

डॉ सुखपाल सावंत खेडा
बाढ़ का पानी इकट्ठा हो जाने से हैज़ा जैसी बीमारियाँ फैलने का डर रहता है
भारत के उड़ीसा राज्य में सरकार ने ऐसे किसी भी व्यक्ति को ईनाम देने की घोषणा की है जो हैज़ा के किसी भी मरीज़ को अस्पताल तक पहुँचाएगा.
राज्य में हाल ही में हैज़ा के तीन मरीज़ पाए गए थे जिसके बाद सरकार ने यह 200 रुपए का ईनाम देने की घोषणा की है.
सरकार को उम्मीद है कि इस ईनाम की घोषणा करने के बाद आम लोग ऐसे लोगों की सूचना अस्पताल को देंगे या ऐसे मरीज़ों को अस्पताल में दाख़िल कराएंगे जो हैज़े जैसी महामारी से पीड़ित हैं.
उड़ीसा में हाल के समय में दस्त और पेचिस लगने से 26 लोगों की मौत हो गई थी.
ये मौतें कालाहांडी ज़िले के अनेक गाँवों में हुई थीं. हैज़े के तीन मरीज़ों के ये मामले भी कालाहांडी ज़िले में सामने आए हैं जो भारत के सबसे ग़रीब ज़िलों में से एक माना जाता है.
जानलेवा
हैज़ा आमतौर पर बाढ़ आने के बाद जमा हो चुके पानी की वजह से होता है. यह पानी प्रदूषित हो जाता है और उस का इस्तेमाल करने से आदमी को हैज़ा हो जाता है.
हैज़ा के मरीज़ अस्पताल में ईलाज कराने के बजाय सिर्फ़ प्रार्थना का सहारा लेते हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि ईश्वर के प्रकोप की वजह से ही हैज़ा जैसी बीमारी फैलती है
उड़ीसा के सरकारी अधिकारी
अगर हैज़ा की बीमारी का तुरंत इलाज ना किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है.
उड़ीसा के स्वास्थ्य मंत्री प्रसन्ना आचार्य ने कहा है कि हैज़ा के जिन मरीज़ों का सरकारी अस्पतालों में इलाज किया जाएगा और ठीक समझकर अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी, उन्हें भी 200 रुपए की ईनाम राशि दी जाएगी. इसके अलावा कुछ कपड़े वग़ैरा भी दिए जाएंगे.
अधिकारियों ने कहा है कि सरकार इस ईनाम की घोषणा करने के लिए इसलिए बाध्य हुई है क्योंकि बहुत से गाँवों में लोग हैज़ा फैलने की सूचना सरकार को नहीं देते हैं और यहाँ तक कि हैज़ा के मरीज़ अस्पतालों में इलाज के लिए भी जाना पसंद नहीं करते.
अधिकारियों के अनुसार, "हैज़ा के मरीज़ अस्पताल में इलाज कराने के बजाय सिर्फ़ प्रार्थना का सहारा लेते हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि ईश्वर के प्रकोप की वजह से ही हैज़ा जैसी बीमारी फैलती है."
वर्ष 2007 में कालाहांडी, बोलांगीर और कोरापुट ज़िलों में वर्ष 2007 में भी हैज़ा फैला था जिसमें 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.