया है कि वह किसी धर्म विशेष की भावनाओं की कदर न करते हुए मोह-माया के जाल में इस प्रकार से जकड़ा गया है कि उसे पाप व पुण्य में कोई फर्क ही नजर नहीं आता। शायद इस सब के लिए कहीं न कहीं हम स्वयं भी जिम्मेदार है क्योंकि हम आज कल की भागदौंड भरी जिंदगी के कारण इतने लोभी हो गए है कि हम गौवंश के प्रति अपना फर्ज भूल चुके है जिसके कारण आज गौवंश सड़कों पर आवारा फिरता देखा जा सकता है। जिसके कारण दूसरे अधर्मी लोगों के हौंसले इतने बुलंद हो गए है कि वह हमारी भावनाओं से खिलवाड़ करने में कामयाब हो रहे है यह खिलवाड़ तब तक चलता रहेगा जब तक हम गौवंश के प्रति अपनी सोच का रैवेया नहीं बदलते। वहीं दूसरी और अपने आप को गौभक्त कहने वाले व गौशालाओं के ठेकेदार कहलाने वाले लोग भी इसके लिए जिम्मेदार है क्योंकि डबवाली मेें गौहत्या कांड होने बावजूद भी ये लोग कुछ समय के लिए तो आगे आए लेकिन न जाने क्यों अचानक पीछे हट गए व फिर से उन लोगों के हौंसले बुलंद हो गए जो इस अधर्म के कार्य में लगे हुए है। पंजाब क्षेत्र मंडी किलियांवाली में लगने वाली पशु मंडी संदेह के घेरे में है। फतेहाबाद, सिरसा व डबवाली में गौभक्तों द्वारा पकड़े गये पशुओं से भरे ट्रक इसका खुलासा कर रहे है कि इस मंडी में कितने बड़े स्तर पर गौधन की तस्करी की जा रही है। पुलिस मात्र मामला दर्ज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रही है। जबकि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाये तो गौधन की तस्करी में लगे एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है जिनके तार हरियाणा पंजाब, राजस्थान और दिल्ली तथा उतर प्रदेश से जुड़े हुए है।

अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्र, प्रशासन के लिए चुनौती

डबवाली-नशा और नशे की गिरफ्त में हजारों नौजवान की मौजूदगी डबवाली नशा मुक्ति कंद्रों के लिए वरदान साबित हो रही है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सीमा पर बसे डबवाली शहर में तीनों राज्यों के नशे की गिरफ्त में युवाओं पैसे ऐंठने के लिए नशा मुक्ति केंद्र खुलने आरंभ हो गये है। नशा छुड़ाने के नाम पर नशे में गिरफ्त युवाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है यह किसी से छुपा नहीं है। हरयिाणा पंजाब राजस्थान से सटे इस शहर में जहां तीनों राज्यों के बीचों-बीच होने का लाभ प्राप्त है वहीं इस शहर का यह भी दुर्र्भाग्य है कि नशीले पदार्थों के तस्कर इसका अपने कार्य को अंजाम देने के लिए पुरा लाभ उठाा रहे है। क्योंकि राजस्थान से भारी मात्रा में नशे से सामान की तस्करी कर उसे डबवाली पहुंचाया जाता है और उसके बाद इसे यहां से पंजाब हरियाणा के विभिन्न शहरों में पहुचाया जाता है। पिछले कुछ दिनों पूर्व पंजाब सरकार ने नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्ती करते हुए इन्हें बंद करवाया दिया क्योंकि इन केंद्रों में मानव अधिकारों का उलंघन होने के समाचार हर दिन पढऩे को मिल रहे थे। अब इन नशा मुक्ति केंद्र संचालकों ने मलोट, संगत तलवंडी आदि जगहों से अपने केंद्रों को बंद कर गुप्त रूप से डबवाली में शरण ले ली है। इसी तरह के एक नशा मुक्ति केंद्र का पता चला है जो प्रशासन को खुली चुनौती दे रहा है वहीं दूसरी और उन्होंने ऐसे स्थानों में अपने केंद्र खोल रखे है कि देखने वाले को यह शक भी हो कि यहां कोई नशा मुक्ति चल रहा है। संचालकों इन केंद्रों के बाहर कोई साईन बोर्ड नहीं लगया और छोटे-छोटे कमरों में नशा छोडऩे आए युवकों को बंद कर उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस तरह का कोई भी नशा मुक्ति केंद्र खोलने से पहले प्रशासन से अनुमती लेना अनिवार्य है लेकिन जिस तरह से यह नशा मुक्ति केंद्र प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर धड़ल्ले से अपने कार्य को अंजाम दे रहे है। जब इस नशा मुक्ति केंद्र वाले स्थान पर हमारे संवादाता आज सिरसा रोड पर तो उन्होंने देखा कि नशा मुक्ति केंद्र के नाम पर एक दुकान है जिसमें केवल हॉल हैै। और जिसका शटर हमेशा बंद रहता है। इस केंद्र में 10 से 15 नशा छोडऩे आए युवकों को रखा गया है। डबवाली शहर में यह अकेला ही नहीं और भी इस प्रकार के अनेक नशामुक्ति केंद्र चल रहे है।

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