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बुधवार, 14 अक्टूबर 2009

जनता का फैसला ईवीएम में सील


हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार हुए मतदान में 69.40 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। सर्वाधिक 85 प्रतिशत मतदान रानिया विधानसभा क्षेत्र में रिकार्ड किया गया जबकि न्यूनतम 54 प्रतिशत खरखौदा क्षेत्र में रहा। महाराष्ट्र व अरुणाचल प्रदेश में भी विधानसभा के लिए वोट पड़े। सभी जगहों पर मतगणना 22 अक्टूबर को होगी। प्रदेश के मतदाताओं ने 90 विधानसभा सीटों के लिए 1222 प्रत्याशियों और प्रमुख सियासी पार्टियों कांग्रेस, इनेलो, हजकां, भाजपा और बसपा का भविष्य तय कर दिया है। हिसार में 73.57 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। आदमपुर हलके में 81.10 प्रतिशत दर्ज किया गया। भिवानी में जिले की छह विधानसभा सीटों के लिए करीब 69 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि दादरी में मतदान का प्रतिशत बढ़कर 70 फीसदी तक पहुंच गया। झज्जर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में कुल 65.75 प्रतिशत मतदान हुआ। बहादुरगढ़ में 64, बादली में 65, झज्जर (आरक्षित) में 66 तथा बेरी में 67 में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। फतेहाबाद में 72 फीसदी, रतिया में 79.65 तथा टोहाना में 82.84 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। फतेहाबाद हलके के गांव पीली मंदौरी में 90.93 प्रतिशत वोट पोल हुए। करनाल जिले के इंद्री हलके में 70, घरौंडा में 67, नीलोखेड़ी में 63, करनाल में 61 और असंध में 64 फीसदी वोट पड़े। जींद जिले में सबसे अधिक मतदान उचाना और नरवाना में 75 प्रतिशत हुआ। जींद और जुलाना में 70 और सफीदों में 73 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले। कुरुक्षेत्र जिले में 75 प्रतिशत वोट पड़े, जिनमें से लाडवा और बाबैन में 80 फीसदी मतदान रहा। कैथल जिले में 74 फीसदी मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचे, जिनमें कैथल विधानसभा क्षेत्र में 71, गुहला-चीका में 72, कलायत में 77 और पूंडरी में 78 प्रतिशत वोट पड़े। यमुनानगर जिले में 78 प्रतिशत वोट पड़े। सबसे ज्यादा 81 प्रतिशत वोट रादौर में और साढौरा में 80, जगाधरी में 80 और यमुनानगर में 73.43 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। अंबाला जिले में 74 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले, जिनमें नारायणगढ़ में 80, अंबाला छावनी में 67, मुलाना (आरक्षित) में 80 और अंबाला शहर में 70 वोट शामिल हैं। पानीपत जिले में 69 फीसदी मतदान हुआ। पानीपत ग्रामीण में सबसे ज्यादा 76, पानीपत शहरी में 65, इसराना में 69 और समालखा में 68 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। राज्य में अब तक का सर्वाधिक मतदान 1967 में 72.65 प्रतिशत रिकार्ड किया गया था जबकि 1987 में 71.24 प्रतिशत, 1996 में 70.54 प्रतिशत और 1972 में 70.46 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया। इसी तरह 1968 के आम चुनावों में राज्य में 57.26 प्रतिशत न्यूनतम मतदान हुआ। जबकि वर्ष 1977 में 64.46 प्रतिशत, 1991 में 65.86 प्रतिशत, 2000 में 69.01 प्रतिशत और 1982 में 69.87 प्रतिशत वोट पड़े थे। नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने बताया कि महाराष्ट्र में साठ फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में 72 प्रतिशत मतदान हुआ।

