

अमरीकी शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में दुनिया भर में गर्भपातों की संख्या में कमी आई है.
शोध में कहा गया कि जिन देशों में गर्भपात पर प्रतिबंध है, उन देशों में असुरक्षित गर्भपात की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई है.
अमरीका संस्था गटमाकर इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञों ने इस शोध के लिए अधिकृत आँकड़ों का विश्लेषण किया और ऐसे आँकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें उन समस्याओं का ज़िक्र किया गया था, जिनकी वजह अवैध रुप से किए गए गर्भपात हो सकती हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि 1990 के दशक के मध्य के बाद से दुनिया भर में गर्भपातों की संख्या साढ़े चार करोड़ से घटकर चार करोड़ 10 लाख हो गई है.
उनका कहना है कि इसकी वजह गर्भनिरोधकों का प्रयोग बढ़ना हो सकता है. ख़ासकर पूर्वी यूरोप और अफ़्रीका में.
लेकिन उनका कहना है कि अभी भी असुरक्षित गर्भपात से हर साल 70 हज़ार मौतें हो जाती हैं.
इंस्टिट्यूट के प्रमुख डॉ शेरोन कैंप का कहना है कि गर्भनिरोधकों तक लोगों की पहुँच और गर्भपात की सुविधा को बढ़ाए जाने की ज़रुरत है.
इस शोध में बताया गया है कि किस तरह से 19 देशों ने गर्भपात के क़ानूनों में छूट दी है और तीन ने क़ानून को सख़्त बनाया है.
पोलैंड, अल सल्वाडोर और निकारागुआ में गर्भपात क़ानून सख़्त किए गए हैं और इन देशों में गर्भवती महिलाओं की मौत और नवयुवती की आत्महत्या की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.
ब्रिटेन नें भ्रूण का सम्मान करने की वकालत करने वाली एक संस्था 'कमेंट ऑन रिप्रोडक्टिव एथिक्स' का कहना है कि गर्भपात कोई हल नहीं है और यह महिलाओं को आज़ादी नहीं देता.