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मंगलवार, 12 जनवरी 2010

59 हजार जवान चुकाएंगे भ्रष्टाचार की कीमत

नई दिल्ली, सुरक्षा बलों के लिए खरीद का मामला एक बार फिर दागदार हो गया। 26/11 का हमला और हेमंत करकरे की मौत भी जवानों के जीवन-मरण से जुड़े साजो-समान की खरीद-फरोख्त के तंत्र की खामियां दूर नहीं कर सकी। इसका सबूत है अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवानों के लिए गृह मंत्रालय में 59,000 नई बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद प्रक्रिया का रद होना। मंत्रालय ने नए सिरे से बुलेटप्रूफ जैकेटों के लिए टेंडर मंगाए हैं। नतीजतन, भ्रष्टाचार की कीमत हमारे जवान चुकाएंगे और आतंकवादियों, उग्रवादियों और नक्सलियों की गोलियों की बौछार से बचाने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए उन्हें अब और इंतजार करना होगा। इन 59,000 बुलेटप्रूफ जैकेटों के लिए आई निविदाओं में एक को परीक्षण में पास कर दिया गया था। तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) और टेंडर सलाहकार कमेटी (टीएसी) को सभी ठेकेदारों की बुलेटप्रूफ जैकेट जांच कर उपयुक्त को चुनना था। पहली और सबसे अहम रिपोर्ट डीआरडीओ के तहत आने वाली टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेट्री (टीबीआरएल) को तैयार करनी थी। टीबीआरएल के संयुक्त निदेशक आरके वर्मा व अन्य ने एक कंपनी की बुलेटप्रूफ जैकेट पास कर दी। इस पर बवाल मचा और जब मामला टेंडर एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) के सामने पहुंचा तो उसके सामने शिकायतों का अंबार लग गया। इसी बीच आरके वर्मा व बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने वाली कंपनी के बीच किसी सौदेबाजी को सीडी पर भी रिकार्ड कर लिया गया। मामला ज्यादा गंभीर होता देख गृह मंत्रालय ने 23 दिसंबर को इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। बाद में वर्मा ने स्वीकार भी कर लिया कि सीडी में उनकी ही आवाज है। छानबीन के बाद गृह मंत्रालय ने टीबीआरएल के परीक्षण को रद कर दिया। अब सभी ठेकेदारों से नए सिरे से उनके सैंपल मंगाए गए हैं। इस घालमेल के बाद गृह मंत्रालय ने डीआरडीओ से एक से ज्यादा वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञ को बुलेटप्रूफ जैकेटों के नमूनों का परीक्षण करने और रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। डीआरडीओ से वर्मा के खिलाफ जांच बैठाने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। अगली बार नमूनों के परीक्षण में कोई गड़बड़ न हो, इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने और साफ व सख्त निविदा प्रक्रिया बनाने को कहा गया है।

चीनी पर छिड़ी तकरार

नई दिल्ली/लखनऊ, एजेंसिया : चीनी के 50 रुपये प्रति किलो बिकने के आसार के बीच विभिन्न नेताओं के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई है। चीनी के बढ़ते दामों को लेकर चौतरफा आलोचना से घिरे कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने सोमवार को चीनी के चढ़ते दामों के लिए एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार पर ठीकरा फोड़ा तो मुख्यमंत्री मायावती ने उन पर पलटवार किया। मायावती ने कहा कि कृषि मंत्री का बयान न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि संवेदनहीन भी। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि आयातित कच्ची चीनी कांडला बंदरगाह पर दो माह से अधिक समय से पड़ी हुई हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार चीनी मिलों को इसके प्रसंस्करण की अनुमति नहीं दे रही है। पवार ने कहा कि अगर चीनी मिलों ने प्रसंस्करण किया होता तो हर महीने अतिरिक्त ढाई लाख टन चीनी की उपलब्धता बढ़ी होती और इससे कीमतें कम हुई होतीं। यूपी सरकार को कच्च्ची चीनी के प्रसंस्करण पर लगे प्रतिबंध को उठाए जाने के बारे में पत्र लिखे जाने का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि हम उन्हें समझा पाने में सफल नहीं रहे। उनके मुताबिक वे उत्तर प्रदेश की समस्या को मूल्य मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के साथ सुलझाएंगे। सीसीपी की कल बैठक होनी है जिसमें खाद्य सामग्रियों विशेषकर चीनी की मूल्य वृद्धि के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा। ज्ञात हो कि दिल्ली में खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 45 रुपये प्रति किलो चल रही है जो जनवरी 2009 के मुकाबले दोगुने से अधिक है। शरद पवार का बयान सार्वजनिक होने के कुछ ही देर बाद लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने एक बयान जारी कर यह कहते हुए उनकी खबर ली कि यह एक जिम्मेदार मंत्री का सबसे अधिक गैर जिम्मेदाराना और संवेदनहीन बयान है। बसपा प्रमुख ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के स्थान पर केंद्रीय मंत्री उकसावे वाले बयान देते रहे। उनके अनुसार केंद्रीय मंत्रियों के ऐसे बयानों ने कालाबाजारियों और जमाखोरों का मनोबल ही बढ़ाया कि मुद्रास्फीति मे अभी और वृद्धि होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों के असंतोष को देखते हुए उनकी सरकार ने प्रदेश में कच्च्ची चीनी के परिवहन को स्थगित करने का परामर्श रेलवे बोर्ड को दिया था।