इनेलो प्रमुख नहीं डाल पाए वोट


यह संयोग ही रहा कि इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला भी मतदान नहीं कर पाए। बताया जाता है कि चौटाला अपने विस क्षेत्र उचाना कलां में व्यस्त रहे, इसलिए मतदान नहीं कर पाए। हालांकि इनेलो के महासचिव अजय चौटाला अपने परिजनों के साथ सिरसा में पोलिंग बूथ पर वोट डालने के लिए पहुंचे। हुड्डा ने सांघी में डाले वोट : कार्यवाहक मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने परिवार के साथ पैतृक गांव सांघी में सुबह सवा दस बजे मतदान किया। मंगलवार सुबह हुड्डा अपनी मां हरदेई देवी, पत्नी आशा हुड्डा व सांसद पुत्र दीपेंद्र के साथ गांव सांघी पहुंचे। युवाओं में रहा उत्साह : पहली बार वोट डालने वालों का अलग ही अनुभव रहा। पोलिंग बूथों पर भी युवक व युवतियों की लंबी कतारें देखी गईं।

लुधियाना और जगराओं से 650 क्विंटल मिठाई जब्त


सेहत विभाग की टीम ने मंगलवार को महानगर और जगराओं प्रत्येक के दो कोल्ड स्टोरों पर छापेमारी कर 650 क्विंटल मिठाई जब्त की है। सिविल सर्जन डा. मनिंदर सिंह ने आज यहां बताया कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डा. यूएस सूच ने जगराओं के कोल्ड स्टोरों में छापेमारी की, जबकि डा. दलजीत कोछड़ की अगुवाई में फूड इंस्पेक्टर कमलप्रीत सिंह और अभिनव खोसला ने बस्ती जोधेवाल इलाके के कोल्ड स्टोर में छापेमारी की। जगराओं में विभाग ने दो कोल्ड स्टोरों से दो क्विंटल खोया, एक क्विंटल बर्फी और भारी मात्रा में रसगुल्ले जब्त किए हैं। सभी मिठाइयों के सैंपल लैब में भेज दिए गए हैं। उधर, महानगर की टीम ने जोधेवाल बस्ती इलाके के दो कोल्ड स्टोरों से साढ़े छह सौ क्विंटल मिठाई बरामद की है। इसमें बर्फी, खोया, छेना, रसगुल्ले, चमचम और पेठा शामिल हैं। सभी चीजों के सैंपल प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि कोल्ड स्टोरों में रखी हुई बर्फी व अन्य मिठाइयों में फफूंदी लगी हुई थी।

मतदाताओं ने अपना फैसला दे दिया


अगले पांच साल किस राजनीतिक दल की सरकार होगी, हरियाणा के मतदाताओं ने अपना फैसला दे दिया है। लगभग एक माह की गहमागहमी के बाद विधानसभा चुनाव के लिए आज मंगलवार को वोट पड़ गए। प्रदेशभर में लगभग 69.40 प्रतिशत मतदान हुआ। सर्वाधिक 85 प्रतिशत मतदान रानियां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में रिकार्ड किया गया जबकि न्यूनतम मतदान खरखौदा निर्वाचन क्षेत्र में 54 प्रतिशत रहा। मतदाताओं ने 90 विधानसभा सीटों के लिए 1222 प्रत्याशियों और प्रमुख सियासी पार्टियों कांग्रेस, इनेलो, हजकां, बीजेपी और बसपा का भविष्य तय कर दिया है। किसके भाग्य में जीत है और किसके भाग्य में हार, यह फैसला 22 अक्टूबर को मतगणना के दिन सामने आएगा। जिन प्रत्याशियों का भविष्य वोटिंग मशीन में कैद हुआ है, उनमें गढ़ी सांपला सीट से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उचाना व ऐलनाबाद से इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला, आदमपुर से हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई, मुलाना सीट से कांग्रेस अध्यक्ष फूलचंद मुलाना व बीएसपी के अध्यक्ष प्रकाश भारती, तिगांव सीट से बीजेपी के अध्यक्ष कृष्णपाल गुज्जर, गन्नौर से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, बेरी से विधानसभा स्पीकर रघुबीर सिंह कादियान, उचाना से वित्तमंत्री बीरेंद्र सिंह, कैथल से बिजली मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, रेवाड़ी से सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव, तोशाम से खेल मंत्री किरण चौधरी और मंडी डबवाली से इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अजय सिंह चौटाला शामिल हैं। राज्य में अब तक का सर्वाधिक मतदान 1967 में 72.65 प्रतिशत हुआ था। 1987 में 71.24 प्रतिशत, 1996 में 70.54 प्रतिशत व 1972 में 70.46 प्रतिशत रिकार्ड किया गया। इसी तरह 1968 के आम चुनावों में राज्य में 57.26 प्रतिशत न्यूनतम मतदान हुआ। जबकि वर्ष 1977 में 64.46 प्रतिशत, 1991 में 65.86 प्रतिशत, 2000 में 69.01 प्रतिशत व 1982 में 69.87 प्रतिशत।

