दुनिया के लगभग सभी बड़े अख़बारों ने इस समारोह की रिपोर्टिंग की है ले
किन अपनी अपनी तरह से। ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अख़बार गार्डियनने शीर्षक लगाया है- इंडिया हेज एराइव्ड स्पेक्टुलर सेरेमनी ओपन्स कॉमनवेल्थ गेम्स यानी भारत विश्व पटल पर उभरा, बेहतरीन उदघाटन समारोह.
अख़बार लिखता है कि पिछले कुछ हफ्ते की चिंताओं को भारत के राष्ट्रीय गौरव और जश्न के माहौल ने धो दिया.
ब्रिटेन के अख़बार इंडिपेंडेंट ने उदघाटन समारोह को इंडिया की बजाय भार
त के नज़रिए से देखने की कोशिश की है.
अख़बार लिखता है कि जहां स्टेडियम में जश्न मनाया जा रहा था वहीं स्टेडियम से दूर ग़रीब परिवार अपनी झुग्गियों में बैठे टीवी पर समारोह देख रहे थे मानो इस जश्न में उनका कोई हिस्सा न हो.
एक और ब्रितानी अख़बार टेलीग्राफ़ के अनुसार- भारत ने उदघाटन समारोह के ज़रिए अपने दरवाज़े दुनिया के लिए खोले.
अख़बार कहता है कि उदघाटन के दौरान न तो कुछ टूटा फूटा, न ही साउंड सिस्टम गड़बड़ हुआ, न ही नृत्य में कोई लय टूटी और न ही आवारा कुत्ते दिखे.
चिंताएँ
गेम्स की तैयारियों से इसके विफल होने का अंदाजा लगता था लेकिन भारत को पता है कि कैसे शो पेश किया जाता है.
अमरीका के दो बड़े अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट लिखते हैं कि उदघाटन समारोह अच्छे रहे और अब आगे देखना है.
वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि दिक्कतों के बावजूद शुरुआत मज़बूत रही है और समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की पेशकश भी न भुलाने वाली.न्यूयार्क टाइम्स का शीर्षक है- एज गेम्स बिगिन, इंडिया होप्स टू सेव इट्स प्राइड यानी खेल शुरु और भारत को उम्मीद लाज बच जाएगी.
अख़बार की पूरी रिपोर्ट तैयारियों के दौरान हुई गड़बड़ियों पर केंद्रित है
.रिपोर्टर जिम यार्डले लिखते हैं कि ये खेल जो वैश्विक स्तर पर भारत की छवि बेहतर करने के लिए थे, राष्ट्रीय
शर्मिंदगी का सबब बन गए.
ऑस्ट्रेलियाई अख़बार सिडनी मॉर्निग हेराल्ड कहता है- समय है कॉमनवेल्थ गेम्स की विदाई का.
अख़बार पूरे राष्ट्रमंडल खेलों पर ही सवाल उठाते हुए तंज करता है कि खेल शुरु हो गए, हो जाने चाहिए लेकिन समय इन खेलों के यानी राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्ण रुप से ख़त्म हो जाने का है.
अख़बार के अनुसार इन खेलों में बहुत ही कम देश और उनके भी दूसरे
स्तर के एथलीट हिस्सा लेते हैं और दिल्ली में हुई समस्याएं दिखाती हैं अब ये खेल अपने अंतिम चरण में ही हैं. 
न्यूज़ीलैंड के अख़बार न्यूज़ी
लैंड हेराल्ड कहता है कि शोरगुल और रंगों के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स हुआ शुरु. अख़बार कहता है कि समारोह ने भारत जैसे विशाल देश की कई झलकें दिखाई हैं.
कनाडा के अख़बार टोरंटो स्टार ने उदघाटन समारोह की बड़ी तस्वीर छापी है और लिखा है समारोह ज़बर्दस्त शोर और रंगों के बीच शुरु तो हुआ लेकिन असल खेलों के लिए कितनी तैयारी है ये देखना बाकी है.

अख़बार लिखता है कि पिछले कुछ हफ्ते की चिंताओं को भारत के राष्ट्रीय गौरव और जश्न के माहौल ने धो दिया.
ब्रिटेन के अख़बार इंडिपेंडेंट ने उदघाटन समारोह को इंडिया की बजाय भार

अख़बार लिखता है कि जहां स्टेडियम में जश्न मनाया जा रहा था वहीं स्टेडियम से दूर ग़रीब परिवार अपनी झुग्गियों में बैठे टीवी पर समारोह देख रहे थे मानो इस जश्न में उनका कोई हिस्सा न हो.
एक और ब्रितानी अख़बार टेलीग्राफ़ के अनुसार- भारत ने उदघाटन समारोह के ज़रिए अपने दरवाज़े दुनिया के लिए खोले.

अख़बार कहता है कि उदघाटन के दौरान न तो कुछ टूटा फूटा, न ही साउंड सिस्टम गड़बड़ हुआ, न ही नृत्य में कोई लय टूटी और न ही आवारा कुत्ते दिखे.
चिंताएँ
गेम्स की तैयारियों से इसके विफल होने का अंदाजा लगता था लेकिन भारत को पता है कि कैसे शो पेश किया जाता है.
अमरीका के दो बड़े अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट लिखते हैं कि उदघाटन समारोह अच्छे रहे और अब आगे देखना है.

वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि दिक्कतों के बावजूद शुरुआत मज़बूत रही है और समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की पेशकश भी न भुलाने वाली.न्यूयार्क टाइम्स का शीर्षक है- एज गेम्स बिगिन, इंडिया होप्स टू सेव इट्स प्राइड यानी खेल शुरु और भारत को उम्मीद लाज बच जाएगी.
अख़बार की पूरी रिपोर्ट तैयारियों के दौरान हुई गड़बड़ियों पर केंद्रित है


ऑस्ट्रेलियाई अख़बार सिडनी मॉर्निग हेराल्ड कहता है- समय है कॉमनवेल्थ गेम्स की विदाई का.
अख़बार पूरे राष्ट्रमंडल खेलों पर ही सवाल उठाते हुए तंज करता है कि खेल शुरु हो गए, हो जाने चाहिए लेकिन समय इन खेलों के यानी राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्ण रुप से ख़त्म हो जाने का है.






कनाडा के अख़बार टोरंटो स्टार ने उदघाटन समारोह की बड़ी तस्वीर छापी है और लिखा है समारोह ज़बर्दस्त शोर और रंगों के बीच शुरु तो हुआ लेकिन असल खेलों के लिए कितनी तैयारी है ये देखना बाकी है.