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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009

दुनिया में गर्भपात की संख्या घटी




अमरीकी शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में दुनिया भर में गर्भपातों की संख्या में कमी आई है.

शोध में कहा गया कि जिन देशों में गर्भपात पर प्रतिबंध है, उन देशों में असुरक्षित गर्भपात की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई है.

अमरीका संस्था गटमाकर इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञों ने इस शोध के लिए अधिकृत आँकड़ों का विश्लेषण किया और ऐसे आँकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें उन समस्याओं का ज़िक्र किया गया था, जिनकी वजह अवैध रुप से किए गए गर्भपात हो सकती हैं.

शोधकर्ताओं का कहना है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि 1990 के दशक के मध्य के बाद से दुनिया भर में गर्भपातों की संख्या साढ़े चार करोड़ से घटकर चार करोड़ 10 लाख हो गई है.

उनका कहना है कि इसकी वजह गर्भनिरोधकों का प्रयोग बढ़ना हो सकता है. ख़ासकर पूर्वी यूरोप और अफ़्रीका में.

लेकिन उनका कहना है कि अभी भी असुरक्षित गर्भपात से हर साल 70 हज़ार मौतें हो जाती हैं.

इंस्टिट्यूट के प्रमुख डॉ शेरोन कैंप का कहना है कि गर्भनिरोधकों तक लोगों की पहुँच और गर्भपात की सुविधा को बढ़ाए जाने की ज़रुरत है.

इस शोध में बताया गया है कि किस तरह से 19 देशों ने गर्भपात के क़ानूनों में छूट दी है और तीन ने क़ानून को सख़्त बनाया है.

पोलैंड, अल सल्वाडोर और निकारागुआ में गर्भपात क़ानून सख़्त किए गए हैं और इन देशों में गर्भवती महिलाओं की मौत और नवयुवती की आत्महत्या की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.

ब्रिटेन नें भ्रूण का सम्मान करने की वकालत करने वाली एक संस्था 'कमेंट ऑन रिप्रोडक्टिव एथिक्स' का कहना है कि गर्भपात कोई हल नहीं है और यह महिलाओं को आज़ादी नहीं देता.


भारत में प्रकाश पर्व दीवाली की तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही है. इस अवसर पर दुकानों और बाज़ारों में चहल पहल तेज़ हो गई है.

