डबवाली-डबवाली के साथ लगते किलियांवाली मण्डी क्षेत्र से गौवंश का वध हेतु ले जाया जाना अभी भी जारी है। हालांकि गौ तस्करों ने अब अपनी रणनीति में बदलाव कर लिया है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले तो भारी तादाद में गौवंश ट्रकों एवं कैंटरों में ठूंस-ठूंस भर कर उत्तर प्रदेश खुले तौर पर वधशालाओं में ले जाया जाता रहा है। डबवाली में जब गौ हत्या काण्ड का खुलासा हुआ तब जहां क्षेत्र के सामाजिक, धाॢमक संगठनों के पदाधिकारियों की आँख खुली वहीं युवाओं ने भी अपने स्तर पर संगठन बनाकर इस गौरखधन्धे पर नकेल कसने का अच्छा खासा प्रयास किया। जिसके चलते ये युवक सप्ताह में दो-तीन दिन जब मेले दौरान पशुओं का आवागमन ज्यादा होता है तब मुख्य मार्गों पर नाकाबन्दी करके इस कृत्य पर लगाम कसने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त फतेहाबाद व हिसार जिलों में भी कुछ स्थानों पर युवाओं के संगठनों ने गौवंश ले जाने वालों की जाँच पड़ताल अपने स्तर पर शुरू कर दी व शक्कशुबहा वाले गौवंश को ट्रकों से उतारना भी शुरू कर दिया था।
लेकिन अब अधिकांश स्थानों पर युवाओं द्वारा स्थापित की गई समितियां इस कार्य से लगभग पीछे हट चुकी हैं तथा गौवंश तस्करों का धन्धा अब बेरोकटोक जारी है। मजेदार पहलु यह है कि गौ तस्कर डबवाली से फतेहाबाद के आस-पास की बिल्टी ही कैंटरों एवं ट्रकों की बनाते हैं तथा यहां से कैंटर में तीन व ट्रक में छ: गाय ले जाते हैं। वहां से अन्य वाहनों में दस-दस, बारह-बारह गौ वंश को ठूंस कर वधशालाओं तक ले जाया जाता है। दुधारू गायों के बछड़ा-बछड़ी की टांगे बांध कर ट्रक के टूल में फेंक दिए जाते हैं। इस प्रकार समाज सेवा के नाम पर फतेहाबाद के आस-पास के युवा अब अपनी रूचि छोड़ चुके हैं। जिसके चलते गौवंश तस्करों को मनमाने ढंग से फतेहाबाद के आस-पास के इलाकों में वाहनों में पलटी करके गौवंश को उत्तर प्रदेश ले जाना सुगम हो गया है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले तो भारी तादाद में गौवंश ट्रकों एवं कैंटरों में ठूंस-ठूंस भर कर उत्तर प्रदेश खुले तौर पर वधशालाओं में ले जाया जाता रहा है। डबवाली में जब गौ हत्या काण्ड का खुलासा हुआ तब जहां क्षेत्र के सामाजिक, धाॢमक संगठनों के पदाधिकारियों की आँख खुली वहीं युवाओं ने भी अपने स्तर पर संगठन बनाकर इस गौरखधन्धे पर नकेल कसने का अच्छा खासा प्रयास किया। जिसके चलते ये युवक सप्ताह में दो-तीन दिन जब मेले दौरान पशुओं का आवागमन ज्यादा होता है तब मुख्य मार्गों पर नाकाबन्दी करके इस कृत्य पर लगाम कसने का प्रयास किया। इसके अतिरिक्त फतेहाबाद व हिसार जिलों में भी कुछ स्थानों पर युवाओं के संगठनों ने गौवंश ले जाने वालों की जाँच पड़ताल अपने स्तर पर शुरू कर दी व शक्कशुबहा वाले गौवंश को ट्रकों से उतारना भी शुरू कर दिया था।
लेकिन अब अधिकांश स्थानों पर युवाओं द्वारा स्थापित की गई समितियां इस कार्य से लगभग पीछे हट चुकी हैं तथा गौवंश तस्करों का धन्धा अब बेरोकटोक जारी है। मजेदार पहलु यह है कि गौ तस्कर डबवाली से फतेहाबाद के आस-पास की बिल्टी ही कैंटरों एवं ट्रकों की बनाते हैं तथा यहां से कैंटर में तीन व ट्रक में छ: गाय ले जाते हैं। वहां से अन्य वाहनों में दस-दस, बारह-बारह गौ वंश को ठूंस कर वधशालाओं तक ले जाया जाता है। दुधारू गायों के बछड़ा-बछड़ी की टांगे बांध कर ट्रक के टूल में फेंक दिए जाते हैं। इस प्रकार समाज सेवा के नाम पर फतेहाबाद के आस-पास के युवा अब अपनी रूचि छोड़ चुके हैं। जिसके चलते गौवंश तस्करों को मनमाने ढंग से फतेहाबाद के आस-पास के इलाकों में वाहनों में पलटी करके गौवंश को उत्तर प्रदेश ले जाना सुगम हो गया है।