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गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

अब राठौर के रक्षकों की बारी

नई दिल्ली, रुचिका मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को बचाने वाले सीबीआई के तत्कालीन अफसरों पर भी गाज गिर सकती है। राठौर को बचाने वाले अफसरों की पहचान के लिए सीबीआई ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है। अभियोजन निदेशक अब्दुल अजीज इस जांच की कमान संभाल रहे हैं। सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक आरएम सिंह के इस खुलासे कि राठौर ने उन्हें केस कमजोर करने के लिए रिश्वत देने की कोशिश भी की थी, से सकते में आई सीबीआई ने राठौर के मददगार दागी अफसरों की खोज शुरू कर दी है। रुचिका मामले में जांच करने वाले सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी राजेश रंजन ने दैनिक जागरण से कहा था कि उन्हें राठौर के खिलाफ खुदकुशी के लिए मजबूर किए जाने का ठोस सुबूत नहीं मिला था। उन्होंने बयान न देने के लिए रुचिका के भाई आशु को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। वहीं, सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आरके राघवन और तत्कालीन कानूनी सलाहकार एसके शर्मा ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस केस के बारे में कुछ भी याद नहीं है। अब अब्दुल अजीज की जांच के बाद इन अफसरों की असली भूमिका का खुलासा होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस समय केस की जांच सीबीआई के पास आई थी, उस समय तक रुचिका खुदकुशी कर चुकी थी। सारे सुबूत राठौर को जिम्मेदार ठहरा रहे थे, लेकिन सीबीआई ने न केवल राठौर को आरोप से मुक्त किया बल्कि अदालत में लिखित विरोध कर राठौर की राह आसान कर दी। जाहिर है अपनी जिम्मेदारी से सीबीआई के तत्कालीन अधिकारी बच नहीं सकते। समस्या यह है कि इस केस से संबंधित ज्यादातर अधिकारी या तो सेवानिवृत्त हो चुके है या फिर मूल कैडर में लौट गए हैं। ऐसे में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सबसे पहले यही पता लगाना होगा कि किन अफसरों ने राठौर की मदद की।

कट्रीना के दीवानों ने लांघी सरहद

अमृतसर, मुंबई में नए साल का जश्न देखने और खासकर बालीवुड अभिनेत्री कट्रीना कैफ से मिलने की ललक में पाकिस्तान के चार छात्र सरहद पार कर भारत चले आए। भला हो बीएसएफ का कि उन्होंने वार्निग दी और चारों जहां के तहां थम गए, नहीं तो उन पर गोलियां भी चलाई जा सकती थीं। पाकिस्तान के शेखूपुरा में रहने वाले मोहम्मद सहबाग (17) आसिफ(18) बिलाल(18) और मुहम्मद अली (18) एक ही स्कूल में पढ़ते हैं। इन्हें सिर्फ इतना पता था कि भारत में नए साल का जश्न बहुत मस्ती से मनाया जाता है। इस जश्न में शामिल होने के साथ-साथ वे कट्रीना से मिलने के लिए भी बेकरार थे। चारों दोस्तों ने 27 दिसंबर 2009 को प्लानिंग की और कंटीली तार क्रास कर भारत में प्रवेश कर गए। पाक की ओर कंटीली तार नहीं लगी है। वे पाक रेंजर्स को धोखा दे देने में सफल रहे, मगर बीएसएफ की आंखों में धूल नहीं झोंक सके। रात में शाल लपेटे चारों लड़कों को बीएसएफ ने पुल कंजरी के निकट संदिग्ध हालत में देखा तो रुकने की हिदायत दी। बीएसएफ ने हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ शुरू की तो चारों ने बताया कि उन्होंने सुना है कि भारत में नए साल का जश्न बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और मुंबई में तो इसका अंदाज ही जुदा होता है। यह जश्न देखने के साथ ही वे कट्रीना कैफ से भी मिलना चाहते थे। इसलिए उन्होंने प्लान बनाया कि इस बार नए साल का जश्न मुंबई में मनाएंगे। उन्हें यह नहीं मालूम था कि भारत में प्रवेश करने के लिए पासपोर्ट की जरूरत होती है। बीएसएफ को पूछताछ में ये चारों किसी संदिग्ध गतिविधि में संलिप्त नहीं दिखे। उनके पास कोई ऐसी चीज भी नहीं पाई गई जो उन्हें संदिग्ध साबित करती। सभी पहलुओं की जांच करते हुए बीएसएफ ने मंगलवार को उन्हें पाक रेंजर्स के हवाले कर दिया। ज्ञात हो कि भारत-पाक में यह समझौता है कि अगर गलती से एक दूसरे की सीमा में उनका नागरिक प्रवेश कर जाए तो उसेबिना किसी कार्रवाई के वापस भेज दिया जाएगा।

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