वोटिंग में सिरसा टॉपर


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-


हरियाणा में 12वीं विधानसभा के चुनाव के लिए हुए मतदान में कुल 72.71 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया जबकि 1967 में सर्वाधिक मतदान 72.65 प्रतिशत था तथा 2005 में हुए आम चुनावों में मतदान 71.96 प्रतिशत था। सिरसा जिला के मतदाताओं ने इस बार जमकर मतदान में हिस्सा लिया। राज्य की चार सर्वाधिक मतदान वाली सीटें सिरसा जिला की हैं। प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक मतदान मंडी डबलाली में 87.25 प्रतिशत हुआ है। इस सीट पर इनेलो के प्रधान महासचिव अजय सिंह चौटाला और कांग्रेस के केवी सिंह के बीच मुकाबला है। दूसरे नंबर पर रानियां और तीसरे नंबर पर ऐलनाबाद सीट है। रानियां में 86.99 फीसदी और ऐलहनाबाद में 86.27 फीसदी मतदान हुआ है। रानियां में कांग्रेस के प्रत्याशी रणजीत सिंह (चौटाला के भाई) का मुकाबला इनेलो के कृष्ण कांबोज से है। इसी प्रकार ऐलनाबाद सीट पर इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल से है। चौथे नंबर पर कालांवाली सीट है जहां 83.52 मतदान हुआ है। यहां इनेलो के समर्थन से अकाली दल प्रत्याशी चरणजीत सिंह चन्नी का मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी सुशील इंदौरा से है। वैसे उचाना सीट पर जहां से ओम प्रकाश चौटाला का मुकाबला बीरेंद्र सिंह से है, पर भी मतदान का रिकार्ड बना है। यहां पर 83.31 प्रतिशत मतदान हुआ है। सिरसा जिला की केवल सिरसा सीट पर 76.99 प्रतिशत मतदान हुआ है। हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई के चुनाव क्षेत्र आदमपुर में भी 81.15 प्रतिशत मतदान रहा। नारायणगढ़ में 82.82 प्रतिशत, सढ़ौरा में 81.16 प्रतिशत,लाडवा में 81.55 प्रतिशत, पुंडरी में 83.16 प्रतिशत और टोहाना में 81.91 प्रतिशत मतदान रहा। उधर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनाव क्षेत्र गढ़ी सांपला में 69.54 प्रतिशत,बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला के चुनाव क्षेत्र कैथल में 77.41 प्रतिशत,विधानसभा स्पीकर डा.रघुबीर सिंह कादियान के चुनाव क्षेत्र बेरी में 70.32 प्रतिशत,सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह के चुनाव क्षेत्र रेवाड़ी में 73.35 प्रतिशत और खेल मंत्री किरण चौधरी के चुनाव क्षेत्र तोशाम में 68.94 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे कम मतदान गुड़गांव सीट पर 54.25 प्रतिशत रहा। राज्य में अब तक का सर्वाधिक मतदान 1967 में 72.65 प्रतिशत रिकार्ड किया गया था जबकि 1987 में 71.24 प्रतिशत, 1996 में 70.54 प्रतिशत और 1972 में 70.46 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया। इसी तरह 1968 के आम चुनावों में राज्य में 57.26 प्रतिशत न्यूनतम मतदान हुआ। जबकि वर्ष 1977 में 64.46 प्रतिशत, 1991 में 65.86 प्रतिशत, 2000 में 69.01 प्रतिशत और 1982 में 69.87 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया।

झींडा व छह साथी गुरु मर्यादा हनन के दोषी

अमृतसर( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एडहाक) के अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा व उनके छह साथी कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक गुरुद्वारे की मर्यादा भंग करने के दोषी करार दिए गए हंै। श्री अकाल तख्त साहिब ने झींडा व उसके साथियों पर पंद्रह नवंबर के बाद पांच सिंह साहिबान की होने वाली बैठक तक फैसला सुरक्षित रख लिया है। श्री अकाल तख्त साहिब के इतिहास में पहली बार है कि धार्मिक दोषी तय करने के बावजूद पांच सिंह साहिबान ने मामला सुरक्षित रख लिया हो। श्री अकाल तख्त साहिब में दोषी पाए जाने के बाद तत्काल धार्मिक सजा का प्रावधान है। झींडा ने सिंह साहिबान द्वारा दिए गए फैसले को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें जो भी धार्मिक सजा लगाई जाएगी, वह स्वीकार करेंगे। लेकिन हरियाणा कमेटी की मांग पर वह डटे हुए हंै। झींडा व उसके साथियों के साथ हरियाणा से भारी संख्या में संगत भी आई हुई थी। टास्क फोर्स के कर्मचारी मानव श्रृंखला बनाकर पूरी परिक्रमा में तैनात थे। झींडा व उनके छह साथियों को इसी परिक्रमा से होते हुए श्री अकाल तख्त साहिब सचिवालय में पहुंचना पड़ा। हरियाणा से आई संगत ने इसका विरोध किया। छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी से संबंधित कुरुक्षेत्र के गुरुद्वारे में झींडा व उसके साथियों ने 13 सितंबर को कब्जा करने का प्रयास किया था। गुरु मर्यादा भंग करने के आरोप में श्री अकाल तख्त साहिब ने झींडा व उसके साथियों को श्री अकाल तख्त साहिब में तलब किया था। इस मामले की सुनवाई दो अक्टूबर को हुई थी। जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी। श्री अकाल तख्त साहिब ने इस मामले की जांच करवाई। बुधवार को पांच सिंह साहिबान की बैठक में जांच के निष्कर्ष को रखा गया। पांच सिंह साहिबान तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, तख्त श्री केस गढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी तरलोचन सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी बलवंत सिंह नंदगढ़ व हजूर साहिब के उप जत्थेदार ज्ञानी जतिंदर सिंह ने रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के बाद झींडा व उनके छह साथियों को दोषी पाया। जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने पत्रकारों को बताया कि एसजीपीसी सदस्य झींडा, उसके साथी अवतार सिंह चक्कू, कंवलजीत सिंह अजराना, जोगा सिंह यमुनानगर व हजूर सिंह नंबरदार ने 13 सितंबर को कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक गुरुद्वारे में कब्जा कर सिख मर्यादाओं की घोर अवमानना की है। इन सभी को पंद्रह नवंबर के बाद आयोजित होने वाली पांच सिंह साहिबान की बैठक में धार्मिक दंड दिया जाएगा। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने बताया कि एसजीपीसी का विभाजन कभी नहीं होने दिया जाएगा। अलग एसजीपीसी की मांग बेबुनियाद है। हरियाणा की कांग्रेस सरकार सिखों के धार्मिक मामलों में दखल न दें। शिरोमणि कमेटी हरियाणा के सिखों की सभी धार्मिक व सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा कर रही है। ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब जी के नाम की जायदाद किसी को बेचने का अधिकार नहीं है। कोलकाता में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के नाम के एक अस्थान को नानकसर कलेरा वालों को बेच दिया गया है। इस संदर्भ में कलेरावालों को निर्देश दिए गए है कि वहां पर संगत के लिए गुरुद्वारे का ही निर्माण किया जाए। श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जसविंदर सिंह के विरुद्ध प्राप्त हुई शिकायत के बारे में उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है। उसके बाद ही कोई निर्णय किया जाएगा।