चीन की चिकचिक पर भारत का पलटवार


नई दिल्ली अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की साजिश का ताजा प्रमाण मंगलवार को दुनिया के सामने आ गया। राज्य में विस चुनाव के मतदान वाले दिन ही उसने नाहक एक मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सूबे के दौरे पर बीजिंग ने आंखें तरेर दीं। अरुणाचल पर अपना दावा ठोंकने वाले चीन को सूबे में चुनाव जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया फूटी आंख नहीं सुहा रही थी। मजबूरी यह भी थी कि वह इसका सीधे- सीधे विरोध भी नहीं कर पा रहा था। लिहाजा अपने इस विरोध का इजहार करने के लिए उसने यह तरीका चुना। राज्य में प्रधानमंत्री की चुनावी रैली दस दिन पहले हुई थी, लेकिन चीन ने उस पर आपत्ति जताने के लिए मंगलवार को वोटिंग का दिन चुना। भारत के शीर्षस्थ नेतृत्व की अरुणाचल यात्रा पर अंगुली उठा कर चीन ने सीधे-सीधे यह संदेश दे दिया है कि अरुणाचल भारत का हिस्सा है ही नहीं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बड़े तल्ख अंदाज में अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि इस विवादास्पद क्षेत्र में भारतीय नेता की यात्रा पर उनके मुल्क को गहरी आपत्ति है। भारतीय पक्ष चीन की गंभीर चिंता पर ध्यान दे और विवादित क्षेत्र में अड़चन पैदा न करे ताकि दोनों मुल्कों के बीच रिश्ते मजबूत किए जा सकें। चीन की इस हरकत पर भारतीय खेमे ने भी काफी सटीक प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने पलटवार में कहा, इस तरह की टिप्पणी भी सीमा विवाद हल करने में कोई मदद करने वाली नहीं है। विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा और प्रकाश दोनों ने ही चीन को संदेश दे दिया कि अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा है। इसके लिए भारतीय खेमे ने मतदान का सहारा भी लिया। सूबे में सत्तर फीसदी लोग मतदान में हिस्सा ले रहे हैं, क्या यह चीन को सटीक जवाब नहीं है? चीन के बयान पर औपचारिक विरोध भी दर्ज कराया गया। भारत में चीन के राजदूत झांग यान को साउथ ब्लाक तलब कर विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) विजय गोखले ने उनके मुल्क से आई प्रतिक्रिया पर गहरी आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने चीन के कथन पर गहरी निराशा व्यक्त की और कहा, कहीं भी चुनाव में भारतीय नेता देश के दौरे इसी तरह करते हैं। उन्होंने कह दिया कि भारत और चीन संयुक्त तौर पर इस बात के लिए राजी हुए थे कि दोनों सरकारों द्वारा नियुक्त विशेष प्रतिनिधि सीमा के सवाल पर चर्चा करेंगे और बीजिंग का इस तरह का बयान प्रक्रिया में सहयोग नहीं करता। जाहिर है, यह चीन के प्रवक्ता को ही जवाब था जिन्होंने भारत को रिश्ते सुधारने के लिए सहयोग करने को कहा था। इससे पहले चीन ने राष्ट्रपति के अरुणाचल दौरे पर इसी तरह से आपत्ति जताई थी। हाल ही में चीनी दूतावास की ओर से जम्मू-कश्मीर के के नागरिकों को पासपोर्ट पर वीजा स्टांप लगाने की जगह अलग कागज पर वीजा जारी करने का मामला सामने आया था। वह अक्सर अलग-अलग तरीके से भारत की राह में रोड़े अटकाता रहा है।

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