सपा में फिर भारी पड़े अमर

नई दिल्ली, समाजवादी पार्टी के तीन अहम पदों से अमर सिंह के इस्तीफे पर मचे घमासान के बाद आखिर सुलह-सफाई का रास्ता निकल ही आया। इस पूरी तकरार में एक बार फिर अमर सिंह भारी पड़े। तल्ख तेवर दिखाने वाले प्रो. रामगोपाल यादव नरम पड़ गए तो उनके बयानों से आहत अमर सिंह ने भी उन्हें माफ कर दिया। हालांकि पार्टी के पदों से इस्तीफे पर वह कायम हैं। अमर के इस्तीफे के बाद से ही संकट में घिरी सपा के लिए सोमवार का दिन राहत भरा साबित हुआ, क्योंकि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव, महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और सपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष व मुलायम के सांसद बेटे अखिलेश यादव के बीच रास्ता निकालने पर बातचीत हो गई। उसके बाद अमर सिंह ने मीडिया में, खास तौर से समाचार चैनलों से बातचीत में कहा कि उनके मन में मुलायम के खिलाफ कुछ भी नहीं है। साथ ही सपा के किसी नेता से भी कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रो. यादव उनसे उम्र में बड़े हैं। उन्होंने टेलीफोन पर वार्ता में कहा है कि यदि उनकी बातों से उन्हें दुख पहंुचा है तो वह उसके लिए माफी चाहते हैं। लिहाजा उन्हें माफ कर दिया है। उन्हें मुलायम परिवार के सपा नेताओं से कोई गिला-शिकवा नहीं है और स्वास्थ्य सही रहा तो वह सैफई महोत्सव में भी शिरकत करेंगे। अमर सिंह ने यह भी दोहराया कि उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से ही इस्तीफा दिया है। लिहाजा इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। हालांकि मुलायम ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। सूत्रों की मानें तो अमर ने मुलायम से साफ कह दिया है कि इस्तीफा नहीं मंजूर हुआ तो भी वह न तो सपा संसदीय बोर्ड की बैठकों में भाग लेंगे और न ही प्रवक्ता या पार्टी महासचिव का दायित्व निभाएंगे। अमर ने कांग्रेस में जाने से भी इन्कार किया है। इस बीच, मुलायम ने इटावा में कहा कि सपा एक परिवार है, जहां सभी को अपनी बात कहने का हक है। परिवार एकजुट है और अमर व रामगोपाल में कोई मतभेद नहीं है। जबकि इस्तीफे के बाद अमर सिंह के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल चुके प्रो. रामगोपाल यादव के तेवर भी सोमवार को ठंडे पड़ गए। मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा, सपा में अमर को लेकर कोई विवाद नहीं है। बस इतनी सी बात है कि जहां चार बर्तन रहते हैं, वे खनकते हैं। सैफई महोत्सव के समापन में वह मुख्य अतिथि हैं, इसलिए समापन वही करेंगे।

हर की पैड़ी पर एक मिनट की डुबकी

महाकुंभ में हर श्रद्धालु इसी तमन्ना के साथ आएगा कि किसी भी तरह हर की पैड़ी में डुबकी लगा ले। इसलिए व्यवस्था यह की गई है कि कोई भी श्रद्धालु हर की पैड़ी पर एक मिनट से ज्यादा डुबकी नहीं लगा सकेगा। लिहाजा श्रद्धालुओं को भीगे बदन ही वहां आना होगा और कपड़े भी हर की पैड़ी से बाहर निकलकर बदलने होंगे। महाकुंभ में सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हर की पैड़ी पर स्नान करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। माइक्रो प्लॉन के तहत हर पांच मिनट में हर की पैड़ी पर साढे़ चार हजार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे, लेकिन सच ये है कि ये पांच मिनट सिर्फ स्नान करने के लिए नहीं बल्कि हरकी पैड़ी तक पहुंचने व डुबकी लगाकर बाहर जाने तक के होंगे। ऐसे में खुद ही समय की तेजी का अंदाजा लगाया जा सकता है। हरकी पैड़ी पर प्रवेश करते ही सुरक्षा एजेंसियों की घड़ी पांच मिनट की उल्टी गिनती शुरू कर देगी। कहा जा सकता है कि भागमभाग वाली स्थिति में डुबकी लगाने के बाद गीले कपड़ों में ही हर की पैड़ी से बाहर जाना होगा। पांच मिनट पूरे होते ही साढ़े चार हजार श्रद्धालुओं की नई खेप प्रवेश द्वार से फिर एंट्री कर जाएगी। श्रद्धालु तौलिए के अलावा अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकेंगे। इस बाबत आईजी गढ़वाल एमए गणपति ने बताया कि हर की पैड़ी के प्रवेश और निकास द्वार पर बैरिकेडिंग है। हर पांच मिनट में प्रवेश द्वार की बैरिकेडिंग से करीब साढ़े चार हजार लोगों को जाने दिया जाएगा। बैरिकेडिंग से छूटते ही श्रद्धालुओं के पास सिर्फ पांच मिनट का समय होगा। इन्हीं पांच मिनट में उन्हें न सिर्फ हर की पैड़ी तक पहुंचना होगा बल्कि स्नान कर बाहर भी जाना होगा। श्रद्धालु लगभग एक मिनट ही स्नान कर सकेंगे, जबकि दो-दो मिनट पहुंचने व जाने में लगेंगे।

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