पीओके में पैर रखने से बाज आए चीन


नई दिल्ली( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन की चिकचिक से चिढ़े भारत ने बुधवार को मौका पाते ही जोरदार पलटवार किया। वह भी उसी की जुबान में। गुलाम कश्मीर में कारोबारी सक्रियता बढ़ाने के लिए भारत ने चीन को उसी अंदाज में झिड़का, जिसमें बीजिंग ने मंगलवार को अरुणाचल पर टिप्पणी की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा, भारत के साथ दीर्घकालिक संबंधों का खयाल कर बीजिंग पाक के नाजायज कब्जे वाले क्षेत्र से अपनी गतिविधियां समेट ले। सन 1947 से ही इस क्षेत्र पर पाक ने कब्जा कर रखा है और इसे लेकर भारत के रुख से चीन अनजान भी नहीं है। गुलाम कश्मीर में बीजिंग की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंता से भी चीनी सरकार वाकिफ है। चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से भेंट के दौरान मंगलवार को कहा था कि चीन गुलाम कश्मीर में चल रही अपनी परियोजनाओं में दिलचस्पी बनाए रखेगा। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी का साफ मतलब था कि चीन ने पाकिस्तान को यह आश्वासन सोची- समझी नीति के तहत ही दिया था। अरुणाचल प्रदेश में पीएम की मौजूदगी पर अंगुली उठाने के बाद चीन के शीर्षस्थ नेतृत्व की इस टिप्पणी को भारत की अखंडता पर प्रहार के रूप में देखा गया। भारत ने इसे गुलाम कश्मीर को मान्यता देने की चीनी कोशिश के तौर पर भी देखा। कश्मीरियों को पासपोर्ट की जगह अलग पन्ने पर वीजा देकर चीन ने अपनी गलत मंशा का संकेत पहले ही दे दिया था। अब तो उस पर मुहर ही लगती जा रही है। अरुणाचल मामले में प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने जिस तरह भारत को संबंधों की दुहाई दी थी, दिल्ली ने भी उसे उन्हीं संबंधों की याद ताजा कराई। संकेत दे दिया गया कि रिश्तों को लंबे समय तक चलाने के लिए ऐसी हरकतों से बाज आना होगा। दरअसल, विदेश मंत्रालय ने चीन की असलियत सामने लाने की कोशिश की है। बीजिंग को दोहरा गुनाह याद दिलाने के मकसद से विदेश मंत्रालय का बयान काफी अहम था। भारत के अखंड हिस्से पर हक जमाने का गुनाह तो चीन कर ही रहा है, वह गुलाम कश्मीर के उस विवाद को जटिल बनाने पर भी तुला हुआ है जो पूरी तरह से द्विपक्षीय है।

कश्मीर पर होगी सीधी बात


श्रीनगर( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)-
केंद्र सरकार ने कहा है कि कश्मीर मसले के राजनीतिक हल के लिए अलगाववादियों समेत सभी विचारधारा के लोगों से बात की जाएगी, लेकिन बिना शोरगुल के। अबकी बातचीत जुबानी कवायद नहीं होगी। गृहमंत्री पी.चिंदबरम ने बुधवार को अखिल भारतीय एडिटर्स कांफ्रेंस के दौरान संपादकों और पत्रकारों से बातचीत में कहा, कश्मीर में राजनीतिक समस्या है। इसका समाधान निकालना होगा। प्रधानमंत्री इस संबंध में सरकार की नीतियों को कई बार स्पष्ट कर चुके हैं। चिदंबरम ने कहा,वार्ता से न तो हम डरते हैं, ना ही हिचकते हैं। राजनीतिक विचारधारा वाले सभी वर्गो से बातचीत की जाएगी। यहां कांग्रेस,पीडीपी, नेकां जैसी पार्टियां हैं जिनकी सोच अलग अलग है। कुछ दल अलगाववाद की वकालत भी करते हैं। हम सभी से वार्ता को तैयार हैं। गृहमंत्री ने प्रस्तावित वार्ता के स्वरूप के बारे में कुछ बताने से इनकार करते हुए कहा कि मीडिया की चकाचौंध में वार्ता नहीं महज प्रदर्शन हो सकता है। वार्ता पूरी खामोशी के साथ होगी। एक शख्स की एक से। दो लोगों की दो लोगों से। खामोशी की इस कूटनीति पर केंद्र सरकार तब तक बात आगे बढ़ती रहेगी,जब तक कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकल आता। और, एक बार जब राजनीतिक समाधान निकल आएगा, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। कश्मीर समस्या का समाधान भी अपने आप में अलग होगा क्योंकि यहां का इतिहास और भौगोलिक स्वरूप भी औरों से अलग है। इस बात का विशेष ख्याल रखना होगा कि जो समाधान निकले,वह बहुसंख्यक समाज को स्वीकार्य हो। अन्य क्षेत्रों का फार्मूला यहां लागू नहीं किया जा सकता। चिंदबरम ने इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया कि क्या सरकार ने वार्ता के लिए हुर्रियत को आमंत्रित किया गया है। गृहमंत्री ने कहा,जम्मू-कश्मीर के हालात में उल्लेखनीय सुधार आया है। गत छह माह के दौरान हिंसक घटनाओं में आई कमी इसकी गवाही है। गत आठ-नौ सालों के मुकाबले हिंसा में कमी आई है। चिदंबरम ने हालांकि सीमा पार से घुसपैठ हो रही है। पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में युवकों की भर्ती हो रही है, उनका बे्रनवाश कर उन्हें जिहाद के नाम पर यहां भेजा जा रहा है लेकिन सुरक्षाबल इन तथाकथित आतंकी कमांडरों को साल-छह महीने में मार गिराते हैं। सुरक्षाबल आतंकरोधी अभियानों और घुसपैठ को रोकने की अपनी कोशिशों में लगातार बेहतर हो रहे हैं।

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